मंगलवार, 31 जुलाई 2018

'द्वादशी' कला प्रदर्शनी में वरिष्ठों के संग नवोदित रंग

'द्वादशी' कला प्रदर्शनी में वरिष्ठों के संग नवोदित रंग
मूमल नेटवर्क, बोकारो (झारखण्ड)। कल 30 जुलाई को डीपीएस चास के प्रदर्शनी हॉल में हुआ। कुल बारह खण्डों में रची गई इस प्रदर्शनी श्रृंखला की यह दूसरी कड़ी है। आयोजन का उद्देश्य वरिष्ठ कलाकारों के साथ नवोदितों की कला को प्रदशित करना है ताकि, झारखंड के कला-जगत में समकालीन चेतना विकसित की जा सके। 'द्वादशी' का यह दूसरा पड़ाव डीपीएस चास के सहयोग से आयोजित किया गया है।
इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन का कोल बेड मिथेन परियोजना, ओएनजीसी के अधिशासी निदेशक एवं परिसंपत्ति प्रबंधक नवीन चंद्र पांडेय ने किया। इस अवसर पर विशेष रूप से आमन्त्रित अतिथियों के रूप में डीपीएस बोकारो की निदेशक/प्रधानाचार्य  डॉ़ हेमलता एस़ मोहन,  झारखंड विधानसभा के सदस्य अरूप चटर्जी, वरिष्ठ बाल चिकित्सक बी़ बी़ साहनी, एक्साइज, झारखंड सरकार के सहायक निदेशक आऱ एल़ रवानी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि, 'द्वादशी' की रचना झारखंड की समकालीन कला के महत्व को रेखांकित करना है। इसलिए 12 प्रदर्शनियों की योजना बनाई गई है। जिसमें से 11 प्रदर्शनियों का आयोजन रांची, बोकारो सहित झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में किया जाएगा। 12वीं (समापन) प्रदर्शनी दिल्ली में होगी। इस श्रृंखला में प्रसिद्घ भारतीय चित्रकारों के साथ झारखंड के वरिष्ठ चित्रकारों और युवा/नवोदित कलाकारों को एक मंच पर लाया जा रहा है। पहली प्रदर्शनी इसी वर्ष 12 से 16 जून तक रांची की आद्रे हाउस आर्ट गैलरी में आयोजित की गई थी।
इस आयोजन का विशेष प्रिव्यू आर्टिस्ट अमित हारित और संयोजन अभिषेक कश्यप का होगा।
दूसरी कड़ी में प्रदर्शित कलाकार
वरिष्ठ कलाकार
जोगेन चौधरी, नंद कत्याल, अर्पणा कौर, अखिलेश, प्रतुल दाश, रामानुज शेखर, हरेन ठाकुर,  सी. आऱ. हेम्ब्रम,  दिनेश सिंह, दिनेश कुमार राम, दिलीप टोप्पो व सुनील कुमार।
युवा/नवोदित कलाकार 
वाजदा खान, हेमलता, मिथुन दासगुप्त, ए. क़े. डगलस, दीपांकर कर्मकार व भारत कुमार जैन।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

राज. ललित कला अकादमी आयोजित 60वां स्टेट अवार्ड व 39वीं छात्र कला प्रदर्शनी

राज. ललित कला अकादमी आयोजित 
60वां स्टेट अवार्ड व 39वीं छात्र कला प्रदर्शनी 
आवेदन की तिथियां घोषित
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी ने राज्य के कलाकारों  व कला विद्यार्थियों को आमन्त्रित करते हुए स्टेट अवार्ड व डात्र कला प्रदर्शनी के आवेदन की तिथियां घोषित कर दी हैं।
अकादमी सचिव सुरेन्द्र सोनी ने मूमल को जानकारी दी कि 60वें स्टेट अवार्ड के आवेदन की अन्तिम तिथि 18 सितम्बर है। उन्होंने बताया कि, 39वीं छात्र कला प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आवेदन की अन्तिम तिथि 10 सितम्बर तय की गई है।
उल्लेखनीय है कि स्टेट अवार्ड के लिए चुनी गई श्रेष्ठ 10 कृतियों को 25-25 हजार रुपए की नकद राशि से सम्मानित किया जाता है। छात्र कला प्रदर्शनी के लिए श्रेष्ठ 10 कृतियों को 5-5 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है।

रविवार, 29 जुलाई 2018

राष्ट्रीय कालीदास प्रदर्शनी

राष्ट्रीय कालीदास प्रदर्शनी 
आवेदन की अन्तिम तिथि 30 सितम्बर
कलाकृतियां भेजने की अन्तिम तिथि 2अक्टूबर 
पारम्परिक भारतीय चित्र एवं मूर्तिकला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित कालीदास प्रदर्शनी के लिए कालीदास संस्कृत अकादमी द्वारा प्रविष्टियां आमन्त्रित की जा रही हैं। अकादमी में आवेदन भेजने की अन्तिम तिथि 30 सितम्बर है जबकि कृतियां भेजने की अन्तिम तिथि 2 अक्टूबर है।
इस वर्ष का विषय महाकवि कालीदास के प्रसिद्ध नाट्य काव्य मालविकाग्निमित्रम् है। प्रतिभागी इस महाकाव्य के किसी प्रसंग या दृश्य पर आधारित मौलिक व नवीन कृति प्रदर्शनी हेतु भेज सकते हैं।। कृतियों की शैली पारम्परिक या लोक शैली होना आवश्यक है। कलाकृतियां एक गुणा एक मीटर से बड़ी नहीं होनी चाहिएं।
कलाकृतियों में से श्रेष्ठ चयनित पांच कृतियों को प्रति कृति एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार वितरण कालीदास समारोह के समापन अवसर पर 25 नवम्बर को किया जाएगा। पुरस्कृत कृतियां अकादमी की सम्पत्ति मानी जाएंगी। उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय कालीदास सम्मान समारोह उज्जैन 19 से 25 नवम्बर तक आयोजित होगा। अधिक जानकारी अकादमी की वेबसाइट www.kalidasacademy.com  पर उपलब्ध है। 

शनिवार, 28 जुलाई 2018

राज. ललित कला अकादमी के अनेक भावी आयोजन

राज. अकादमी के अनेक भावी आयोजन
अधिक बड़े और भव्य होने के संकेत
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी अगले तीन महीनों में एक के बाद एक अनेक कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इनमें छात्र कला प्रदर्शनी, स्टेट एवार्ड और कला मेले जैसे नियमित आयोजनों के साथ एक महत्वपूर्ण सेमीनार भी शामिल हैं।
अधिक बड़े व भव्य स्तरीय आयोजन
उल्लेखनीय यह है कि यह सभी आयोजन पिछले वर्ष हुए आयोजनों की तुलना में अधिक अधिक बड़े और भव्य होंगे नियमित आयोजन के साथ सेमीनार  की योजना को भी शामिल किया गया है ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि अधिक बड़े व भव्य स्तरीय आयोजन के लिए अतिरिक्त कोष की व्यवस्था कैसे होगी? मूमल को मिली प्राथमिक जानकारियों के अनुसार इन आयोजनों के लिए अकादमी के बजट में सुरक्षित धन के अलावा अन्य श्रोतों से धन की व्यवस्था किए जाने के प्रयास हो रहे हैं। इनमें राज्य के कला संस्कृति विभाग व इसी के साथ पयर्टन के क्षेत्र से कोष जुटाने के जतन हो रहे हैं। इस बात की भी प्रबल संभावना है कि अतिरिक्त कोष की व्यवस्था हो जाएगी। अब यह तो आयोजन के वक्त ही सामने आएगा कि उपलब्ध कोष का उचित उपयोग होगा या इन आयोजनों में भी धांधली और बंदरबांट हावी रहेगी।
छात्र कला प्रदर्शनी व स्टेट एवार्ड की आयोजन तिथियां तय हो गई हैं, यदि सब कुछ ठीक रहता है तो सोमवार तक इसकी विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी। फिलहाल स्टेट अवार्ड के आवेदन प्राप्ति की अन्तिम तारीख सितम्बर तथा स्टूडेंट एग्जीबिशन के आवेदन की अप्तिम तिथि अगस्त के महीनों में तय की गई है।
सेमीनार की योजना
अभी इन दिनों अकादमी की सहभागिता में एक बड़े सेमीनार के आयोजन की योजना पर कार्य चल रहा है। फोक एंड ट्राइवल आर्ट पर प्रो. सी.एस. मेहता द्वारा प्रस्तावित यह सेमीनार अकादमी व आईआईसीडी के संयुक्त तत्वावधान में  होगा। इस सेमीनार में देशभर से लगभग 20 डेलीगेट्स  के आने की सभावनाएं हैं। अकादमी की तरफ  से इसके लिए लगभग 5 लाख रुपए का सहयोग किए जाने का अनुमान है। 

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

राज्य स्तरीय सिन्धी नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला 16 अगस्त से

राज्य स्तरीय सिन्धी नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला 16 अगस्त से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान सिन्धी अकादमी 16 से 25 अगस्त तक चलने वाली दस दिवसीय सिन्धी नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कर रही है। राज्य स्तर की यह कार्यशाला एमआई रोड स्थित अमरापुरा आश्रम में आयोजित होगी। कार्यशाला के संयोजक वरिष्ठ लाट्य निर्देशक सुरेश सिन्धु हैं।
कार्यशाला के बारे में अकादमी अध्यक्ष हरीश राजानी ने कहा कि विलुप्त हो रही सिन्धी नाट्य विधा को जीवित रखने एवं नवोदित कलाकारों में सिन्धी नाटकों के प्रति रूचि बढ़ाने की दृष्टि से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा नाट्य कला की विविध विधाओं की बारीकियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अकादमी सचिव ईश्वर मोरवानी ने कहा कि, इस कार्यशाला में नाट्य विधा में रूचि रखने वाले 15 वर्ष से अधिक आयु के सिन्धी युवक/युवतियां भाग ले सकेंगे। जयपुर से बाहर के प्रशिाक्षणार्थियों को अकादमी नियमानुसार यात्रा भत्ता देने के साथं उनके आवास एवं भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था अमरापुर आश्रम में करेगी।
कार्यशाला के लिये प्रतिभागियों का चयन ऑडिशन के आधार पर चयन समिति द्वारा किया जाएगा। कार्यशाला में भाग लेने के लिए अकादमी में 10 अगस्त तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। अधिक जानकारी के लिए अकादमी दूरभाष 0141-ं2700662 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

अमित हारित का जूनियर फैलोशिप के लिये चयन

अमित हारित का जूनियर फैलोशिप के लिये चयन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर शहर के युवा चित्रकार अमित हारित का चित्रकला में उत्कृष्ट कार्य के लिये संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जूनियर फैलोशिप के लिये चयन किया गया है। इसके तहत 2 वर्ष तक 10,000 रूपये प्रतिमाह कुल 2,40,000 रूपये अपने रचनात्मक कार्य को बढ़ाने के लिये प्रदान किये जायेंगे। इससे पहले संस्कृति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2011 में प्रतिभावान युवा चित्रकार छात्रवृति पुरस्कार तथा वर्ष 2010 और 2015 में राजस्थान ललित कला अकादमी का राज्य स्तरीय पुरस्कार अमित को मिल चुका है। अभी तक आठ एकल प्रदर्शनियों सहित अनेक प्रदर्शनियों तथा कला शिविरों में भाग ले चुके अमित के चित्र प्रकृति और समाज से जुड़े विषयों पर आधारित होते हैं।
राजस्थान के विजुअल आर्ट से चयनित अन्य कलाकार 
2016-17 के लिए जूनियर फैलोशिप
चन्द्र शेखर सैन
2016-17 के लिए सीनियर फैलोशिप
कान्ता व्यास
उॉ. अनुपम भटनागर
2017-18 के लिए जूनियर फैलोशिप
अमित हरित
2017-18 के लिए सीनियर फैलोशिप
राहुल सेन
आकाश चोयल
समन्दर सिंह खंगारोत

