शनिवार, 30 सितंबर 2017

पटना में नेशनल पेंटिंग वर्कशॉप 2 अक्टूबर से

पटना में नेशनल पेंटिंग वर्कशॉप 2 अक्टूबर से
बिहार संग्रहालय व दीर्घाओं का लोकार्पण समारोह  आयोजन
मूमल नेटवर्क, पटना। बिहार संग्रहालय के साथ अन्य दीर्घाओं के लोकार्पण समारोह को यादगार बनाने के लिए विशेष आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन का आकर्षण  नेशनल पेंटिंग वर्कशॉप है। जो दो अक्टूबर से आरम्भ होकर 6 अक्टूबर तक चलेगी।
दो अक्तूबर की शाम चार बजे मुख्यमंत्री नीतिश कुमार दीर्घाओं का उद्घाटन करेंगे कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं संस्कृति विभाग के मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि करेंग। इसी अवसर पर पेंटिंग वर्कशॉप की भी शुरुआत होगी। इसमें देशभर के 34 नामचीन कलाकार आयेंगे। विभाग के एडीशनल सेक्रेट्री आनंद कुमार ने बताया कि चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बिहार संग्रहालय में महात्मा गांधी पर आधारित कला प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी। यह प्रदर्शनी तीन अक्तूबर से आमजन के लिए खुली रहेगी।

बुधवार, 27 सितंबर 2017

कृष्ण सेट्टी को मिला सम्मान

कृष्ण सेट्टी  को मिला सम्मान
रशियन एकेडमी ऑफ आर्ट्स ने किया मानद सदस्यता से सम्मानित
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली।
रशियन एकेडमी ऑफ आर्ट्स ने ललित कला अकादमी के प्रशासक और प्रमुख सी एस कृष्ण सेट्टी को मानद सदस्यता प्रदान कर सम्मानित किया है। यह सम्मान रशियन एकेडमी ऑफ आर्ट्स की 260 वीं सालगिरह के अवसर पर प्रदान किया गया। इस अवसर पर रशियन एकेडमी के सभी गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
भारत के तीसरे सम्मानित सेट्टी
अब तक दुनिया भर में केवल 84 व्यक्तियों को इस सम्मान से सम्मानित किया गया है।  फ्रांस की राजकुमारी चेनटल, बान की-मून और जुबिन मेहता जैसी हस्तियों को इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। रशियन एकेडमी के 260 साल के इतिहास में पद्म विभूषण सतीश गुजराल और कलाविद-कलाकार ओ पी शर्मा के बाद सेट्टी तीसरे भारतीय कलाकार हैं जिन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया।
मानद सदस्यों को विश्व संस्कृति और कला के उत्कृष्ट लोगों में से चुना जाता है। साथ ही जो लोग समाजसेवा का काम कर रहे हैं या जो भी रूसी अकादमी और रूसी संस्कृति के विकास में योगदान कर रहें हैं उन्हें भी इस सम्मान से सम्मानित किया जाता है। शिक्षाविदों और संबंधित सदस्यों की संख्या एकेडमी की एसेंबली निर्धारित करती है।
इस अवसर के बारे में बताते हुए सेट्टी ने कहा कि 'रूस भारत का सबसे पुराना मित्र और सहयोगी है और अपनी मजबूत सांस्कृतिक विरासत के साथ, विश्व संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है. मॉस्को में तो हर कोई मुझे बधाई दे रहा था जैसे मैंने नोबल पुरस्कार जीता है! मेरे पास इस अप्रत्याशित खुशी को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है. यह केवल मेरा सम्मान नहीं है बल्कि हमारे देश और हमारी संस्कृति का सम्मान है।'
19 सितम्बर को मास्को के 'इंटरनेशनल फोरम ऑन कल्चर' में मुख्य भाषण देने और 21 सितम्बर को अकादमी की 260वी जनरल असेंबली को सम्बोधित करने के लिए भी सेट्टी को आमंत्रित किया गया था।

