गुरुवार, 30 नवंबर 2017

इंदौर में भी खुलेगा ललित कला अकादमी का रीजनल सेन्टर

इंदौर में भी खुलेगा ललित कला अकादमी 
का रीजनल सेन्टर 
मूमल नेटवर्क, इंदौर। लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की पहल पर इंदौर में ललित कला अकादमी का रीजनल सेन्टर शीघ्र ही खुलेगा। सुमित्रा महाजन ने इसके लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा से चर्चा की थी, जिस पर उन्होंने स्वीकृति दे दी है।
कार्ययोजना को गति और मूर्त रूप देने के लिए सुमित्रा महाजन और महेश शर्मा के निर्देश पर अकादमी के प्रशासक कृष्णा शेट्टी, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अवर सचिव  अनर्ब आईच और भोपाल से राज्य के संस्कृति विभाग तथा भारत भवन के अधिकारीगण ने इंदौर का दौरा किया। अकादमी के रीजनल सेन्टर के स्थान का चयन करने के लिये सभी लोगों ने
संभागायुक्त संजय दुबे एवं परिवहन व पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ रामपुर कोठी (पुराने आरटीओ ऑफिस) का निरीक्षण किया, तत्पश्चात लालबाग में इसी संबंध में मीटिंग की गई।
मीटिंग में कृष्णा शेट्टी ने कहा कि स्पीकर सुमित्रा महाजन यह केंद्र अतिशीघ्र प्रारम्भ करवाना चाहती है और हम भी इसके लिए तैयार है। संभागायुक्त दुबे ने कहा कि बहुत जल्द रामपुर कोठी में सुधार की प्रक्रिया का शुरु करवा दिया जाएगा।
उन्होंने बैठक के दौरान ही इस संबंध में आर्किटेक्ट से भी चर्चा की। बैठक में स्पीकर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि शहर के कलाकारों को बेहतर प्लेटफॉर्म देने के लिए ललित कला केंद्र बनाने की योजना दो साल से बनाई जा रही है। इसके लिए जहां आरटीओ ऑफिस चल रहा था, उस इमारत का चयन भी कर लिया गया था। अब केसरबाग स्थित आरटीओ बिल्डिंग के नायता मुंडला के नए भवन में शिफ्ट होने के बाद लालबाग पैलेस के पास ऐतिहासिक होलकर कालीन रामपुर कोठी में दिल्ली के ललित कला केंद्र के रीजनल सेंटर को शुरू करने की कवायद की जा रही हैं।

59 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 5 फरवरी 2018 से

59 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 5 फरवरी 2018 से
राजस्थान के पांच कलाकारों सहित देश भर के 172 कलाकारों की कृतियों का चयन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन 5 फरवरी 2018 से किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी 18 फरवरी तक चलेगी।
प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए देश भर के 1433 कलाकारों की 3644 कृतियों अकादमी को प्राप्त हुई थीं। पांच सदस्यों के निर्णायक मण्डल ने  21 से 23 नवम्बर तक आयोजित बैठक में प्रदर्शनी के लिए कुल 172 कलाकृतियों का चुनाव किया। निर्णायक मण्डल ने आमन्त्रित अनुभाग के तहत प्रख्यात कलाकारों जैसे बोस कृष्णामचारी, टी.वी. सन्तोष, अतुल डोडिया, मनु पारेख, के.एस. राधाकृष्णन, सुबोध गुप्ता,  अद्वैत गणनायक, ज्योति भट्ट, सुदर्शन शेट्टी, एल.एन. ताल्लुर और एन. पुष्पमाला से कलाकृतियां आमन्त्रित करने का भी सुझाव दिया है।
अकादमी के प्रेस प्रतिनिधी हिमांशु डबराल ने बताया कि, भारतीय स्वतन्त्रता के 70वें वर्ष को मनाने के लिए पुरस्कार चयन के लिए कलाकारों की दो श्रेणियाँ बनाई गई हैं। प्रथम श्रेणी में 30 से 50 वर्ष के आयु समूह में 10 पुरस्कार और दूसरी श्रेणी में 50 वर्ष से ऊपर के आयु समूह के लिए 5 पुरस्कार अकादमी द्वारा प्रदान किये जाएंगे।
निर्णायक मण्डल
प्रो. श्याम शर्मा, बिहार
नोनी बोर पुजारी, असम
रामदास अध्यांत्या, कर्नाटक
वी. नागदास, छत्तीसगढ़
जॉनी एम.एल., नई दिल्ली
मनु पारेख
प्रदर्शनी के लिए चयनित राजस्थानी कलाकार
डिम्पल चाण्डत, नेमाराम, पंकज गहलोत, पुष्पा दुल्लर, वाघाराम चौधरी।

