मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

Happy New Year From Moomal

This Panting By Well-None Artist Dr. Anupam Bhatnager.

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

'आकार' की वार्षिक कला प्रदर्शनी Jkk में 26 से


मूमल नेटवर्क, जयपुर। समसामयिक चित्रकारों के 'आकार आर्ट ग्रुप' की वार्षिक कला प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में 26 से 30 दिसम्बर तक होगी।
आई.ए.एस. करेंगे उद्धाटन
आकार के पदाधिकारी लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ के अनुसार डांइग, पेंटिंग और स्कलप्चर की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 26 दिसम्बर को 11 बजे भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पी.सी. गोयल करेंगे। प्रदर्शनी के प्रथम दर्शक के रूप में जाने-माने वकील आर.ए. कट्टा इनके साथ होंगे। यह प्रदर्शनी 30 दिसम्बर तक प्रतिदिन प्रात: 10 बजे से शाम 7 बजे तक देखी जा सकती है।
जयपुर के लिए नया काम
प्रदर्शनी के बारे में और जानकारी देते हुए आकार के पदाधिकारी प्रहलाद शर्मा नेे बताया कि पिछले सालों की तरह इस वर्ष भी जयपुर के दर्शकों को आकार से जुड़े कलाकारों का नया काम देखने का अवसर मिलेगा। आकार के अध्यक्ष डा. अनुपम भटनागर ने जहां इस बार कृष्ण लीला को अपनी खास शैली में अपना विषय बनाया है, वहीं लक्ष्यपाल सिंह ने अपनी सभी कृतियों को वाटर कलर के वॉश में प्रस्तुत किया है। अमित राजवंशी के कैनवास पर चिरपरिचित अश्वकन्या नए अंदाज में दिखने वाली है। स्वयं प्रहलाद शर्मा ने इस बार प्रकृति के साथ अपनी मत्स्यांगना को नए रूप में एकाकार किया है।
बाईस कलाकारों के काम शामिल
देवेन्द्र कुमार खारोल अपने जल रंगों के साथ अजमेर के लैंडस्केप के साथ नजर आएंगे, उदयपुर के राजाराम व्यास के भाव, हितेन्द्र सिंह भाटी के बहरूपिए, विनय त्रिवेदी की परम्परा, पुष्प कांत के गुरू-शिष्या के अंदाज, रमेश शर्मा के कॉम्पोजिशन, सुरेश प्रजापति के आध्यात्म सहित अनिल मोहनपुरिया के कैनवास पर ऑयल की अटखेलियां देखी जा सकेगी। दिल्ली जा बसने के बाद अजमेर के किरिट का काम एक अर्से के बाद देखा जा सकेगा, दिनेश मेघवाल और एम. कुमार सहित कुल मिलाकर इस साल 22 कलाकारों के काम प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इनमेें निरंजन कुमार और शिवराज सिंह करदम की मूर्तिकला शामिल है।
महिला कूंची के नए रंग
महिला चित्रकारों की कूंचियां भी बदलाव के संकेत दे रही हैं। जयपुर की शैला शर्मा के चित्रों में अब समूचे मयूर ने नया आकार लिया है तो मथुरा की उमा शर्मा के कोलाज घाटों की यात्रा के बाद अब घरों की ओर बढ़े हैं। अजमेर की अर्चना तेला की कृतियों में दर्शकों को मानवीय रिश्तों की अनुभूतियों को और करीब से महसूस करने का अवसर मिलेगा। लखनऊ की नीता कुमार की आदिवासी कन्याओं की उपस्थिति के साथ उनकी कृतियों में रजा के रंग भी दिखेंगे लेकिन, जयपुर के दर्शक पिछले वर्ष की तरह इस साल भी रागिनी सिन्हा का नया काम देखने से वंचित रहेंगे।
सबसे महंगी पेंटिंग के बारे में जानिए 