फेस टू फेस इंडिया में देसी-विदेसी कृतिकारों की कृतियां

फेस टू फेस इंडिया में देसी-विदेसी 
कृतिकारों की कृतियां
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की परिजात दीर्घा में प्रदर्शनी  'फेस टू फेस इंडिया' दर्शकों को आकर्षित कर रही है।
द आर्ट पायवट कला संस्थान उदयपुर की ओर से राजेश कुमार के संयोजन में आयोजित इस प्रदर्शनी में भारत सहित 20 देशों के 53 चित्रकार, मुर्तिकार एंव फोटोग्राफर्स की कृतियां सजी हुई हैं। इस अन्तर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन 25 सितम्बर की शाम इजराईल के प्रसिद्ध कलाकार टेड बार ने किया। प्रदर्शनी में शामिल उदयपुर की वरिष्ठ कलाकार किरण मूरडिया ने बताया कि इसमें भारत, नेपाल, इजराईल, मलेशिया, बांग्लादेश, इंड़ोनेशिया, फिलीपिन्स, फ्रांंस, पोलेण्ड़, मैक्सिको, रियूनियन, केन्या, इटली, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, मॉरिशस, ईरान, ईराक, एंव थाईलैंड के प्रसिद्ध कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित की गई हैं। यह प्रदर्शनी लव टूआल, लव टू आर्ट की भावना से प्रदर्शित की गई है।


(फोटो संदीप मेघवाल से साभार)

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

स्टेट अवार्ड प्रविष्टियां जमा करवाने की तारीख बढ़ी

स्टेट अवार्ड प्रविष्टियां जमा करवाने की तारीख बढ़ी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित स्टेट अवार्ड के लिए प्राप्त करने की अन्तिम तिथि बढ़ा दी गई है। पहले प्रविष्टियां जमा करवाने की अन्तिम तिथी 27 सितम्बर रखी गई थी जिसे सात दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। अब कलाकार अपनी प्रविष्टियां 4 अक्टूबर तक अकादमी कार्यालय में जमा करवा सकेंगे।

सज गयी कहानी पत्थरों की

सज गयी कहानी पत्थरों की
जैम एण्ड ज्यूलरी म्यूजियम की शुरुआत
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
बहुप्रतीक्षित जैम एण्ड ज्यूलरी म्यूजियम का उद्घाटन कल राजस्थान चैम्बर भवन परिसर में किया गया। इस संग्राहलय में हजारों साल पुराने पत्थरों को प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ ही जयपुर के ज्यूलरी इतिहास को बयां करती वॉल भी बनाई गई है। तथरों के कई करिश्माई नमूने यहां आने वाले को प्रभावित होने से नहीं रोक पाएंगे जैसे विशालकाय डायनासोर, मछलिया या पेड़ की प्रतिकृति।
म्यूजियम का उद्घाटन राजस्थान चैंबर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट महेंद्र सिंह डागा ने किया। इस अवसर पर आईडीसीए, न्यूयॉर्क के प्रेसिडेंट अशोक संचेती औरफिलैन्थ्रोपिस्ट दिलीप लखी उपस्थित थे। इन्हीं के साथ म्यूजियम के अध्यक्ष राजीव जैन, सचिव विजय चौराडिया समन्वयक डॉ. रजनीकांत शाह और संग्रहालय के निदेशक मंडल के सदस्य भी उपस्थित थे।
डॉ. रजनीकांत शाह ने इस म्यूजियम निमार्ण की कहानी बताते हुए कहा कि,जो  जून 2015 में 'म्यूजियम ऑफ  जेम एंड ज्वेलरी फेडरेशन, जयपुरÓ नामक एक गैर-लाभकारी संगठन का गठन किया। राजस्थान सरकार के साथ एक एमओयू  पर हस्ताक्षर किए गए जो सफल हुआ। जयपुर और न्यूयार्क में रह रहे कुछ ज्वैलर्स ने वित्तिय सहायता दी और दो वर्षें की अथक मेहनत के बाद जैम एण्ड ज्यूलरी म्यूजियम का सपना साकार हुआ।