बुधवार, 29 नवंबर 2017

छापा कला का पहला बैनाले मार्च में

छापा कला का पहला बैनाले मार्च में

मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली।
देश में छापा कला को प्रोत्साहन करने के लिए ललित कला अकादमी देश में पहली बार छापा कला बैनाले का आयोजन कर रही है। इस आयोजन में देश-विदेश के कलाकार हिस्सा लेंगे। पांच चयनित कृतियों को 2-2 लाख रुपए के पुरस्कार दिये जाएंगे।
ललित कला अकादमी देश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रिंट द्विवार्षिकी (छापा कला बैनाले) आयोजित कर रही है। अकादमी के प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने जानकारी दी कि छापा कला (प्रिंट) को बढ़ावा देने के लिए यह बैनाले 25 मार्च को शुरु होगा और 10 अप्रेल तक चलेगा। बैनाले का आयोजन ललित कला अकादमी व राष्ट्रीय आधुनिक संग्रहालयों की दीर्घाओं में किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री करेंगे। बैनाले में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से कलाकार अपनी कलाकृतियां भेज सकते हैं। अकादमी द्वारा निर्धारित प्रपत्र को भर कर 30 दिसम्बर तक आवेदन भेजे जा सकते हैं।
प्रदर्शनी के लिए चयनित कृतियों में से श्रेष्ठ पांच कृतियों को दो-दो लाख रुपए की नकद राशि के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम में  पांच दिन की वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें कलाकार आधुनिक शैली से रूबरू होने के साथ ही परंपरागत शैली को और निखार सकेंगे। प्रसिद्ध कलाविद अनुपम सूद को इस प्रदर्शनी में आयुक्त का दायित्व सौंपा गया है। प्रिंट कलाकार आनंद रॉय बनर्जी ने बैनाले के बारे में कहा कि यह हम पर निर्भर है कि हम इस अवसर का लाभ उठाएं व समकालीन छापा कलाकारों (प्रिंटमेकर) के लिए एक नई छाप छोड़ते चलें। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गणनायक ने कहा कि संग्रहालय के पास अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं हैं जो कि अकादमी को उपलब्ध करवाई जाएंगी। ललित कला अकादमी का ये प्रयास मील का पत्थर साबित होगा।
बैनाले में भाग लेने के इच्छुक कलाकार 30 दिसंबर तक आवेदन भेज सकते हैं। भारतीय कलाकारों के लिए आयोजन में हिस्सा लेने का शुल्क रुपये एक हजार रखा गया है।
मूमल के पास बैनाले में प्रवेश का आवेदन पत्र और नियमावली उपलब्ध है।

अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला 4 फरवरी से दिल्ली में

अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला 4 फरवरी से दिल्ली में
राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का पहला अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला
स्टॉल बुकिंग आवेदन की अन्तिम तिथि 15 दिसम्बर
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला आयोजित कर रहा है। 15 दिवसीय मेला 4 से 18 फरवरी 2018 को आयोजित होगा। अकादमी आयोजित इस मेले में आर्टिस्ट स्टॉल बुक करवाने के लिए 15 दिसम्बर तक आवेदन कर सकते हैं।
इस मेले में राज्यों की ललित कला अकादमियां एवं क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र भी स्टॉल बुक करवा सकती हैं। इसके साथ कलाकार समूह, कला दीर्घाएं, संस्थाएं व महाविद्यालय भी मेले में भाग ले सकते हैं। अकादमी मेले में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का कैटलॉग भी प्रकाशित करेगी।
आवेदन पत्र व नियमावली मूमल के पास उपलब्ध है।

