गुरुवार, 18 सितंबर 2014

मूमल संपादकीय नितांत जरूरी है निरंतरता

संपादकीय
नितांत जरूरी है निरंतरता
कला जगत में स्तरीय आयोजनों को अभाव होता जा रहा है। जो आयोजन होते भी हैं उनका अंतराल अधिक है। छोटे कस्बो और शहरों की बात तो छोडि़ए राजधानी तक कला क्षेत्र के गिने चुने आयोजनों तक सिमटे हैं। जयपुर को ही लें तो कुछ समय पहले तक कला गतिविधियां पहले केवल रवीन्द मंच और उसके बाद जवाहर कला केंद्र तक केंद्रित हो कर रही। दो साल पहले जयपुर आर्ट फेस्टिवल के रूप में एक प्रयास किया गया साल दर साल उसमें परिपक्वता आ जाएगी यह उम्मीद छोड़ी नहीं जा सकती। अब पिछले साल से जयपुर आर्ट समिट ने ऐसे कला आयोजन के स्तर और अर्थ दोनों को बढ़ाया है। अब इस साल वह 14 से 18 नवम्बर तक होगा। उममीद की जानी चाहिए कि अब के बरस वह और निखरेगा।
किसी भी काल, देश व समाज की संवेदनशीलता को जीवित रखने के लिए कला गतिविधियों का निरंतर होते रहना बहुत आवश्यक है। मनुष्य के स्वभाव में यह शामिल है कि वह निरंतर जिस माहौल में रहता है, सुनता, देखता और समझता है उसे ही अपने जीवन में ग्रहण करता है। कला का स्पंदन मनुष्य के कोमल भावों में प्राण फूंकने का काम करता है। उसके भीतर की तेजाब सी हिंसा और विकृत भावनाओं का नाश करता है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आए दिन कला के नाम पर हमारे आगे कुछ ऐसा परोस दिया जाता है जिसे कला की क्षेणी में गिनना ही कला का अपमान करना कहा जा सकता है, लेकिन इस कभी-कभार के वाकये के इतर हमें अक्सर ग्रहण करने योग्य कुछ अच्छा भी मिल  जाता है जिसे कला के रूप में देखा और समझा जा सकता है।
वैसे भी कला में मतभेद हमेशा से वक्त मांग रही है जो कभी मिट नहीं सकती। हर व्यक्ति के देखने, सोचने और समझने का दृष्टिकोण अलग-अलग होता है। एक कृति जो उसके रचियता के लिए कोई एक भाव रखती है वहीं दर्शक में कोई अलग उत्पन्न करती है।  और तो और उसी कृति का भाव हर देखने वाले की दृष्टि और समझ के अनुसार अलग-अलग हो जाता है। यह भी कह सकते हैं कि देखने वाले के मन की भावनाएं और दृष्टि का कोण केवल उस व्यक्ति के लिए कृति के महत्व को भिन्न कर देता है।
काल, खंड और समय के अनुरूप भी किसी कृति का गठन और सौन्दर्य प्रभावित होता रहता है 'दादावाद' इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कला गठन की परम्पराओं को तोड़ते हुए कृति को अपनी समझ और उपलब्ध गैर पारंपरिक साधनों से निर्मित किया जाने लगा। कृति के विकृत रूपाकारों में भी सौदर्य खोजा गया और उसे कला की संज्ञा दी गई।
यहां हम समसामयिक कला की चर्चा कर सकते हैं। किसी कलाकार द्वारा सृजित कृति का सौन्दर्य और अर्थ प्रत्येक दर्शक के नजरिए और समझ के अनुसार बदल जाता है। कई बार तो कलाकार स्वयं अपने सृजन की व्याख्या सुन कर अचंभित हो जाता है।
कुल मिला कर यहां यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कला मनुष्य को प्रभावित करती है। उसकी सोई हुई संवेदना को जगाने का काम करती है। इसी लिए कला की निरंतरता बने रहना अति आवश्यक है, चाहे वह सम्पूर्ण कला पर कसौटी पर खरी उतरे या नहीं। संवेदनाओं की दुनियां में एक छोटा सा कलात्मक प्रयास भी बड़ा महत्व रखता है।