अथक चेष्टा गुरु सम्मान से नवाजे जाएंगे डॉ. दलवी

अथक चेष्टा गुरु सम्मान से नवाजे  जाएंगे डॉ. दलवी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। अथक चेष्टा सोसायटी द्वारा 30 जुलाई को अथक चेष्टा सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन में आयोजित इस समारोह में राजस्थान  ललित कला अकादमी के अध्यक्ष व प्रसिद्ध सुर बहार वादक डॉ. अश्विन दलवी को 2018 के अथक चेष्टा गुरु सम्मान से नवाजा जाएगा। 2017 का गुरु सम्मान भरतनाट्यम नृत्यांगना रोहिणी अनन्थ को सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ अथक चेष्टा सम्मान 2017 पद्मश्री निरंजन गोस्वामी को एवं 2018 का सम्मान पद्मश्री गीता महालिक को प्रदान किया जाएगा।

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

बेलवेडियर हाउस में बन रहा वर्चुअल म्यूजियम

बेलवेडियर हाउस में बन रहा वर्चुअल म्यूजियम 
मूमल नेटवर्क, कोलकाता। बेलवेडियर हाउस में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सुभाष चंद्र बोस, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर व बंकिम चंद्र चटर्जी के नाम से एक वर्चुअल म्यूजियम का निर्माण किया जा रहा है। इसका कार्य अगले महीने तक पूरा हो जायेगा। पूरे साल सेमिनार, प्रदर्शनी व विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का भी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जायेगा।
पिछले दिनों केंद्रीय सरकार के संस्कृति सचिव राघवेंद्र सिंह इस डिजिटल म्यूजियम के कार्यों का जायजा लेने के लिए दो दिवसीय दौरे पर महानगर में आए थे। बेलवेडियर हाउस में चल रहे डिजिटल म्यूजियम के कार्यों का निरीक्षण करने के दौरान उन्होंने बताया कि यहां पर पूरे साल लोगों को आकर्षित करने के लिए विक्टोरिया मेमोरियल की तर्ज पर ही लाइट एंड साउंड की व्यवस्था होगी। इसके अलावा पूरे साल सेमिनार, प्रदर्शनी व विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का भी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जायेगा, जिससे इस राष्ट्रीय धरोहर को पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि संस्कृति मंत्रालय पूरे देश में इस तरह के स्थानों को पहचान देने व उनके पुनर्निर्माण लिए वृहत स्तर पर काम कर रहा है।
उन्होंने बंगाल के लोगों की इस तरह के सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति विशेष लगाव है। यहां के लोग इसके प्रति अधिक सचेत हैं। केंद्र सरकार बंगाल के इन विभूतियों के बारे में देश के अन्य भागों के लोगों को भी जागरूक करना चाहती है ताकि वह यहां आकर समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों को देख सकें।
उन्होंने बताया कि अगले महीने तक बेलवेडियर हाउस का काम पूरा हो जायेगा। इस अवसर पर उनके साथ आर्कयिोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की डायरेक्टर जनरल उषा शर्मा, राष्ट्रीय पुस्तकालय के प्रभारी महानिदेशक डा अरुण कुमार चक्रवर्ती, दिल्ली से आये नेशनल गैलरी फॉर मॉर्डन आट्र्स के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गडनायक व एडीजी पीआइबी नानू वसीन शामिल थीं।
दो दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने विक्टोरिया मेमोरियल, साइंस सिटी व  ललित कला अकादमी का भी मुआयना किया। वो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में चल रहे करेंसी बिल्डिंग के पुनर्निर्माण कार्य को भी देखने गए।

लोगों को लुभा रही है स्कॉलर्स की कृतियां

लोगों को लुभा रही है स्कॉलर्स की कृतियां
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय केन्द्र में इन दिनों अकादमी स्कालर्स की प्रदर्शनी लोगों को खासा लुभा रही है। 6 स्कालर्स की कृतियों से सजी इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 24 जुलाई को हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की कुलपति श्रुति सडोलीकर काटकर ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
कुलपति श्रुति सडोलीकर काटकर ने कृतियों की सराहना करते हुए कहा कि, कलाकार अपनी विधा के माध्यम अपनी कलात्मक भावनाओं को प्रकट करते है, कला हमारे अंतर्मन के विचारों, संस्कारों एवं उसमें उठने वाले तरह तरह की जिज्ञासाओं को प्रकट करने का एवं मुखरित करने का एक सशक्त माध्यम है। प्रदर्शनी 30 जुलाई तक चलेगी।
इन स्कालर्स की कृतियां हैं प्रदर्शित
ग्राफिक विधा में दिव्या चतुर्वेदी, नेहा जायसवाल व रवि कुमार अग्रहरि तथा चित्रकला में करन सावनानी, रश्मि सिंह एवं विनोद कुमार।

सोमवार, 23 जुलाई 2018

कनेडियन कलाकार ने प्रदर्शित की जयपुर से सीखी कला


कनेडियन कलाकार ने प्रदर्शित की जयपुर से सीखी कला
प्रकृति और कला के सम्बन्ध पर की चर्चा
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कनाडा के कलाकार, शिक्षक व क्यूरेटर कोल स्वान्स ने आज राजस्ािान ललित कला अकादमी के सभागार में जयपुर में सीखी कला तकनीक का प्रदर्शन किया।
कोल ने स्लाइडस के जरिये आरईश तकनीक, लघुचित्र, खनिज रंगों को बनाना दिखाया और अपने चित्रों में प्रकृति और कला के सम्बन्ध पर चर्चा की। इसके साथ ही म्यूरल में लगभग &00 छोटे-बड़े अलग-अलग साईज के आकार बनाए और उनको खनिज रंगों से वसली पर चित्रित किया।
कोल स्वान्स कनाडा के टोरंटो निवासी हैं। इन्होंने स्टूडियों कला में गुएल्फ  विश्वविद्यालय से स्नातक और कला इतिहास में टोरेंटो विश्वविद्यालय से एम. ए. किया है। अभी हम्बर कॉलोड में कला शिक्षा देने के साथ प्रोग्राम कॉडिनेर करते हैं। कोल इन्सटालेशन, चित्रकला व मूर्तिकला के समावेश की कला में माहिर हैं।
नई से नई तकनीक सीखना इन्हें पसन्द हैं। जयपुर में भी नाथूलाल वर्मा से फ्रेस्को और लघुचित्र शैली सीखी है। कई माध्यमों में काम करने वाले कोल की भारत के साथ अमरीका, इटली, चीन, ताइवान व ब्राजील में कई सोलो एग्जीबिशन्स लगी हैं।  कोल ने चुंग ली विश्वविद्यालय, ताइवान, टोरेंटो विश्वविद्यालय, गुएल्फ विश्वविद्यालय ओकविल के शैरीडन महाविद्यालय में शिक्षक के रूप में काम किया है । इनको ओन्टेरियों आर्टस काउन्सिल, इन्डोशास्त्री कनेडियन इन्स्टीटूयूट आदि से फैलोशिप भी मिली है ।

पेंशन देने के लिए नहीं मिल रहे कलाकार

पेंशन देने के लिए नहीं मिल रहे कलाकार
वृद्ध व असहाय कलाकार पेंशन योजना
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। प्रदेश सरकार संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भले ही योजनाएं चला रही हो, पर बुजुर्ग कलाकार अनदेखी के शिकार हैं। संस्कृति विभाग पेंशन के लिए बुजुर्ग और असहाय कलाकारों को खोज नहीं पा रहा है। इस वजह से तीन दशक बाद भी प्रदेश के बुजुर्ग कलाकारों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा।
संस्कृति विभाग की लापरवाही और संवेदनहीनता का हाल ये है कि पेंशन योजना का कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता। पिछले पांच साल से पेंशन के लिए विभाग ने विज्ञापन भी नहीं निकाला है।
संस्कृति विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 1985 में कलाकारों के लिए पेंशन योजना शुरू हुई थी। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सिर्फ 322 वृद्ध व असहाय लोक कलाकार हैं। ये सभी कलाकार प्रदेश के भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के 18 मंडल के अंतर्गत आने वाले 75 जिलों के हैं। इन जिलों का औसत निकाला जाए तो हर जिले में लगभग चार कलाकार ही पेंशन पा रहे हैं। कलाकारों की पेंशन के मूल्यांकन में भी विभाग की कोई रुचि नहीं है। इस सन्दर्भ में संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि, वृद्ध और असहाय कलाकारों को पेंशन दिए जाने के लिए जल्दी ही विज्ञापन निकाला जाएगा।
चिकित्सा और कला छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति भी बंद
एक ओर जहां तमाम विभागों की पेंशन बीते वर्षों में दो से तीन गुना बढ़ चुकी है। वहीं, संस्कृति विभाग से मिलने वाली पेंशन महज दो हजार रुपये ही है। इसके अलावा वृद्ध पेंशनर्स को चिकित्सा प्रतिपूर्ति और कला छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति भी बंद है। ऐसे में विलुप्त होती लोक कलाओं के सरंक्षण की बात बेमानी साबित होती नजर आती है।

युवा कलाकारों को मिलेगी प्रति माह 5000 स्कॉलरशिप

युवा कलाकारों को मिलेगी प्रति माह 5000 स्कॉलरशिप
मूमल नेटवर्क, शिमला। प्रदेश के वो  युवा र्जो टीवी, रेडियो, डांस, गायन के साथ फिल्मों में अपना करियर संवारना चाह रहे हैं, उनके सपनों को साकार करने के लिए सरकार द्वारा एक योजना बनाई जा रही है। बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत जल्द ही युवा कलाकरों को 5000 तक की हर माह स्कॉलरशिप दी जाएगी।
इस योजना के लिए भाषा विभाग ने प्रोपोजल तैयार कर लिया है और सरकार से मंजूरी लेने की तैयारी की जा रही है। भाषा संस्कृति विभाग ने राज्य के युवाओं के लिए पहली बार इस तरह की योजना तैयार की है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल से सैकड़ों युवा हर साल एक्टिंग, रेडियो, टीवी गायन, और फिल्मों में अपना कॅरियर बनाने के लिए मुंबई सहित अन्य बाहरी राज्यों में जाते हैं। लेकिन सैकड़ों कलाकार आर्थिक स्थिति मजबूत न होने की वजह से अपने करियर को सही ढंग से ढाल नहीं पाते। भाषा संस्कृति विभाग की ओर से पहली बार आर्थिक सहायता देने के मकसद से यह निर्णय लिया गया है।  हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि फिल्म करियर बनाने वाले युवाओं को प्रोडक्शन में सहायता दी जा रही है। विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान ने कहा कि बाहरी राज्यों में फिल्म, रेडियो, डांस, गायन में करियर बनाने वाले कलाकारों को पांच हजार रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इसके साथ अपनी कला को निखराने के लिए युवा भारत सरकार की मैपिक कल्चर वेबसाइट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और अपना नाम रजिस्टर कर सकते हैं।
भाषा कला संस्कृति विभाग का दावा है कि प्रदेश की कला को मंच तक लाने के मकसद से विभाग जल्द ही ब्रांड हिमाचल को भी तलाश कर लाएंगे। भले ही वह ब्रांड हिमाचल राज्य से बाहर ही क्यों न हो। 