मंगलवार, 28 नवंबर 2017

जयरंगम में रजिस्ट्रेशन फ्री किन्तु डोनेशन पर जोर


जयरंगम में रजिस्ट्रेशन फ्री किन्तु डोनेशन पर जोर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। पिछले वर्ष नाट्य प्रेमियों को जयरंगम में नाटक देखने के लिए टिकट खरीदने पड़े थे। इस वर्ष राज्य के कला संस्कृति विभाग की अनुदान स्वीकृत करने की शर्त के चलते जयरंगम को नाटकों को देखने के लिए फ्री रजिस्ट्रेशन का प्रावधान करना पड़ा है। हां नाट्य प्रेमियों से शुल्क वसूलने के लिए डोनेशन की पतली गली निकाली गई है।
रंगमंच के प्रचार-प्रसार के लिए राजस्थान के कला संस्कृति विभाग के साथ कई निजी संस्थाएं एवं राष्ट्रीयकृत बैंक जयरंगम को भारी-भरकम राशि का अनुदान दे रहे हैं। गत वर्ष भारी अनुदान प्राप्त करने के बाद भी जयरंगम ने लोगों से नाटक देखने के लिए सभागार प्रवेश शुल्क के रूप में काफी बड़ी रकम एकत्रित की थी। इस वर्ष राज्य के कला-संस्कृति विभाग ने अनुदान के एवज में यह कड़ी शर्त लगा दी कि नाट्य प्रेमियों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाए। इसके चलते जयरंगम ने सभागार में प्रवेश के लिए किया जाने वाला रजिस्ट्रेशन तो नि:शुल्क रखा है किन्तु प्रमियम सीटें डोनेशन देने वालों के लिए रिजर्व कर दी हैं। अपनी वेबसाईट में जयरंगम ने डोनेशन की अपील के साथ यह स्पष्ट लिखा  है कि यदि सभागार में महत्वपूर्ण और प्रीमियम सीट पर बैठकर नाटक देखना है तो सीट आरक्षण के लिए जयरंगम को डोनेशन देना होगा।
इस वर्ष डोनेशन के लिए की गई अपील से जयरंगम आयोजकों को कितना डोनेशन मिलता है और उसमें से अपने वादे के अनुसार वो कितना थियेटर एक्टिविटी के प्रमोशन के लिए लगाते हैं, आने वाला समय बताएगा। जवाहर कला केन्द्र, महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम से सिमट कर जयरंगम को रवीन्द्र मंच पर अपना आयोजन करने के लिए आना पड़ा है। जयरंगम के सिमटने और अनुदान के बढ़ते जाने का विवरण आगामी खबरों में।

रविवार, 26 नवंबर 2017

प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा



प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा
यूं तो कला की कई विधाएं और विधाओं की कई शाखाएं हैं। कला के प्रति समर्पित कलाकार अपनी कला-विधा के प्रति जुनूनी भी होता है और पारंगत भी। लेकिन कला की दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिन्होने स्वयं को किसी विधा विशेष की सीमाओं में नहीं बांधा है। कला जिनके प्रत्येक आचरण से झलकती है्र जीवन का प्रत्येक कदम जिनके लिए कला में सांस लेने जैसा होता है। कला के सीमाबंधन से परे उन्मुक्त आकाश के अनन्त विस्तार जैसा।
कुछ दिन पहले एक शार्ट फिल्म 'सड़क से सरहद तक' देखने का अवसर मिला। सुखनिधि फिल्म्स की प्रस्तुति इस फिल्म का केन्द्र बिन्दु नायक एक परीचित चेहरा और अभिनय ऐसा जो वास्तविकता को समेटे हुए दिल को सहजता से छू लेने वाला। इस फिल्म को देखने के बाद नायक कलाकार की कला यात्रा के कुछ पल टटोलने की इच्छा अनायास ही मन में जागी और कलम ने अपना कार्य करते हुए इन रोचक पहलुओं से आपको भी रू-ब-रू करवा दिया है।
यह फिल्म इस लिंक पर जाकर आप भी देख सकते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=6AoX0D7cBr0
आप जरूर उस नायक कलाकार का नाम जानने को उत्सुक हो उठे होंगे। वो कलाकार हैं विनय शर्मा, जिनकी कला यात्रा प्रत्येक के लिए एक खुली किताब सी है। शुरुआत प्रिंट मेकिंग से फिर पुरानी बहियों के पन्नों पर बनी कलाकृतियों ने देश-विदेश के कला जगत में पहचान बनाना शुरु किया। कला में सम्माहित होने की आतुरता ने अपना कैनवास स्वयं बुनने-बनाने की प्रेरणा दी। हैण्डमेड पेपर स्वयं बनाते और उसे कैनवास की शक्ल में ढाल कर सुन्दर सी आकृति प्रस्तुत कर देते। देखते ही देखते यह विनय शर्मा की पहचान बन गई। ...और पहचान देश के विभिन्न हिस्सों को छूती हुई सरहद पार विदेशी मुल्कों तक जा पहुंची।
जर्मनी, इंग्लैण्ड, कतर, पौलेण्ड, इजिप्ट के आर्ट कैम्पस में अपनी पहचान को नये-नये आयाम देते हुए भारत का प्रतिनिधत्व किया। आध्यात्मिकता की लगन ने भी कला कृति का रूप इख्तियार किया और कुछ वर्ष पहले दिल्ली में आयोजित मोसा सेके्रड आर्ट की डिवोशनल कला प्रदर्शनी में झण्डे गाढ़े। यहां इन्होनें राजस्थान के उदयपुर के ग्राम बस्सी की लुप्त होती काष्ठ कला कावड़ को अपना माध्यम बनाकर उस कला को नई राह दिखाई। विश्व कला जगत के प्रिय कलाकार बनते जा रहे विनय शर्मा को कुछ दिन पहले आईएफजे The Indian review of world interiors, architecture, furniture and design पत्रिका के एक अंक में इनकी कलाकृतियों और इन्स्टॉलेशन पर सचित्र आवरण कथा प्रकाशित की गई है। यह पत्रिका आईएएफपी से भी संबद्ध है।
कला को अधिक से अधिक रंगों और आकारों में समेटने की लालसा ने विनय को उन सब पुरानी वस्तुओं को समेटने के प्रति आकर्षित किया जिन्हें बदलते समय ने बीते काल की तरहा भुलाना शुरु कर दिया था। आज उन्हीं वस्तुओं से सजा एक संग्रहालय विनय के आवास पर नई जिन्दगी की सांसे ले रहा है। अपने समीप आने वालों को वो अपने अनुभव की  कई ऐसी कहानियां सुनाता है जो लोगों को एक नई व सुखद अनुभूति का एहसास करवा जाती हैं।
इन दिनों विनय का रुझान प्रतिबिंबों की ओर बढ़ता लग रहा है। यह प्रतिबिंब उनका स्वयं का हो या उनके द्वारा संग्रहित वस्तुओं का। यह छाया किसी कलाकृति की हो या या किसी भी प्राकृतिक चीज, मानव  व वस्तुओं की। परछाई की तरफ बढ़ता विनय शर्मा का यह रुझान कला जगत को प्रतिबिम्बों के रूप में और कौनसी नई  सौगात देगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल विनय शर्मा मलेशिया की यात्रा करने की तैयारियों में व्यस्त हैं जहां पर सासरान इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल का आर्ट कैम्प उनकी बाट जोह रहा है।
लगभग 20 देशों के कलाकारों की मेजबानी करने को तत्पर एक से 10 दिसम्बर तक चलने वाले इस आर्ट फेस्टिवल में विनय के साथ हैदराबाद से भी एक कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करने जा रहे हैं।    -गायत्री