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

वी एस गायतोंडे 23.7 करोड़ रुपये में


कला बाजार
संपादकीय
वी एस गायतोंडे  23.7 करोड़ रुपये में
कुछ आलोचक किसी कलाकार की पेंटिंग की गुणवत्ता और उसके भावनात्मक बिंदु के बजाय मूल्य और बाजार के लिहाज से की गई तुलना को बुरा बताते हैं। लेकिन कला संग्रहकर्ता सफलता के मानक के रूप में मूल्य की ही तुलना करते हैं। कलाकारों का दावा होता है वे बाजार से बेअसर हैं लेकिन यह सच नहीं है। हो सकता है किसी वक्त यह सच हो लेकिन लेकिन बड़ा घर, बड़ी कार, विदेशों में अवकाश आदि की आकांक्षा किसे नहीं होती? वी एस गायतोंडे ने बीते गुरुवार की रात ये सारी बातें महसूस की होंगी जब उनकी एक बगैर शीर्षक वाली पेंटिंग 23.7 करोड़ रुपये में नीलाम होकर, सबसे अधिक कीमत पर नीलाम होने वाली भारतीय कलाकृति बन गई।
एस एच रजा के 16.4 करोड़ रुपये 
क्रिस्टीज के भारत में प्रवेश ने एक और मानक तय किया जब तैयब मेहता की पेंटिंग महिषासुर 19.7 करोड़ रुपये में बिकी और उस रात एस एच रजा के 16.4 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को तोडऩे वाली दूसरी पेंटिंग बन गई। इसके अलावा राम कुमार, भूपेन, खखर, गणेश पाइने और मंजीत बावा की कृतियों ने भी अन्य रिकॉर्ड कायम किए। रवींद्रनाथ टैगोर की एक पेंटिंग महज 2.9 करोड़ रुपये में बकी। यहां पर तुलनात्मक सवाल पैदा होता है बंगाल के आधुनिक चित्रकारों को मुंबई के प्रगतिशील चित्रकारों की तुलना में कम कीमत क्यों मिली? इसका जवाब एकदम स्पष्टï है। सूजा, हुसैन, रजा आदि ने कोलकाता और शांति निकेतन के कलाकारों की तुलना में अपनी लोकप्रियता और कुछ हद तक अपनी बदनामी को भी भुनाया। इन कलाकारों को आगे बढ़ाने के क्रम में यूरोपियनों के एक समूह ने भी उन्हें राह दिखाई जो कला जगत में दखल रखते थे और जिनकी प्रमुख मीडिया घरानों में अच्छी पैठ थी।
तुलना करना बुरा नहीं
कला जगत में तुलना करना कभी भी बुरा काम नहीं रहा। आप किसी कलाकार की शैली की तुलना दूसरे से कर सकते हैं। वहीं किसी कलाकार के शुरुआती दौर के काम की तुलना उसके बाद के काम से करके यह देखा जा सकता है कि किस तरह उसका विकास हुआ। वहीं किसी कलाकार की तुलना उन कलाकारों से भी हो सकती है जिनसे वह प्रभावित रहा हो। सतीश गुजराल की तुलना फ्रीडा काहलो से, एफएन सूजा की पाब्लो पिकासे से, एस एच रजा की तुलना मार्क रॉथको से वगैरह...वगैरह।
कुछ हद तक सुधार 
बंगाल के कलाकारों की तुलना में उनका काम का दायरा बहुत व्यापक था। उनकी कला शैली भी पश्चिमी प्रभाव वाली थी और बदलते हुए समाज में उसे अधिक चाव से लिया जा रहा था। व्यापक दस्तावेजीकरण के बावजूद बंगाल की चित्रकला शैली की आलोचना और मुंबई की अधिक अभिव्यक्ति वाली शैली के साथ उसकी गलत तुलना ने उसकी अनदेखी की और बीतते दशकों के साथ धीरे धीरे हाशिए पर पहुंचा दिया। टैगोर के हालिया मूल्यांकन को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि अभी भी बंगाल के कलाकारों को कला जगत के मौजूदा सितारों के साथ अवसर देकर कुछ हद तक सुधार किया जा सकता है।
भारतीयों की रुचि अभी भी स्थानीय
ऐसी ही एक और तुलना जिसकी पड़ताल होनी चाहिए वह है चीन का शक्तिशाली बाजार और उसकी अपेक्षा छोटा भारतीय बाजार। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि लंदन अथवा न्यूयॉर्क की तुलना में शांघाई अधिक तेजी से मजबूत हुआ है और चीन अब दुनिया का सबसे बड़ा कला बाजार बन चुका है। उसकी तुलना में भारत काफी पीछे है। कला बाजार के पश्चिम से एशिया में स्थानांतरित होने ने कला वीथिकाओं, संग्रहालयों और नीलामी घरों का ध्यान आकर्षित हुआ है जबकि अगर भारत के कला बाजार को संकेत माना जाए तो उसने इन सभी को निराश किया है। चीन के संग्रहकर्ताओं ने जहां पश्चिमी कलाकारों में रुचि दिखाई है वहीं भारतीयों की रुचि अभी भी स्थानीय है। चीन की तुलना में हमारा बाजार भी बहुत छोटा है।