पत्थरों की यात्रा है थीम
म्यूजियम की थीम पत्थरों की पैदाइश से लेकर ज्यूलरी की शोभा बढ़ाने वाली यात्रा की कहानी है। पत्थर की यात्रा को स्पष्ट करने के लिए इसमें 50 से अधिक अनुभाग बनाए गए हैं। प्रत्येक अनुभाग एक विशेष विषय पर आधारित है, मोटे और कट पत्थर, विशेष रॉक, पत्थर के विभिन्न कट, रत्नों के विभिन्न रंग, भारत में रत्न रत्नों के नमूने व चट्टाने तो इसमें शामिल हैं  ही साथ में प्राचीन निर्माण उपकरण, मशीनरी और तकनीक, जयपुर में इनके व्यापार के विकास का इतिहास, दुर्लभ और कटौती के पत्थर, जीवों से बने पत्थर, नवरत्न, नवग्रह, आदि भी शामिल हैं। । एक पूरा भाग डायमंड, मोती और अन्य कीमती पत्थरों समर्पित है।
कुछ खास आकर्षण
150 साल पुराना पेरेनाइट रफ अफ्रीकन स्टोन, हजारों साल पहले जमे डायनासोर के अझडे का पत्थर स्वरूप, हजारों सालों से समन्दर में दबी रही मछली का पत्थर में परीवर्तित रूप, पेड़ का तना जो समय के साथ पत्थर में तब्दील हो गया तथा कोरल फोसिल का बड़ा स्टोन जो समन्दर में अन्दर जमकर पत्थर बन गया। इसमें आज भी जीवों के घर देखे जा सकते हैं।
इस म्यूजियम को आमजन के लिए खोल दिया गया है। इसमें अगले 15 दिनों तक प्रवेश फ्री रहेगा बाद में देशी-विदेशी सैलानियों के लिए 50 रुपये का टिकट रखा गया है।

सोमवार, 25 सितंबर 2017

परिवार को ढालते हैं अपनी कृतियों में आर्टिस्ट दास

परिवार को ढालते हैं अपनी कृतियों में आर्टिस्ट दास
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आर्टिस्ट एच. आर. दास की पेंटिंग्स व स्कलपचर्स से सजी सोलो एग्जीबिशन कल आईसीए गैलेरी में शुरू हुई। एक माह तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथी सुधीर कासलीवाल ने किया।

आर्टिस्ट ने अपनी कृतियों के बारे में बताते हुए कहा हकि विवाह से पहले मैं अकेवल बैलों को चित्रित करता था। अब विवाह पश्चात मैनें अपनी कृतियों में गाय व बछड़े को शामिल करके परिवार की संज्ञा को पूर्ण किया है। दास की इस प्रदर्शनी में 25 पेंटिंग्स व कुछ स्कलपचर्स सजाए गए हैं। दास की बनाई कृतियों में रंगों का समायोजन उनके रूपाकारों को प्रभावशाली बनाता है।

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

मोनो आर्ट ग्राफिक आर्ट वर्कशॉप 24 से

मोनो आर्ट ग्राफिक आर्ट वर्कशॉप 24 से
प्रिंटेड पिक्चर पर सेमीनार 23 को
मूमल नेटवर्क, जवाहर कला केन्द्र के ब्राफिक आर्ट स्टूडियो में मोनो आर्ट ग्राफिक आर्ट वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। 24 से 26 सितम्बर तक आयोजित होने वाली इस वर्कशॉप में कविता शाह द्वारा प्रतिभागियों को मोनो आर्ट ग्राफिक की बारीकियां सिखाई जाएंगी। वर्कशॉप में भाग लेने के लिए रुपये 2000 की फीस रखी गई है।
कल 23 सितम्बर को केन्द्र के रंगायन में प्रिंटेड पिक्चर पर सेमीनार का आयोजन किया गया है। यह सेमीनार तीन सेशन में होगी।

सेन फ्रांसिस्को में सजेंगी महावीर स्वामी की कृतियां

सेन फ्रांसिस्को में सजेंगी महावीर स्वामी की कृतियां
कृतियों की बारीकी के गुण सिखाएंगे कार्यशाला में
मूमल नेटवर्क, बीकानेर। मुगल व राजस्थानी शैली के सशक्त हस्ताक्षर महावीर स्वामी की कृतियों का प्रदर्शन सैन फ्रांसिस्को में लगने वाली एकल प्रदर्शनी 'मोहरी' में 4 से 22 अक्टूबर तक होगा। इस अवसर पर आयोजित कार्यशालाओं में महावीर जर कला प्रेमियों को अपनी कृतियों की बारीकी से अवगत कराएंगे।
7 से 10 अक्टूबर तक कार्यशाला 'आस्था गणेश' का आयोजन किया जाएगा। 12 से 14 अक्टूबर तक ्रस्क्च्रज्ह्य की 23वीं वार्षिक मीटिंग व कान्फ्रेंस का आयोजन होगा। और कार्यक्रम की समाप्ति पर 20 व 21 अक्टूबर को कार्यशाला 'मुगल बोटेनिकल आर्ट वर्कशॉप' में कला रसिक मुगल शैली का अन्दाज सीखेंगे।