शनिवार, 25 नवंबर 2017

इण्डिया आर्ट फेस्टिवल में युवा सोच के रंग

इण्डिया आर्ट फेस्टिवल में युवा सोच के रंग
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। त्यागराज स्टेडियम में चल रहे तीसरे इण्डिया आर्ट फेस्टिवल के रंगों में युवा सोच के सजीले रंग आने वालों को लुभा रहे हैं। परम्परा में खूबसूरती के साथ आधुनिक सोच की प्रस्तुति ने कला को एक नया अन्दाज दिया है।
फेस्टिवल में मॉडर्न और कंटेम्पररी आर्ट का अच्छा कलेक्शन प्रदर्शित किया गया है। इसमें युवा आर्टिस्ट्स के साथ सूजा और हुसैन जैसे मंजे हुए कलाकारों की कृतियां भी हैं। देश-विदेश की 36 आर्ट गैलेरीज के साथ लगभग 400 आर्टिस्ट अपनी कृतियों के साथ फेस्टिवल में देखे जा सकते हैं।
23 नवम्बर को आरम्भ हुए चार दिवसीय इण्डिया आर्ट फेस्टिवल का कल 26 नवम्बर को समापन होगा।
फेस्टिवल में उपस्थित आर्टिस्ट्स और आर्ट गैलेरीज की सूचि-
Participating Art Galleries
Art Konsult I New Delhi
Gallerie Ruki I New Delhi
PanKhart I Singapore
Art Spice I New Delhi
Gallerie Splash I Gurgaon
Prints Villa I Dubai-New Delhi
ArtDesh Gallery I Mumbai
Gallery Endless Thoughts I Faridabad
Shree Yash Art Gallery I New Delhi
Artequest Art Gallery I Mumbai
Gallery Pioneer I New Delhi
Smita Art I Kolkata
Artsy.com I New Delhi
Gnani Arts I Singapure
Studio Paradise I New Delhi
Canary’s National Art Centre I Indore
Indian Art Place I Gurgaon
Gallery Ragini I New Delhi
Charvi Art Gallery I Bengaluru
Kala Bhavan Art Gallery I Tripura
Studio3 I Mumbai
Cymroza Art gallery I Mumbai
Mriya Arts I Mumbai
The Lexicon Art Gallery I New Delhi
Eestasy Art Gallery I Mumbai
Myanmar Ink Art Gallery I Dubai
The Masterpiece I Mumbai
Galerie Art Eterne I New Delhi
Neware Art Gallery I Nagpur
The Bombay Art Society I Mumbai
Uchaan I Gurgaon

