शनिवार, 6 जनवरी 2018

विभिन्न कला विधियों को समर्पित रहा कला मेले का तीसरा दिन


विभिन्न कला विधियों को समर्पित रहा कला मेले का तीसरा दिन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 29वें कला मेले का तीसरा दिन विभिन्न कला गतिविधियों को समर्पित रहा।
प्रतिदिन चलने वाले आर्ट कैम्प व कैलीग्राफी कैम्प के साथ कला मेला परिसर स्कूली बच्चों से आबाद रहा। बच्चों ने रंगों के जरिए अपनी कल्पना को आकार देकर ऑन द स्पॉट ड्राईंग कॉपीटीशन में उपस्थिति दर्ज करवाई। बच्चों के रंगों का सिरा थाम जलरंग आर्टिस्ट संजीव शर्मा ने मूमल के संपादक राहुल सेन का पोट्रेट बनाकर इस कला की खूबसूरती से लोगों का परिचय करवाया। इसके साथ जाने-माने व्यंग्य चित्रकार सुधीर गोस्वामी ने कार्टून और कैरीकेचर कला का लाईव डेमोस्ट्रेशन देकर समां बांधा।
चला चर्चाओं-परिचर्चाओं का दौर
फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकारों ने साझा किये विचार

फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकारों एक साथ अपने विचार साझा किए। इस टॉक शो में वीजुअल आर्ट से जय झरोटिया, थिएटर से अशोक बांठिया, नृत्य से भरतनाट्यम नृत्यांगना संध्या पुरेचा, संगीत से डॉ. चेतन जोशी और अकादमी के अध्यक्ष एवं सुर बहार वादक डॉ. अश्विन एम.दलवी ने शिरकत की। परिचर्चा में सभी विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया कि कोई भी एक विधा दूसरी के बिना अधूरी है। सभी विधाओं का अन्त:सम्बन्ध इतना गहरा है कि साथ मिलकर चलने में ही कला की सम्पूर्णता है। डॉ. राजेश व्यास ने  इन कलाकारों से विभिन्न कलाओं के अंत: संबंध पर चर्चा को एक सूत्र में पिरोया।

सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश का चिंतन
दोपहर 12 बजे मिनि ऑडिटोरियम में डॉ. सुरेंद्र भटनागर और कला विश्लेषक, चित्रकार व कवि हेमंत शेष से भारतीय कला दृष्टि विषय पर डॉ. विनीत घोडल ने बातचीत की।
और फिर भारतीय कला की चिंतन परंपरा पर हुई चर्चा
दोपहर को 3 बजे मिनि ऑडिटोरियम में भारतीय कला की चिंतन परंपरा एवं सौंदर्य के मानदंड पर चर्चा आयोजित की गई। इसमें डॉ. जयराम पोडवाल और राजस्थान साहित्य अकादमी के चेयरमैन डॉ. इंदुशेखर तत्पुरूष से डॉ. लोकेश जैन ने चर्चा की।
और आखिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के साथ तीसरे दिन के कला मेले ने विराम लिया।

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