स्पन्दन में शिव सोनी की बाल कृतियां

स्पन्दन में शिव सोनी की बाल कृतियां
मूमल नेटवर्क, जयपुर/मुम्बई। इण्डियन आर्ट प्रमोटर की तरफ से आयोजित कला स्पन्दन आर्ट फेयर में जयपुर के युवा कलाकार शिव कुमार सोनी की बचपन पर आधारित कृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं। मुंबई के नेहरू सेन्टर में कल शाम 4 बजे इसका वीआईपी प्रिव्यू शो आयोजित किया गया। आज 22 सितम्बर ये 24 सितम्बर तक दर्शक इस प्रदर्शनी का आनन्द ले सकेंगे।
शिव कुमार सोनी ने बताया कि, अपने बचपन की यादों को मैं अपने चित्रों में समेटना चाहता हूं। रंगीन पतंगे, शांत पक्षी, बादलों में रबनती चनात्मक डिजाइन,  बरसात के धुंधलके वाला वाला ग्रे आकाश, यह सब कुछ मैंने चित्रों में शामिल किया है।
कैनवास पर एकगेलिक रंगों से बनी शिव सोनी की कृतिया आकर्षक हैं जो सहज ही अपनी ओर खींचती हैं। अपने कृतियों के बाल चेहरे को इन्होने 'पुप्पी' नाम दिया है।

वृन्दाबन की सांझी कला: एक कला परम्परा

वृन्दाबन की सांझी कला: एक कला परम्परा
(यूं तो भारत के प्रत्येक प्रांत में कला के विभिन्न रूप संस्कृति को जीवन्त करते हैं। लेकिन कुछ कलाओं, उनकी प्रस्तुति व उनके प्रदर्शन का समय उन्हें अति विशिष्ट की श्रेणी में ले आता है। वुंदावन की सांझी कला इनमें से एक है। इस लेख में सांझी कला की कुछ जानकारियां दी जा रही हैं-सं.)

वृंदावन स्थिति श्री मदनमोहन जी के मंदिर जो कि भट्टजी के मंदिर के नाम से प्रसिद्द है में 350 वर्ष पुरानी सांझी कला का आयोजन ना केवल एक परम्परा के रूप में किया जा रहा है बल्कि ये एक सेवा का वार्षिक अंग भी है जो कि श्राद्धपक्ष में एकादशी से अमावस्या तक प्रतिवर्ष किया जाता है।
लोककथाओं के अनुसार सांझी श्रीराधा द्वारा शुरू की गई कला भी मानी जाती है, जिन्होंने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए फूलों, पत्तियों और रंगों और रंगीन पत्थरों के साथ प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हुए विविधवर्णी रंगोली का प्रारूप बनाया और श्रीकृष्ण की कृपा को प्राप्त किया। वर्तमान में भी यह परम्परा बृज संभाग में कुवांरी कन्यायें निभाती हैं। वे सांझी का निर्माण करके अपने लिए अच्छे जीवनसाथी को पाने की कामना करती है।
सांझी शब्द हिंदी शब्द संध्या से लिया गया है, शाम के समय कला में सेवा भावना का एक अद्भुत रूप देखने को मिलता है। वृन्दाबन की सांझी कला का प्रदर्शन मिट्टी के चबूतरे पर स्टैंसिल की सहायता से सूखे रंगों से किया जाता है। यह मिट्टी के चबूतरे चोकोर, छैकोर और आठकोर वाले बनाये जाते हैं।

दंगली सांझी
भट्टजी के मंदिर की सांझीकला आठकोर वाले चबूतरे में बनायीं जाती है जिसको सांझी की भाषा में उस्तादी या दंगली सांझी कहा जाता है। यहाँ की सांझी में बेल और लपेट जिसको सांझी की भाषा में नक्शा या लपेटा कहा जाता है का संयोजन अद्वितीय है जिसमें एक बेल से लेकर 108 बेल तक का लपेटा यहाँ की शुद्ध पारंपरिक रचना है जो पूर्णत: ज्यामिति के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। इसके तहत त्रिकोण, चतुष्कोण, वर्ग, षटकोण, पंचभुज, गोले, सकलपारा, स्टार, अंटा, चोपड़, लालटेन, आले, सर्वव्यापक इत्यादि बेलों का निर्माण किया जाता है।
नक़्शे में बेलों की चाल यानि गति को दबाब और उछाल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि हर बेल एक बार दूसरी बेल के नीचे जाती है जिसको सांझी की भाषा में दबाब कहा जाता है और फिर किसी दूसरी बेल के ऊपर आती है जिसको उछाल कहा जाता है। नक़्शे की पूर्णता या शुद्धि बेलों के एकबार उछाल और फिर एक बार दबाब की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति से मानी जाती है, बेलों के लगातार दो बार उछाल या दबाब की स्थिति में नक़्शे को अपूर्ण या अशुद्ध माना जाता है।
नक़्शे की सुंदरता उसकी सर्वव्यापकता यानि चारों और से उसकी समरूपता से मानी जाती है, बेल की चाल में हर एक जैसे स्थान पर फूल की जगह फूल और पत्ती की  जगह पत्ती से होती है, प्रत्येक बेल में उसकी चस यानि अंतरिम रंग संयोजन और बाहरी सफेद लाइन जिसको पछेली कहा जाता है नक़्शे की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। नक़्शे का बाहरी सिरा एक मोटी बेल जिसको बोर्डर कहा जाता है से सुसज्जित किया जाता है।