Artists Exhibited
A Viswam
Aditi Sahrawat
Akshay Verwa
Alka Pande
Ambali Dutta
Amarendra Moharana
Ambarish Mishra
Amit Bhar
Amit Dombare
Amrit Kaur
Ananda Das
Anil Naik
Anindita Bhattacharya
Anita Kulkarni
Annu Naik
Anshu Pawan
Antra Shruti Srivastava
Anruadha madan
Anruadha Pal
Apurva Kansara
Arabinda Samanta
Aravind
Arup Das
Ashish Tyagi
Ashwin Kadam
Asit Kumar Sarkar
Avi Shaw
Avijit Banerjee
Babu Eshwar Prasad
Bahua Devi
Baiju Parthan
Baiju Shyam
Balaji Ponna
Ballu Jivya Mashe
Bani Prasad
Bhagirathi Mohapatra
Bhaskar Rao
Bhavana Mahipal
Biju Panapuzha
Bindu Chutani
Binita Das Gupta
Bipin Goswami
Belgum Nagesh Goud
Bose Krishnamachari
Brinda Miller
C Dakshinamoorthy
Chandra Bhattacharjee
Chandrashekhara Morkhondo
Charan Sharma
Chinchavadkar
Chinthala Jagdish
Christina Chavez Banerjee
CSN Patnaik
D Ananathaiah
Darshan Sharma
Dattatraya Padekar
Deepa Hekre
Deepa Vedpathak
Deepali Sarde
Devabrat Mahanta
Devangi Sidharth
Dharmendra Rathod
Dhiraj Choudhary
Dhiraj Vedula
Dhiren Shasmal
Dileep Sharma
Dilip Chaudhury
Dilip Kumar Singh
Dinabandhu Marand
Dinesh Kumar Parmar
Dipak Kotak
Donnavann Dax
Douglas John
Dr Niranjan Jonnalagadda
Dr Ho Kah Leong
Dr Namita Karna
Dr R C Bhawsar
Dr S D Shrotriya
Dr Vandana Malhotra
DVS Krishna
Dyaneshwar Jagdale
Ekta Jain
Ekta Sharma
Ella Prakash
F N Souza
Farhad Husain
G R Iranna
G Raman
G Subramanian
Ganapat Badke
Ganesh Haloi
Gaurav Chawla
Gautam Patole
Geeta Balasubramanian
Gorege Keyt
Goh Beng Kwan
Gouri Seth
Gurmeet Marwah
H R Das
Harish Kumar
Hemant Rao
Hena Salim Bava
Henry K Raj
Hitesh Gilder
Honey Gupta
Jangarh Singh Shyam
Jatin Das
Jayshree Burman
Jayshree Chakraborty
Jayshress Goradia
Jessie Shrimali
Jiban Biswas
Jin sook Shinde
Jivya Soma Mashe
JSM Mani
Jogen Chowdhury
Jyoti Nagpal
K Balamurli
K G Subramanium
Kalicharan Gupta
Kandi Narsimlu
Kapil Kapoor
KattaKuri Ravi
Kavita Sachdev
Kishore Kumar
KM Shweta
Ko Sid
Krishnendu Porel
Kusumlata
L Saraswati
Lalitha Lajmi
Lalu Prasad Shaw
M F Hussian
M Suriya Moorthy
J P Singh
M A Jafer
Madan Lal
Madhu V
Madhuri Bhadhuri
Mahesh Karambele
Malay Das
Mangesh Kale
Manikandan Punnakkal
Manish K Gupta
Manisha Jha
Manisha Srivastava
Manoj Das
Manu Paresh
Mare Chagall
Meena Sansanwal
Megha Joshi
M G Doddamani
Milind Varangaonkar
Minakshi Patil
Mohan Lal Jhala
Mona Singhania
Monika Tomar Saroch
Moumita Biswas
Mukta Ghosh
Murali Cheeroth
N Manoharan
Naman Mahipal
Namita Beniwal
Narahari Bhawandla
Narmada Prasad Tekam
Narotam Das Mehra
Navina Bhatia
Navpreet Kaur
Nawal Kishore
Nayanaa Kishore
Naina Kanodia
Naina Kanoria
Neelam Sharma
Niladri Paul