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

नए 100 रुपये के नोट पर होगी धरोहर की तस्वीर


नए 100 रुपये के नोट पर होगी धरोहर की तस्वीर
मूमल डेस्कवर्क। भारतीय रिजर्व बैंक जल्दी ही 100 रुपये का एक नया नोट जारी करने वाला है। इस नोट पर विश्व विरासत घोषित भारतीय धरोहर की तस्वीर होगी।  केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान के अनुसार इस नोट का रंग हल्के बैंगनी रंग का होगा। इस नोट का आकार 66 मिलीमीटर & 142 मिलीमीटर होगा। बैंक ने इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है जिसे ट्वीट भी किया गया है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक के जारी किए पहले के सभी 100 रुपये के नोट मान्य बने रहेंगे.
इस नए नोट पर पहले की ही तरह महात्मा गांधी की तस्वीर है, अशोक स्तंभ, प्रॉमिस क्लॉज़ और अन्य फ़ीचर्स के साथ मौजूदा गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे, लेकिन नोट के पिछले हिस्से पर एक तस्वीर होगी जिस पर लिखा है "रानी की वाव."
क्या है रानी की वाव
"रानी की वाव" गुजरात के पाटन जि़ले में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है जिसे यूनेस्को ने चार साल पहले 2014 में विश्व विरासत में शामिल किया था. भारतीय इतिहास और यूनेस्को की वेबसाइट में लिखा है कि रानी की वाव सरस्वती नदी से जुड़ी है। इसे ग्यारहवीं सदी के एक राजा की याद में बनवाया गया था।
रानी की वाव भूमिगत जल संसाधन और जल संग्रह प्रणाली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो भारतीय महाद्वीप में बहुत लोकप्रिय रही है। इस तरह के सीढ़ीदार कुएं का ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से निर्माण किया जाता रहा है।
सात मंजि़ला इस वाव में मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली का सुन्दर उपयोग किया गया है जो जल संग्रह की तकनीक, बारीकियों और अनुपातों की अत्यंत सुंदर कला क्षमता की जटिलता को दर्शाता है। जल की पवित्रता और इसके महत्व को समझाने के लिए इसे औंधे मंदिर के रूप में डिजाइन किया गया था।

वाव की दीवारों और स्तंभों पर सैकड़ों नक्काशियां की गई हैं। सात तलों में विभाजित इस सीढ़ीदार कुएं में नक्काशी की गई 500 से अधिक बड़ी मूर्तियां है और एक हज़ार से अधिक छोटी मूर्तियां हैं जिनमें धार्मिक, पौराणिक और धर्मनिरपेक्ष चित्रों को उकेरा गया है जो साहित्यिक संदर्भ भी प्रदान करती हैं।
इनमें अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि आदि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इसका चौथा तल सबसे गहरा है जो एक 9.5 मीटर से 9.4 मीटर के आयताकार टैंक तक जाता है और जो 23 मीटर गहरा है। यह कुआं इस परिसर के एकदम पश्चिमी छोर पर स्थित है जिसमें 10 मीटर व्यास और 30 मीटर गहराई का शाफ़्ट शामिल है।
पहले भी छपती रही हैं विरासतें
यह पहली बार नहीं है जब भारत में किसी ऐतिहासिक धरोहर को नोट पर छापा गया है। भारतीय विरासत और ऐतिहासिक स्मारकों को छापने का प्रचलन पहले भी रहा है।
2016 में नोटबंदी के बाद आए 500 रुपये के नोट पर लाल किले की तस्वीर, 200 रुपये के नोट पर सांची का स्तूप, 50 रुपये के नोट पर हम्पी के रथ की तस्वीर छापी गई और 10 रुपये के नोट पर कोणार्क के सूर्य मंदिर के रथ का पहिया छापा गया। इसके साथ ही  50 रुपये के नोट पर भारतीय संसद, 20 रुपये के नोट पर कोणार्क के सूर्य मंदिर के रथ का पहिया इत्यादि छापे जाते रहे हैं। 

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

अब ट्रेनें सजेंगी मिथिला पेंटिंग से

अब ट्रेनें सजेंगी मिथिला पेंटिंग से 
मूमल नेटवर्क, दरभंगा। मिथिला पेंटिंग को लेकर सरकार काफी उत्साहित है। दरभंगा जंक्शन पर वेटिंग हॉल और अन्य जगहों को मिथिला पेंटिंग से सजाया जा रहा है वहीं, मिथिला पेंटिंग को लेकर रेलवे ने एक और कदम उठाया है। रेलवे ने अब दरभंगा से खुलने वाली ट्रेनों में भी मिथिला पेंटिंग अंकित करने का प्लान बनाया है। इसके लिए ट्रायल की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
ट्रायल के तौर पर दरभंगा जंक्शन के यार्ड में एक बोगी को मिथिला पेंटिंग से सजाया गया है, जो देखने में बेहद आकर्षक लग रही है।  रेलवे ने निर्णय लिया है कि, दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट पहली ट्रेन होगी, जिसका प्रत्येक कोच को मिथिला पेंटिंग से चित्रित किया जाएगा।  मिथिला पेंटिंग के पांच से सात कलाकार इस पर काम कर रहे हैं। जीएम की हरी झंडी मिलने के बाद इसमें और भी कलाकारों को जोड़ा जाएगा।
रेलवे के इस पहल को स्थानीय लोग काफी सराह रहे हैं। उनकी मानें तो इस योजना के बाद युवाओं के बीच मिथिला पेंटिंग के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ेगी। साथ ही इस पेंटिंग से जुड़े लोगों की माली स्थिति भी बेहतर होगी।

सोहन कादरी फैलोशिप आवेदन की अन्तिम तिथि 14 अगस्त

सोहन कादरी फैलोशिप आवेदन की अन्तिम तिथि 14 अगस्त 
मूमल नेटवर्क, चण्डीगढ़। चंडीगढ़ ललित कला अकादमी ने साल 2018-19 के लिए सोहन कादरी फैलोशिप के लिए कलाकारों से आवेदन आमन्त्रित किए हैं।  इस फैलोशिप के लिए केवल चण्डीगढ़ के प्रोफेशनल, बंडिंग व एमेच्योर आर्टिस्ट आवेदन कर सकते हैं। स्वीकृत आवेदन को एक वर्ष के लिए एक लाख रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी। आवेदन स्वीकार करने की अन्तिम तिथि 14 अगस्त है। सितम्बर में फैलोशिप के रिजल्ट घोषित कर दिए जाएंगे।
अकादमी चेयरमैन भीम मल्होत्रा ने बताया कि, आवेदन करने वाले आर्टिस्ट आर्ट की विभिन्न विधाओं से जुड़े हो सकते हैं। जिसमेें ड्रॉइंग, ग्राफिक्स, प्रिंट मेकिंग, इंस्टॉलेशन, मल्टी मीडिया, पेंटिंग, फोटोग्राफी और स्कल्प्चर शामिल हैं। आवेदकों की आयु 25 से 45 वर्ष तक की होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि, इस फैलोशिप का उद्देश्य आर्टिस्ट को ऐसा प्लेटफॉर्म देना है जिससे वह अपना टैलेंट निखार कर सबके सामने ला सके। एल्लेखनीय है कि गत 8 वर्षों से अकादमी आर्टिस्ट सोहन कादरी के नाम पर यह फैलोशिप देा रही है। फैलोशिप कें लिए आर्टिस्ट कादरी की बेटी पूर्वी कादरी पूरा सहयोग करती हैं।
ऐसे करें आवेदन
फैलोशिप के फॉर्म ललित कला अकादमी चंडीगढ़ की वेबसाइट से www.lalitkalachandigarh.com  से डाउनलोड किए जा सकते हैं या फिर सेक्टर-34 की स्टेट लाइब्रेरी में अकादमी के ऑफिस से फॉर्म लिए जा सकते हैं और यहीं जमा भी करवा सकते हैं। आर्टिस्ट 14 अगस्त तक  सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक आवेदन कर सकते हैं।। इसके लिए आर्ट वर्क को एंट्री के रूप में भेजना होगा। इसके बाद बेस्ट आर्ट वर्क को शॉर्ट लिस्ट किया जाएगा। जूरी एक बेस्ट वर्क को चुनेगी। यानि एक आर्टिस्ट को फैलोशिप के रूप में एक लाख रुपए की राशि एक साल के लिए दी जाएगी।

महिला कलाकारों की कूंचि से महिला सरोकार के रंग

भारत का स्ट्रीट आर्ट 
महिला कलाकारों की कूंचि से महिला सरोकार के रंग
6 महिला स्ट्रीट कलाकारों के रंगों की कहानी
मूमल डेस्कवर्क। इन दिनों स्ट्रीट आर्ट का जादू ना केवल भारत वरन् विदेश के कई हिस्सों में छाया हुआ है। हम यहां भारत की बेहतरीन 6 ऐसी महिला स्ट्रीट कलाकारों की बात करेंगे जिनकी कला ना केवल लुभाती है अल्कि बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर देती है।
झील घोरडिया

झील घोरडिया मुंबई निवासी स्अ्रीट आर्टिस्ट हैं। इनकी कला में बोल्डनेस है, विचारों की बोल्डनेस। इनकी कृतियों में हिंदी सिनेमा में महिलाओं की स्थिति, लिंग भेद और अन्याय, बालीवुड की रूडि़वादिता प्रमुख है। डिजीटल मीडिया से बनाई गई अपनी कला के माध्यम से झील लोगों को भारतीय महिलाओं द्वारा भोगे जाने वाले अन्यायों के बारे में विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। झील ने अपने प्रोजेक्ट का नाम  'ब्रेकिंग द साइलेंस' रखा है। बलात्कार, वेश्यावृत्ति, एलजीबीटी अधिकार जैसे विषय इसमें शामिल हैं।
जस चरंजीवा

जस का जन्म यूके में हुआ और भारत इनकी कर्मस्थली बना। भारत में महिलाओं की व्यथा इनकी कला का विषय बना। जस ने 2012 के निर्भया काण्ड के मामले के बाद 'डॉट नॉट मेस विथ मी' नामक एक चित्र बनाया जिसे आम तौर पर 'द पिंक लेडी' के नाम से भी जाना जाता है। यह चित्र महिलाओं के लिए अपनी पीड़ा व्यक्त करने का प्रतीक बन गया।
वर्तमान में जस और उसके पति दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ग्राफिक कलाकारों के लिए एक किल्चर शॉप चलाते हैं।
लीना केजरीवाल

लीना केजरीवाल भारत की एक और कलाकार हैं, जिन्होंने अपने काम के लिए सामाजिक संदेशों को चुना है। इस कलाकार ने 'मिसिंग' परियोजना के तहत महिला तस्करी के मुद्दे पर प्रकाश डाला है।  लीना अपनी परियोजना के तहत  सड़कों और प्रमुख स्थलों पर 'लापता' लड़कियों को काले रंग के चित्रित करती हैं।
पिछले कई सालों से, लीना मानव जालसाजी और युवा लड़कियों की वेश्यावृत्ति के मुद्दों पर कई गैर सरकारी संगठनों के साथ काम कर रही है। 'लापता' के माध्यम से, वह अपनी चिंताओं को जनता के लिए एक दिलचस्प और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करती है।
लीना फ्रांस की निवासी है, और कोलकाता, दिल्ली, तेहरान, बर्लिन और वीमर जैसे शहर अपने बड़े पैमाने पर फोटोग्राफिक इंस्टालेशन लगाती हैं।
काजल सिंह