पौराणिे कथाओं का चित्रण
सांझी के मध्य में भारतीय पौराणिक कथाओं को कई रूपों में चित्रित किया जाता है, जिसमें श्रीकृष्ण और श्रीराम की लीलाओ  को मुख्य रूप से स्थान दिया जाता है। समस्त रचनाएँ श्रीमद्भागवत, रामायण, गीता, वेद, उपनिषद और धार्मिक कवियों की रचनाओ जिसको वाणी कहा जाता है से सम्बंधित होती हैं। पिछले 50 वर्षों के दौरान कुछ प्रसिद्ध सांझी रचनाएँ नवधा भक्ति, कृष्णजन्म, गोपीगीत, वेणुगीत,अष्टसखी मंडल, रामलीला, दशवतार, गौचारन, अष्टयाम, अष्टसखा, अहिल्या उद्धार, शयनलीला, रासलीला, माखनचोरी, पनघट, होरी, वंशीशिक्षा, इंद्रमानभंग, गोवर्धनलीला इत्यादि हैं। यही कारण है कि भट्टजी की सांझी कला को आध्यात्मिक अभिव्यक्ति की बेहतरीन कला भी माना जाता है जो कि ठाकुरजी की अष्टयाम वार्षिक सेवा का एक महत्वपूर्ण अंग है।

सिमटता कला कौशल
सांझी का निर्माण अत्यधिक श्रमसाध्य होने के फलस्वरूप वर्तमान में ये कला देश में केवल कुछ मंदिरों तक ही सीमित रह गयी है। लेकिन भट्टजी की सांझी कला को उनके परिवार की सोलहवीं पीढ़ी न केवल पारंपरिक सांझी के सिद्धांतों के अनुसार कर रही है बल्कि उनके द्वारा किया जा रहा कला में समसामयिकता का समावेश भी काबिले तारीफ़ है। भट्टजी की सांझाी कला का कमाल है कि देश विदेश से आये शोधकर्ता एवं कलामर्मज्ञ भट्ट जी के द्वारे आए बिना अपनी कला यात्रा को पूर्ण नही मानते।

विदेशी कलाकारों की सांझी कला भक्ति
लंदन की विश्वविख्यात फोटोग्राफर रोबिन बीच ने लगभग दो दशक तक वृन्दावन में रहकर सांझी की फोटोग्राफी की और उनकी प्रदर्शनीयाँ लगाईं वहीँ अमेरिका के मूल निवासी लेखक और आर्ट प्रमोटर असीम कृष्णादास ने तीन दशक तक वृन्दाबन में रहकर सांझी पर एक बहुचर्तित किताब भी लिखी है जिसका नाम इवनिंग ब्लॉसम है। जापानी रिसर्च स्कॉलोर तकाको असानो और अमेरिका के जॉन शेरतनो हौलेय ने भी अपनी रिसर्च में जगह जगह पर सांझी कला का उल्लेख किया है।

सांझी के रूप
सांझी कला का प्रदर्शन पानी के ऊपर और पानी के नीचे भी अति लोकप्रिय है जिसमें प्राय: नागलीला और एक या दो चसी स्टैंसिल को प्रयोग में लाया जाता है। इसी तरह कहीं कहीं पर फूलों और रंगीन कपड़ों का प्रयोग भी सांझी का ही एक प्रकार माना गया है इसमें बिभिन्न प्रकार के फूलों को विपरीत रंगों के कपड़ों के ऊपर सजाया जाता है और केंद्र में कैलेंडर के चित्र को रखकर सांझी पूजा की जाती है।
भट्टजी की सांझी कला का प्रदर्शन देश एवं विदेश के कई स्थानों एवं गैलरीज में हो चुका है इनमें से कुछ नाम माटीघर इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आट्र्स नई दिल्ली, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, लंदन गैलरी ऑफ़ आट्र्स, राष्ट्रीय कला केंद्र सिंगापुर, आर्ट सेंटर जॉर्जिया, जयपुर आर्ट समिट जयपुर प्रमुख हैं।