Nilakshi Bezbaruah
Nilesh Vede
Niren Sen Gupta
Neeraj Gupta
Nishi Amrita
Nishit Kumar Pramanik
Noor Arora
Nyo Win Pe
O P Sharma
OmSwami
P Shivani Bharadwaj
P Suresh
P Gnan
Pablo Picasso
Padmakar Santape
Pankaj Bharti
Paramesh Paul
Paritesh Sen
Partha Roy
Pinky Bhatt
Piu Sarkar
Pooja Gujral
Poja Iranna
Poonam Saini
Poosapati Parameshwar Raju
Prakash Bal Joshi
Pramod M V
Prashant Nayak
Pratul Dash
Praveen Kumar
Pravreen Kumar
Praveen Upadhye
Preeti Kodesia
Prince Chand
Prithvi Soni
Prittam Priyalochan
PriyaDarshini Ohol
Probal Roy
Prakash Karmar
Pulakesh Mandal
Purnendu Das
Pushpa Devi
R K Tatawat
Rabin Mondal
Rachna Nagarkar
Raghu Neware
Rajeev Wig
Rajendra Shyam
Rajrani
Rama Katoch
Ramesh Pachpande
Ramkumar
Ramsingh Urveti
RanenDrajit She
Ranjit Sarkar
Rashmi Malhotra
Rashmi Singh Rathapur
Rotan Shah
Rathod Dharmendra
Ratna Singh
Ratnadeep Adivrekar
Ravi K
Ravi Mandlik
Ravi Verma
Ravikumar Kashi
Ravindra Salvi
Richa
Richa Dalmia
Rita Jhunjhunwala
Roy K Jhon
Ruchika Khati
Rapali Madan
S H Roza
Sachin Jaltare
Sachin Kharat
Sajith Param
Sakti Burman
Samina Sachak
Sanatan Dinda
Sandeep Jigdung
Sandhya Sharma
Sandhya Wadhwani
Sangeeta Gupta
Sanjay Akolikar
Sanjay Ashtaputre
Sanjay Bhattacharya
Sanjay Chhatraband
Sanjay Das
Sanjay Shankar Akolikar
Sanjay Soni
Sanjib Gogoi
Sanjukta Barik
Santhanakrishnan
Satbir Singh Wariach
Satish Gujral
Satwinder Kaur
Savita Agrawal
Savitri Salvi
Seema Kohli
Seema Shekhawat
Serder Leblebiei
Shampa Siear Das
Shankar Ghosh
Shankari Kundu
Shikah Jamwal
Shirish Kathale
Shish Tyagi
Shivangi Pandey
Shivani Ratra
Shrenik Jain
Shreya Shailee
Shridhar Iyer
Shrikant Kadam
Shruti Chaudhari
Shyama Nadimpalli
Shyamal Mukherjee
Siddharth
Simi Sharma
Somenath Maity
Somnath Hore
Sreekant Kuruva
Srikala Gangi Reddy
Stalin Joseph
Steven Gandhi
Subrata Das
Sukhnandi Vyam
Sulu Mathew
Suman Khare
Sunil Das
Sunil Shyam
Sunita Farkiya
Superna Mondal
Suraj Prasad
Surendra Jagtap
Suresh Kondhalkar
Suresh Muthukulam
S G Vasudev
Swagatika MohanTy
Swapan Roy
T V Santosh
Tanisha Bakshi
Tapas Sarkar
Tapasya Gupta
Terrence Teo
Than Kyaw Htay
Thet Tun Oo
Thota Vaikuntam
Umakant Kanade
Upasana Goenka Kedia
Vaishali Rastogi Sahni
Vaishali Singh
Varma brothers
Vasudeo Kamath
Ved Prakash Bhardwaj
Venkat Raman
Venkat Shyam
Venugopal Vg
Vibha Singh
Vidya Kamath
Vijrnder Sharma
Vikash Kalra
Vilas Kulkarni
Vilas Shinde
Vinati Bhatt
Vindo Sharma
Vipta Kapadia
Vishal Joshi
Vittal Muppidy
Vivek Kumaval
Wajid Khan
Wasim Kapoor
William Daniell
Yash Kohli
Yashwant Deshmukh
Yashwant Shirwadkar
Ye Win Aung
Yogendan Sethi
Yogesh Rawal

