बुधवार, 15 मई 2013

SEBI की सख्ती ओसियान आर्ट फंड पर

मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। सेबी ने एक और कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम पर अपना डंडा चलाया है। सेबी ने ओशियान कोनोशियर ऑफ  आर्ट के खिलाफ  ऑर्डर जारी कर इसे बंद करने के लिए कहा है। सेबी ने कम्पनी को सभी निवशकों का पैसा ब्याज सहित पैसे लौटाने का आदेश भी दिया है।
सेबी के मुताबिक कंपनी ने इस स्कीम के लिए इजाजत नहीं ली थी। सेबी ने कंपनी को निवेशकों का पैसा 3 महीने के अंदर पैसा लौटाने को कहा है। इसके लिए मुनाफे में हिस्सा या 10 फीसदी ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया गया है।
दरअसल ओसियान कनोशियर ऑफ  आर्ट कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) के तहत पैसा जमा करती थी। कंपनी आर्ट या पेंटिंग्स में निवेश करने का दावा करती थी और 10 लाख रुपए से निवेश शुरू होता था। ओसियान कनोशियर ऑफ आर्ट ने 656 निवेशकों से 102 करोड़ रुपये जुटाए थे।
ओसियान कनोशियर ऑफ  आर्ट की कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम 2006 में शुरू हुई थी जिसे जुलाई 2009 में खत्म होना था, लेकिन  स्कीम की मैच्योरिटी के लिए कम्पनी समय-समय वक्त आगे बढ़ाती रही। साथ ही मैच्योरिटी पर निवेशकों को कोई लाभ नहीं हुआ।

आर्ट फंडों के लिए नियम कानून बदलेगा सेबी
मुंबई से मूमल की समाचार स्रोत वंदना के अनुसार प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पिछले पांस सालों से आर्ट फंड  पर अपने प्रस्तावित प्रावधानों पर कुछ सुधार करने की कवायत कर रहा है।
इस प्रस्तावित संशोधन में सभी आर्ट फंड को एकमुश्त अनुमति देने के स्थान पर केस-टू-केस बेसिस के आधार पर अनुमति देने पर सेबी विचार कर सकता है। फरवरी 2008 में सेबी ने कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम के रूप में परिचालन कर रहे आर्ट फंड को पंजीकरण के लिए बुलाया था।

सेबी कानून की धारा 12(आईबी) के अनुसार बिना सेबी से पंजीकरण का सर्टिफिकेट प्राप्त किए कोई भी व्यक्ति न तो कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम जारी कर सकते हैं और न ही इनके जारी करने का जरिया बन सकते हैं। सेबी ने यात्रा, ओसियान और क्रेयान आर्ट फंडों को पंजीकरण के प्रावधानों का पालन न करने के लिए पहले भी नोटिस जारी किया है।

इनमें से कई फंडों ने कहा कि वे पहचान योग्य और कुछ चयनित लोगों के लाभ के लिए बनाए गए ट्रस्ट हैं और ये सामान्य जनता से पूंजी इकठ्ठा नहीं कर रहे हैं। सेबी द्वारा इस मामले पर जल्द ही कोई फैसला करने की उम्मीद है। अपने परिचालन की प्रकृति की वजह आर्ट फंडों ने सेबी का ध्यान आकर्षित किया था। ये फंड अपने पोर्टफोलियो को डिस्क्लोज नहीं करते हैं।

इस माहौल मे सेबी कुछ सख्त पाबंदियों पर विचार कर रहा है। एक मामले की एक अपीलकर्ता कंपनी से जुडे हुए वकील का कहना है कि सेबी ने इस तथ्य से इंकार किया है कि ये फंड किसी भी प्रकार एक निश्चित समूह को लाभ पहुंचाने वाले ट्रस्ट हैं। उसे आर्ट फंड को अपने समीक्षा के अधीन लाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।

