शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

कला बाजार में उम्मीद भरा उत्साह

चार साल की मंदी के बादल छंटे
कला व्यापारियों की नजर से देखा जाए तो 'ग्रेट वर्क' की बाजार में कमी है, जो कुछ निजी संग्राहकों और म्यूजियम से ही खरीदे जा सकते हैं। इन ग्रेट वर्क की कीमतों में आए उछाल को देखते हुए निवेश की दृष्टि से कई नए कला खरीददारों की संख्या बढ़ी है, जो कला बाजार के लिए अच्छे संकेत हैं।

 वर्ष 2014 भारतीय कला बाजार के लिए बहुत बेहतर होने की उम्मीद लेकर आया है। 2013 के अन्त में क्रिस्टीज द्वारा की गई गोयतोंडे की पेंटिंग की ऊंची कीमत की खरीद ने कला बाजार के 2014 के दरवाजे पर आशा और विश्वास भरी दस्तक दी है। वर्ष की शुराआत में ही भारतीय कला नीलामी घर सैफरोन द्वारा किए गए बिजनेस ने इसे पुख्ता बनाया है। कलाकारों, कला व्यापारियों व कला संग्राहकों के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा बीतेगा, यह उम्मीद की जा सकती है। इस उम्मीद को लेकर कई नीलामी घरों और कला दीर्घाओं ने खरीद-फरोख्त व नीलामी की योजनाएं तक बना डाली हैं।
फरवरी मध्य की बात करें तो सैफरोन आर्ट ने 30.32 करोड़ रुपए मूल्य की कृतियां बेची है। उसमें 5.75 करोड़ रुपए तो केवल एस.एन. रजा की अकेली उस कृति को मिले थे जो उन्होने 1951 में पेपर पर बनाई थी। किसी पेपर पर बनाई गई भारतीय कलाकार की यह सबसे महंगी कृति के रूप में बिकी।
सैफरोन के फाउण्डर दिनेश वजीरानी के अनुसार रजा की इस कृति को खरीदने के लिए ऑनलाईन और फोन पर लगभग 200 कला संग्रहकों ने सम्पर्क किया था। इस खरीद ने कला बाजार में तेजी के वापस लौटने को स्पष्ट किया है। इसी सोच को सामने रखते हुए सैफरोन ने लगभग चार प्रत्यक्ष बिक्री आयोजनो और लगभग 12 ऑनलाईन बिक्री आयोजनो की योजना बना ली है। जो इसी वर्ष में क्रमवार आयोजित किए जाएंगे।
वैसे कला व्यापारियों की नजर से देखा जाए तो 'ग्रेट वर्क' की बाजार में कमी है, जो कुछ निजी संग्राहकों और म्यूजियम से ही खरीदे जा सकते हैं। इन ग्रेट वर्क की कीमतों में आए उछाल को देखते हुए निवेश की दृष्टि से कई नए कला खरीददारों की संख्या बढ़ी है, जो कला बाजार के लिए अच्छे संकेत हैं।
निवेशकों की बढ़त को देखते हुए कला व्यापारी रीयल एस्टेट की तर्ज पर एंटिक वस्तुओं जैसे पुरानी कारों और चीनी मिट्टी व टेराकोटा के पुराने बर्तनों के साथ अन्य वस्तुओं को बेचने का भी प्लान बना रहे हैं।
फरवरी की बिक्री
सैफरोन ने 5.37 करोड़ रुपए की 70 समकालीन कृतियां बेची गई। इसमें प्रमुख रूप से जी.रवीन्द्र रेड्डी, ठकुराल व टागरा, शिब्बू नेटेसन, जितिश कालट व अंजू डोडिया की कृतियां शामिल हैं। प्रति कृति की बात करें तो 24 लाख से 96 लाख की कृति बिकी।
30.32 करोड़ रुपए की 68 मॉडर्न कलाकृतियां बिकीं। जो इनकी लगाई गई अनुमानित कीमत 23.14 करोड़ रुपए से काफी ज्यादा प्राप्त हुई। इसमें पांच श्रेष्ठ कार्य एस.एच. रजा, एफ.एन. सूजा, राम कुमार और कृष्ण खन्ना के थे। इसमें प्रति कृति कीमत की बात करें तो 1.02 से लेकर 5.75 करोड़ रुपए की कीमत प्राप्त हुई।
सैफरोन के साथ अन्य कला व्यापारियों का यही मानना है कि चार साल की लगातार रही मंदी ने उन्हें तोड़ कर रख दिया था लेकिन वर्ष की अच्छी शुरुआत ने फिर जान फंूकने का काम किया है।
मुबई का एक और नीलामी घर भी मार्च में 91 कलाकृतियां नीलाम करने की तैयारी कर रहा है, उसमें तैयब मेहता, एम.एफ. हुसैन और अमृता शेरगिल जैसे कलाकारों की कृतियां शामिल होंगी।
-गायत्री