मंगलवार, 21 नवंबर 2017

'ख्वाब अभी जिन्दा हैं...में दिखे अध्यात्म के रंग उड़ान में नजर आई सपनों की हकीकत


'ख्वाब अभी जिन्दा हैं...में दिखे अध्यात्म के रंग
उड़ान में नजर आई सपनों की हकीकत
आज शुरु हुई तस्लीमा व राजवंशी की सोलो प्रदर्शनी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आज दोपहर को अमित राजवंशी की सोलो प्रदर्शनी 'ख्वाब अभी जिन्दा हैं... तथा तस्लीम जमाल की 'उड़ान का उद्घाटन हुआ। दोनों प्रदर्शनियों के मुख्य अतिथि के रूप में महाराजा मानसिंह द्वितीय संग्राहलय के निदेशक यूनुस खीमानी ने उद्घाटन किया। जवाहर कला केन्द्र की परिजात 2 गैलेरी में प्रदर्शित राजवंशी की प्रदर्शनी 'ख्वाब अभी जिन्दा हैं...' में लगभग 30 चित्र प्रदर्शित किये गए हैं। इनमें विष्णु व कृष्ण के अध्यात्म से जुड़े चित्रों के साथ समकालीन विषय पर बने चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी में अमित के काम का नया अन्दाज देखने को मिला। इस प्रदर्शनी को राजवंशी ने अपने पिता तेजभान राजवंशी को समर्पित किया है।

राजवंशी के साथ ही बांसवाड़ा की तसलीम जमाल की परिजात 1 में प्रदर्शित प्रदर्शनी 'उड़ान' में तस्लीम के सपनों में ईमानदारी के रंग नजर आये। लगभग 50 चित्र प्रदर्शित किये गए हैं। जिसमें से 30 चित्रों की ब्लेक एण्ड व्हाइट श्रृंखला के ड्रीमलैण्ड है जबकि 20 चित्र माई विलेज श्रृंखला से हैं। अपने सपनों को कैनवास पर चित्रित करते हुए कलाकार ने अर्धचेतन मस्तिष्क में आने वाले विचारों की सजीवता का पूरा ध्यान रखा है।
पहले दिन ही वरिष्ठ कलाकारों के साथ कई सममनित जनों ने प्रदर्शनियों का अवलोकन कर कृतियों की सराहना की। वरिष्ठ आर्टिस्ट विद्वासागर उपाध्याय व मीनू श्रीवास्तव ने मुक्त कण्ठ से दोनों कलाकारों की कृतियों की प्रशंसा की और उन्हें कलाकर्म के महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए। दोनों प्रदर्शनियां 23 नवम्बर तक चलेगी।

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

एक खुलासा जयरंगम का


एक खुलासा जयरंगम का
'3एम डॉट बेंड्स दि थियेटर फेमिली' द्वारा आयोजित नाटकों की प्रस्तुति के वार्षिक आयोजन 'जयरंगम' को राजस्थान सरकार के साथ कई निजी व अन्य संस्थाओं से काफी बड़ी रकम की प्राप्ति हुई है। जयरंगम का आयोजन करने के लिए जहां एक ओर उन्हें राज्य के कला संस्कृति विभाग से पूरे 30 लाख रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत हुई है वहीं बैंकों से 5 लाख रुपये एवं अन्य स्त्रोतों से एक करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। सूत्रों की माने तो राज्य का पर्यटन विभाग भी जयरंगम को अनुदान देना स्वीकार कर लेगा जहां पर इन्होनें एक करोड़ रुपये की राशि के अनुदान का प्रस्ताव दिया हुआ है। अनुदान राशि के साथ स्पोंसर्स से प्राप्त धनराशि की बात करें तो जयरंगम राज्य में अवल नम्बर पर खड़ा नजर आता है। जानकारी मिली है कि जयरंगम को कला संस्कृति विभाग से 30 से 35 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में प्रति वर्ष प्राप्त होती है।
नाटकों के लिए आरम्भ हुए जयरंगम ने पिछले 2 वर्षों से विजुअल आर्ट को भी अपने कार्यक्रम का हिस्स बना लिया है। आयोजन के मुख्य कत्र्ता-धर्ता के रूप में दीपक गेरा के साथ नरेन्द्र अरोड़ा का नाम प्रमुख रूप से सामने आता है जिनकी सक्रियता से जयरंगम को इतनी उपलब्धियों की प्राप्ति हुई है।
यूं हुई जयरंगम की शुरुआत
2 सितम्बर 2003 को जयपुर की फ्रन्टियर कॉलोनी निवासी पी.आर.गेरा ने '3एम डॉट बेंड्स दि थियेटर फेमिली नाम से एक एनजीओ को रजिस्टर्ड करवाया। इस एनजीओ के मुख्य कर्ता-धर्ता व चैयरमेन थे पी.आर. गेरा, इध्यक्ष के समधी  प्रो. बी.एल. भसीन ने सचिव पद को सम्भाला वहीं कोषाध्यक्ष के रूप में कोष का भार नरेन्द्र अरोड़ा ने सम्भाला। बताया गया कि इस एनजीओ का अम्ब्रेला या पेरेंट ओरगनाइजेशन पॉल फाउण्डेशन है। अपनी स्थापना के लगभग 9-10 वर्ष बाद 2012 में  3एम डॉट बेंड्स दि थियेटर फेमिली ने जयरंगम के नाम से प्रतिवर्ष नाटकों के शो का आयोजन आरम्भ किया। वर्तमान में जयरंगम के प्रमुख कर्ता-धर्ताओं के रूप में दीपक गेरा व नरेन्द्र अरोड़ा का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है।
जानकारों की माने तो '3एम डॉट बेंड्स दि थियेटर फेमिली' एक फैमिली एनजीओ है। दीपक गेरा फाउण्डर पी.आर.गेरा के पुत्र हैं। दीपक गेरा का विवाह फाउण्डर सचिव प्रो. बी.एल. भसीन की पुत्री हेमा भसीन के साथ हुआ। जबकि सचिव प्रो. भसीन की दूसरी पुत्री मेनका भसीन का विवाह कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अरोड़ा के साथ हुआ।
कौन है नरेन्द्र अरोड़ा


राष्ट्रीयकृत बैंक के अधिकारी नरेन्द्र अरोड़ा, जयरंगम की आयोजन संस्था '3एम डॉट बेंड्स दि थियेटर फेमिली' के कोषाध्यक्ष हैं। इन्होनें सड़क सुरक्षा पर भी कार्य किया और कुछ समय तक इसी से सम्बन्धित एक पाक्षिक पत्र का प्रकाशन भी किया।
कौन है दीपक गेरा

दीपक गेरा फाउण्डर पी.आर.गेरा के सुपुत्र हैं। फिल्म एण्ड टेलिविजन इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित दीपक गेरा पीडबल्यूडी में कार्यरत हैं।
जयरंगम 3 दिसम्बर से
केवल रवीन्द्र मंच पर
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
जयरंगम का छठा एडीशन रवीन्द्र मंच पर 3 से 10 सितम्बर तक सम्पन्न होने जा रहा है। पिछले वर्ष यह आयोजन जवाहर कला केन्द के साथ बिड़ला ऑडिटोरियम व महाराणा प्रताप सभागार में आयोजित किया गया था। इस वर्ष यह आयोजन रवीन्द्र मंच तक सिमट गया है। इस वर्ष कुल 15 नाटकों का मंचन किया जाएगा जिसमें से चार नाटक जयपुर के आर्टिस्ट प्ले करेंगे। इसके साथ ही रंग संवाद कार्यक्रम में समाचार पत्र दैनिक भास्कर की भागीदारी रहेगी। आर्ट स्ट्रोक में कला प्रदर्शनी के साथ लाइव डेमोस्ट्रेशन कलानेरी आर्ट गैलेरी की भागीदारी में किया जाएगा। इसके साथ ही खुयबू-ए-राजस्थान के तहत ऑन लाईन फोटोगाफी कॉम्पीटीशन का आयोजन 14 नवम्बर से शुरु किया गया है जो 25 नवम्बर तक चलेगा।


20वां कला मेला 4 जनवरी से

20वां कला मेला 4 जनवरी से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 20वां कला मेला 4 जनवरी से आरम्भ होगा। रवीन्द्र मंच पर आयोजित होने वाले इस पांच दिवसीय मेले का समापन 8 जनवरी को होगा। मेले में स्टॉल आवंटन के लिए प्रार्थना पत्र अकादमी कार्यालय में जमा करवाने की अन्तिम तिथी 20 दिसम्बर है।
स्टॉल प्राप्ति के लिये निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन के साथ बायोडेटा व प्रदर्शित की जाने वाली कृतियों में से पांच कृतियों के रंगीन फोटोग्राफ संलग्र करने होंगे। अकादमी 26 दिसम्बर को चयनित आवेदकों को आवंटन की सूचना देगी जिन्हें स्टॉल का निर्धारित शुल्क अकादमी को चुकाना होगा।
आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र व नियमावली अकादमी कार्यालय के साथ मूमल के पास उपलब्ध है।