वरिष्ठ कलाकार राम जायसवाल ने दिया जलरंग का डेमोस्ट़ेशन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 20वें कला मेले के दूसरे दिन के आकर्षणों में प्रदेश के वरिष्ठ जलरंग कलाकार राम जायसवाल का लाइव डेमोस्ट्रेशन रहा। करीब एक घंटा चले इस जीवंत प्रदर्षन में जायसवाल ने लैंडस्कैप का सौंदर्य खिलाकर वहां मौजूद लोगों को अपने मोहपाष में बांध लिया। उन्होंने सड़क के किनारे पहाड़ों की पृष्ठभूमि में सरसों के लहलहाते खेतों को चित्रित किया। इसके साथ ही कला संवाद व कला चर्चा से उपस्थित जनों को कई नई जानकारियों की प्राप्ति हुई। कला मेले में कलाकारों की कृतियों ने लोगों को आकर्षित किया। कलाकारों के संगम कला मेले में बांसवाड़ा की युवा कलाकार ने अपना जन्मदिन मनाया।आज रवींद्र मंच के मिनि ऑडिटोरियम में अकादमी के आईने में कला विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। परिचर्चा में कलाओं की पुस्तकों की दशा-दिशा पर चर्चा करते हुए उनके प्रति पाठकों की रूचि कैसे जागृत की जाए जैसे विषय पर विचार विमर्श किया गया। बातचीत में यह बात सामने आई कि अकादमी कला की ऐसी पुस्तकें प्रकाशित करे जिनमें विलुप्त होते कलारूपों और उनके कलाकारों की जानकारी हो। डॉ. विजय सिद्ध का कहना था कि संगीत कला का विकास गुरू-शिष्य परंपरा के साथ-साथ शब्दों के माध्यम से भी हो सकता है। इसलिए अकादमियों को ऐसी पुस्तकें निकालने की ओर भी ध्यान देना चाहिए। परिचर्चा में तबला वादक डॉ. विजय सिद्ध, कला लेखक डॉ. देवदत्त शर्मा, चित्रकार डॉ. रीटा प्रताप, अन्नपूर्णा शुक्ला और डॉ. वीणा बंसल ने भगीदारी निभाई। इन कला विद्वानों से डॉ. राजेश व्यास ने चर्चा की।
सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश
दोपहर 3 बजे मिनि ऑडिटोरियम में डॉ. अशोक भौमिक और डॉ. चिन्मय शेष मेहता ने कला मूल्यांकन एवं नई सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश विषय पर ििवचार-विमर्श किया। डॉ. लोकेश जैन से हुई बातचीत में अशोक भौमिक ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय और पश्चिमी कलाओं में बड़े परिवर्तन आए हैं लेकिन अब कला से ज्यादा कलाकार के बारे में चर्चा की जाती है। कलाकार का ऐसा औरा तैयार हो जाता है जिसमें कला उलझ कर रह जाती है। डॉ. चिन्मय शेष मेहता ने कहा कि कला के क्षेत्र में देखने को तो खूब मिल रहा है लेकिन कलाकृतियों में मौलिकता कम होती चली जा रही है। कलाकार आर्ट को सेलेबल बनाने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहे हैं जो कला के लिए ठीक नहीं है।
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