वैश्विक बाजार में चल रहे उतार-चढ़ावों की वजह से कुछ आर्ट फंडों ने अपनी लांचिंग को टाल दिया है। जब आर्ट फंडों की तेजी से लांचिंग हो रही थी तब देश में आर्ट का संगठित बाजार 800 करोड़ रुपयों का था और यह सालाना 30 फीसदी की रफ्तार से बढऩे के दावे किए जा रहे थे। विशेषज्ञों के अनुसार एबीएन एमरो, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक आर्ट एडवायजरी ऑफर करके आर्ट वर्क के चयन करने और खरीदने के बारे में सलाह दी जाती थी।


आर्ट फंड की अधिक जानकारी के लिए देखें http://moomalgaliyara.blogspot.in

बुधवार, 8 मई 2013

VARMA & BHAVSAR को कलाविद सम्मान

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के जिम्मेदार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सन् 2012 के कलाविद सम्मान हेतु कन्हैयालाल वर्मा और डॉ. वीरबाला भावसार को चुन लिया गया है।
लगभग सोलह वष बाद दिए जाने वाले इस सम्मान के लिए कलाकारों को पुररूकार राशि के रूप में 51-51000 रुपए प्रदान किए जाएंगे। पिछले दिनों अकादमी अध्यक्ष ने इस पुरस्कार राशि के लिए एक लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की थी। पिछले माह अकादमी कार्यालय में हुई बोर्ड की मीटिंग में पांच नाम कलाविद सम्मान के लिए प्रस्तावित किए गए थे। उसी मीटिंग में सर्वसम्मति से कन्हैयालाल वर्मा और डॉ. वीरबाला भावसार के नामों को मुजूर किया गया था। गौरतलब है कि अकादमी के वर्तमान हाउस के ये दोनों कलाकार सम्माननीय सदस्य हैं और उस मीटिंग में भी उपस्थित थे। इधर अकादमी अध्यक्ष क्षरा इन घोषित हो चुके नामों को गुप्त रखने के कारण इसकी अधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं की गई ।
कन्हैयालाल वर्मा


लघु शैली चित्रण के जान-पहचाने हस्ताक्षर कन्हैयालाल वर्मा का जन्म 7 मार्च 1943 में हुआ। लघु शैली में होने के बावजूद भी उनके चित्रों में नवीनता रहती है। वे अपने चित्रण में इतिहास में बन चुके चित्रों के दोहराव की प्रवृति नहीं रखते। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार राजस्थान सरकार द्वारा दिए जाने वाले राज्य स्तरीय पुरस्कार पाने की दौड़ में वो कभी शामिल नहीं हुए। उनका कहना है कि जब मुझे पता चला कि वहां कभी इतिहास में बनी हुई पेंटिंग्स की नकल को ही प्रमुखता दी जाती है तो मैने इन पुरस्कारों के बारे में सोचना भी ठीक नहीं समझा।
कन्हैयालाल वर्मा जी को राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा ऑल इण्डिया अवार्ड ़771 में तथा अकादमी के स्टेट अवार्ड सन् 1974, 75, 77, 82 व 84 में प्राप्त हुए। उन्हें कालीदास अकादमी, उज्जैन द्वारा चार बार और दिल्ली के आईफेक्स पुरस्कार के साथ कई सम्मान व पुरस्कार मिल चुके हैं।
वीरबाला भावसार

वीरबाला भावसार का जन्म 10 अक्टूबर 1941 को हुआ। अन्होने बरसों तक राजस्थान विश्वविद्यालय के ड्राइंग एण्ड पेंटिंग विभाग में प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दीं । इसी विभाग से वो विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत हुईं। पोट्रेट इनका प्रिय विषय है। शुरूआत में कैनवास पर ऑयल कलर इनके सृजन का माध्यम रहा। सन् 1965 से वो कैनवास पर ब्रश और रंग के स्थान पर रेत को अपना माध्यम बना प्रयोग करने लगीं। रेत से बने हुए इनके बोलते हुए चित्र किसी रंगीन पेंटिंग सा ही आभास देते हैं।
इन्हें राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 1992 में ऑल इण्डिया अवार्ड, 1982 में ललित कला अकादमी का स्टेट अवार्ड, 1987 में उज्जैन से कालीदास अवार्ड के साथ कई अवार्ड व सम्मान मिल चुके हैं।