शनिवार, 13 सितंबर 2014

राष्ट्रपति भवन में कलाकारों के लिए 'इन रेडिडेंटस' कार्यक्रम


 8 सितम्बर से 26 सितम्बर तक राष्ट्रपति भवन में रहेंगे
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में कलाकारों और साहित्यकारों के लिए 'इन रेडिडेंटस' कार्यक्रम शुरू किया गया है। पिछली 8 सितम्बर को शुरू हुए वर्ष 2014 के 'इन रेजिडेंस' कार्यक्रम में दो चित्रकार और दो लेखक शामिल किए गए हैं।
चेन्नई से चित्रकार राहुल सक्सेना और मुम्बई से प्रताप मोरे को राष्ट्रपति भवन में रहकर अपनी कला को निखारने का मौका मिला है। साहित्यकारों में गंगटोक से सुश्री यिशी डोमा भूटिया और कड़प्पा, आंध्र प्रदेश से डॉ. वेमपल्ली गंगाधर का चयन हुआ है। जानकारी के मुताबिक, ये सभी 8 सितम्बर से 26 सितम्बर तक राष्ट्रपति भवन में रहेंगे।
चित्रकार
Pratap More
राहुल सक्सेना अपने आप को 'बदलाव का कलाकार' कहलाना पसंद करते हैं, जो रोज़मर्रा की चीजों को खूबसूरत कलाकृतियों में बदल देते हैं। उनका मानना है कि बदलाव की यह ललक ही विविध संभावनाओं की आधारशिला है। सक्सेना कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ 15 साल काम करने के बाद पूर्ण रूप से कलाकार बने।
प्रताप मोरे को उनकी कला के लिए कई पुरस्कार मिल चुके है तथा देश-विदेशों में उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी हो चुकी है। मोरे की कलाकृतियां शरीर, शहरी जीवन तथा इनके आपसी संबंध का चित्रण करती हैं। अपनी कृतियों के माध्यम से वे पुनर्विकास, विस्थापन तथा शहरी जीवन के तेज विकास जैसे विषय उठाते हैं।


साहित्यकार
तेलुगू लेखक डॉ. वेमपल्ली गंगाधर को उनकी कृति 'मोलाकला पुन्नामी' के लिए 2011 में साहित्य अकादमी ने युवा पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्होंने किसानों, महिलाओं तथा रायलसीमा के सूखाग्रस्त क्षेत्रों आदि पर कई किताबें और लेख लिखे हैं। सिक्किम साहित्य सम्मान 2013 की विजेता सुश्री यिशी डोमा भूटिया एक पत्रकार-लेखिका हैं। वर्तमान में वह 'सिक्किम एक्सप्रेस' में कॉपी संपादक हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से प्रमुख हैं: 'लीजेंडस ऑफ द लेप्चाज: फॉकटेल्स फ्रॉम सिक्किम', 'सिक्किम: द हिडन फ्रूटफुल वैली', 'सिक्किम: अ ट्रैवलर कंपेनियन' 'द लीगेसी मेकर: पवन चामलिंग आइडियाज़ दैट शेप्ड सिक्किम'।

आप कलाकार हैं तो बनिए राष्ट्रपति के मेहमान                                   
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली । अगर आप लेखक या चित्रकार हैं और आपको देश के प्रथम नागरिक के आवास में कुछ दिनों तक रहकर काम करने का मौका मिले तो कैसा रहे। अब यह मुमकिन है। राष्ट्रपति भवन में कलाकारों और साहित्यकारों के लिए 'इन रेजिडेंस' कार्यक्रम शुरू किया गया है।
इस कार्यक्रम के तहत देश के दो चित्रकारों और दो ही साहित्यकारों को चयन किया जाता है। चुने हुए कलाकारों को राष्ट्रपति भवन में रहकर अपनी कला को और अधिक निखारने का अवसर दिया जाता है।