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

नेशनल आर्ट एग्जीबिशन में प्रविष्टियां आमन्त्रित

नेशनल आर्ट एग्जीबिशन में प्रविष्टियां आमन्त्रित
प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की प्लेटिनम जुबली अवसर पर आयोजन
श्रेष्ठ कृतियों को नकद पुरस्कार
मूमल नेूटवर्क, गुलबर्गा (कर्नाटक)। प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की प्लेटिनम जुबली के अवसर पर इण्डियन रॉयल अकंडमी ऑफ आर्ट एण्ड कल्चर द्वारा नेशनल आर्ट एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है।
भारत के सभी आर्टिस्टों की कृतियों को इस प्रदर्शनी के लिए आमन्त्रित किया गया है। चुनी गई श्रेष्ठ 6 कृतियों को 5-5 हजार रुपए के नकद पुरस्कार से प्रथम पुरस्कार के रूप में नवाजा जाएगा। द्वितीय पुरस्कार के रूपमें 6 कृतियों को मेरिट सर्टिफिकेट अवार्ड प्रदान किया जाएगा।
कमसे कम एक गुणा एक तथा अधिकतम तीन गुणा तीन फीट की कृतियां स्वीकार की जाएंगी। प्रविष्टि भेजने की अन्तिम तिथि 30 सितम्बर है।

पोस्टर्स में साकार हुआ जन-मन-गण


पोस्टर्स में साकार हुआ जन-मन-गण
हिन्दी दिवस समारोह सम्पन्न
मूमल नेटवर्क, जयपुर। 14 व 15 सितम्बर को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी एवं राजस्थान ललित कला अकादमी केे संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कला विद्यार्थियों ने पोस्टर्स के जरिए अपनी देश भक्ति का इजहार किया वहीं कला एवं संस्कृति में हिन्दी की भूमिका जैसे विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
14 सितम्बर का आयोजन ललित कला अकादमी परिसर में किया गया जहां पर लगभग 50 कला विद्याार्थियों ने रंगों से जन-गन-मण को साकार करते हुए पोस्टर्स बनाए। इसके साथ ही  डॉ. राजेश व्यास ने कला एवं संस्कृति में हिन्दी की भूमिका विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। 15 सितम्बर को राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी में संगोष्ठि का आयोजन किया गया।
अपने व्याख्यान में बोलते हुए  डॉ. राजेश व्यास ने कहा कि, कला के मर्म तक पहुंचने के लिए हमें हिन्दी भाषा व हमारी संस्कृति को अपनाना होगा, आत्मसात करना होगा। नृत्य की अक्षि, चित्रकला की दृष्टि तथा कला की आत्मा को समझने के लिए हमेेंं हमारी भाषा की महत्ता को स्वीकारना होगा। आज ऑक्सफॉर्ड  में नए शब्दों का संकलन हिन्दी से ही किया जा रहा है। हिन्दी इसलिए सम्पन्न है क्योकि समस्त प्रादेशिक भाषाओं ने उसे रक्त संचार दिया है। भाषा के मर्म में प्रवेश कर ही कला में प्रवेश किया जा सकता है।

इस अवसर पर बोलते हुए राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी की निदेशक डॉ. अनीता नायर ने कहा कि अंग्रेज यह अच्छी तरह जानते थे कि किसी को लम्बे समय तक दास बनाने के लिए हमेंं उसकी भाषा पर आधिपत्य जमाना होगा और उन्होंने भारत की शिक्षा को आंग्ल भाषा की
बैसाखी पकड़ा दी। इस लिए हम आज मानसिक रूप सेे पंगु हो चुके हैं। यही कारण है कि हम इस छोटी सी बात को भी नहीं समझ पा रहे हैं कि हमारा सर्वांगीण विकास निज भाषा हिन्दी के माध्यम से ही संभव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सह-आचार्य डॉ. उर्वशी शर्मा ने अपनेे संबोधन में कहा कि, आज हिंदी दिवस नहीं हमारी भारतीय भाषाओं का दिवस है कलाओं के मर्म तक पहुंचने के लिए हमें अपनी भाषाओं से जुडऩा होगा।
अन्त में राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन दलवी ने समस्त अतिथियों एवं उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।