 सम्पादकीय...
कचरे से अटता कला बाजार...
कला का मूल रहा है, साधना। जैसे सोना भट्टी में तप-तप कर निखरता है, ठीक वैसे ही कला में निखार भी निरन्तर अभ्यास और साधना से ही संभव हो पाता है। कला के शिखर पर जिन बड़े कलाकारों का नाम गुंजित हो रहा है, वो इसी कला-साधना का ही प्रतिफल हैं।
कहते हैं, शिखर हमेशा खाली रहता है। लेकिन यहां तो शिखर पर आज भी वही नाम हैं, जो कल थे। आज के किसी कलाकार का यह हौसला क्यों नहीं हो पाया कि शिखर पर अपना भी नाम दर्ज करवा पाएं। कारणों पर नजर डालें तो सबसे बड़ा कारण कला को साधना के स्थान पर बाजार बनाने की कलाकारों की प्रवृति का ही नजर आता है।
अपने विद्यार्थी काल से ही सीखने के हिसाब से बनाई गई कृतियों को बाजार में बेचने की प्रवृति बढ़ी है। अपने कला कर्म की कमियों को साधने के बजाय नजरअन्दाज कर हवाई कीमतों के साथ बाजार में प्रस्तुत करना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है। 'बस किसी भी तरहा कृति बिक जाएÓ यह जो कलाकारों का मानस बन रहा है उसन कला के स्तर में भारी गिरावट पैदा की है।
अपनी बनाई कई कलाकृतियों को स्वयं नकारने के बाद किसी अच्छी व परिष्कृत कृति को लोगों के सामने लाने की भावना रहती थी। कलाकारों की यह भावना अब लगभग लोप हो गई है। कला बाजार में बिग ब्रश से लेकर मंझोले कलाकार और विद्यार्थी वर्ग की बनाई कलाकृतियों की भरमार ने मांग व पूर्ति के के संतुलन को बिगाड़ दिया है। मांग के हिसाब से पूर्ति की अधिकता ने जहां एक ओर कला खरीददार के आगे कई विकल्प खड़े किए हैं वहीं भ्रम की स्थिति भी पैदा की है।
एक दौर, जिसमें कला निवेश की स्थिति आई थी, अब असमंजस के कगार पर खड़ा है। कृतियों के ढेर से अटे बाजार में से निवेश की दृष्टि से किसी कृति का चयन करना ही मुश्किल हो चला है। इसका असर बिग ब्रश पर भी पड़ा है। उन तक पहुंचने के रास्ते में कई-कई भ्रामक कृतियों का जाल सा बिछ गया है।
हम यह नहीं कह रहे कि बिग ब्रश माने जाने वाले कलाकारों की कृतियां ही श्रेष्ठ हैं। कई छोटे कलाकारों की कूंची में भी दम है जो मिडिल क्लास की जेब और उनके कला के प्रति आग्रह को संतुष्टि देने में सक्षम है। वहीं विद्यार्थी स्तर पर देखा जाए तो कई ऐसे हैं जिनके पांव पालने में ही नजर आ रहे हैं। ऐसे विद्यार्भी कला फलक के बड़े सितारे के रूप में उबर कर सामने आ सकते हैं। लेकिन इन सब के बावजूद कला साधना को नकारते हुए किसी कारखाने के उत्पाद सी कृतियों से भरे बाजार ने कला खरीददारों को भ्रमित व निराश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मिथ्या मूल्य निर्धारण ने इसमें कोढ़ पर खाज सी स्थिति उत्पन्न कर दी है।
आज जब 'कला' पूंजी निवेश के महत्वपूर्ण पायदान पर आ खड़ी हुई है, ऐसे में कला के कचरे से अटा बाजार उसे क्या दिशा देगा, यह सोच का विषय है।

क्या अधकचरी कृतियां कला खरीददार की 'निवेश' की भावना को खण्डित कर देगी? यदि ऐसा होता है तो कला निवेश को पुन: स्थापित करने में एक लम्बा समय लग जाएगा जो कला जगत के लिए अभिशाप सिद्ध होगा। इससे बचने के लिए 'कला-नीति' बनाना और सक्षम संस्थाओं द्वारा कढ़ाई से निभाना एक उपाय नजर आ रहा है। इसके साथ ही शौंकिया और साधनाहीन कलाकारों का एक अलग बाजार बनाना, कला विद्यार्थीयों के शिक्षा पूर्ण होने से पहले ही बाजार में कूदने की प्रवृति पर लगाम कसना भी कला बाजार के रूप को बिगडऩे से बचा सकता है।