प्रथम योजना
लेखकों और कलाकारों का राष्ट्रपति भवन में निवास 
योजना परिचय 
'रचनात्मकता और नवीनता मानव खुशी और विकास के लिए दोनों आवश्यक है।' यह सोच है भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की। उनका दृढ़ विश्वास है कि चिंतन का गुण; आत्मनिरीक्षण और प्रतिबिंब, शरीर और मन के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी हैं । इसी सोच का अनुसरण करते हुए देश के लोगों की रचनात्मकता को आगे लानेविशेष रूप से युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए 'राष्ट्रपति भवन में निवास' कार्यक्रम शुरू किया गया है।
राष्ट्रपति का यह भी कहना है कि आज तक राष्ट्रपति भवन में राष्ट्र और बाहर के उच्च स्तर के लोगों के लिए ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। राष्ट्रपति भवन में आम आदमी की अधिक से अधिक हो और वो गतिविधियों में भाग ले सके, इसलिए 'राष्ट्रपति भवन में निवास' कार्यक्रम के रूप में यह कदम उठाया गया है। यह योजना रचनात्मक लोगों का स्वागत करते हुए 11 दिसंबर 2013 से शुरू की गई है। इसमें लेखक, कलाकार और युवा विद्वान राष्ट्रपति भवन में रहकर राष्ट्रपति भवन के जीवन का एक हिस्सा बनते हुए रचनात्मक कार्य करेगें।
राष्ट्रपति भवन के सुरम्य और शांत वातावरण में प्रकृति के करीब रहकर रचनात्मकता के लिए अवसरों का पता लगाने के लिए भारत के युवा और स्थापित लेखकों और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रयास है। इस प्रयास के तहत रचनात्मक सोच को प्रेरित करने तथा अच्छी कला और साहित्य के निर्माण के लिए कलात्मक वातावरण प्रदान किया जाएगा। इस कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों के तहत रीडिंग सेशन, कला प्रदर्शनियां आदि शामिल है। यह अवसर केवल चयनित लेखकों / कलाकारों के लिए आयोजित किया जाएगा।
योजना का उद्देश्य 
1  रचनात्मकता को आकार देने के लिए राष्ट्रपति भवन में लेखकों और कलाकारों के लिए एक अनुकूल माहौल प्रदान करना।
2 युवा और स्थापित लेखकों और कलाकारों को अधिक से अधिक अवसर देना।
3 देश के युवा लेखकों और कलाकारों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत देने के  रूप में।
4 विशेष रूप से देश के युवाओं के बीच, समाज में रचनात्मक और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना।
आवेदन कौन कर सकता हैैं?
कला और साहित्य के क्षेत्र में एक स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड के साथ सभी भारतीय नागरिक।
चयन प्रक्रिया 
भारत के राष्ट्रपति की वेबसाइट के माध्यम से इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं: httpÑ//presidentofindia.nic.in  'राष्ट्रपति भवन में लेखक निवास' या 'राष्ट्रपति भवन में कलाकार निवास' के चयन के लिए आवेदन पत्र और शॉर्टलिस्ट नामों की स्क्रीनिंग एक समिति द्वारा की जाएगी। राष्ट्रीय / राज्य पुरस्कार जीत चुके लेखकों / कलाकारों को प्राथमिकता दी जाएगी। इस योजना के तहत राष्ट्रपति भवन में रहने की अवधि एक माह की होगी। लेकिन आवश्यक्ता पडऩे पर समिति इस एक माह की अवधि को बढ़ा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम चार लेखकों / कलाकारों का चयन किया जाएगा। चयन से संबंधित सभी मामलों में समिति का निर्णय अंतिम होगा।