काजल सिंह को लोग 'डिज़ीÓ नाम से अधिक पहचानते हैं। काजल नेे पूरे भारत में अपनी हिप-हॉप प्रेरित कला की छाप छोड़ी है। बचपन से कला प्रतियोगिताओं को जीतना सिंह के जीवन का हिस्सा रहा है। हिप-हॉप और कला के लिए उनका प्यार एक यूनिक आर्ट के रूप में लोगों के ामने आया। स्ट्रीट आर्ट में विभिन्न रंगों के प्रयोग से काजल की अपनी शैली उनकी एक विशेष पहचान को कायम किया है।
किसी भी शहर में काम शुरू करने से पहले काजल हमेशा उचित अनुमति लेती हैं। लेकिन उन्होंने महसूस किया है कि ग्रामीण इलाकों में लोग अपनी दीवारों को भित्तिचित्रण के लिए हमेशा प्रदान करते हैं। काजल की कला पुराने स्कूल की भित्तिचित्र सी है, जिसमें चमकदार रंगों में चंकी अक्षरों के साथ छोटे किरदार निकलकर सामने आते हैं। काजल एक हिप-हॉप नर्तकी,  उग्र चित्रकार और एक फिटनेस ब्लॉगर भी है।
रश

रश मणिपुर की मूल निवासी हैं। यह 2010 से सक्रिय रूप से चित्रकारी कर रहीं हैं। रश ने दिल्ली के चार महत्वपूर्ण स्थान आईआईटी, हौज खास, आईएसबीटी फ्लाईओवर और चाणक्यपुरी में अपने काम की छाप छोड़ी है। उनके प्रवेश से, कला उसे एक भीड़ देता है, और इसलिए उसने अपना नाम चुना। चित्रण के लिए गुलरबी रंग को विशेष रूप से पसन्द करने वाली रश को शब्दों के साथ खेलना पसंद है।
अंपू वर्की

अंपू वर्की एक कुशल चित्रकार हैं। दिल्ली, पूणे, ऋषिकेश व चैन्नई की दीवारों पर चित्रित बिल्ली के चित्रों ने इंपु को विशेष रूप से पहचान दिलाई।

भारत में सबसे महत्वपूर्ण कलाकृतियों में से एक दिल्ली पुलिस मुख्यालय टावर पर विशाल महात्मा गांधी की मूर्ति भी अंपूं की ही कृति है। बेंगलुरू की मूल निवासी अंपू ने हलासुरु मेट्रो स्टेशन के पास एक घर की दीवार पर एक विशाल चंद्रमा चित्रित किया। अंपू ने 2017 बेंगलुरु छोड़ा और पेंटिंग का अध्ययन करने के लिए बड़ौदा के एमएस विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और फिर लंदन में बाम शॉ स्कूल ऑफ आर्ट में।
अंपू का मानना है कि दुनिया तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका एक दीवार को पेंट करना है जो हर किसी को आमन्त्रित करता है। 

बुधवार, 18 जुलाई 2018

चेन्नई में नेचुरल कलर और एस्थेटिक्स कार्यशाला 20 जुलाई से

चेन्नई में नेचुरल कलर और एस्थेटिक्स कार्यशाला 20 जुलाई से
जयपुर के अमित कल्ला करेंगे संचालन
मुमल नेटवर्क, चैन्नई/जयपुर। कवि और चित्रकार अमित कल्ला बीस जुलाई से तमिल नाडू की राजधानी चेन्नई में प्राकृतिक रंगों और भारतीय दर्शन की सौन्दर्य मीमांसा विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का संचालन करेंगे जिसे आर्ट प्रोमो ग्लोबल और माय स्टूडियो के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जायेगा, इस दौरान वे फूल-पत्तियों और धरती में पाए जाने वाले विभिन्न मिनरल्स और मेटल्स से नेचुरल कलर बनाने की तकनीक साझा करेंगे।
अमित वहां फूलों में केसुला, अमलतास, हरसिंगार, बोगनबेलिया, चंपा, कुसुम  जैसे फूलों के अलावा  हल्दी, आंवला, चूना, पेवड़ी, सिन्दूर, तून, कत्था, कॉफ़ी, हरितिका, अनार छिलका, बडहल, जामुन, गरण,  चिरायता, कायफल,सोनामुखी और प्राकृतिक नील से बबूल के गौंद का इस्तमाल करके  विभिन्न प्रकार के रंग बनाना सिखायेंगे।
अमित के अनुसार प्राकृतिक रंगों की अपनी एक अलग तासीर होती है जो किसी भी सर्फेस पर चित्र का रूप लेकर हमेशा से एक आयाम रचती नजऱ आती है। सदियों से इसका सामाजिक, ऐतिहासिक और प्रायोगिक महत्व रहा है। इस प्राचीन विधियों की कला के विद्यार्थियों और कलाकारों दोनों को यथासंभव जानकारी होना वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है ।
कार्यशाला में रंग तकनीक के साथ ही इंडियन एस्थेटिक्स के मूल कहे जाने वाले कुछ प्रमुख ग्रन्थ मनसोलास, संग्रामणसूत्रधार, विष्णुधर्मोत्तरपुराण, दृगदृष्य विवेचिका के अलावा रस-ध्वनि के सिद्धांत, कला का देश-काल, नाद-बिंदु, पुरुष-प्रकृति, रूप-अरूप, भाव-अलंकर और विभिन्न दृश्यात्मक अनुभवों से जुड़े तमाम पहलुओं को बेहद सरलतम अंदाज़ में बतलाया जायेगा।

सोमवार, 16 जुलाई 2018

राजस्थान में रंग मल्हार का 9वां चरण


राजस्थान में रंग मल्हार का 9वां चरण


13 शहरों में लालटेन पर बिखरे रंग

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान के बारह शहरों में रंग मल्हार मना कर चितेरों ने वर्षा को आमन्त्रित किया। इस वर्ष रंगों का मल्हार लालटेन के साथ मनाया गया।
वर्ष 2010 में जयपुर की व्योम आर्ट गैलेरी से आरम्भ होकर नवें एडीशन तक आते-आते रंग मल्हार ने अपने पंख राज्य के 13 शहरों तक पसार लिए हैं। अच्छे मानसून की कामना लिए रंग मल्हार में इस वर्ष लालटेन को अपना माध्यम बनाया गया। लालटेन पर की गई आकर्षक चित्रकारी ने ना केवल आम लोगों वरन् इंद्रदेव को भी प्रसन्न कर दिया। जयपुर में कल 15 जुलाई को आयोजन के शुरु होते ही बादलों से गिरती फुहारों ने रंगों के मल्हार के साथ मिल रिमझिम के गीत गाए। उल्लेखनीय है कि कमोबेश सभी शहरों में आयोजन के लिए सरकारी व निजी स्तर पर प्रायोजकों का सराहनीय समर्थन प्राप्त हुआ।
इन शहरों में मना रंग मल्हार
जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, टोंक, गंगानगर, .नाथद्वार, परतापुर, बीकानेर, बून्दी, 
सीकर,  भीलवाड़ा व जालोर।

रोड सेफ्टी के लिए रंग आन्दोलन

रोड सेफ्टी के लिए रंग आन्दोलन
महावालकथन 2018
ड्राइंग, चित्रकारी, फोटोग्राफी व वीडियो प्रतियोगिता
मूमल नेटवर्क, मुंबई। वाहन ड्राईवरों को उनकी जिम्मेदारी के प्रति प्रेरित करने व सड़कों को दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक कला का माध्यम अपनाते हुए एक अनोखी पहल की है। लोगों को जीवन से जुड़े मुद्दों से जोडऩे के लिए ड्राइंग, चित्रकारी, फोटोग्राफी व वीडियो प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। प्रतियोगिता में हिस्स लेने के लिए हर उम्र के सभी नागरिक आमन्त्रित हैं।श्रेष्ठ कृतियों को नकद राशि से पुरस्कृत किया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार के लोक निर्माण विभाग, एमएमवीडी (परिवहन), सीएसआर डायरी और सीएएसआई ग्लोबल ने संयुक्त रूप से महाआयोजन को साकार करने की जिम्मेदारी उठायी है। प्रतियोगिता में किसी भी आयुवर्ग का कोई भी नागरिक चाहे वो कलाकार हो या नहीं भाग ले सकता है। इसके लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। ड्राइंग, चित्रकारी, फोटोग्राफी व वीडियो प्रतियोगिता में से किसी एक या अधिक के लिए भी आवेदन किया जा सकता है। प्रतियोगिता थीम सड़क सुरक्षा, नॉनकॉन्किंग व जिम्मेदार ड्राइविंग है। चित्रकारी के लिए क्रेयॉन, पेंसिल रंग, पानी का रंग या किसी भी प्रकार के रंग का उपयोग करने की अनुमति है। फोटोग्राफी के लिएमोबाइल कैमरा सहित किसी भी कैमरा का इस्तेमाल किया जा सकता है। वीडियो भी किसी भी कैमरा या मोबाइल से बनाया जा सकता है।
प्रविष्टियां भेजने की अन्तिम तारीख 15 नवम्बर है। अपने पूरे विवरण के साथ प्रविष्टियां यहां  facebook.com/mahawalkathon भेजी जा सकती हैं। श्रेष्ठ कृतियों के परिणाम की घोषणा 18 नवम्बर को कर दी जाएगी। पुरस्कारों के लिए प्रतियोगियों को दो भागों में विभाजित किया गया है, छात्र श्रेणी तथा ओपन श्रेणी। दोनों श्रेणियों में पुरस्कार की राशि समान रखी गई है। पुरस्कार के रूप में प्रथम पुरस्कार 5000 रुपये, द्वितीय पुरस्कार 3000 रुपये तथा तृतीय पुरस्कार 2,000 रुपए दिए जाएंगे। इन पुरस्कारों के साथ हर महीने एक भाग्यशाली विजेता को एक सरप्राइज गिफ्ट भी दिया जाएगा।

शनिवार, 14 जुलाई 2018

दो कलाकार राज्यसभा के लिए मनोनीत


दो कलाकार राज्यसभा के लिए मनोनीत
सरकार को होने लगा कला जगत की
राजनीतिक अहमियत का अहसास
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। भाजपा शासित केन्द्र सरकार ने राज्यसभा की खाली हुई सीटों की पूर्ती के लिए कला जगत से दो चेहरे चुने हैं। इनमें मशहूर मूर्तिकार रधुनाथ महापात्रा और नृत्यांगना सोनल मानसिंह शामिल हैं।
उल्लेखनीय है इस बार खिलाड़ियों और फिल्म क्षेत्र के मुकाबले कला जगत की भावनाओं को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसी के साथ राजनीति में कलाकारों की अहमियत रेखांकित हुई है।


गुरुवार, 12 जुलाई 2018

दूसरा इंटरनेशनल वॉटर कलर फेस्टिवल 3 दिसम्बर से

दूसरा इंटरनेशनल वॉटर कलर फेस्टिवल 3 दिसम्बर से
इंटरनेशनल वॉटर कलर सोसायटी की नेपाल का आयोजन
मूमल नेटवर्क, काठमांडू। इंटरनेशनल वॉटर कलर सोसायटी की नेपाल शाखा की ओर से इंटरनेशनल वॉटर कलर फेस्टिवल के दसरे एडीशन की तैयारिया की जा रही है। यह फेस्टिवल काठमांडू और लुम्बिनी में 3 से 9 दिसम्बर तक आयोजित किया जाएगा।
पँस्टिवल में कई देशों के आर्टिस्ट की वॉटर कलर कृतियों की एग्जीबिशन लगाई जाएगी। इसके साथ लाइव डेमोस्ट्रेशन व परिचर्चा का भी आयोजन होगा। गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी में लगने वाला आर्ट एण्ड मेडीटेशन केैम्प इस आयोजन का विशेष आकर्षण होगा।
इस फेस्टिवल का हिस्सा बनने के लिए 15 जुलाई तक आवेदन किया सकता है। एग्जीबिशन के लिए सलैक्ट किए गए आर्टिस्ट्स की घोषणा 30 जुलाई को की जाएगी। इस अवसर पर चुनी गई श्रेष्ठ 20 कृतियों को अवार्ड से नवाजा जाएगा।