बुधवार, 13 सितंबर 2017

एक दिवसीय प्रदर्शनी में दिखी छात्राओं की प्रतिभा

एक दिवसीय प्रदर्शनी में दिखी छात्राओं की प्रतिभा
गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में सम्पन्न हुई एक दिवसीय प्रदर्शनी
मूमल नेटवर्क, अजमेर। गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में आज चित्रकला विभाग द्वारा एक दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में 45 छात्राओं की एक सौ से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया।
प्रदर्शनी में कला छात्राओं की पिछले दो महीने की मेहनत से तैयार कृतियां सभी लागों को आकर्षित कर रही थी।
इसका शुभारम्भ कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. चेतन प्रकाश, वरिष्ठ कलाकार सचिन सांखलकर तथा हॉलैण्ड के आर्टिस्ट कृष्णा ने किया। इस अवसर पर शहर के वरिष्ठ कलाकार व गणमान्य अतिथी भी उपस्थित थे।
प्रदर्शित कृतियों में छात्राओं द्वारा भारत व विश्व के कई महान चित्रकारों के चित्रों की प्रतिकृतियां लगाई गई थीं तो कई चित्रों में छात्राओं की सोच व कल्पना शक्ति  का सुन्दर  व आकर्षक तालमेल नजर आ रहा था।
प्रदर्शनी अवलोकन के लिए आए अतिथियों का स्वागत संयाजक डॉ. अमित राजवंशी, विभागाध्यक्ष डॉ. ममता रोकना व डॉ. अर्चना ने किया।

सोमवार, 11 सितंबर 2017

अकादमी में एकजुट हुए अनेक वरिष्ठ कलाकार

अकादमी में एकजुट हुए अनेक वरिष्ठ कलाकार
कला शिक्षा व शिक्षकों की समस्या पर हुआ चिंतन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी में अध्यक्ष की नियुक्ति के 31 दिन बाद अध्यक्ष डॉ. अश्विन दल्वी के निमंत्रण पर सोमवार 11 सितम्बर को अकादमी में नगर के वरिष्ठ कलाकार उनसे भेंट करने पहुंचे।
चौंकाने वाली बात यह थी कि इस एकजुटता में अकादमी में बिना अध्यक्ष के भी सक्रिय रहने वाले कलाकारों के अलावा वह वरिष्ठ कलाकार भी उपस्थित थे जो सामान्यत: अकादमी में सक्रिय नजर नहीं आते। शायद यही कारण रहा कि प्राय: व्यक्तिगत लाभ, प्रभाव व पदों के लिए चिंतित रहने वाले वरिष्ठों के बीच कला शिक्षा व कला शिक्षकों की समस्या पर चर्चा हुई। इस बात पर सभी ने सहमत हुए कि राज्य में ललित कलाओं के समुचित विकास के लिए स्कूली शिक्षा में कला शिक्षा को उतना ही महत्व दिया जाय जितना कि पश्चिमी स्कूली शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बोड्र्स के माध्यम से दिया जाता है ।
डॉ. अश्विन दल्वी ने बताया कि वरिष्ठ कलाकारों के बीच अकादमी की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय छवि बनाने को लेकर चर्चा हुई। इसी के साथ अकादमी की गरिमा को पुन:स्थापित करने को लेकर भी विमर्श किया गया। डॉ. दल्वी ने आशा व्यक्त की कि सभी का साथ लेकर अकादमी को उन्नत किया जा सकता है।
चर्चा में शामिल वरिष्ठ कलाकार प्रो. चिन्मय मेहता ने जानकारी दी कि विदेशों के स्कूलों में कलाओ का शिक्षण प्रशिशिक्षण इस लिए अनिवार्य नही है कि विद्यार्थी आगे चलकर महान चित्रकार बने बल्कि इसलिए भी अनिवार्य है कि वे उम्दा कला रसिक भी बने।
विडंवना यह है कि जंहां एक ओर राज्य में उच्च शिक्षा में कला शिक्षा में आये बदलाव के कारण प्रोफेशनल उपाधि प्राप्त कलाकार कला शिक्षक बनने के लिए तैयार बैठे है जो राज्य सरकार द्वारा कला शिक्षको की नियुक्ति में बंदी के काऱण संघर्षरत है।
प्रो. मेहता ने कहा कि देखा जाय तो स्कूलों में कला शिक्षा ही बच्चों को कलाओं को समझना और  उनका आनंद लेने का संस्कार देती है तथा उन्हें एक अच्छा नागरिक और मनुष्य बनाने में मदद करती है ।
इस बैठक में एकजुट हुए कलाकारों में डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, भवानी शंकर शर्मा, आर.बी. गौतम, प्रो. चिन्मय मेहता, डॉ. एस.एच काजी, समन्दर सिंह खंगारोत, वीरबाला भावसार, पद़मश्री अर्जुन प्रजापति, पद़मश्री शाकिर अली, तिलक गीताई शामिल थे।