अब अपनों से अपनी बात 
पाठक ही बताएं..
पिछले दिनों कला विद्यार्थी पाठकों की यह मांग जाहिर हुई है कि 'मूमल' में ताजा समाचारों और कला जगत की गतिविधियों के साथ शैक्षिक पक्ष को भी बढ़ाया जाए। इसके लिए प्रत्येक अंक में किसी न किसी नए या पुराने कलाकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए।
इसके बाद मूमल के संपादक मंडल ने तय किया है कि वर्तमान में उपलब्ध लिमिटेड प्रिंट एरिया में उतने विस्तार से जानकारी संभव नहीं है जितनी विद्यार्थी चाह रहे हैं। इसके लिए कुछ विशेष संस्करण प्रकाशित करने होंगे। इसके बाद उन कलाकारों का चयन भी आसान नहीं जिनके बारे में आप जानकारी चाहते हैं।
ऐसे में अब आप ही बताएं कि आप नए या पुराने किन-किन कलाकारों और कला विधाओं के बारे में जानना चाहते हैं? आप की राय व आवश्यता जानने के बाद ही मूमल संबंधित विषय विशेषज्ञों से सामग्री तैयार कराके आगामी अंकों में इसे प्रकाशित करेगी।
आप अपनी राय हमें एस.एम.एस., ई-मेल या पत्र के जरिए दे सकते हैं। मूमल के ब्लॉग, फेसबुक या ट्वीटर पर इस बारे में कमेंट भी किया जा सकता है। हमें आपकी राय का इंतजार है, क्योकि मूमल पाठकों से संचालित होता है... बाजार से नहीं।

-संपादक

सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

Date extended till 03.03.2014.

The post of Editor (Ancient) & Deputy Secretary (A & A), 
Lalit Kala Akademi, New Delhi has been extended till 
03.03.2014.

LALIT KALA AKADEMI 
RABINDRA BHAVAN, NEW DELHI
 The Lalit Kala Akademi an autonomous organization of the Ministry of Culture, Government of
India, invites applications from eligible candidates for the following posts, on deputation basis.
As Per The Official Site of LKA
 1. Editor (Ancient) – one post 
Group ‘A’ in PB-3 in the Pay Band with G.P. of Rs. 15600-39100+7600
plus allowances admissible under the rules to Central Govt. employee.
 Age: The candidate should not have crossed 55 years of age on the last date of receipt of
application.
 Period of Deputation: Initially for one year and can be extended for three years and in
any case will not exceed five years.
 Essential Qualifications:
a) Master’s Degree in History of Art/Art Criticism or an equivalent recognised qualification,
with good command over English, with intimate knowledge of Ancient Art in India and
abroad.
 b) At least 10 years experience of working in a Journal/magazine relating to Ancient Art or
a Newspaper of repute.
 c) Persons belonging to Central/State Govt. or University system, Cultural organisation
having at least five years regular service in the Pay Band with Grade Pay of Rs. 15600-
39100+6600 or ten years service in the Pay Band with Grade Pay of Rs. 15600-39100 + 5400.

 2. Deputy Secretary (Administration & Accounts) – one post 
(Group ‘A’ in PB-3 in the Pay Band with G.P. of Rs. 15600-39100+6600 plus allowances
admissible under the rules to Central Govt. employees.
 Essential Qualifications:
(a) A University degree or an equivalent recognised qualification.
(b) 8 years experience in Accounts and Administration in a senior capacity, preferably in
Government or Government Undertaking or autonomous organizations, following rules
similar to those in Government.
(c) Persons should belong to Central or State Govt. or University system or Cultural
organisations with at least 5 years regular service in the Pay Band with Grade Pay of Rs.
15600-39100+5400 or 8 years service in the Pay Band-2-
 with Grade Pay of Rs. 9300-34800+4800 with University degree and experience in
Administration and Accounts.
 Desirable: Graduate in Commerce with at least 3 years experience of working in an
organisation engaged in the promotion of Visual & Plastic arts and with knowledge of
using computers in work.
 Age: The candidate should not have crossed 50 years of age on the last date of receipt of
applications.
 Period of Deputation: Initially for one year and can be extended for three years and in
any case will not exceed five years.
 The applications complete in all respects, supported with attested copies of certificates
mentioning the full particulars of the post applied for should reach the Secretary I/c., Lalit Kala
Akademi, 35, Ferozeshah Road, Rabindra Bhavan, New Delhi – 110 001 within 30 days from the
date of issue of this advertisement. Applicant should apply through proper channel. Incomplete
application or those found deficient in any manner will not be entertained. The application
should be supported with last 5 years ACR dossiers duly attested.

.ANNEXURE-II 
 FORMAT
 1. Name
2. Date of Birth
3. Permanent Address/Address for Communication
4. Educational Qualifications
5. Particulars of the post held
6. Post held on regular basis (with scale of pay and date of appointment)
7. Nature of appointment to the present post (whether on deputation/ad-hoc basis)
8. Scale of pay of the present post held
9. Date of return from the last ex-cadre post, if any
10. Particulars of past experience
11. Details of experience (in brief)
12. Any other relevant information
13. Official Address
Date:
Place:

 Signature of Applicant

 ANNEXURE-III
 Certificate
 (To be filled by the competent authority forwarding the application)
 1. Certified that the particulars furnished by the candidate have been checked from available
records and found correct.

1. Certified that it has been verified that the candidate is eligible for the post applied for as per
the conditions mentioned above.
 2. No vigilance case is either pending or being contemplated against the candidate. There is
nothing in the ACR dossiers of the candidate which makes him/her ineligible for
consideration for appointment to the post applied for.
 3. Up-to-date ACR dossiers of the candidate are enclosed.

Signature
Designation
Office Address, Telephone No.