बुधवार, 11 जुलाई 2018

एक ब्रश राष्ट्र के नाम का अगला पड़ाव टोंक में

एक ब्रश राष्ट्र के नाम का अगला पड़ाव टोंक में
मूमल नेटवर्क, कोटा। मात्र 8 से 60 वर्ष की आयु के कलाकारों की राष्ट्र को समर्पित कला यात्रा 'एक ब्रश देश के नाम' का अगला पड़ाव 15 और 16 जुलाई को टोंक में होगा।
सन् 1857 से 1947 के बीच घटित ऐतिहासिक गाथाओं को कला के माध्यम से जीवित कर राष्ट्र भर में प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास कोटा के कलाकारों की टीम द्वारा किया जा रहा है। टीम की मेंबर व आयोजन की संयोजक डॉ मुक्ति पाराशर ने बताया कि, 'एक ब्रश देश के नाम' थीम का यह आयोजन पूरे देश भर में चलाया जाएगा। आयोजन की शुरुआत इसी वर्ष जनवरी में कोटा की आर्ट गैलेरी से की गई। इसके बाद मार्च में आयोजन की अगली कड़ी के रूप में भोपाल के स्वराज भवन में स्वतन्त्रता सैनानियों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई।
डॉ मुक्ति ने बताया कि, आयोजन का अगला पड़ाव टोंक में 15 व 16 जुलाई को होगा। इसमें डॉ. मुक्ति पाराशर के साथ मुख्य रूप से  अनुपम पंवार, ज्योत्सना, राकेश शर्मा, अब्दुल राशिद, अतुल शर्मा, सीमा शर्मा, विजयेन्द्र, भव्या, कविता परिहार, मल्लिका शाह इत्यिादि 30 कलाकारों की 60 पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया जाएगा।
टोंक के बाद अगस्त में जयपुर में प्रदर्शनी लगेगी। डॉ मुक्ति ने कहा कि, अगस्त में ही महरात्मा गांधी की 150वीं जयन्ति के अवसर पर दिल्ली राजघाट पर भी प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।अपर आधा
इस प्रकार के आयोजन का विचार कैसे आया? यह पूछने पर डॉ मुक्ति ने कहा कि, एक बार टीम मेम्बर्स ने जब छोटे बच्चों से सुखदेव व भगतसिंह के लिए पूछा तो वो कोई जवाब नहीं दे पाए। इसलिए नई जनेरेशन को संदेश देने के लिए 'एक ब्रश राष्ट्र के नाम, कुछ रंग राष्ट्रवाद के नामÓ से सिलसिलेवार प्रदर्शनियों के आयोजन का निर्णय लिया गया।
(फाइल फोटो)

आर्ट टीचर्स की पहली आर्ट एग्जिबीशन शुरू

आर्ट टीचर्स की पहली आर्ट एग्जिबीशन शुरू 
मूमल नेटवर्क, चंडीगढ़। चण्डीगझ़ ललित कला अकादमी आयोजित पहली आर्ट टीचर एग्जिबीशन कल से शुरु हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन चीफ गेस्ट के रूप में आमन्त्रित होम सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता और गेस्ट ऑफ ऑनर टूरिज्म डायरेक्टर जितेंद्र यादव  ने किया। बेहतरीन कलाकृतियों के रूप में में तीन टीचर्स के कार्य को 25000 रुपये से एवं मेरिट सर्टिफिकेट के साथ पांच आर्ट टीचर्स को 5-5 हजार की राशि से सम्मानित किया गया।
पहली बार आयोजित हो रही आट्र टीचर्स एग्जीबिशन में 64 कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। बेहतरीन कृतियों के लिए तीन आर्ट टीचर्स संजीव कुमार, भारती शर्मा और तुलसी राम प्रजापति को 25-25 हजार रुपए की राशि से सम्मानित किया गया। इन के साथ पांच मेरिट सर्टिफिकेट्स के साथ 5-5 हजार रुपए की राशि के साथ  रीना भटनागर, ममता मार्शल, मनीषा वर्मा ,  बिबेकानंद कापरी, साधना कुमार एवं हरनीत कौर को सम्मानित किया गया। प्रदर्शनी के लिए उत्साहित 133 टीचर्स ने अपने आर्ट वर्क भेजे थे। उसमें से 64 आर्ट वर्क को सिलेक्ट किया गया।
यह है खास आर्ट वर्क की कहानियां
भवन विद्यालय-15 पंचकूला में आर्ट टीचर संजीव कुमार की तस्वीर एक ट्रेन की है, जिसमें से लोग बाहर झांक रहे हैं। इसमें खास है एक बच्चा जिसके चेहरे के खास एक्सप्रेशन को संजीव ने अपने कैमरा में कैद किया। संजीव ने कहा कि वह चंडीगढ़ से दिल्ली एक अवार्ड फंक्शन में जा रहे थे, कैमरा साथ था। चंडीगढ़ स्टेशन पर जाते ही, उन्हें ये दृश्य देखने को मिला जहां एक गाड़ी आकर रुकी, तो मैंने भी इस गाड़ी डिब्बे की फोटो ली, जिसमें से लोग बाहर झांक रहे थे। बाद में इसे ब्लैक एंड व्हाइट टैक्चर दिया। इस प्रदर्शनी के लिए भेजा तो पता लगा कि इसमें भी मुझे अंवॉर्ड मिल गया। सूखे पेड़ों पर तराश रहा था कला, प्रदर्शनी के लिए लकड़ी पर तराशी
गवर्नमेट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, कैंबाला में आर्ट टीचर के रूप में कार्यरत तुलसी राम प्रजापति का स्कल्प्चर सोच और सपनों में बंधे इंसान को दिखाता है। इसमें एक इंसान के स्कल्प्चर को बनाया गया है, फिर इसे एक तार से जकड़ा हुआ बनाया गया। तुलसी ने कहा कि उन्हें लकड़ी पर आर्ट वर्क तैयार करना पसंद है। इससे पहले चंडीगढ़ में स्थित सूखे पेड़ों पर उन्होंने अपने आर्ट वर्क तैयार किए। प्रदर्शनी के लिए खास तौर पर इस स्कल्प्चर को उन्होंने तैयार किया। दो पीढिय़ों के रिश्ते और दूरी को दिखाया है पेंटिंग में
गवर्नमेट मॉडल मिडिल स्कूल, मनीमाजरा में आर्ट टीचर भारती शर्मा ने पेंटिंग कैटेगरी में प्रथम स्थान हासिल किया। उनकी पेंटिंग दो पीढिय़ों के फर्क और रिश्ते को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पेंटिंग दरअसल उनकी मां और उनकी ही है, जिसमें वह दो पीढिय़ो को दिखा रही है, साथ ही दोनों के बीच समय के साथ आए बदलाव और बदलते रिश्ते को दिखाया है। पेंटिंग काफी बड़ी है, जिसे बनाने में करीबन एक महीने का समय लगा।
कार्यक्रम में उपस्थित चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भीम मल्होत्रा ने कहा कि 1978 में पढ़ाई के दौरान उनके आर्ट टीचर खुद उनके घर में आए उनके पिता से बोले कि इसे आर्ट में ही आगे बढ़ाना। उनके आग्रह पर ही पिता ने मुझे आर्ट में आगे पढ़ाई करने की इजाजत दी, इसी वजह से आज मैं बना हूं, ऐसे में कला से जुड़े शिक्षकों का ऐसा सम्मान करना जरूरी था। प्रदर्शनी 14 जुलाई तक चलेगी।

नदियों के किनारे होगी कलात्मक अभिव्यक्तियां

नदियों के किनारे होगी  कलात्मक अभिव्यक्तियां 
मूमल नेटवर्क, , गोरखपुर।
ज्यादा से ज्यादा लोगों को नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए संस्कार भारती कला व कलाकारों की मदद लेने जा रही है। इस योजना की शुरुआत प्रयाग महाकुम्भ से की जाएगी।
अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती नदियों के संरक्षण के लिए सांस्कृतिक एवं कलात्मक अभिव्यक्तियों से अभियान चलाएगी। संस्था के कलाकार नदियों के किनारे गायन, वादन के अलावा चित्रकला की प्रदर्शनी भी आयोजित करेंगे। यह निर्णय गोरक्ष प्रांत की साधारण सभा की बैठक में लिया गया।
राष्ट्रीय लोक कला के सह संयोजक गिरीश कहा कि नदियां भारत की सांस्कृतिक पहचान और विरासत हैं। पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की वजह से नदियां भी लगातार संकुचित हो रही हैं। इसलिए जरूरी है कि संस्कार भारती के सदस्य इस जिम्मेदारी को उठाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नदियों के संरक्षण के अभियान से जोड़ा जाए। संस्था के कलाकार इस अभियान को अपनी कलात्मक एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से पूर्ण करेंगे। संस्था की राष्ट्रीय इकाई ने कला के माध्यम से नदियों को बचाने के इस संकल्प की शुरूआत प्रयाग के महाकुंभ से करेगी। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में संस्कार भारती की विभिन्न इकाइयां अपनी कला और संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरेंगी। उन्होंने गोरक्ष प्रांत के कलाकारों से इस अभियान के लिए जुट जाने का आह्वान किया। उज्जैन से आए मध्य क्षेत्र प्रमुख श्रीपाद जोशी ने कहा कि संस्कार भारती कला के माध्यम से सामाजिक जन-जागरण का कार्य कर रही है। उन्होंने संगठन के विस्तार पर जोर दिया। काशी प्रांत के क्षेत्र प्रमुख सनातन दुबे ने सुझाव दिया कि कला की विभिन्न विधाओं को लेकर अलग-अलग बैठकें कर कर योजनाएं बनाएं। हर विधा के संयोजक अपनी टोली बनाएं, जिससे सृजनात्मकता और बढ़ेगी। तकरीबन 5 घंटे तक चली मैराथन बैठक में विभिन्न ईकाइयों के 100 से ज्यादा सदस्य बैठक में शामिल हुए। 

शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

जयपुर में इन्टरनेशनल आर्ट फेस्टिवल

इन्टरनेशनल आर्ट फेस्टिवल
22 से 24 अक्टूबर तक जयपुर में
कला प्रतिभाओं के लिए नया अवसर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर में कला मेलों के सीजन में इस बार कुछ नए आयोजन और जुडऩे वाले हैं।  इन्टरनेशनल आर्ट फेस्टिवल का नाम प्रमुखता से उभर रहा है। इस फेस्टिवल में नेशनल व इंटरनेशनल आर्टिस्टस के साथ युवा प्रतिभाओं को अपनी कला दिखने का अवसर मिलेगा। फेस्टिवल में बेहतरीन काम को प्रोत्साहित करने के लिए पांच हजार से एक लाख रुपए तक के नकद अवार्ड प्रदान किए जाने की बात कही जा रही है। फेस्टिवल में भाग लेने के लिए 3 हजार रुपए एन्ट्री फीस रखी गई है। इसके फार्म इसी सप्ताह उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मार्केट के गुर भी सिखाएंगे
आयोजन के लिए 22 से 24 अक्टूबर तक रवीन्द्र मंच की कला दीर्घाएं बुक की गई हैं। इसका आयोजन दिल्ली व मुंबई की हाईप्रोफाइल कलाकार व आर्ट प्रमोटर गीता दास कर रही हैं। आयोजकों के अनुसार फस्टिवल के दौरान मास्टर आर्टिस्ट लाइव डेमोस्ट्रेशन देंगे। इस दौरान वो रंग तकनीक व काम को बेहतरीन तरीके से करने के साथ मार्केट के गुर भी सिखाएंगे ताकि आर्टिस्ट अपनी कृतियों से जीवनयापन के लिए अच्छी आय की प्राप्ति कर सके। इस आयोजन का हिस्सा बनने के लिए जुलाई माह के अन्त तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। चयन कमेटी द्वारा प्राप्त आवेदनों में से श्रेष्ठ कृतियों को शो में शामिल करने के लिए चयन किया जाएगा। प्राप्त आवेदन को कई वर्गों  में बांटा गया है जिसमेंं पेंटिंग, स्कल्पचर्स, पॉटरी,वॉटर कलरवर्क, ड्राइंग, फोटोग्राफी, कैलीग्राफी, ट्रेडिशनल  आर्ट व फोक आर्ट  इत्यिादि शामिल हैं
कई नकद अवार्ड 
फेस्टिवल में भारत के कई प्रांतों के कलाकारों के साथ विदेशी आर्टिस्ट्स की कला देखने का अवसर मिलेगा। राजस्थान की ऐसी प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाएगा जिन्हेेंं किसी भी कारण से आज तक अपनी प्रतिभा को दुनियां के सामने लाने का अवसर नहीं मिल पाया है। किसी भी आयु वर्ग का आर्टिस्ट इस फेस्टिवल का हिस्सा बन सकता है। हालांकि आयोजन में आर्टिस्ट्स को दो कैटेगरीज  में बांटा गया है जूनियर 30  वर्र्ष तक की आयु वाले और सीनियर्स 30 वर्ष से अधिक की आयु वाले। प्रदर्शित होने वाले सभी कामों में से बेहतरीन कृतियों को प्रोत्साहित व सम्मानित करते हुए विभिन्न श्रेणियों में 5 हजार से लेकर एक लाख रुपए के कई नकद अवार्ड दिए जाएंगे। अवार्ड की राशि सीनियर्स व जूनियर्स के लिए एक समान होगी। आयोजन में राजस्थान की गांव ढाणियों में छुपी हुई प्रतिभाओं को विशेष अवसर दिया जाएगा। ऐसी प्रतिभाओं को विशेष रूप से पुरस्कृत  किया जाएगा जो टेक्निकली साउण्ड नहीं होने के बावजूद उपलब्ध सीमित संसाधनों से ही बेहतरीन कलाकृतियों का निर्माण करते हैं।
 देखें मूमल आर्ट न्यूज पोर्टल: 

गुरुवार, 5 जुलाई 2018

राजस्थान मे भाजपा को कलाजगत की नाराजगी से नुक्सान की आशंका

राजस्थान मे भाजपा को कलाजगत की

नाराजगी से नुक्सान की आशंका


मूमल नेटवर्क, जयपुर। प्रदेश में कला शिक्षा के मसले पर पहले से नाराज कलाकारों में अब ललित कला अकादमी द्वारा 'राजस्थान 147' की चयन प्रक्रिया मेें हुई धांधली के बाद कला जगत में उभरे जबरदस्त असंतोष के चलते अगले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इसका खमियाजा उठाना पड़ सकता है।
जानकारों का मानना है कि भाजपा की ओर से अकादमी में मनोनीत पदाधिकारियों की अनियमिताओ और मनमानी के चलते अराजकता का ऐसा माहौल कला जगत ने पहले कभी नहीं देखा गया। संगीत क्षेत्र से जुड़ेे सुरबहार वादन के ज्ञाता और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त अकादमी अध्यक्ष ललित कला से जुड़े कलाकारों का मिजाज भांपने और अपने अधिनस्त अधिकारियों पर आवश्यक अंकुश रखने में विफल साबित हुए। राजस्थान 147 जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों के चयन में हुई मनमानी पर उनका कोई नियंत्रण नजर नहीं आया। नतीजतन ऐसे-ऐसे कलाकारों का चयन हो गया, जिनकी कला कभी प्रदेश स्तर पर भी कोई पहचान स्थापित नहीं कर पाई है। दूसरी ओर कई जाने-पहचाने नाम चयन से वंचित रह गए।
इसके अलावा स्कूली बच्चों की कलाशिक्षा और कलाशिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर प्रदेश में चल रहे आंदोलन के प्रति प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण भी कला जगत में नाराजगी का वातावरण पहले से बना हुआ है। जानकार कहते हैं कि कलाकार का अर्थ केवल एक कलाकार नहीं वरन उसका पूरा परिवार उसके दर्द में शामिल होता है। कला क्षेत्र में विधिवत अध्ययन न करने वाले शौकिया कलाकार व कलाप्रेमी भी ऐसी अराजकता से प्रभावित होते हैँ। कलाशिक्षा के लिए आंदोलनरत कलाकारों का कहना है कि इस बार केवल कला जगत ही नहीं उन स्कूली बच्चों के अभिभावकों की नाराजगी भी सामने आ सकती है, जिनके बच्चों को उचित कलाशिक्षा नहीं मिल पा रही है। इस संबंध में जागरुकता अभियान को और तेज किया जा रहा है।

आज से थाईलैण्ड के कलाकारों को मिलेगा भारतीय कलाओं को प्रशिक्षण

आज से थाईलैण्ड के कलाकारों को मिलेगा 
भारतीय कलाओं को प्रशिक्षण
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। थाई सरकार की ओर से बैंकाक में संचालित ललित कला महाविद्यालय में दस दिवसीय कार्यशाला आज पांच जुलाई से प्रारम्भ हो गई। इस कार्यशाला के लिए अयोध्या शोध संस्थान की ओर से अलग-अलग शैलियों के पांच भारतीय कलाकारों का चयन किया गया है। इन कलाकारों में उत्तर प्रदेश के बुंदेली चितौरी शैली के स्थापित कलाकार रोहित विनायक, पश्चिम बंगाल की पेटुवा शैली के कलाकार नूरदीन, उड़ीसा पट्ट शैली के उडिय़ा कलाकार ब्रजेश्वर पटनायक, तमिलनाडु के तंजावुर शैली के कलाकार टी स्वामीनाथन व तेलंगाना की प्रसिद्ध चेरियार शैली के कलाकार डी. नागेश्वर नक्स शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की स्वायत्तशासी संस्था अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. वाईपी सिंह के अनुसार दोनों देशों के बीच रचनाकार शिविर के आयोजन के प्रस्ताव पर सहमति पहले ही हो गई थी। इसी आधार पर पिछले साल ही कार्यशाला का आयोजन होना था लेकिन थाईलैण्ड के राजा के निधन के बाद वहां पूरे वर्ष का शोक घोषित कर दिया गया जिसके कारण कार्यक्रम निरस्त हो गया। यह आयोजन भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद (आईसीसीआर)भारत सरकार के सहयोग से इन देशों के साथ सांस्कृतिक सम्बन्धों को मजबूत बनाने की दिशा में एक प्रयास है। 

बुधवार, 4 जुलाई 2018

Rajasthan-147 साहसी कलाकारों के खुले विचार व सुझाव

साहसी कलाकारों के खुले विचार व सुझाव
सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षा संबंधी आलेख के दूसरे भाग में उन कलाकारों के विचार उनके नाम सहित प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी हस्ती खुद बनाई है और उनका मानना है कि वे अकादमी की वैशाखियों के सहारे चलने के पक्षधर नहीं हैं। इसलिए किसी गुडबुक या बैडबुक की चिंता किए बिना उनके विचार के साथ उनका नाम बेखटके दिया जा सकता है। प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख प्रधिनिधि विचार व सुझावं...

प्रदेश के बाहर कार्यरत जाने-माने और व्यस्त कलाकार मोहन जांगीड़ ने समय निकाल कर मूमल को अपने दर्द से अवगत कराया। उन्होंने लिखा कि राजस्थान ललित कला अकादमी के युवा पदाधिकारियों को देखकर लगा था कि अब प्रदेश के कलाकारों का भला जरूर होगा। हालांकि मैं राजस्थान के बाहर काम कर रहा हूं और खुश हूं, लेकिन राजस्थान में पला-बढ़ा हूं, इसलिए वहां के आर्टवर्ड में इतनी अव्यवस्था के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। अकादमी का यह एक अच्छा कदम था, लेकिन चुनाव करते वक्त यह जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए था कि जिस तरह भारत की बात करने पर हुसैन, सूजा या रजा का नाम सबसे पहले सामने आता है वैसे ही राजस्थान की बात करने पर कुछ नाम बिना किसी विवाद के सामने आते है। दुख की बात है कि वह नाम व उनके काम नजर नहीं आए। आपके मूमल न्यूज से जन्मभूमि की खबर मिलती रहती है, इसलिए अपना यह दर्द आपसे शेयर कर रहा हूं।

राजनीति की दलदल से ऊपर बेबाक बोलने वाले वरिष्ठ डॉ. रघुनाथ शर्मा ने कहा कि, अकादमियों में मनमानी की दो ठोस वजह नजर आती हैं । पहले अध्यक्ष, सचिव आदि की नियुक्ति मनमाने ढंग से होना, लंबा समय बीत जाने पर नियुक्ति करना। हुक्मरान ने अपना एक शासकीय अंदाज़ बना रखा है। वो अपने इस अंदाज से अप्रत्यक्ष रूप से यह भी संदेश दे देते हैं कि कला - वला हमारी प्राथमिकता में दूर दूर तक नहीं है। इन्हीं के द्वारा तय होने वाले बड़े लोग कुछ तो उस अंदाज को आगे बढाएंगे ही दूसरा, कलाकार स्वयं, जो गुटबाजी के साथ मनमानी करने में भी अब माहिर हो गए हैं, जिस तरह से क्रिएटिविटी में आजादी के पक्षधर है उसी तरह जजिंग करने में, अकादमी की कई अन्य गतिविधियां करवाने में अपने आप को आजाद मानते हैं । न कोई नीति नियम, न वरिष्ठता का खयाल, न किसी की क्रियाशीलता का लिहाज......जैसे डंके की चोट पर कह रहे हो कि क्या कर लोगे हमारा? कुछ वरिष्ठ व पारंगत कलाकारों को चयन करके, भर लो अपने मनचाहे  लोग ।.....आप कुछ कहो तो सैकड़ों तर्क-कुतर्क व बहाने इनकी जुबान पर रहते हैं ।....और  वैसे हर जगह पर स्वयं को संवेदनशील कहलाना पसंद करते हैं ।

कला जगत में अपनी अलग पहचान बना चुके कलाकार नवल सिंह चौहान ने सभी चयनित कलाकारों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा है कि कलाकार होने के नाते कुछ बातें जहन में आ ही जाती हैं। जहाँगीर कला दीर्घा में चयनित कलाकारों की सूची थोड़ी और बड़ी हो सकती थी। सूची देखने पर लगा कि कुछ युवा व वरिष्ठ कलाकारों की अनदेखी की गई है। पक्षपात करना ठीक नही है।

पहली बात... चयन का कोई आधार होना चाहिए, नाम के बजाय काम देखकर चयन होना चाहिए। आवाज उठाना हमारा काम है क्योंकि सरकारी संस्थाओं में इस तरह नही चलेगा। कितने कलाकार आज नियमित रेखांकन करते हैं, जो कि सबसे ज्यादा जरूरी है। एक कलाकार को व्यंग्य चित्रण, व्यक्तिचित्रण, रियलस्टिक आर्ट, मॉडर्न आर्ट, सृजनात्मक होना ही चाहिए। चयनित कलाकार स्वयं को परखे, एक ही घिसी-पिटी शैली में बरसों से रंगों का अपमान किए जा रहे हैं।

दूसरी बात... अधिकांश चयनित वे हैं जिन्हें प्रदेश के ज्वलंत कला मुद्दों की पूरी जानकारी तक नहीं है। आपने राजस्थान में नन्हे कला विद्यार्थियों के लिए चल रहे कला आंदोलन को कितना समर्थन व सहयोग दिया? चयनित कलाकारों में से कुछ कलाकार ही इन बातों पर खरे उतर पाएँगे...

अकादमी सरकारी संस्था है। ऐसी मनमानी नहीं चल सकती, सरकार से शिकायत की जा सकती है। ललित कला अकादमी को इस तरह के चयन में पारदर्शिता रखनी होगी। कलाकारों के काम के चयन में उनकी सक्रियता के साथ ही काम का लेवल भी देखा जाना आवश्यक है। दु:ख तब होता है जब वर्षों कला क्षेत्र में काम करने वाले कलाकारों को अनदेखा कर दिया जाता हैं। उम्मीद है भविष्य में सब अच्छा होगा?

जाने-माने शिल्पी हंसराज कुमावत का कहना है कि अकादमी में चाहे कितना ही दूध का धुला इंसान बैठा हो, वो उसी को शामिल करेगा जो उसके खास शिष्य- शिष्याएं और मित्र, रिश्तेदार हो। यह तो बड़े शर्म की बात है कि सेलेक्शन कमेटी के वरिष्ठ सदस्यों ने ने अपना नाम सबसे पहले चुनते हुए उन कलाकारों को दरकिनार रखा जो एक सच्चे साधु की भाँति अपनी कला साधना में लीन हैं। और तो और 100 कलाकारों के सेलेक्शन के बाद 47 ऐसे नाम कहा से प्रकट हो गये जिनका इंडियन कंटेम्परेरी आर्ट में ना कोई खास रेकॉर्ड है और ना ही प्रदेश के कला जगत में उनका कोई योगदान रहा।

ऐसे में यह भी ज्ञात होना चाहिए कि कई ऐसे कलाकार भी हैं जिनको प्रदर्शनी के लिए न्यौता देकर वर्क मंगवाने के बाद भी अकादमी ने उन्हें वापस लौटा दिया। ऐसी शर्मनाक परिस्थितियों के चलते कुछ अनुभवी कलाकारों ने तो अकादमी द्वारा काम मांगे जाने पर साफ  इंकार ही कर दिया, कई कलाकार ऐसे जंजाल से दूर ही अपनी कला साधना में व्यस्त है। राजस्थान ललित कला अकादमी में सटीक रणनीति, पारदर्शिता और एक्सपीरिएंस का अभाव साफ नजर आ रहा है। कलामेल से अब तक घूम फिर के एक ही चहेते चेहरे और कुछ एक ही नाम नजर आ रहे है।

राजस्थान ललित कला अकादमी ने कुछ नया करने के नाम पर कई क्राफ्टमैन और हॉबी कलाकारों को जगह दी। यह अकादमी कलाकारों की है, किसी की बपौती नहीं है। अगर अब भी कलाकारों के प्रति पारदर्शिता नहीं रहीं तो आर टी आई लगाकर जानकारियां लेनी होंगी। शुक्रिया मूमल आपके अखबार में कलाजगत की गतिविधियोंं का सटीक निचोड़ पढऩे को मिलता है, इसमें हमेशा से ही कलाकारों के हित में आवाज उठाई है। जिससे आर्ट पॉलिटिशिएंस और अकादमी सिस्टम कंट्रोल में रहता है।

युवा कलाकार मयंक शर्मा का कहना है कि इस प्रदशनी के लिए कलाकारों को चुनने का कोई आधार नही था। जहाँ एक ओर कलाविद जैसे कलाकार हैं वही ऐसे भी कलाकार चुने गए है जिनको शौकिया कलाकार कह सकते हे जिनको कभी स्टूडेंट अवार्ड भी नही मिला। कलाकारों का चयन ऐसी कमीटी ने किया जिनको कला के बारे में कुछ नही पता पर वो अधिकारी होने के नाते ये हक़ रखते है।

आप कलाकारों की सूचि देखेंगे तो शायद आपको भी आश्चर्य होगा। उदयपुर के एक वरिष्ठ कलाकार का नाम तो दूसरे कलाकारों को बताना पड़ा की ये तो वरिष्ठ कलाकारों में से हे तब उनका चयन किया गया।

जिस प्रकार प्रदर्शनी के कलाकारों की सूचि जारी नही की, उसे आखरी क्षण तक छपाए रखा वैसे ही अकादमी कई कैंप का आयोजन भी करवाती है पर किसी को कानोकान खबर नही होती। जिससे इनके द्वारा चयनित कलाकार जो लगभग सभी कैंप में सामान होते है उनका पता दुसरो को न चले और न कोई विरोध हो। निष्कर्ष यह निकलता है कि, अकादमी अपना काम निर्विरोध कर रही है क्योंकि Óयादातर काम वो गुप्त रूप से करती है।

हितेन्द्र सिंह भाटी ने मूमल को लिखा कि राजस्थान ललित कला अकादमी हम जैसे कलाकारों के साथ हमेशा सौतेला  व्यवहार करती हैं... बारह सोलो शो, जिनमें जहाँगीर आर्ट गैलरी में दो सोलो शामिल हैं... पिछले बीस साल से कला जगत में 'निरंतर कार्यरत हूँ...आइफेक्स  और कैमलिन जैसे अवॉड्र्स पाएं है... देश के नामी कला संग्रहको के पास मेरी पेंटिंग्स है... माना कि ये सब कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, लेकिन जहाँगीर आर्ट गैलरी मे अकादमी की तरफ  से प्रदर्शित होने वाले इन 147 कलाकारों की लिस्ट में मुझे लगता है मेरा नाम भी होना चाहिए था। आखिर क्यों नहीं है?, जब इस लिस्ट में 20 शौकिया कलाकार हैं और 10 ऐसे, जिनका ब्रश बरसों से सूखा पड़ा है...

माना कि आर्टिस्ट को खुद अपने लिए ऐसे नहीं कहना चाहिए... लेकिन क्यों नहीं कहें... मैं सिर्फ  अपनी बात नहीं कर रहा, राजस्थान से ऐसे कई आर्टिस्ट है, जो इन 147 मे शामिल अनेक कलाकारों से कहीं अधिक बेहतर और निरंतर काम कर रहे हैं। जब अकादमी पूरे राजस्थान की कला को रिप्रजेंट करने जा रही हो तो जिम्मेदारी और बड़ी हो जाती है... सेलेक्शन संवेदनशील होना चाहिए... फेयर होना चाहिए... पारदर्शी होना चाहिए...। यह कोई आत्मश्लाघा नहीं है... ना ही कोई क्षोभ है... सिफऱ्  एक कलाकार की विडंबना है... पीड़ा है...। उल्लेखनीय भाटी ने बाद में अपनी यही बात खुले पत्र के रूप में कला जगत के समक्ष भी रखी।

वीरेन्द्र दायमा ने तेल और तेल की धार देखते के बावजूद साहसपूर्वक कहा कि जो बोलेगा उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जावेगा, इसी कारण से कोई बोलता नही है। जिसका चयन हुआ वो बोलेगा नही जिसका नहीं हुआ वो इन उम्मीद में नहीं बोलेगा की कहीं ब्लैक लिस्ट नहीं हो जांउ। पेंटिग के पीछे नाम देखकर,सगे संबंधी और अपने गुट के कलाकार का चयन करने की परम्परा बनाये रखने में हम ही जिम्मेदार है । कुछ कु-कलाकार अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर उच्च पद पर विराजित है और अंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त कलाकार उनके पीछे-पीछे चल रहे हैं। कुछ सम्मानित कलाकारों को छोड़कर सभी चयनित कलाकार और चयन करने वाले समय के साथ पाला बदलने वाले और चाटुकारिता की हदें को पार करने वाले है। कई वर्षों से कला क्षेत्र में यही चलता आ रहा है और शायद यही चलेगा।

रेणु बरिवाल ने लिखा, मैने राजस्थान ललित कला अकादमी से किसी भी तरह की आशा छोड़ दी है। मैं अपना काम कर रही हूं क्योंकि यह मेरे लिए जुनून है। मुझे अकादमियों से कुछ भी उम्मीद नहीं है, क्योंकि एक संगठन एक समय में सभी को संतुष्ट नहीं कर सकता है। मुझे पता है कि राजनीति ऐसे संगठनों का हिस्सा है, लेकिन हां यह भी सच है कि वे एक बदलाव ला सकते हैं ... लेकिन कौन परवाह करता है। यही कारण है कि आज भी न केवल राजस्थान बल्कि राष्ट्रीय अकादमी कलाकारों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। तो दोस्तों ... कोई उम्मीद मत करो ...।

निर्मल यादव के अनुसार सब का साथ .....और आपका माध्य्म, हमें साहसी बनाता है और अब भी साहस नहीं करेंगे तो कब करेंगे? आने वाले युवा कलाकर इसी लकीर के फ़क़ीर होते चले जाएंगे। यह कला में भृष्टाचार ही तो है। कहाँ तो यह आनंद देने वाला, भाव विभोर करने वाला अपनी कल्पनाओं को आकर देने वाला माध्यम कला अब बाजारू, और अकादमी अब बंदरबांट का अड्डा हो गयी है। यह देखने वाली बात है, राजस्थान राज्य जो अपनी पौराणिक शैली (मिनीचर आर्ट) के लिए विश्व विख्यात है उसे इतना ज्यादा महत्व नहीं दिया गया उदयपुर से राजाराम जी की की कृति को को ही लगाया गया। एक ही नाम होने से थोड़ी मिस्टेक हो गई। कुल मिला के उदयपुर में कोई भी मिनिचर आर्टिस्ट भी नहीं दिखा अकादमी को। सभी कलाकारों को बहुत बहुत बधाई।

गीतांजलि वर्मा ने राजस्थान 147 का कैटलॉग शेयर करने के लिए मूमल को धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरा कैटलॉग देखने पर बउ़ी खुशी हुई कि, कुछ कलाकारों के काम राजस्थान को बहुत अच्छे से रिप्रेजेंट कर रहे हैं। जिनके नाम सलेक्ट किए जाने पर किसी को कोई संशय नहीं होगा। क्योंकि यह राजस्थान के प्रथम श्रेणी के कलाकार रहे हैं। किन्तु कुछ कलाकार जिन्हें अब तक कला की पहचान भी नहीं हुई है। जिन्होंने एकेडमिक वर्क की परिभाषा ही बदल दी। जो दूसरे कलाकारों के वर्क की कॉपी करके ही तारीफ  पाते रहे हैं, उनको भी राजस्थान के प्रमुख कलाकारों में शामिल कर लिया गया। इस बात से बड़ा अफसोस हुआ। ...और इससे भी दुखद बात यह है कि राजस्थान के वो कलाकार जो कलाविद् हैं, और जो कलाकार वाकई कला के मर्म को समझते हैं, उनके काम को ऐसे कलाकारों के काम के साथ प्रदर्शित किया।

क्या ललित कला अकादमी इसके लिए जिम्मेदार नहीं कि जब राजस्थान को रिप्रजेंट करना था तो क्यों नहीं ईमानदारी से श्रेष्ठ कलाकारों को चयनित किया गया? क्या इस कला प्रदर्शनी का उद्देश्य मात्र भीड़ इक्कठी करना था या कि राजस्थान का नाम बढ़ाना? क्या चयन समिति इतनी अनजान और गैरजिम्मेदार थी कि उन्हें यह भी ज्ञात नहीं रहा कि यह प्रदर्शनी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान की क्या छवि बनाएगी? जिन कलाकारों का इस एग्जीबिशन के लिए चयन नहीं हुआ, उनके काम की समीक्षा तो वो करते हैं, किन्तु क्या कभी राजस्थान ललित कला अकादमी अपने कार्यों की समीक्षा करके संतुष्ट हो पाती है, या उसकी कोई जवाबदेही भी बनती है?