टोंक का राष्ट्रीय कला पर्व 9 नवम्बर से

टोंक का राष्ट्रीय कला पर्व 9 नवम्बर से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। हर वर्र्ष की भांति इस वर्ष भी टोंक में राष्ट्रीय कला पर्व मनाउ जाने की तैयारियां चल रही है। तीन दिवसीय पर्व 9 से 11 नवम्बर तक मनाया जाएगा। इसमें सम्मिलित श्रेष्ठ कृतियों व कलाकारों को कला रत्न तथा राष्ट्रीय कला रत्न पुरस्कार से सममानित किया जाएगा। राजस्थान के साथ भारत के प्रत्येक राज्य के कलाकार इस पर्व का प्रतिभागी बन सकता है।

ललित कला अकादमी में लगी पेंटिंग्स की हाट

ललित कला अकादमी में लगी पेंटिंग्स की हाट
अकादमी की नई पहल
प्रत्येक रविवार को 30 आर्टिस्ट्स की 200 पेंटिंग्स की हाट लगेगी

मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। आर्टिस्ट की कला को बाजार देने के लिए ललित कला अकादमी ने एक नई पहल की है। दिल्ली हाट की तर्ज पर अकादमी ने कल 10 सितंबर से पेंटिंग हाट की शुरुआत की है। यह हाट प्रत्येक रवीवार को अकादमी के आर्टिस्ट स्टूडियो में लगाई जाएगी। अकादमी में पहली बार शुरु हुए हाट आयोजन में पेंटिंग्स बनाने के लिए भी स्पेस दिया गया है। ऐसे में अगर किसी को खास पेंटिंग ऑर्डर पर बनवानी हो तो आर्टिस्ट द्वारा कलाकार के सामने ही पेंटिंग बनाकर देने का अनोखा अवसर मिलेगा। खरीददार को भी बनती नई पेंटिंग बनते हुए देखने के साथ उसे खरीदने का अवसर मिलेगा।
इस साप्ताहिक हाट बाजार में एक आर्टिस्ट की 6 पेंटिंग्स प्रदर्शित की जाएंगी। हर रविवार 30 आर्टिस्ट बदल कर दूसरे नए 30 आर्टिस्ट्स की पेंटिंग हाट में लगाई जाएगी। पेंटिंग्स प्रदर्शित करने के लिए पूरे भारत से कोई आर्टिस्ट इस योजना में शामिल हो सकता है।

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

जेकेके थियेटर की पहचान संदीप मदान नहीं रहे

जेकेके थियेटर की पहचान संदीप मदान नहीं रहे
मूमल नेटवर्क, जयपुर। वरिष्ठ रंगकर्मी व जवाहर कला केन्द्र के कार्यक्रम अधिकारी थियेटर संदीप मदान का कल रात ह्रदयगति रुक जाने से  निधन हो गया। जेकेके में एक कार्यक्रम की समाप्ति के बाद अपने पुत्र के साथ घर लौटते समय रास्ते में उन्हें दिल का दौरा पड़ा। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर्स द्वारा उन्हें मृत घोषित किया गया। अपने पीछे वो वृद्ध माता-पिता के साथ दो पुत्रों व पत्नी को छोड़कर गए हैं। उनकी पत्नी बबिता मदान भी रंगकर्मी हैं।
संदीप मदान की गणना प्रदेश के गंभीर रंगकर्मियों में की जाती थी। 49 वर्षीय संदीप पिछले 22 वर्षों से जेकेके के थियेटर विंग के कार्यक्रम अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अपने कार्य के प्रति गम्भीर मदान ने चिल्ड्रन थियेटर के लिए भी अच्छा काम किया था। इनकी शवयात्रा आज शाम 4 बजे उनके निवास स्थान 3 ज 32 जवाहर नगर से आदर्शनगर मोक्षधाम जाएगी। मूमल के प्रति हमेशा से स्नेहिल रहे संदीप मदान को मूमल परिवार की ओर से अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि।