मंगलवार, 30 जनवरी 2018

अमृतसर में अमृता शेरगिल के चित्रों की प्रदर्शनी

अमृतसर में अमृता शेरगिल के चित्रों की प्रदर्शनी
शेरगिल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर आयोजन
मूमल नेटवर्क, अमृतसर। इण्डियन एकेडमी ऑफ फाईन आर्टस की दीर्घा में विश्व प्रसिद्ध चित्रकार अमृता शेरगिल के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। अकादमी आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन कल शाम 5 बजे तेजिन्दर चिन्ना और जसमीत नायर ने किया। उपिस्थत मेहमानों ने शेरगिल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। यह प्रदर्शनी 2 फरवरी तक चलेगी।
अमृता शेरगिल एक सुप्रसिद्ध भारतीय महिला चित्रकार थीं जिन्हें 20वीं शताब्दी के भारत का एक महत्वपूर्ण महिला चित्रकार माना जाता है। उनकी कला के विरासत को 'बंगाल पुनर्जागरण' के दौरान हुई उपलब्धियों के समकक्ष रखा जाता है। उन्हें भारत का सबसे महंगा महिला चित्रकार भी माना जाता है। 20वीं सदी की इस प्रतिभावान चित्रकार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने सन 1976 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों की सूचि में शामिल किया। सिख पिता और हंगरी मूल की मां मेरी एंटोनी गोट्समन की यह पुत्री मात्र 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी। इनका जन्म बुडापेस्ट, हंगरी में 30 जनवरी 1913 को हुआ था। बहुत ही अल्प आयु में उनकी मृत्यु लाहौर में 5 दिसम्बर 1941 में हुई।

डॉ. नरूका को मूक-बधिर कला शिक्षा हेतु सम्मान

डॉ. नरूका को मूक-बधिर कला शिक्षा हेतु सम्मान
मूमल नेटवर्क, जयपुर/नई दिल्ली। मूक बधिर बच्चों को कला सिखाने और कला के माध्यम से ही आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों के लिए जयपुर के कला शिक्षक योगेन्द्र सिंहं नरूका को बेस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।।
यह सम्मान उन्हें 28 जनवरी को सेन्टर फॉर एजूकेशनल डवलपमेंट, नई दिल्ली की ओर से आयोजित कार्यक्रम इन्टरनेशनल एजू समिट एण्ड एजू अवार्डस में प्रदान किया गया। जयपुर के सेठ आनन्दी लाल पोद्दार मूक-बधिर एच्च माध्यमिक विद्यालय में चित्रकला व्याख्याता पद पर काय्ररत नरूका अपने विद्यार्थियों को लेकर काफी सकारात्मक विचार रखते हैं। शहर में आयोजित कई बड़े प्रोग्राम्स में वो अपने विद्यार्थियों की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
डॉ. नरूका पिछले पांच वर्षों से डेफ आर्ट मूवमेंट पर कार्य कर रहे हैं। इस मूवमेंट के पांच वर्ष पूर्ण होने की उपलब्धि के रूप में वो फरवरी में जेकेके में डेफ आर्टिस्ट द्वारा तैयार कलाकृतियों का प्रदर्शन करेंगे।

रविवार, 28 जनवरी 2018

गणतंत्र दिवस परेड का आकर्षण रही 
धर्म व कला का संगम गोंपा झांकी
मूमल नेटवर्क, दिल्ली/शिमला। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति का सुप्रसिद्ध कीह गोंपा नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में आकर्षण का केंद्र बना। हिमाचल ने अपनी झाकी में लाहुल-स्पीति जिले में समुद्र तल से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रसिद्ध बौद्ध मठ कीह गोंपा को प्रदर्शित किया। यह झाकी गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य आकर्षण रही। राजपथ पर कीह गोंपा की झांकी और उसके साथ परंपरागत छत नृत्य व संगीत की सभी ने सराहना की।
गोंपा कल और आज
कीह गोंपा की स्थापना 11वीं शताब्दी में की गई थी जिसमें आज भी प्राचीन बौद्ध चित्रकला व थंका चित्रकारी मौजूद है। इस धार्मिक प्रशिक्षण केंद्र में बड़ी संख्या में बौद्ध सन्यासी और लामा धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से रह रहे हैं। कीह गोंपा में करीब 300 भिक्षु-भिक्षुणिया बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह गोंपा विदेशी शोधार्थियों का भी केंद्र है। महान अनुवादक रिंचेन जंगपो के अवतारी लामा इस गोंपा के मठाधीश रहे हैं। मौजूदा मठाधीश टीके लोचेन टुलकू को रिंचेन जंगपो का 19वा अवतारी लामा माना जाता है। कीह गोंपा को वर्ष 1008 के आसपास बौद्ध लामा धोमतन ने बनवाया था।

ब्रिटेन को मिला 10000 वर्ष पुराना खडिय़ा

ब्रिटेन को मिला 10000 वर्ष पुराना खडिय़ा
मूमल डेस्कवर्क।
ब्रिटेन में पुरातत्वविदों को 10000 वर्ष पुराना रंगीन मोमी खडिय़ा (चित्रांकनी) मिला है। पुरातत्वविदों का मानना है कि संभवत: इसका इस्तेमाल हमारे पूर्वज जानवरों की खाल या कलाकृति को रंगने के लिए करते रहे होंगे। इस रंगीन मोमी खडिय़ा की खोज एक प्राचीन झील के पास की गई है, जो इंग्लैंड के नॉर्थ यॉर्कशायर के स्कार्बोरो के पास है, जो अब कोयले के दलदल वाला इलाका है।
झील के दूसरे किनारे पर एक अन्य साइट पर गेरूआ रंग का कंकड़ भी मिला है। जर्नल ऑफ आर्कोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह रंगीन मोमी खडिय़ा 22 एमएम लंबा और 7 एमएम चौड़ा है। ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के एंडी नदीहम ने कहा कि 10000 वर्ष पुराने गेरूआ रंग के कंकड़ और रंगीन मोमी खडिय़ा यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र कला में काफी अमीर था।

ट्रंप को गोल्डन टॉयलेट का ऑफर, म्यूजियम ने पेंटिंग देने से किया इनकार

ट्रंप को गोल्डन टॉयलेट का ऑफर
म्यूजियम ने पेंटिंग देने से किया इनकार
मूमल डेस्कवर्क।
न्यूयॉर्क के गुगेनहाइम म्यूजियम ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके पसंद की पेंटिंग देने से इनकार कर दिया है। ट्रंप ने म्यूजियम से वॉन गॉग की पेंटिंग 'लैंडस्केप विद स्नो' की मांग की थी।
पेंटिंग देने से इनकार करते हुए म्यूजियम ने व्हाइट हाउस के लिए ट्रंप को सोने से बने टॉयलेट देने की पेशकश की है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यूजियम ने पेंटिंग न दे पाने के लिए माफी मांगी है और 18 कैरेट सोने से बने गोल्डन टॉयलेट देने की बात कही है।
हालांकि, सोने का टॉयलेट लिया जाएगा या नहीं इस पर ट्रंप प्रशासन ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। म्यूजियम ने कहा कि वेन गॉग की पेंटिंग हमारे कलेक्शन का हिस्सा है। यह  सिर्फ  खास मौकों पर ही म्यूजियम से बाहर ले जाई जाती है, वो भी सिर्फ  कुछ समय के लिए।
टॉयलेट का नाम है अमेरिका
न्यूयॉर्क के गुगेनहाइम म्यूजियम में रखे इस सोने की टॉयलेट का नाम अमेरिका रखा गया है। दिलचस्प बात यह है कि म्यूजियम जाने वाला कोई भी शख्स इस टॉयलेट सीट की सीट पर बैठ सकता है। गुगेनहाइम म्यूजियम में और भी कई बेहतरीन चीजें रखी हुई हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह  टॉयलेट सीट 18 कैरेट गोल्ड से तैयार किया गया है। इसे म्यूजियम के एक रेस्टरूम में रखा गया है। इस टॉयलेट सीट को इटली के आर्टिस्ट कैटिलेन ने बनाया है। इस टॉयलेट को अलग-अलग कई हिस्से जोड़कर तैयार किया गया है।
10 लाख यूएस डॉलर से ज्यादा कीमती
इसे तैयार करने में बहुत वक्त लगा है। दरअसल, सोने को जोडऩे में काफी वक्त लगता है। ऐसे में इस टॉयलेट को तैयार करने में भी काफी मेहनत करनी पड़ी। इस टॉयलेट को बनाने में कितने पैसे लगे हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, जानकार इसकी कीमत 10 लाख यूएस डॉलर से ज्यादा की बताते हैं।

