रविवार, 7 जनवरी 2018

जयपुर ऐसा नगर है जिस पर सर्वाधिक काव्यों की रचना हुई-देवर्षी कलानाथ शास्त्री

जयपुर ऐसा नगर जिस पर सर्वाधिक 
काव्यों की रचना हुई-देवर्षी कलानाथ शास्त्री
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कल अकादमी आयोजित पांच दिवसीय 20वेें कला मेले के चौथे दिन जयपुर की कला परंपरा और नगर नियोजन पर हुई चर्चा में प्रसिद्ध भाषाविद् देवर्षी कलानाथ शास्त्री और कला मर्मज्ञ विनोद जोशी से सिटी पैलेस के क्यूरेटर पंकज शर्मा ने विभिन्न सवालों के जरिए बातचीत की। चर्चा में जयपुर को लेकर जन मानस में व्याप्त कई मिथकों पर भी चर्चा हुई। एक सवाल के जवाब में कलानाथ शास्त्री ने आपातकाल के दौरान जयगढ़ से खजाना निकलने की बात को गलत बताया। उन्होंने कहा कि काशी के बाद जयपुर ऐसा नगर है जिस पर सर्वाधिक काव्यों की रचना हुई है। उन्होंने बताया कि सांगानेरी गेट का मूल नाम शिवपोल था। जयपुर ऐसा शहर था जिसके शासकों ने कला एवं संस्कृति के विभिन्न रूपों को संरक्षण दिया। यहां एक जमाने में हर कला का एक विभाग हुआ करता था। अरूण किम्मतकर द्वारा संचालित इस कला वार्ता में अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने दोनों अतिथियों का अभिनंदन किया।
दिन में 1 बजे मूर्तिकार लक्ष्मीकांत भारद्धाज ने क्ले मॉडलिंग का लाईव डेमोस्ट्रेशन दिया। वहीं शाम 5 बजे डॉ. कृष्णा महावर ने आर्ट परर्फोमेंस की प्रस्तुति देकर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता में विद्यार्थियों की रंगों संग उड़ान
सुबह 11 से 1 बजे तक ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें शहर के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के करीब 175 स्टूडेंट्स ने भाग लिया। उनकी कल्पनाओं ने रंगों की संगत में कल्पनाओं की उड़ान भरी।
चौथे दिन के कला मेले का समापन ब्रज के रंग में रंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुआ।

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