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

The third edition of INDIA ART FASTIVAL

starts at Nehru Centre, Bumbai
Moomal Network, Mumbai
The third edition of India Art festival is starting from 19 to 22, December 2013 at Nehru Centre, Worli, Mumbai. In the third edition, 35 art galleries from Delhi, Mumbai, Chennai, Bangalore,
Hyderabad, Pune, Singapore are participating at the ground floor, where as more than 300 individual artists are participating in the artists’ pavilion at the second floor of Nehru Centre.
The total number of artists participating in the India Art Festival including art galleries and artists’ pavilion are more than 500; the well know artists displayed in the art festival include virtually all master painters like M F Husain, F. N. Souza, S H Raza, Akbar Padamsee, Krishan Khanna, Jogen Chowdhury, Rabindranath Tagore, Nandlal Bose, Binod Bihari Mukherjee, Chittoprasad and many other Bengal masters.
India Art Festival, apart from 35 participating art galleries and more than 500 participating artists, include the ‘Public Art Space’ curated by Veerangana Kumari Solanki, in which five art galleries – Art Alive Gallery (Paresh Maity), Exhibit 320 (Trishla Jain), Latitude 28 (Deepjyoti Kalita), Sakshi Gallery (Rekha Rodwittiya) and The Guild (Balaji Ponna) are
participating.

IAF Conversations
The ‘IAF Conversations’ programmed by Ranjit Hoskote is a collateral event taking place on 20 and 21 Dec. The interesting panel discussion for artists this year is based on the processes, by which artists can be groomed, mentored and their work championed. The speakers enlightening artists on this important aspect are experts like Pheroza Godrej, Arundhati Ghosh and Mortimer Chatterjee.
The other speakers addressing the urgencies that confront art world include Reena Kallat, Kamini Sawhney, Matthieu Foss, Nancy Adajania, Mustansir Dalvi, Prof. Manisha Patil, Suresh Jayaram,  Kaiwan Mehta, Sudhir Patwardhan, Gieve Patel, Dilip Ranade, Rahaab Allana, Zasha Colah, Sumesh Sharma and others.

Participating galleries
The major art galleries participating in the India Art Festival 2013 includes The Gallery of Gnani arts, Singapore, Gallery Art and Soul, Gallery Beyond, Tao Art Gallery, ICAC, Ma Passion,  Vardhanman Art Gallery, J. S. Art Gallery, Studio 3, Art Desh, Art Gate, Kol Kali Bay, Alok Art
Foundation, Aura Art Development Pvt Ltd, Art Gold, Impression art gallery, Khussh Art Gallery (all Mumbai), Art Projects Inc, Adhunik Art Gallery, Pioneer Art Gallery, Pearl Art Gallery,  Gallery Ruki, Lavanya Art Gallery, Shree Yash Art Gallery, Art & Aesthetics, (all New Delhi),  Forum Art Gallery (Chennai), Galerie Sara Arakkal(Bangalore), Art Alinda (Kolkata) and India  House Art Gallery(Pune), Deccan Art Gallery (Hyderabad), .
India Art festival an initiative of Kalavishkar also presents ‘IAF Award’ to one deserving artist selected by Judges panel. The award will be presented on 19th inauguration ceremony of  Festival. Inauguration will be followed by VIP preview for invitees. India Art Festival is open for public from 20 to 22 December.         See More at http://www.indiaartfestival.com/

रविवार, 15 दिसंबर 2013

India Art Festival इण्डिया आर्ट फेस्टिवल 19 से


लाखन जाट की कलाकृतियां प्रदर्शित
मूमल नेटवर्क, जयपुर। पिछले साल बेहतर आयोजनों में गिने जाने वाले मुबई के इण्डिया आर्ट फेस्टिवल का दूसरा संस्करण 19 से 20 दिसम्बर 2013 तक होने जा रहा है।
इस आयोजन में देशभर की लगभग 30 कला दीर्घाओं के  साथ सिंगापुर की एक गैलेरी भी शामिल हो रही है। इसी के साथ निजी तौर पर  लगभग 200 कन्टेम्टरी आर्टिस्ट अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
लाखन जाट की कलाकृतियां
इस आयोजन में जयपुर के युवा कलाकार लाखन जाट की कलाकृतियां स्टॉल नम्बर 68 पर प्रदर्शित होंगी। इससे पूर्व प्रिव्यू शो के रूप में कलाकार ने अपने काम को जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में भी प्रदर्शित किया है।

