अनुभूतियों की सुकोमल दृश्यमयी अभिव्यक्ति
मूमल नेटवर्क, जोधपुर।ईस्टर्न आर्ट फाउंडेशन और रमता दृग के संयुक्त तत्वाधान में जोधपुर के शिवदत्त स्मारक में एक दिवसीय अनुवृत्ति कला कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से पांच संवेदनशील चित्रकारों ने अपनी कला को रेखांकन और पेंटिंग्स के माध्यम से अनेक आयामों में प्रस्तुत किया।
वास्तव में 'अनुवृतिÓ असल में दृश्य कला माध्यम में चुनिन्दा कलाकारों द्वारा उनके अपने विषय के सन्दर्भ में किये जाने वाले एक अनूठे सहज अभ्यास की सिलसिलेवार प्रयोगात्मक प्रक्रिया का नाम था। वह प्रक्रिया जो रेखांकन के अलग.अलग पहलुओं को विभिन्न रूपकों के माफऱ्त उसमें व्याप्त कलाकर्म के असल मर्म को ज्यादा गहराई से जानने समझने की ओर प्रेरित करती है। सही अर्थों में यह आयोजन कलाकार का मीडियम से सहज संवाद की संभावनाओं के आयामों को भाव सहित अनावृत्त करने का निरंतरता भरा अनौपचारिक प्रयोजन रहा।
कार्यशाला में कवि चित्रकार अमित कल्ला ने विभिन्न पतली मोटी रेखाओं की सांगत कर प्रकृति के मूर्त अमूर्त रूपों को पेपर और कैनवास पर अपनी तूलिका से उकेरा उनके अनुसार ऐसी कार्यशालाएं हमेशा ही कुछ नया करने की ऊर्जा को सम्प्रेषित करती हैं। जिसमें रूहानियत की तासीर भाव के रूप में मौजूद होती है। शांतिनिकेतन से यथासम्बन्ध रखने वाले कलाकार यति कासरगोड की अधिकांश कृतियों ने वाश टेक्निक को प्रतिबिम्बित करते हुए अपना आभासी संसार रचा। वरिष्ठ चित्रकार केशव वरनोति ने बिंदु और बिम्ब के बहु रहस्यों को बेहद कऱीने से ड्राइंग के रूप में अपनी स्केच बुक में उकेरा साथ ही कैनवास पर अपने चिरपरिचित अंदाज़ में रंगसाज़ी का आलम सजाया। कला शिक्षक प्रदीप्ता दास ने लोक जीवन के विविध आयामों को सौंदर्यात्मकता के साथ बखूबी अनुसृजित कर अन्य युवा कलाकारों को प्रेरित किया। युवा चित्रकार रूपम पात्रा ने कलर इंक में कई छोटे.छोटे पोट्रेट बनाये जो तकनिकी आधार पर अपनी छाप छोड़ते दिखाई दिए।
कला शोधार्थी हार्दिक और काव्या वरनोति ने भी इस कार्यशाला में अपनी उपस्थिति दजऱ् करवाई उनकी बनायी गयी अमूर्त पेंटिंग और स्त्री के भावमयी रेखांकित कृतियों को वरिष्ठ कलाकारों द्वारा खूब सराहा गया।
लिहाज़ा अनुवृत्ति अपने आप में न केवल एक अलग अनुभव था बल्कि उसे अनुभूतियों की सुकोमल अभिव्यक्ति कहा जाये तो ज्यादा मुनासिब होगा।
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