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

2018 के कला संस्कृति को मिले पद्म पुरस्कार

2018 के कला संस्कृति को मिले पद्म पुरस्कार 
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली।
 पद्म विभूषण - 
- इलैयाराजा (कला): दक्षिण भारत के जानेमाने संगीतकार, गीतकार। 2010 में पद्म भूषण से सम्मनित।
- गुलाम मुस्तफा खान (कला):-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार 1991 में पद्मश्री और 2006 में पद्म भूषण से नवाजा गया था।
 पद्म भूषण-
- रामचंद्रन नागस्वामी : (पुरातत्व) : भारतीय इतिहासकार को मंदिरों के शिलालेख और तमिलनाडु के कला इतिहास पर काम करने के लिए जाना जाता है।
- लक्ष्मण पई (कला/चित्रकारी) : भारत के जाने-माने कलाकार व चित्रकार। तीन बार ललित कला अकादमी पुरस्कार मिल चुका है।
- अरविंद पारिख  (कला/संगीत) : जाने-माने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार व सितार वादक। संगीत के क्षेत्र में छह दशक से सक्रिय।
- शारदा सिन्हा (कला/संगीत) : बिहार ही देश की जानीमानी लोक गायिका। 45 सालों से गा रही हैं। 1991 में पद्मश्री मिला था।
पद्मश्री सम्मान-
उत्तरप्रदेश के मोहन स्वरुप भाटिया को कला व लोकसंगीत, मणिपुर की लांगपोकलकपम सुभादानी देवी को बुनाई कला, कनार्टक के डी गौडा को कला गायन, मलेशिया के रामली बिन इब्राहिम (विदेशी) को नृत्य, महाराष्ट्र के मनोज जोशी को कला एवं अभिनय, जम्मू कश्मीर के प्राण किशोर कौल को कला, लाओस के बोनलैप कियोकांगना (विदेशी) को आर्टिटेक्चर, पश्चिम बंगाल के विजय किचलू को कला (संगीत), ओडिशा के प्रवाकारा महाराणा को मूर्तिकला, महाराष्ट्र के शिशिर पुरुषोत्तम मिश्रा को कला (सिनेमा), तमिलनाडु की विजयलक्ष्मी नवनीतकृष्णन को कला, इंडोशिया के आई न्योमैन नुआर्ता (विदेशी) को मूर्ति कला, ओडिशा के गोवर्धन पनिका को कला (बुनाई), भवानी चरण पटनायक को लोक कार्य,  कनार्टक के आर सत्यनारायण को कला एवं संगीत, मध्य प्रदेश के भज्जू श्याम को कला (पेंटिंग),  कर्नाटक के इब्राहिम सुतार को कला संगीत,  कनार्टक के रुद्रपटटनम नारायण स्वामी तरंथन और रुद्रपटटनम नारायण स्वामी त्यागराजन को कला संगीत, मध्यप्रदेश के बाबा योगेंद्र  को कला चुना गया है।

चित्तौडग़ढ़ आर्ट फेस्टिवल में दिखेंगे 11 देशों के 28 कलाकार

चित्तौडग़ढ़ आर्ट फेस्टिवल में दिखेंगे 11 देशों के 28 कलाकार
फेस्टिवल का छठा एडीशन तीन फरवरी से
मूमल नेटवर्क, चित्तौडग़ढ।
चित्तौडग़ढ़ आर्ट फेस्टिवल का आरम्भ तीन फरवरी से होगा। आयोजन के छठे एडीशन में 11 देशों के 28 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इस पांच दिवसीय आयोजन का उद्देश्य समाज में सामाजिक गतिविधियों के प्रति कला के माध्यम से जागरूकता लाना है।
इस बार फेस्टिवल में इंटरनेशनल आर्टिस्ट विलेज रेजीडेंसी का आयोजन होगा। यह आयोजन 3 से 7 फरवरी तक ग्राम पंचायत नंदवाई के पंचायत समिति बेगूं के मेनाल रिसोर्ट में किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह 3 फरवरी की सुबह 11 बजे पंचायत समिति में आयोजित किया जाएगा एवं 7 फरवरी को आर्ट प्रदर्शनी के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
चित्तौडग़ढ़ आर्ट सोसाइटी के सचिव मुकेश शर्मा ने बताया कि इस फेस्टिवल में कई सामाजिक मुद्दों पर कला के माध्यम से कार्य करने का प्रयास किया जाएगा। बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, ऐतिहासिक विरासत संरक्षण एवं क्षेत्रीय लोक कला संरक्षण जैसे मुद्दों पर जागरूकता का संदेश देने के लिए 11 देशों के 28 कलाकार शिरकत करेंगे। जिसमें 23 विदेशी कलाकार और पांच भारतीय मूल के कलाकार हैं। यह कलाकार पब्लिक आर्ट, लैंड आर्ट, इंस्टॉलेशन, प्रदर्शनी, आर्ट कैंप, मूर्तिकला निर्माण, सेमिनार, परंपरागत कला के साथ-साथ लोक संगीत, नाट्य मंचन पर अपनी प्रस्तुति देंगे। शर्मा ने बताया कि यह सभी कार्यक्रम ग्रामीणों व कलाकारों की सहभागिता से पूर्ण किया जाएगा।
11 देश 28 कलाकार
आर्ट फेस्टिवल के समन्वयक नंदू शर्मा ने बताया कि इस आर्ट फेस्टिवल में भारत के अतिरिक्त यूएसए, फ्रांस, इजराइल, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इटली, यूक्रेन, डचलैंड, बेलारूस जैसे 11 देशों के कलाकारों ने भाग लिया है। इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी कलाकार अपने अपने क्षेत्र में बरसों से अपने हुनर का प्रदर्शन करते आए हैं। फेस्टिवल में आने वाले कलाकारों में दो बाल कलाकार भी अपनी कला प्रतिभा के जौहर दिखाऐगे। यह बाल कलाकार रूस की 10 वर्षीय जेयूमा शेबा सीता चुमक एवं यूक्रेन की 8 वर्षीय मईया बोगाकोवा हैं। यह दोनों बाल कलाकार बालिका शिक्षा के लिए होने वाले कार्यक्रम में अपना सहयोग देंगे। नंदू शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर इजरायल की चना डवोर जो कि इंटरनेशनल आर्ट मैगजीन जर्नलिस्ट है, इंटरनेशनल फिल्ममेकर (डॉक्यूमेंट्री) फ्रांस के हर्वे अल्बर्ट फ्रैंकोइस कैस्टयूबले, फ्रांस के क्लेयर म्यूसर,  इटली की टेक्सटाइल डिजाइनर लिलियाना फ़स्सिनो, अरोबिंदो आश्रम के कला विभाग के हेड लक्ष्य धरण आदि कलाकार अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इसके साथ ही यूएसए से ऑड्रे लैंगवॉर्टी वालेस टेलर, कैथरीन स्टेला मैकार्टी, डचलैंड से कार्नेलिया मार्टेंस, रूस से दारिया याट्सेंको, ऐलेना स्मॉखिन, एवडोकीया ग्रिशिना, मारिया चामक, जर्मनी से गट्र्रूड बिरिग्टा, ऑस्ट्रेलिया से गिलियम लोइस चावत, फ्रांस से लुइस पॉल मोरालेस, नदीन रोसेट अनीने फैब्रेट, वेरोनिके ऐनी जैकलिन डोमिंगो, इटली से लुइगी फबोजि़्ज़, मार्को फिएरा, यूक्रेन से ओल्गा बोकाचोवा, इजराइल से ओरली ऐलन मरगुएल, बेलारूस से नताल्लिया बहुस हेविच एवं भारत से दर्शन सिंह, विज यामला, प्रोफेसर हेमंत द्विवेदी तथा डॉक्टर चिमन डांगी हैें।

बुधवार, 24 जनवरी 2018

आरयू में प्रोजेक्ट स्टूडियो एक्सटेंशन आज से


आरयू में प्रोजेक्ट स्टूडियो एक्सटेंशन आज से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान विशवविद्यालय के श्री शिक्षक सदन में दो दिवसीय प्रोजेक्ट स्टूडियो एक्सटेंशन की आज शुरुआत हुई। जन साहित्य पर्व के दौरान आयोजित इस प्रोजेक्ट स्टूडियो एक्सटेंशन का संयोजन जयपुर के प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप ने किया है। इसमें प्रदेश भर से दृश्य कला से जुड़े युवा कलाकारों ने भाग लिया है ।
पेग के अध्यक्ष आर बी गौतम ने बताया कि इस विशेष कार्यशाला के संयोजन की जिम्मेदारी कवि चित्रकार अमित कल्ला और शिल्पकार हंसराज कुमावत को दी गई है ।

कार्यशाला में दुर्गेश अटल, अमरनाथ बिस्वास, दुर्गा राठौड़, पारुल जोशी, राकेश सांखला, हिम्मत गायरी, सेनाराम, हर्षित वैष्णव, हरिओम पाटीदार, शिखा कुमारी और युवा फिल्म मेकर अभिषेक कुमावत अपने रचनात्मक भावों को रंग, रेखाओं और अन्य कलात्मक पहलुओ को नया आयाम दे रहे हैं।
युवा कलाकार हरिओम पाटीदार गोबर के उपलों और खाली बोतलों से  आर्ट इंस्टॉलेशन बना रहे हैं जो अपने आप में एक अलग लोक अनुभूति की दर्शन देता है। आर्टिस्ट अभिषेक कुमावत ने  अपने फोटो इंस्टालेशन में ग्रामीण महिलाओं की सशक्त और जीवंत छवियां लगाई है जिन्हे आगंतुकों द्वारा बेहद सराहा जा रहा है। चित्रकार दुर्गेश अटल इंक माध्यम में लोक जीवन के व्यापक मर्म को अपनी चिर परिचित शैली में दर्शाया है। यह आयोजन कल 25 जनवरी तक चलेगा।

महान मूर्तिकार डेविड नैश पर बनी फिल्म का हुआ प्रदर्शन


महान मूर्तिकार डेविड नैश पर बनी फिल्म का हुआ प्रदर्शन
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। महान मूर्तिकार व कला गुरु डेविड नैश अपने जीवनकाल के 40 वर्षों में 2000 से अधिक मूर्तियों की रचना की। बड़े आकार की मूर्तियां बनाने वाले नैश ने अपनी कलाकृतियों में एक अद्रभुत अंर्त दृष्टि का परिचय दिया है। नैश अपनी कृतियों में सामग्री के रूप में वृक्षो के तने इत्यिादि का प्रयोग करते थे जो कृति और प्रकृति के आपसी तालमेंल को दर्शाता है।

इसी महान मूर्तिकार पर बनी लगभग 59 मिनट की डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन कल शाम 4 बजे अलीगंज स्थित ललित कला अकादेमी क्षेत्रीय केन्द्र की वीथिका में किया गया।
इस फिल्म का निर्माण बीबीसी नेे किया है। फिल्म में नैश की कला यात्रा जो कि कला स्कूल से प्रारम्भ होकर ब्रिटिन
के नार्थ वेल्स, यार्कशायर तक को दिखाया गया है। उनके द्वारा बनाये मूर्ति शिल्प की प्रदर्शनी भी फिल्म का हिस्सा है जो कलाकार की जिंदगी का अहम भाग है
इस अवसर पर अनेक कलाकार, कलाप्रेमी एवं कला छात्र उपस्थित थे।

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

क्या कला बाजार की शै है...?

(किसी कलाकार द्वारा तैयार कृति उसके आत्म आनन्द की चीज है या फिर बाजार में बिकने वाली कोई वस्तु? यह प्रश्र हमेशा से कलाकार के साथ समाज को भी व्यथित करता है। स्वयं रचनाकार अपनी ही रची हुई कृति का मोलभाव करते हुए अपराधबोध की अनुभूति करता है। क्या यह अनुभूति सही है? क्या कला बाजार के लिए है? कुछ ऐसे ही प्रश्रों का जवाब है प्रस्तुत लेख।  -सं.)
क्या कला बाजार की शै है...?
कला आत्मानुभूति या आनन्द के लिए, कला मेरे मन की भूख को शांत करती है, मैं जो रच रहा हूं स्वयं के लिए रच रहा हूं जैसे शब्द आज के दौर में भी कई कलाकारों के मुख से अक्सर सुनने को मिलते हैं। समाज की मान्यता भी है कि ऐसा सोचने वाले कलाकार ही सही अर्थों में कलाकार हैं, गीता के गूढ़ ज्ञान को समेटे हुए कर्म करते हुए भी निर्विकार भाव वाले।  ... लेकिन जब ऐसा बोलने वाले कलाकार की कृति की कीमत बाजार तय करता है और उसे खासी धनराशि की प्राप्ति होती है या फिर ऐसे कलाकार अपनी कृति के लिए बायर की तलाश करते नजर आते हैं तो एक सामान्य व्यक्ति के जेहन में कई प्रश्र पनपा जाते हैं। कला को खुलमखुला बाजार से जोड़कर बात करने पर कला व संस्कृति से जुड़े लोग आज भी चौंक उठते हंै। ऐसे लगता है मानो कोई भारी आपराधिक बात कह दी गई हो। यह भावना कलाकार वर्ग की भी है लेकिन फिर भी कुछ खुले, कुछ छुपे रूप में छोटे-बड़े आर्टिस्ट अपनी कृतियों को बेचने के लिए उप्युक्त व्यक्ति की तलाश में नजर आते हैं।
क्या कला बाजार की शै है? निश्चित रूप से है। क्योकि यह एक भौतिक वस्तु के रूप में है जो अपने रचनाकार के जीवनयापन में सहयोगी है। कलाकृतियों से प्राप्त धनराशि से उसका परिवार पलता है। राजपरिवारों के समय में कलाकार के परिवार की जिम्मेदारी राजा की होती थी और कलाकार राजा के मत के साथ स्वान्त सुखाय के लिए भी अपनी कृति को आकार दे पाता था। जमाना पल्टा है तो सोच में भी तब्दिली आवश्यक हो गई है। कलाकार के कांधों पर भी परिवार पालन का उतना ही भार है जितना कि आम आदमी के कांधों पे।
मन को संवेदनाओं से भरने वाले किताबी वाक्य भोथरे से होकर रह गए हैं। कला और बाजार के अन्त:सम्बन्धों का यथार्थवादी चेहरा सामने आ गया कि कला की उपयोगिता बाजार के लिए है। उद्योगपति एवं व्यावसायी इसे रीयल एस्टेट के नए रूप को देख रहे हंै। कला जीवन की भौतिक जरूरतों की पूर्ति के लिए एक जरिया बन गई है। आखिर इस महंगाई के दौर में कितने कलाकार इस धरती पर इतने समृद्ध होंगे जो घर की पूंजी लगाकर कैनवास, कूंची और रंगों को खरीदकर स्वान्तसुखाय कला कर्म करते रह सकते है? वैश्विक आर्थिक उदारवाद का सबसे बड़ा लाभ कला जगत को ही हुआ है।
यह मानना कहां तक उचित होगा कि बाज़ार और सौंदर्य शास्त्र एक दूसरे के विरोधी हैं। देखा जाए तो चित्र बनाना और बेचना एक-दूसरे से जुड़े हुए काम हैं। इनमें विरोध का कोई रिश्ता नहीं दिखता। मुद्दे की व ध्यान देने की बात तो यह है कि इस रिश्ते के चलते कला तो प्रभावित नहीं हो रही ? उसकी स्वाभाविकता एवं मौलिकता तो नष्ट नहीं हो रही? बाज़ार के दबाव में कलाकार की सृजनशीलता तो प्रभावित नहीं हो रही?
बाजार के साथ कलामूल्यों व विचारों के संतुलन का पैमाना सही है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कला कलाकार के विचारों का वो सामाजिक सिलसिला है जो बाजार को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
                                                                                                                                              -गायत्री

सोमवार, 22 जनवरी 2018

कल शाम हुआ जयपुर कला महोत्सव का समापन

कल शाम हुआ जयपुर कला महोत्सव का समापन 
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में चल रहे पांच दिवसीय जयपुर कला महोत्सव का कल शाम समापन हुआ। समापन अवसर पर पेंटिंग व फोटोग्राफी वर्कशाूप के श्रेष्ठ कृतियों के कलाकारों को पुरस्कार दिए गए। समापन से पहले वर्कशॉप में तैयार कृतियों को प्रदर्शित किया गया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि लोकल बॉडीज के डायरेक्टर पवन अरोड़ा, फिक्की लेडीज आर्गेनाइजेशन की चयरपर्सन मीनल जैन व अन्य आमन्त्रित अतिथियों ने पुरस्कार वितरित किये। पेंटिंग वर्कशाप का प्रथम पुरस्कार रुपये 2100 सुभाष चन्द को, द्वितीय पुरस्कार रुपये 1100 उर्मिला यादव को तथा तृतीय पुरस्कार रुपये 500 सुनीता मीणा को प्रदान किया गया।

रविवार, 21 जनवरी 2018

डॉ. माथेडिय़ा की सौन्दर्यात्मक दृष्टि पर शोध

डॉ. माथेडिय़ा की सौन्दर्यात्मक दृष्टि पर शोध
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला शिक्षक व चित्रकार डॉ. जगमोहन माथोडिय़ा के सृजन की सौन्दर्यात्मक दृष्टि पर वनस्थली विद्यापीठ की छात्रा प्रिया बापलावात ने शोध किया है।
प्रो. किरन सरना के निर्देशन में प्रिया ने डॉ. जगमोहन माथोडिय़ा सौन्दर्यात्मक दृष्टि: एक अध्ययन विषय पर किये शोध में डॉ. माथोडिय़ा की 35 वर्षों की कला यात्रा के हर पहलू को पिरोया है। सात अध्यायों में विभकत इस शोध में डाू. माथोडिय़ा की सृजन तकनीक के साथ उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इस शोध में यह भी बताया गया है कि डॉ. माथोडिय़ा ने हजारों चित्रों की रचना की है। इनमें सात के करीब श्रृंखलाबद्व चित्रण हैं। प्रत्येक श्रृंखला में 100 के लगभग चित्र हैं। डॉ. माथोडिय़ा को संयोजन विषय में दक्ष कला गुरु के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में डॉ. माथोडिय़ा राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में कला शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

जेकेके में व्हेन इज स्पेस प्रदर्शनी आज से

जेकेके में व्हेन इज स्पेस प्रदर्शनी आज से
सवाई जय सिंह एवं चाल्र्स कोरिया के विचारों पर होगी चर्चा
सजेंगे 27 आर्ट आर्किटेक्चर

मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केंद्र की इन हाउस कन्टेम्पररी आर्किटेक्चर एग्जीबिशन 'व्हेन इज स्पेस' आज से शुरु हो गई है। इसके लिए केन्द्र के विभिन्न हिस्सों में 27 आर्ट आर्किटेक्चर इंस्टाल किए गए हैं। प्रदर्शनी  के क्यूरेटर रूपाली गुप्ते एवं प्रसाद शेट्टी के अनुसार आमतौर पर लोग पेंटिंग डांस इत्यिादि को ही आर्ट मानते हैं जबकि आर्किटेक्चर भी अपने आप में आर्ट है। 
31 मार्च तक चलने वाली समसामयिक वास्तुकला पर आधारित इस एग्जीबिशन का उद्देश्य भारत में समसामयिक वास्तुकला एवं 'स्पेस' सृजन करने की कार्यप्रणालियों पर चर्चा करना है। इस चर्चा में जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह एवं जेकेके के संस्थापक चाल्र्स कोरिया के विचारों पर मनन करना है। यहां 'स्पेस' का अर्थ मल्टी-स्केलर डायमेंशस से है, जहां आर्किटेक्चर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह एग्जीबिशन आमजन से प्रश्न करती है 'व्हेन इज स्पेस?' और बताती है कि 'स्पेस' सृजन के लिए क्या करना होता है? आर्किटेक्चर का एनवायरमेंट और वास्तुकला से क्या संबंध होता है? लोककथाओं को आर्किटेक्चर में कैसे बुना जा सकता है? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब कंटेम्परेरी आर्किटेक्चर एग्जीबिशन में देंगे।
इस एग्जीबिशन में 30 कलाकार/आर्किटेक्ट्स शामिल होंगे।
व्हेन इज स्पेस के प्रतिभागी
एग्जीबिषन में अबिन डिजाइन स्टूडियो, एनाग्राम आर्किटेक्ट्स, एंटहिल डिजाइन, अनुज डागा, आर्किटेक्चर ब्रियो, आयोजन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, भगवती प्रसाद, ध्रुव जानी, द्रोणा, गीगी स्केरिया, सर जे जे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एंड मुस्तांसिर दल्वी, मेड इन मुम्बई, एम प्रवात, मन्चिनी, मार्क प्राइम, मिलिंद महाले, मैथ्यू एंड घोष, महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय, पारुल गुप्ता, मैसर्स प्रभाकर भागवत, प्रसाद खानोलकर, रणधीर सिंह, रक्स मीडिया कलेक्टिव, समीप पाडोरा प्लस एसोसिएट्स, समीर राउत, समीरा राठौड़ डिजाइन एटेलियर, सेहेर शाह, तेजा गावांकर, द बुसराइड डिजाइन स्टूडियो, द अर्बन प्रोजेक्ट, विकास दिलावरी और विशाल के. डार की कृतियां प्रदर्षित की जाएगी।
कल से कॉन्फ्रेंस 'इन्हेबिटेशंस'
 'व्हेन इज स्पेस' एग्जीबिशन के तहत 22 एवं 23 जनवरी को कन्टेम्पररी स्पेस पर आधारित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस 'इन्हेबिटेशंस' का आयोजन किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस के दो विषय हैं - प्रथम, आधुनिक भवन निर्माण कला में स्थान, जगह के बारे में प्रश्न करना और दूसरा, व्हेन इज स्पेस एग्जीबिशन की व्याख्या करना।
कॉन्फ्रेंस के दौरान आयोजित पैनल डिस्कशन में आर्किटेक्ट्स, कलाकार, डिजाइनर्स, रिसर्चर्स, शहरी विशेषज्ञ एवं फिलासफर्स द्वारा विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी। ये पैनल डिस्कशंस 'स्पेशियलिटीज ऑफ न् यू इकोनॉमीज एंड इकोलॉजीज, 'जयपुर नोट्स', 'रीविजिटिंग जयसिंह 'ज जयपुर', 'थिंकिंग एंड ड्राइंग स्पेस' और 'पॉलिटिक्स ऑफ स्पेस' जैसे विषयों पर आयोजित किए जाएंगे। यह कॉन्फ्रेंस स्पेस एवं इसकी आकृतियां सृजन करने की विशिष्ट परिस्थितियों, अनुभवों, राजनीति तथा इसकी संकल्पना करने की विधियों पर बारीकी से ध्यान देने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।