द्वितिय योजना 
इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस
योजना  परिचय 
राष्ट्रपति भवन नवसृजन की भावना को बढ़ावा देने के लिए मुगल गार्डन के उद्घाटन के अवसर पर जमीनी स्तर पर नवसृजन की एक प्रदर्शनी आयोजित करता है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्वारा नवसृतकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।  देश में जमीनी स्तर पर नवसृजनआंदोलन को आगे प्रोत्साहन देने के लिए, राष्ट्रपति भवन में इनोवेशन स्कालर्स के लिए 'इन-रेजीडेंस' योजना शुरू की जा रही है।
योजना का उद्देश्य 
1 जमीनी स्तर पर नवीन आविष्कारों के लिए एक वातावरण प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति भवन में  ऐसे इनोवेशन स्कालर्स को  'इन-रेजीडेंस' योजना में आमंत्रित करना जो किसी परियोजना पर काम कर रहे हैं ताकि उनके नवीन विचारों को आगे बढ़ाया जा सके।
2 कुछ नया करने के लिए अपनी क्षमता को मजबूत करने हेतु चयनित स्कालर्स को तकनीकी संस्थानों के साथ सम्पर्क करवाया जाएगा।
3 स्कालर्स को नवसृजन के लिए सलाह और सहायता प्रदान करना ताकि समाज की प्रगति और कल्याण के लिए उनके विचारों का इस्तेमाल किया जा सके।
आवेदन कौन कर सकता हैैं?
सभी भारतीय नागरिक जो नवसृजन में जुटे स्कालर्स व एक ट्रैक रिकॉर्ड है।
चयन प्रक्रिया 
भारत के राष्ट्रपति की वेबसाइट के माध्यम से इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं:  www.presidentofindia.nic.in. एक समिति द्वारा 'इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस' के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों की शॉर्टलिस्ट व नामों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इस योजना के तहत राष्ट्रपति भवन में रहने की अवधि एक माह की होगी। लेकिन आवश्यक्ता पडऩे पर समिति इस एक माह की अवधि को बढ़ा सकती है। चार इनोवेशन स्कालर्स का हर वर्ष इस योजना के तहत चयन किया जाएगा। चयन से संबंधित सभी मामलों में समिति का निर्णय अंतिम होगा।

उपरोक्त दोनो योजनाओं के अन्य विवरण 
समर्थन 
लेखकों, कलाकारों और इनोवेशन स्कालर्स जिनका राष्ट्रपति भवन में 'इन रेजिडेंस' कार्यक्रम के लिए चयन हुआ है को  निकटतम रेलवे स्टेशन / हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए  एसी 2 टियर रेलवे टिकट या इकोनोमिक हवाई टिकटों की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। उनको आवास, भोजन और उनके रहने की अवधि के दौरान (संबंधित कार्यक्रम के प्रासंगिक उद्देश्यों के लिए) स्थानीय ट्रैवल की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
फॉलोअप प्रोग्राम
कार्यक्रम में शामिल कलाकारों के राष्ट्रपति भवन से लौटने के बाद नेशनल इनोवेेशन फांऊडेशन उनके सम्पर्क में रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि  स्कालर्स इस कार्यक्रम के सम्पर्क में रहें और उनके विकसित विचारों का लाभ अन्य को भी मिलता रहे।
आवेदन का तरीका 
इच्छुक व्यक्ति राष्ट्रपति भवन में 'इन रेजीडेंस' कार्यक्रम के लिए भारत के राष्ट्रपति की वेबसाइट पर उपलब्ध निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर सकते हैं।www.presidentofindia.nic.in. पर अनुलग्नकों और एक तस्वीर के साथ भरा आवेदन भारत के राष्ट्रपति की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन भेजा जा सकता है। या ईमेल के द्वारा writer-artist@rb.nic.in (लेखक / कलाकार के लिए) तथा innovation-scholar@rb.nic.in  ( इनोवेशन स्कालर्स के लिए ) भी भेजा जा सकता है। इन दो विकल्पों के अलावा आवेदक, श्री सौरभ विजय, निदेशक, राष्ट्रपति सचिवालय, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली- 110004 को डाक द्वारा भी आवेदन भेज सकते हैं। लिफाफे के ऊपर  (लेखक / कलाकार या इनोवेशन स्कालर्स इन रेजीडेंस) लिखा रहना चाहिए।
संदर्भ वेबसाइट:  httpÑ//www.presidentofindia.nic.in/ino_art_writ.html