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

किरण सोनी गुप्ता ने बनाई नरेगा कार्यों की पेंटिंग


नरेगा कार्यों की पेंटिंग फ्रांस के लूव में प्रदर्शित     

मूमल नेटवर्क, जयपुर।
राजस्थान में नरेगा कार्यों के जरिए स्वावलंबन संबंधित एक पेंटिंग फ्रांस के लूव म्यूजियम में प्रदर्शित की गई है। इसे भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और चित्रकार किरण सोनी गुप्ता ने तैयार किया है।
ऑयल पेंट से बनाई गई यह पेंटिंग में किरण ने नरेगा कार्यों के जरिए वित्तीय स्वावलंबन के प्रतीक के रूप में तीन पीढिय़ों को एक साथ काम करते हुए चित्रित किया है। इसमें अपनी मां और दादी के लिए वित्तीय स्वावलंबन के प्रतीक के रूप में स्कूल यूनिफार्म में एक लड़की को भी दर्शाया गया है। इस म्यूजियम में मोनालिसा की पेंटिंग भी प्रदर्शित है। 

मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

अब बदलेगा कला, संस्कृति की अफसरशाही का परिदृश्य

अब बदलेगा कला, संस्कृति की अफसरशाही का परिदृश्य
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान की राजनीति में भाजपा की आंधी आने के बाद कला और संस्कृति से जुड़ी अफसरशाही और राजनैतिक नियुक्तियों में बड़ा उलटफेर होने वाला है। कांग्रेस सरकार के पतन के साथ ही ललित कला अकादमी सहित विभिन्न अकादमियों के अध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया है। विभिन्न संबंधित विभागों के आइएएस और आरएएस भी अपना सामान समेटने लगे हैं। इक्का-दुक्का अफसरों को छोड़ दिया जाए तो अब वसुंधरा सरकार 'सारे घर के बदलने' को आमादा है।
कौन होगा मंत्री 
यह समाचार लिखे जाने तक भाजपा मुख्यालय में चल रही बातों के अनुसार 13 दिसम्बर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में मात्र सात मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने की तैयारी चल रही है। कला और संस्कृति तथा पर्यटन विभाग पहले कुछ दिनों तक मुख्यमंत्री स्वयं अपने पास रखने का विचार व्यक्त कर चुकी हैं, लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ विधानसभा तक पहुंचे विभिन्न राजघरानों से जुड़े  जनप्रतिनिधियों की नजर इस मंत्रालय पर है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही पयर्टन व संस्कृति मंत्री के रूप में जयपुर या बीकानेर से किसी एक राजघराने को यह मंत्रालय मिल सकता है। सवाईमाघोपुर से जीतीं जयपुर राजघराने की दीया कुमारी की संभावनाएं अधिक लग रही हैं।
कौन होंगे अफसर 
सचिवालय में मुख्य सचिव के रूप में काफी कड़क माने जाने वाले राजीव महर्षि का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। अब तक कांग्रेस सरकार के चलते वे प्रदेश के बाहर ही रहे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के संजय मल्होत्रा और तन्मय कुमार भी मैडम की पसंद में शामिल हैं। बदलाव के बाद इन्हें न केवल आइएएस लॉबी को बेहतर हैंडल करना होगा वरन बदलाव को महसूस भी करना होगा। ऐसे में कला और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में किरण सोनी गुप्ता के स्थान पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी यादवेन्द्र माथुर को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि कला क्षेत्र की अधिक अनुभवी अदिति मेहता अधिक वरिष्ठ हैं, लेकिन उन्हें भी अब कला संस्कृति विभाग का भला करने के लिए चुना जा सकता है। एक लॉबी अभी उन्हें आगे लाने की सिफारिश में सक्रीय है।
रंगमंच और प्राधिकरण 
रवीन्द्र मंच का मूलभूत ढांचा बदलने में जुटी आरएएस अधिकारी नीतू राजेश्वर के बदले जाने की संभावना भी प्रबल है। हालांकि उन्हें समर्थ माना जा रहा है, लेकिन उन्हें सरकार को कर्मचारियों से लेकर कम्यूनिकेशन स्तर तक अधिक कड़ा रवैया अपनाने वाला अधिकारी होने के संकेत देने होंगे। प्राधिकरण में अभी अहमद बने रहेंगे यही लगता है। कांग्रेस सरकार में बीना काक की पसंद और शांति धारीवाल की मर्जी के चलते वे इस पद पर रहे और अब सीधे भावी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बेहतर संबंधों के कारण वे इसी पद पर बने रह सकते हैं।