जयपुर कला महोत्सव का समापन आज शाम 5 बजे

जयपुर कला महोत्सव का समापन आज शाम 5 बजे
वर्कशॉप में तैयार कृतियों का प्रदर्शन शाम 4 बजे
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में चल रहे पांच दिवसीय जयपुर कला महोत्सव का आज समापन होगा। 17 जनवरी से चल रही इस प्रदर्शनी में कला चर्चा, आर्ट वर्कशॉप, फोटोग्राफी वर्कशाम के साथ कला की कई विधाओं का प्रदर्शन किया गया। प्रतिभागियों के रूप में राजस्थान से अधिक प्रदेश के बाहर के कलाकारों की युचि मुखर हुई।
कलात्मक प्रस्तुतियों के बीच में कल कला चर्चा के दौरान कुमारस्वामी के प्रसिद्ध कथन नेशन्स आर क्रिएटेड बाय पोएट्स एण्ड आर्टिस्ट्स, नॉट बाय मर्चेन्ट्स एण्ड पोलिटीशियन्स पर विद्वानों ने चर्चा की। इस चर्चा में प्रो. शिवानी गेलेरा, डॉ. विभूति पाण्डे, कविता चौधरी, डॉ. पूजा जैन, प्रसन्नता कुमार बसु एवं सुकुमार वर्मा ने हिस्सा लिया।
कल शाम आयोजित की गई सांस्कृतिक संध्या में आईआईसीडी के विद्यार्थियों ने कठपुतली खेल की प्रस्तुति दी।
महोत्सव के संयोजक राजेन्द्र सिंह नररूका ने बतायाकि आज शाम 5 बजे समापन अवसर पर प्रतिभागियों एवं चयनित कलाकृतियों के कृतिकारों को पुरस्कृत किया जाएगा। इससे पहले वर्कशॉप में कलाकारों द्वारा तैयार की गई कृतियों का शाम 4 बजे से प्रदर्शन किया जाएगा।




विशाल वुड ब्लॉक आर्ट का प्रदर्शन आज शाम को

विशाल वुड ब्लॉक आर्ट का प्रदर्शन आज शाम को
मूमल नेटवर्क, जयपुर। दो युवा आर्टिस्ट्स जयपुर के विमल महावर और अजमेर के राकेश सांखला ने ढेड वर्ष पूर्व स्टॉप टेरिरिज्म विषय पर एक वुड ब्लॉक तैयार किया है। जिसका प्रदर्श आज शाम 5 बजे वल्र्ड ट्रेड पार्क के सामने होगा।
दोनों कलाकारों ने मूमल को बताया कि, हमने यह कृति 24 वुड प्लाई को जोड़कर तैयार की है जो 24 गुणा 32 वर्ग फीट की है। इसमें लगा हर ब्लॉक 4 गुणा 8 वर्ग फीट का है। इस कृति के जरिये हमने आतंकवाद की रोकथाम और विश्व शांति का संदेश देने का प्रयास किया है। इस कृति का सड़क प्रदर्शन आज शाम 5 बजे वल्र्ड ट्रेड पार्क के सामने करेंगे।

शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

प्रकृति करती है आर्किटेक्चर को प्रभावित- प्रो. राठौड़



प्रकृति करती है आर्किटेक्चर को प्रभावित- प्रो. राठौड़
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में चल रहे पांच दिवसीय जयपुर कला महोत्सव के तीसरे दिन हुई कला चर्चा में प्रो. एन.एस. राठौड़ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रकृति ही आर्किटेक्चर को प्रभावित करती है। रिफलेक्शन ऑफ नेचर ड्राइंग इन आर्ट एण्ड डिजाइन विषय पर हुई चर्चा में प्रो. राठौड़ के साथ पम्पा पंवार और प्रो. शिखा सिंह ने भी अपना-अपना मत रखा। आज की कला चर्चा में कुमारस्वामी के प्रसिद्ध कथन नेशन्स आर क्रिएटेड बाय पोएट्स एण्ड आर्टिस्ट्स, नॉट बाय मर्चेन्ट्स एण्ड पोलिटीशियन्स पर चर्चा का दौर चलेगा।

समारोह में आर्ट टयून कोलकता के सौजन्य से अनिन्दा अधिकारी के संयोजन में चल रही दो दिवसीय फोटोग्राफी वर्कशॉप का समापन होगा। इसके साथ पेंटिंग वर्कशॉप में कला विद्यार्थी अपनी कृतियों को फाइनल टच दे रहे हैं। कल शाम जयपुर कला महोत्सव का समापन होगा।

रूपंकर एवं ललित कला पुरस्कारों के लिये कृतियां आमन्त्रित

रूपंकर एवं ललित कला पुरस्कारों के लिये कृतियां आमन्त्रित
कलाकृति भेजने की अन्तिम तिथि 2 फरवरी
मूमल नेटवर्क, भोपाल। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी द्वारा प्रदेश के ख्यातिलब्ध कलाकारों के नाम से स्थापित रूपंकर एवं ललित कलाओं के 10 पुरस्कारों के लिये कलाकृति आमंत्रित की गई हैं। प्रत्येक पुरस्कार की राशि रुपये 51 हजार होगी।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने यह जानकारी मूमल को  देते हुए बताया कि यह पुरस्कार खजुराहो समारोह में दिए जाएंगे। खजुराहो नृत्य समारोह 20 से 26 फरवरी तक खजुराहो में आयोजित होगा जिसमें राज्य रूपंकर कला पुरस्कार प्रदर्शनी-2008 में पुरस्कृत 10 कलाकृतियों के साथ प्रविष्टि में प्राप्त श्रेष्ठ कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
कलाकार अपनी कलाकृति 2 फरवरी तक अकादमी के कार्यालय उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी में भेज सकते हैं। 

नहीं रहे मलकीत सिंह

नहीं रहे मलकीत सिंह 
मूमल नेटवर्क चण्डीगढ़। मित्रों के प्रिय व मिलनसार चित्रकार मलकीत सिंह का कल शुक्रवार की सुबह देहांत हो गया। वह पिछले एक महीने से अस्वस्थ थे और फोर्टिस में उनका इलाज चल रहा था। वह दिल के मरीज थे और हाल ही में उनकी बाईपास सर्जरी भी हुई थी। लेकिन, दवाइयों के सेवन से उनकी किडनी फेल हो चुकी थी। उनकी मृत्यु की खबर आते ही कला जगत में दुख की लहर छा गई।
मलकीत सिंह ने 1966 में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट से डिप्लोमा किया था। इसके बाद उन्होंने पीयू के फाइन आर्ट डिपार्टमेट से 1976 में एमए की। 1978 और 1984 में इन्हें इनकी पेंटिंग के लिए पंजाब ललित कला अकादमी सम्मान मिला। 2006 से मलकीत सिंह पंजाब ललित कला अकादमी के वाइस प्रेसिडेट रहे। इन्होंने पीजीआइ-12 में एक आर्टिस्ट के तौर पर नौकरी की, जहां से वह 2003 में रिटायर हुए थे।

जयपुर कला महोत्सव की पेंटिंग कॉम्पीटीशन में विशेष बच्चे बने प्रतिभागी

जयपुर कला महोत्सव की पेंटिंग कॉम्पीटीशन में 
विशेष बच्चे बने प्रतिभागी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में चल रहे जयपुर कला महोत्सव में आयोजित पेंटिंग कॉम्पीटीशन में जहां हर उम्र के कलाकार ने भाग लिया वहीं विशेष बच्चों ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई।
शहर में एक के बाद एक चल रहे कला आयोजनों के चलते महोत्सव दर्शकों की भीड़ नहीं जुटा पा रहा है लेकिन प्रदेश के कलाकारों को देश भर के कलाकारों से मिलने का अवसर जरूर मिल रहा है।
आर्ट टयून कोलकता के सौजन्य से अनिन्दा अधिकारी के संयोजन में आज फोटोग्राफी वर्कशॉप का आयोजन हुआ। कला चर्चा के सेशन में कल जहां कला शिक्षा पर चर्चा की गई वहीं आज शाम साढे चार बजे रिफलेक्शन ऑफ नेचर ड्राइंग इन आर्ट एण्ड डिजाइन विषय पर बातचीत की जाएगी।
शाम की सुर संध्या में सुरों की स्वर लहरियां इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्राफ्ट एण्ड उिजाईन के सहयोग से बिखरेंगी।
पांच दिवसीय कला मेले का समापन परसों 21 जनवरी को होगा।




10 फरवरी तक चलेगी 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी

10 फरवरी तक चलेगी 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी
संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने किया प्रदर्शनी का उद्घाटन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी आयोजित 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कल अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी, सचिव विशालाक्षी निगम की मोजूदगी में किया। इस अवसर पर एनजीएमए के महानिदेशक अद्वैत गणनायक, विजय कुमारए, कैथरीन कुमार, प्रवेश खन्ना,  मुकुल पंवार, गोगी सरोजपाल, आनंदमॉय बनर्जी जैसे गणमान्य व्यक्तियों और पुरस्कृत कलाकारों के साथ भारी संख्या में कलाकार, कला आलोचक, कला संग्राहक व कलाप्रेमी उपस्थित थे।

डॉ. महेश शर्मा ने 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के कैटलॉग का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि, इस प्रतिष्ठित प्रदर्शनी के माध्यम से इतनी अधिक संख्या में कलाकार अकादमी से जुड़ते है। प्रदर्शनी में इतनी अधिक संख्या में प्राप्त प्रविष्टियों में से श्रेष्ठ का चयन करना ज्यूूरी के लिए वाकई कठिन काम था परन्तु उन्होंने कुशलतापूर्वक श्रेष्ठ कृतियों का चयन किया। यह प्रदर्शनी युवा और उभरते कलाकारों को एक मंच प्रदान करती है जहां विभिन्न कला माध्यमों के कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।

डॉ. शर्मा ने कहा कि एक व्यक्ति जो हाथ से कार्य करता है मजदूर है, दिमाग से कार्य करता है तो इंजिनियर है परन्तु दिल से काम करने वाला कलाकार होता है। आईए हम साथ मिलकर इन कलाकारों की कला और सृजनात्मकता को अवसर दे।

डॉ. शर्मा ने अकादमी की सराहना करते हुए कहा कि, अकादमी अपने कार्यक्रमों के माध्यम से कला व संस्कृति को आगे बढ़ाने का सृजनात्मक कार्य कर रही है और इस तरह राष्ट्रनिर्माण में भी योगदान दे रही है। अन्त में उन्होंने अकादमीके सभी सदस्यों को बधाई देते हुए कलाकारों से इसी प्रकार जुड़े रहने का संदेश दिया।
अपने उद्बोधन में अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा कि, समकालीन कला की पहुंच व्यापक रूप से पूरी दुनिया में है जो निरन्तर विकसित हो रही है। अपने चारों ओर के वातावरण से प्रेरित होकर कलाकार नए माध्यमों पर प्रयोग कर रहे हैं। कलाकृति हर कलाकार की विशिष्ट शैली है जो भारतीय कला पर वर्तमान सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रभावों का चित्रण है जिस कारण से आज कला में लोगों की रुचि बढ़ रही है। यह प्रदर्शनी उसी की बानगी है।
10 फरवरी तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 172 कलाकारों की 172 कृतियों के रूप में चित्रकला, मूर्तिशिल्प, ग्राफिक, फोटोग्राफी, ड्राईंग, इंस्टॉलेशन और कई कला माध्यमों की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं।
उल्लेखनीय है कि, राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कलाकारों को मान्यता प्रदान करने और विलक्षण कलाकृतियों को प्रदर्शित करने हेतु ललित कला अकादमी प्रतिवर्ष राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी आयोजित करती है।

गुरुवार, 18 जनवरी 2018

कला नीलामी का बाजार ट्रेक पर आ रहा है

कुछ अर्से तक कला बाजार की मंदी ने कला बाजार के तत्वों के साथ कलाकारों को भी मायूसी दे दी थी। बीते वर्ष की कला नीलामी के बिक्री आंकड़ों ने इस मायूसी को हटाकर बाजार में नई जान फूंकी है। वैश्विक कला बाजार के अध्ययन से प्रस्तुत है यह रिर्पोट। (सं.)

कला नीलामी का बाजार ट्रेक पर आ रहा है
विश्व कला बाजार में 2014 और 2016 के बीच की गिरावट के बाद 2017 के नीलामी बिक्री आंकड़ों ने बाजार के फिर से ऊपर उठने के संकेत दिए हैं। लगने लगा है कि 2018 में कला नीलामी का बाजार ट्रेक पर आ जाएगा। इस बाजार में भारत की भी विशेष भूमिका रही है।
आर्ट टैक्टिक से प्राप्त एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल की गिरावट के बाद वैश्विक कला नीलामी की बिक्री में फिर से उछाल आया है। लंदन स्थित कला बाजार विश्लेषकों द्वारा क्रिस्टी, सोथबी और फिलिप्स से 2017 बिक्री डेटा (ऑनलाइन नीलामियों को छोड़कर) के सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ है कि 2017 में यह बढ़ोतरी 25 प्रतिशत तक हुई है।
निष्कर्षों के अनुसार, कला बाजार में पोस्ट वार व कंटेम्पररी आर्ट के योगदान के साथ इम्प्रेशनिस्ट व मॉडर्न मार्केट की वापसी, एशियाई कला बाजारों के दखल और रिकॉर्ड कायम करने वाले ओल्ड मास्टर्स की कृतियों की बिक्री से यह मजबूती आयी है।
उपरोक्त नीलामी घरों ने पिछले साल 11.21 बिलियन डॉलर की कुल कीमत कृतियों की बिक्री से प्राप्त की। इसमें पोस्ट वार व कंटेम्पररी आर्ट की बिक्री के 29.3 प्रतिशत व प्रभाववादी और आधुनिक कला बाजार के 21.5 प्रतिशत के रूप में योगदान रहा। चीनी और एशियाई नीलामियों ने 1.74 अरब डॉलर की बिक्री के साथ तीसरे बड़े हिस्से पर अपना नाम अंकित किया।
तीनों ही नीलामी घरों में बिक्री की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि क्रिस्टी ने लियोनार्डो दा विंची के सैल्वेटोर मुंडी की 450 मिलियन डॉलर की बिक्री के साथ बाज़ार में अपना प्रभुत्व बना लिया है। इस अकेली बिक्री से क्रिस्टी को 34 प्रतिशत वृद्धि की मदद मिली है। क्रिस्टी द्वारा की गई कुल $बिक्री 5.89 बिलियन डॉलर थी जिसमें विंची की सेल्वाटेर मुंडी की बिक्री से प्राप्त 2.81 बिलियन डॉलर की रकम शामिल है।
सोथबी का बिक्री आंकड़ा 4.69 बिलियन डॉलर का रहा। फिलिप्स ने 624 मिलियन डॉलर की कला बिक्री के साथ कला बाजार की बढ़ोतरी में अपना योगदान दिया।
भौगोलिक दृष्टि से देखें तो न्यूयॉर्क शहर में 48.7 प्रतिशत लेनदेन के साथ प्रथम एवं लंदन ने 24.2 प्रतिशत बिक्री के साथ कला बाजार में दूसरे स्थान पर अपनी पकड़ बनाए रखी। एशिया में हांगकांग ने कला के महत्वपूर्ण बाजार के रूप में अपनी स्थिति को कायम रखा है।     -गाायत्री

बुधवार, 17 जनवरी 2018

कला महोत्सव में दिखे भारत के रंग

कला महोत्सव में दिखे भारत के रंग
जयपुर कला महोत्सव की हुई शुरुआत

मूमल नेटवर्क, जयपुर। कल शाम जयपुर कला महोत्सव के उद्घाटन के साथ ही भारत के कला रंगों की छटा बिखर पड़ी। उद्घाटन विशिष्ट अतिथि मूर्तिकार हिम्मतशाह के साथ कला संयोजक राजेन्द्र सिंह नरुका व उपस्थित मेहमानों ने किया। महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित केबिनेट मंत्री किरण महेश्वरी उपस्थित नहीं हो सकीं।महोत्सव में कला के विभिन्न रंगों के रूप में टैक्सटाइल, फोटोग्राफी, पेपरमेशी, ज्यूलरी, मैटल क्राफ्ट, आर्किटेक्चर, वुड क्राफ्ट व इंस्टालेशन कलाप्रेमियों को लुभाने के लिए तैयार हैं।
लगभग एक सौ स्टॉल्स में जयपुर व प्रदेश के साथ देश भर के आर्टिस्ट्स की कृतियां सजी हुई हैं। महोत्सव के दूसरे दिन आज दिन में एक बजे पेंटिंग वर्कशॉप की शुरुआत की जाएगी। चार बजे कला चर्चा के दौर में रिफलेक्शन ऑफ नेचर ड्राइंग इन आर्ट एण्ड डिजाइन विषय पर बातचीत की जाएगी। आज का समापन शाम सवा छ: बजे पं. भार्गव मिस्त्री के सरोद वादन से होगा।


आर्ट परफॉरमेंस व कला बदलावों के बारे में डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत

 आर्ट परफॉरमेंस व कला बदलावों के बारे में 
डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत
अभी हाल ही हुए कला मेले में प्रस्तुत आर्ट परफॉरमेंस को उपस्थित कलाकारों व कला प्रेमियों ने खासा पसन्द किया। पहली बार कला मेले में हुई यह प्रस्तुति कला जगत की नई विधा के रूप में धीरे-धीरे अपना प्रभाव जमा रही है। नाटक ना होने के बावजूद भी अंग संचालन के जरिये किसी परिकल्पना पर दिया गया प्रस्तुतिकरण कलाकार के मंतव्य को बहुत ही सहज तरीके से स्पष्ट करता है और लोगों के दिल में उतर जाता है।
कला मेले के आर्ट परफॉरमेंस  'इन बिटवीन द एलिमेंट्स ऑफ  पेंटिंग्स,द बॉडी एंड द स्पेस' की परिकल्पना डॉ कृष्णा महावर की थी।  लगभग 35 मिनट के इस परफॉरमेंस को डॉ महावर ने अपने 20 विद्यार्थियों के सहयोग से प्रस्तुत किया। इस परफॉरमेंस की उर्जा व कला की नई तकनीक से पाठकों को रूबरू करवाने के लिए मूमल ने डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत की। इस बातचीत के प्रमुख अंश यहां दिए जा रहे हैं।  (सं.)



मूमल- कृष्णा जी, कला मेले में दी गई प्रस्तुति गहन अभ्यास की ओर संकेत कर रही थी। आप अपने कला अभ्यास व अध्यापन को किस तरह संतुलित करती है।
डॉ. कृष्णा महावर- वास्तव में मुझे यह दो अलग चीज़े लगती ही नही हैं। एक कला शिक्षक को स्वयं भी कार्य करते रहना चाहिए और नवीन कार्यो, तकनीको व शैलियों से अपडेट होते रहना चाहिए। मैं यह सब करते हुए अपने स्टूडेंट्स से साझा भी करती चलती हूं तो मेरा स्वयं का अभ्यास और अध्यापन दोनो ही पूरक हो जाते हैं।

मूमल- आपने परफॉरमेंस आर्ट ही क्यो चुना?
डॉ. कृष्णा महावर- मैं 20 वर्षो से चित्रकला माध्यम में कार्य कर रही हूं बीच बीच मे इंस्टालेशन, मल्टीमीडिया माध्यम भी एक्सप्लोर किये। मैने महसूस किया कि जो बात परफॉरमेंस के द्वारा सीधे व आक्रामक तरिके से संप्रेषित होती हैं ऐसी स्वतंत्रता अन्य किसी माध्यम में है ही नही। इसमे बस सशरीर कलाकार है और चारो और दर्शक। निजी राजनीति से उपजे मुद्दों से लेकर यह शैली सामाजिक-राजनीतिक , फेमेनिज़्म से जुड़े मुद्दों को लोगो तक पंहुचने का एक सशक्त माध्यम प्रतीत होता हैं।
मूमल- कला मेले में प्रस्तुत परफॉरमेंस की प्रक्रिया क्या रही।
डॉ. कृष्णा महावर - इस परफॉरमेंस पर हमने दो महीने तक कार्य किया था । शुरुआती कुछ दिन तो मैंने प्रोजेक्टर पर स्टूडेंट्स को दुनिया भर के प्रसिद्ध परफॉरमिंग आर्टिस्ट्स के परफॉरमेंस ही दिखाए। फिर कुछ दिन बॉडी मूमेंट्स पर काम किया। धीरे धीरे छोटे छोटे शब्द को लेकर इम्प्रोवाईजेशन करने लगे। जैसे केवल रेखा, या केवल टेक्सचर, या स्पेस आदि। सभी स्टूडेंट्स विजुुअल आर्टस से हैं जिन्होंने कभी अपने शरीर के साथ काम ही नही किया था। फिर भी कांसेप्ट के साथ सभी मे एक आत्मविश्वाश आने लगा था। और वे एन्जॉय भी करने लगे। उनके लिए ये बिल्कुल नई दुनिया को जानने जैसा था।

मूमल- कृष्णा जी, आप कोटा से हैं। जयपुर आने के बाद के कला सम्बन्धी बदलावो के बारे में बतलाइये ?
डॉ. कृष्णा महावर- जयपुर में एक खास बात है वो है आर्ट एक्सपोजऱ, जो राजस्थान के किसी अन्य शहर में नही है। आजकल तो यहां कला गतिविधियां भी बहुत बढ़ गयी है। में तो कोटा रहती थी तब भी जयपुर से निरंतर संपर्क में थी। अपने रिसर्च वर्क के लिए लगभग 10 वर्ष अनियमित रूप से अपडाउन किया। उस दौरान जेकेके विजिट तो अवश्य ही होता था। तब कई बार निराशा भी हुआ करती थी कि वहां कुछ भी प्रदर्शित हो जाया करता था। आज जेकेके की प्रदर्शनियां, नवरस फेस्टिवल हो, जयपुर आर्ट समिट हो, ललित कला अकादमी की कला गतिविधियां हो या अन्य निजी कला आयोजन सभी से एक्सपोजऱ बढ़ा हैं। इनसे नई पीढ़ी को काफी कुछ सीखने को मिलता है। किसी समय राजस्थान पूरे भारत के आर्ट मेप में नीचले स्थान पर आता था। आज दिल्ली, भोपाल, मुम्बई के स्तर के आयोजन यहीं होने लगे हैं तो यहां रहने का मन भी बना लिया वरना तो एक वर्ष पहले तक वापस कोटा लौटने कि तैयारी में ही थी।

मूमल- आज की कला शिक्षा में बहुत बदलावों की आवश्यकता है। आप तो इस क्षेत्र में लंबे समय से हैं, क्या महसूस करती हैं?
डॉ. कृष्णा महावर -आज समय तेजी से बदल रहा है, कई नए माध्यम और शैलियां प्रचलन में आ गए है। परंतु उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम अभी भी पुराना ही है। हम कक्षाओं में आधुनिक कलाओ से ही जूझते रहते है और दुनिया की कला उत्तर आधुनिक समय में भी प्रवेश कर चुकी हैं। विद्यार्थी भी जब बाहर जाकर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय उत्सव में कला देखते है तो विरोधाभासों से गुजरते हैं कि हमे पढ़ाया कुछ जाता है और बाहर की प्रायोगिक दुनिया तो कुछ और ही है। बहुत ही आवश्यक रूप में सर्वप्रथम पाठ्यक्रमो को समकालीन बनाया जाए। शिक्षक भी स्वयं को अपडेट रखे। वैसे भी कला की शिक्षा को एक स्वतंत्र माहौल की सख्त आवश्यता होती हैं जो चार दीवारी के अंदर और मात्र किताबी पढ़ाई से नही सीखी जा सकती।

मूमल- इस वार्तालाप का अन्त हो इससे पहले आप युवा कलाकारों से कुछ कहना चाहेंगी?
डॉ. कृष्णा महावर - जरूर, कला निरंतर अभ्यास का विषय है। पढ़ाई खत्म करते ही कुछ युवा अपने आप को आर्टिस्ट समझने लगते है जो मात्र एक खुशफहमी में रहना ही है। जुनून और मेहनत के साथ ही लगातार कुछ नया पढ़ते रहना भी बहुत जरूरी है। हाथ की स्किल तो अभ्यास से आ जाती है परंतु क्रिएटिविटी तो प्रकृति, समाज, साहित्य व अन्य कलाओं (नाटक, कविता, संगीत, सिनेमा आदि) के साथ समझ विकसित करने से ही आती है। वह भी एक निश्चित समय पर, धीरे-धीरे...। मुख्यतया महिला कलाकारों से भी कहना चाहूंगी कि हमारी जि़ंदगी बहुत चुनौतयों भरी होती है। मुझे भी कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। पढ़ाई, नौकरी, शादी, परिवार, सभी के बीच अपना कला अभ्यास करते रहना स्वयं के जुनून से ही संभव है।





मंगलवार, 16 जनवरी 2018

जयपुर कला महोत्सव आज से

जयपुर कला महोत्सव आज से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर कला महोत्सव आज से जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में शुरु होने जा रहा है। आर्ट डिजाइन व क्राफ्ट का यह पांच दिवसीय मेला 21 जनवरी तक चलेगा।
आयोजक संस्था के चैयरमेन व मेला संयोजक राजेन्द्र सिंह नरूका ने जानकारी दी कि मेले का विधिवत उद्घाटन आज शाम 5 बजे होगा। उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केबिनेट मिनिस्टर किरण माहेश्वरी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ट शिल्पी हिम्मत शाह मेले की शुरुआत करेंगे।
नरूका ने बताया कि मेले में एक सौ स्टॉल्स पर आर्टिस्ट्स की कला प्रदर्शित की गई है। इस वर्ष जयपुर के कला प्रेमी इस महोत्सव में प्रदेश के बाहर के आर्टिस्ट्स का आर्ट अधिक संख्या में देख पायेंगे।

59वीं नेशनल आर्ट एग्जीबिशन 18 जनवरी से

59वीं नेशनल आर्ट एग्जीबिशन 18 जनवरी से
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। केन्द्रीय ललित कला अकादमी आयोजित 59वीं नेशनल आर्ट एग्जीबिशन का उद्घाटन 18 जनवरी को होगा। मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित भारत सरकार के संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। यह प्रदर्शनी रवीन्द्र भवन स्थित ललित कला दीर्घाओं में 10 फरवरी तक चलेगी।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष नेशनल अवार्ड के लिये चुने गए 15 आर्टिस्ट्स के साथ कुल 172 कलाकारों की 172 कृतियों का प्रदर्शन इस प्रदर्शनी में किया जाएगा।

सोमवार, 15 जनवरी 2018

10 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन

10 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन
केन्द्रीय ललित कला अकादमी स्कालरशिप के लिए
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी द्वारा वर्ष 2018-19 के लिए स्कालरशिप आवेदन आमन्त्रित किये जा रहे हैं। 35 वर्ष तक की आयु के भारतीय कलाकार, कला आलोचक व कला इतिहासकार स्कालरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्वीकृत आवेदकों को एक वर्ष के लिए अकादमी द्वारा प्रति माह 10,000 रुपये की स्कालरशिप राशि प्रदान की जाएगी। अकादमी कार्यालय में आवेदन भेजने की अन्तिम तिथि 10 फरवरी है।
मूमल के पास आवेदन पत्र व नियमावली उपलब्ध है।