कुलदीप भार्गव कहते हैं, राज्य के कई एक से बढ़कर एक कलाकार वंचित रह गए। यही तो इस देश की खूबी है हर जगह भाई भतीजावाद चल रहा है। प्रतिभाओं की कोई कद्र नहीं है। भले ही काम के नाम पर कुछ भी न हो, फिर भी भाईबंदों का चयन पक्का होता है। एक बात कहना चाहूँगा, जब गुरु ही द्रोणाचार्य हों तो अर्जुन ही आगे बढ़ेगा एकलव्य तो गुमनामियों में ही खोकर रहना है।

दिलीप कुमार डामोर का मानना है कि अकादमी को चयन का क्राइट एरिया भी रखना चाहिए था। उसी से कई अयोग्य लोग लिस्ट से बाहर हो जाते। वैसे राजनीति ने कला, संस्कृति, कलाकार, राजस्थान, समृद्ध भारत व विश्व को खोखला करने मे कोई कसर नहीं छोड़ रखी हैं और सदियों से भी यही किया है... अकादमी में भी दमदार व लायक कलाकारों  नजरअंदाज कर दिया है...। अब भी समय रहते सुधारने की जरूरत है...।

दुर्गेश अटल कहते हैं, अब ललित कला अकादमी से कभी कोई उम्मीद नहीं रही। बाकी किस आधार पर सलेक्शन हुआ है सबको पता है ? कलाकार की मेहनत और उसकी कला ही उसको पहचान दिलाती है । ललित कला अकादमी के अधिकारी कितना भी करें वह ऐसे किसी को कलाकार नहीं बना सकते।

हर्षित वैष्णव ने लिखा, मुझे तो समझ नहीं आया किस आधार पर कलाकारों का चयन किया गया है? उनकी कृति के आधार पर या उन की उपलब्धियों के आधार पर। दोनों स्थिति में कई गलतियां हुई हैं। कई कलाकार थे, जिनका नाम होना चाहिए, जिनके उत्कृष्ट कार्य भी हैं और उपलब्धियां भी। जबकि, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं फिर भी वे इस प्रदर्शनी का हिस्सा बने।

कमल बक्क्षी कहते हैं वर्षों से कला के लिए समर्पित वरिष्ठ कलाकारों की अनदेखी की गई है। जिन लोगों का कला से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा उनका चयन किस आधार पर किया गया? यह शर्मनाक है।

कब्बू राठौड़ का विचार है कि जब संगीत क्षेत्र के लोग ही ललित कला के बॉस बन गए तो उम्मीद क्या करें? इसका मुझे व अन्य वरिष्ठ चित्रकारों को खेद है। ललित कला अकादमी को अपनी छवि सुधारनी होगी।

मनोज कुमार यादव के मुताबिक यदि आपका गॉड फ़ादर नहीं है तो आप न तो पारम्परिक न आधुनिक... आप अव्वल कलाकार हो ही नहीं। किसी कोने में बैठकर कूँची चलाते रहिये कोई नहीं पूछेगा ।

डॉ. रीता प्रताप का कहना है कि, अकादमी में आज भी मनमानी चल रही है। ....पेंटिंग इंटरनेशनल, नेशनल, स्टेट सभी में सलेक्शन हुआ है। पर एक्जीबिशन में इंवायट नहीं किया गया।

त्रिलोक श्रीमाली का मानना है कि अकादमी स्तर का प्रदर्शन नहीं हो पाया एवं चयन प्रक्रिया में भी वही पुरानी लिस्ट। कुछ हटकर चयन एवं प्रदर्शन की आवश्यकता है।

रवि माइकल ने कला मेला पुरस्कार विवाद के बाद अकादमी के आयोजन को ले कर एक और विवाद पर अपनी चिंता व्यक्त की।

परमेश्वर आर्टिस्ट ने कहा, हर जगह कला के नाम पर खेल खेला जा रहा है।

अक्षय मुदगल ने कहा, न्यू टैलेंट को ज्यादा से ज्यादा मौका देना चाहिए। एक बार से ज्यादा किसी का वर्क सलेक्ट नहीं होना चाहिए। और चयनित काम का कैटलॉग सोशल साइट पर अपलोड होना चाहिए।

लाखन सिंह जाट का मानना है कि भाई भतीजावाद और यारी दोस्ती के आधार पर चयन हुआ है।

देवराज बैरवा का मानना है कि वैसे तो पब्लिक सब जानती है..... पर मैं नहीं जानता कि पेंटिंग सिलेक्ट करवाने के लिए किसके पास जाएं...... ओह आर्ट पॉलिटिक्स।

डीके आजाद ने बस इतना ही कहा कि राजनीतिक रूप से प्रेरित ऐसी कला प्रदर्शनी भाड़ में जाए।

सोमवार, 2 जुलाई 2018

Rajasthan-147 सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षा-1


राजस्थान - 147 
 सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षा-1 
अकादमी की ओर से मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित राजस्थान के कलाकारों के चित्रों की प्रदर्शनी को लेकर मूमल को हमेशा की तरह बहुत बड़ी मात्रा में प्रतिक्रियाएं और समीक्षाएं प्राप्त हुई। सभी का आभार। अकादमी में व्याप्त अराजकता से भरे बैठे कलाकारों ने इतने खुलकर अपनी बात रखी कि मूमल को कलाकारों की आवाज बनाए रखने के लिए हमें कमोबेश सभी को शामिल करना जरूरी लगा। ऐसे में आलेख इतना लम्बा हो गया कि उसे दो-तीन भागों में विभाजित करना पड़ा। यहां वह क्रम से प्रस्तुत है।
कुछ नया करने के नाम पर 
कलाकारों द्वारा जो बात सर्वाधिक नोट की गई वह थी कि कुछ डिजायनर कलाकारों द्वारा कुछ नया करने के नाम पर सरकार के खजाने से खुद पाने और अपनों को रेवडियां बांटने के लिए इतना बड़ा आयोजन डिजाइन किया गया। चयन का कोई ठोस आधार नहीं रखा गया। जो आधार रखा गया वह अंत तक गुप्त रहा। अधिकतर कलाकारों को इस कार्यक्रम के संबंध में अकादमी की ओर से कोई गंध तक नहीं लगने दी गई। निष्पक्षता व पारदर्शिता का नितांत अभाव रहा। जानकार कलाकारों का कहना है कि अकादमी के इतिहास में किसी आयोजन में इतनी गोपनीयता और मठाधीशों की ऐसी मनमानी पहले कभी नहीं देखी गई।
 निर्भीक रिपोर्टिंग और बेबाक प्रतिक्रियाएं
मूमल को इस संबंध में आयोजन और इसके लिए चयनित कलाकारों की सूची जगजाहिर होने के बाद से प्रतिदिन अनेकानेक साहसी और निर्भीक कलाकारों की बेबाक प्रतिक्रियाएं प्राप्त होती रहीं। गुस्से और क्रोध में कुछ लोगों ने कुछ ज्यादा भी कह दिया, उन्हें नजरअंदाज भी किया जाए तो सीधी-सट्ट कहने वालों के विचारों को समेटना भी हमारे लिए मेहनत भरा काम रहा। इसी के साथ उन विचारवान कलाकारों की संख्या भी अच्छी खासी रही, जिन्होंने मूमल की निर्भीक रिपोर्टिंग के जरिए हालात का पूरा जायजा लिया, लेकिन कहीं भी अपनी उपस्थिति जाहिर होने से खुद को बचाए रखा। इनमें वे भोले कलाकार भी शामिल हैं जिन्हें इस चरम पक्षपात के बावजूद कुछ खरचन पाने की उम्मीद में अकादमी की गुडबुक में बने रहने में फायदा नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि, यह बातें भी हमें कलजगत की रग-रग जानने वाले कलाकारों के माध्यम से ही पता चली हैं। उनका कहना है कि ऐसे कुछ कलाकार दुनियां का सबसे मुश्किल काम करते हैं जो केवल अपने काम से काम रखते हैं।
ऐसे में हमने विचार किया कि केवल सच्चे मन से प्रतिक्रया व्यक्त करने या कुटिलता से अपने विचार दबा लेने वालों के आधार पर अकादमी की कार्यप्रणाली के विरोधी या समर्थक के रूप में किसी की पहचान कामय  ना हो जाए। इसलिए हम नामों को उल्लेख नही करते हुए खुलकर विचार रखने वाले कलाकारों की बातों का लब्बोलुआव यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। सदैव सुझाव लेने को तत्पर अकादमी के कर्णधार चाहें तो इसकी सहायता से अपनी भावी कार्ययोजना तैयार कर सकते हैं।
 चयन का आधार क्या था?
लिस्ट का पता चलने के बाद सबसे अहम सवाल जो उठा वह यह कि चयन का आधार क्या था? अगर आधार सीनियरिटी को बनाया गया था तो राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकांश नाम प्रदर्शनी से गायब थे। यह बात तो अब अकादमी के कर्त्ता -धर्ता ही बता सकते हैं कि उन नामों को आमन्त्रित किया भी था या नहीं। यदि आमन्त्रित किये गए थे तो क्या उन दिग्गज नामों ने इस शो में शामिल होना स्वीकार नहीं किया? यदि चयन का आधार उभरती प्रतिभाओं और जूनियर कलाकारों को प्रोत्साहन देना था तो प्रदर्शनी की लिस्ट में सीनियर कलाकारों की उपस्थिति फिर सवालों के घेरे में आ जाती है।
शहरों के प्रतिनिधित्व की बात करें तो लिस्ट में सर्वाधिक कलाकार जयपुर के शामिल किए गए हैं। इसके बावजूद जयपुर के  कई बड़े दिग्गज लिस्ट में नजर नहीं आ रहे।  इसके बाद उदयपुर का नम्बर है और वहां भी यही हाल है। व अजमेर के। अन्य शहरों के नाम तो मात्र राई-रत्ती भर जैसे ही हैं। शहरों के प्रतिनिधित्व  की बात करें तो पहचाने जाने वाले दिग्गजों के नाम का अभाव साफ  नजर आ रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि प्रदर्शनी में शामिल कुछ नाम ऐसे हैं जिनका कला से वास्तविक वास्ता ही नहीं हैं। कुछ ऐसे नाम भी जिनकी कूंचियों के रंग बीतते समय के साथ लगभग सूख चुके हैं।
चयन के आधार पर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि, राजस्थान का कलाकार आखिरकार माना किसे गया है? जिनकी जन्मस्थली कोई अन्य राज्य रहा, लेकिन कर्मस्थली राजस्थान बना या फिर जिनका जन्म भर राजस्थान में हुआ, लेकिन बरसों से जिनका कलाकर्म अन्य राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहा है?
अब बात करेंगे महिला प्रतिनिधित्व की तो कुल 147 कलाकारों की लिस्ट में केवल 26 महिला कलाकारों को ही शामिल किया गया। शेष अनेक योग्य व वरिष्ठ तुलिकाओं तक अकादमी की नजर नहीं पहुंच पाई। यही स्थिति युवा उभरती प्रतिभाओं के साथ रही।
गुटबाजी खुलकर सामने आई
जानकारों की माने तो इस लिस्ट से कला जगत की गुटबाजी खुलकर सामने आई है। नए गुटों का वर्चस्व नजर आ रहा है और पुराने दिग्गज गुट सिरे से नदारद हैं। लिस्ट यह भी बता रही है कि, जहां एक और नई और वास्तविक प्रतिभाओं तक प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए निमन्त्रण पहुंचाने की जहमत तक नहीं उठायी गई वहीं दूसरी ओर एक ही परिवार के दो-दो, तीन-तीन नामों को शामिल किया गया। यह तो थे उन कलाकारों के विचार जिनका नाम जाहिर किए बिना उनके विचार आपके सामने रखे गए।
आलेख के दूसरे भाग में उन कलाकारों के विचार उनके नाम सहित प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी हस्ती खुद बनाई है और उनका मानना है कि वे अकादमी की बैसाखियों के सहारे चलने के पक्षधर नहीं हैं। इसलिए गुडबुक या बैडबुक की चिंता किए बिना उनके विचार के साथ उनका नाम बेखटके दिया जा सकता है। इनके विचार क्रमश.... अगले आलेख में।