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गुरुवार, 5 जुलाई 2018

राजस्थान मे भाजपा को कलाजगत की नाराजगी से नुक्सान की आशंका

राजस्थान मे भाजपा को कलाजगत की

नाराजगी से नुक्सान की आशंका


मूमल नेटवर्क, जयपुर। प्रदेश में कला शिक्षा के मसले पर पहले से नाराज कलाकारों में अब ललित कला अकादमी द्वारा 'राजस्थान 147' की चयन प्रक्रिया मेें हुई धांधली के बाद कला जगत में उभरे जबरदस्त असंतोष के चलते अगले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इसका खमियाजा उठाना पड़ सकता है।
जानकारों का मानना है कि भाजपा की ओर से अकादमी में मनोनीत पदाधिकारियों की अनियमिताओ और मनमानी के चलते अराजकता का ऐसा माहौल कला जगत ने पहले कभी नहीं देखा गया। संगीत क्षेत्र से जुड़ेे सुरबहार वादन के ज्ञाता और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त अकादमी अध्यक्ष ललित कला से जुड़े कलाकारों का मिजाज भांपने और अपने अधिनस्त अधिकारियों पर आवश्यक अंकुश रखने में विफल साबित हुए। राजस्थान 147 जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों के चयन में हुई मनमानी पर उनका कोई नियंत्रण नजर नहीं आया। नतीजतन ऐसे-ऐसे कलाकारों का चयन हो गया, जिनकी कला कभी प्रदेश स्तर पर भी कोई पहचान स्थापित नहीं कर पाई है। दूसरी ओर कई जाने-पहचाने नाम चयन से वंचित रह गए।
इसके अलावा स्कूली बच्चों की कलाशिक्षा और कलाशिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर प्रदेश में चल रहे आंदोलन के प्रति प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण भी कला जगत में नाराजगी का वातावरण पहले से बना हुआ है। जानकार कहते हैं कि कलाकार का अर्थ केवल एक कलाकार नहीं वरन उसका पूरा परिवार उसके दर्द में शामिल होता है। कला क्षेत्र में विधिवत अध्ययन न करने वाले शौकिया कलाकार व कलाप्रेमी भी ऐसी अराजकता से प्रभावित होते हैँ। कलाशिक्षा के लिए आंदोलनरत कलाकारों का कहना है कि इस बार केवल कला जगत ही नहीं उन स्कूली बच्चों के अभिभावकों की नाराजगी भी सामने आ सकती है, जिनके बच्चों को उचित कलाशिक्षा नहीं मिल पा रही है। इस संबंध में जागरुकता अभियान को और तेज किया जा रहा है।

मंगलवार, 5 जून 2018

कच्ची बस्ती के वंचित बच्चों के लिए अकादमी में कला कार्यशाला

कच्ची बस्ती के वंचित बच्चों के लिए अकादमी में कला कार्यशाला
मूमल नेटवर्क, जयपुर। झुग्गी-झौंपडिय़ों के वंचित बच्चों के  लिए राजस्थान ललित कला अकादमी में सृजनात्मक कला अभिरुचि कार्यशाला का कल  4 जून को उद्घाटन हुआ। यह कार्यशाला राजस्थान ललित कला अकादमी तथा कला चर्चा समूह द्वारा संयुक्त रूप से लगाई गई है। इस 10 दिवसीय कार्यशाला में पांच विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी के लिए प्रति कोर्स 500 रुपये शुल्क रखा गया है।
कार्यशाला संयोजक भावना सक्सेना के अनुसार कार्यशाला का उद्घाटन कलाविद डॉ. वीरबाला भावसर, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी व फिल्म मेकर अशोक आत्रेय और लघुचित्रण शैली चित्रकार वीरेन्द्र बन्नू ने किया।
पर्यावरण दिवस
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर अकादमी में स्कूल व कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों के लिए ओपन पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।

सोमवार, 28 मई 2018

सृजनात्मक कला अभिरूचि कार्यशाला 4 जून से

सृजनात्मक कला अभिरूचि कार्यशाला 4 जून से
स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए
प्रशिक्षण शुल्क 500 रुपये प्रति कोर्स प्रति विद्यार्थी
राजस्थान ललित कला अकादमी व कला चर्चा टीम का संयुक्त प्रयास
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी एवं कलाचर्चा टीम जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए कला अभिरुचि कार्यशाला लगाई जाएगा। यह कार्यशाला स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों को कला व सृजन के माध्यम से मुख्य धारा से जोडऩे के लिए आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में कला की पांच विधाओं को लेकर पांच कोर्स करवाए जाएंगे। इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए प्रत्येक कोर्स के लिए अलग-अलग प्रति विद्यार्थी रजिस्ट्रेशन शुल्क 500 रुपये रखा गया है।
कार्यशाला 4 जून से आरम्भ होकर 14 जून को समाप्त होगी। कार्यशाला से सम्बन्धित पोस्टर का विमोचन  को कर दिया गया है।

शनिवार, 14 अप्रैल 2018

सोनी अकादमी के सचिव पद का चार्ज लेंगे 19 अप्रेल को

सोनी अकादमी के सचिव पद का चार्ज लेंगे 19 अप्रेल को
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के नवनियुक्त सचिव सुरेन्द्र सोनी 19 अप्रेल को पदभार ग्रहण करेंगे। अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव पद के लिए सुरेन्द्र सोनी नियुक्त किए गए है।
उल्लेखनीय है कि बीते एक वर्ष से अधिक समय से अकादमी के सचिव पद हेतु चयन की कशमकश चल रही थी। सचिव पद की दौड़ में सुरेन्द्र सोनी के साथ वरिष्ठ कलाकार व कला शिक्षक हरशिव शर्मा भी शामिल थे। 

रविवार, 18 फ़रवरी 2018

59वीं वार्षिक प्रदर्शनी में शामिल आर्टिस्ट

59वीं वार्षिक प्रदर्शनी में शामिल आर्टिस्ट
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 59वीं वार्षिक प्रदर्शनी के लिए कुल 85 आर्टिस्ट की 129 कृतियों को चुना गया। इनमें स्टेट अवार्ड के लिए चुने गए 10 आर्टिस्ट शामिल हैं। सभी कृतियों को तीन खण्डों में विभक्त किया गया है। इंस्टालेशन को मूर्तिशिल्प माना गया है। चुने गए 85 आर्टिस्ट्स की सूचि दी जा रही है।

चित्र, रेखांकन व ग्राफिक कलाकार
क्रमांक आर्टिस्ट का नाम कृतियों की संख्या
1. अनुप्रिया राजावत, वनस्थली 3
2. अमित राजवंशी, अजमेर  2
3. आरती बोहरा, जयपुर 2
4. अमित सोलंकी        3
5. अनुष्कस पाण्डया, भीलवाड़ा 1
6. डॉ. अचल अरविन्द, कोटा 2
7. अजीत कुमार, जयपुर 1
8. अजय मिक्षा, टोंक 1
9. अमिता सिंह        1
10. बजरंग गूर्जर, भीलवाड़ा 1
11. बनवारी लाल मीणा, दौसा 1
12. चनद्र प्रकाश जैन, जयपुर 1
13. दिनेश कुमार मेघवाल 1
14. दीपिका माली, उदयपुर 1
15. दीपाली शर्मा, जयपुर         1
16. गीतांजलि वर्मा, अजमेर 2
17. हिम्मत गायरी, उदयपुर 2
18. इति कच्छावा, उदयपुर 1
19. इरा टाक, जयपुर 1
20. ज्योतिका राठौड़, उदयपुर 2
21. जगदीश शर्मा, जयपुर 1
22. कुमुदिनी भरावा, भीलवाड़ा 3
23. डॉ. कृष्णा महावर, जयपुर 1
24. डॉ. करुणा, वनस्थली         2
25. किशनलाल खटीक        1
26. कैलाशचन्द पलिया, भीलवाड़ा 3
27. ललिता शर्मा, जयपुर        1
28. लक्षित सोनी, जोधपुर 1
29. महेश कुमार कुमावत, अजमेर 1
30. मीनाक्षी वर्मा, अजमेर 2
31. मनीष कुमावत, जयपुर 2
32. मनोज टेलर, वनस्थली 1
33. मनीषा राठौड़, जयपुर 2
34. मीना जैन, जयपुर 1
35. नीलिमा गुप्ता, जयपुर         1
36. निवेदिता पाठक, अजमेर 1
37. डॉ. निकहत तस्लीम काजी, जयपुर 2
38. नीलू कनवरिया, जयपुर 2
39. पारुल जोशी, जयपुर         1
40. प्रवेश आचार्य, भीलवाड़ा 2
41. प्रवीण कुमार सैनी, जयपुर 1
42. प्रेमचन्द, जयपुर 2
43. राहुल उषाहरा, दौसा         1
44. रंजना जांगिड़, जोधपुर 2
45. रवीन्द्र दाहिमा, उदयपुर 1
46. राजेश कूमार, उदयपुर 2
47. डॉ. रेणु शर्मा, जोधपुर 1
48. रवि ठाकुर, जयपुर 2
49. रविकांत तिवाड़ी 2
50. रीतेश कुमार शर्मा, बूंदी 2
51. रूपल प्रकाश, जयपुर         2
52. शिव कुमार सोनी, जयपुर 1
53. सुरेन्द्र कुमार गोयल, कोटा 1
54. सुमित त्रिवेदी, बांसवाड़ा 1
55. शरद भारद्वाज, उदयपुर 2
56. साक्षी किशोर, उदयपुर 3
57. श्रवण शर्मा, नागौर 1
58. डॉ. सुरेश चन्द्र प्रजापति, भीलवाड़ा 2
59. शर्मिला राठौड़, उदयपुर 2
60. स्वपनिल टाक, जयपुर 1
61. डॉ. सुरेशचन्द्र जांगिड़, जयपुर 1
62. संत कुमार डाबला, उदयपुर 1
63. शिखा कुमारी, जयपुर 1
64. शीतल चितलांगिया, जयपुर 1
65. सुमन वेदवाल, जयपुर 1
66. तुलसी खोखर, उदयपुर 2
67. तस्लीम तमाल, बांसवाड़ा 2
68. तरुण शर्मा, जयपुर 1
69. उमाकांत अमीणा, बूंदी 1
70. वीरांगना सोनी, उदयपुर 1
71. वीरनारायण आर्य, जयपुर 3
72. यशपाल बरण्डा, उदयपुर 1
73. यामिनी शर्मा         1
मूर्तियां
1. अंकित शर्मा, जयपुर        1
2. नीरज शर्मा, जयपुर        2
3. सुरेश प्रजापति, जयपुर 1
4. सुप्रिय शर्मा         1
5. शैलेश शर्मा, जयपुर         1
6. सुनील कुमार कुमावत, सीकर 3
7. योगेश पाण्डे         1
8. विकास शर्मा, जयपुर         2
9. विवेक सैनी, जयपुर         3
N.F.C.
1. ह्रदेश कुमार शर्मा, जयपुर 1
2. प्रिया राठौड़, अजमेर         1
3. डॉ. पिनक पानी नाथ, वनस्थली 2


शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

राजस्थान के दस कलाकारों को मिला स्टेट अवार्ड


 राजस्थान के दस कलाकारों को मिला स्टेट अवार्ड
वार्षिक कला प्रदर्शनी शुरु
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कल शाम राजस्थान ललित कला अकादमी की वार्षिक प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर चुने गए दस कलाकारों को स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
अकादमी में कल शाम मुख्य अतिथी कला संस्कृति  विभाग के प्रमुख शासन सचिव सुबोध अग्रवाल अनुपस्थित रहे। समारोह का उद़घाटन विशिष्ट अतिथी ह.च.मा.रीपा की महानिदेशक गुरजीत कौर ने किया। अध्यक्षता अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने की। इस अवसर पर स्टेट अवार्ड के लिए चुने गए 10 कलाकारों को 25-25 हजार रुपए की नकद राशि व सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
वार्षिक कला प्रदर्शनी के लिए अकादमी को राज्य भर से 609 कलाकृतियां प्राप्त हुई थीं जिसमें से चुनी गई 125 कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी 22 फरवरी तक चलेगी।

इन्हें मिला अवार्ड
अमित सोलंकी, डॉ. निकहत तसनीम काजी, हिम्मत गायरी, वीर नारायण आर्य, शरद भारद्वाज, शर्मिला राठौड़, राजेश कुमार, रंजना जांगिड़, सुनील कुमार कुमावत और नीरज शर्मा।

बुधवार, 17 जनवरी 2018

आर्ट परफॉरमेंस व कला बदलावों के बारे में डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत

 आर्ट परफॉरमेंस व कला बदलावों के बारे में 
डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत
अभी हाल ही हुए कला मेले में प्रस्तुत आर्ट परफॉरमेंस को उपस्थित कलाकारों व कला प्रेमियों ने खासा पसन्द किया। पहली बार कला मेले में हुई यह प्रस्तुति कला जगत की नई विधा के रूप में धीरे-धीरे अपना प्रभाव जमा रही है। नाटक ना होने के बावजूद भी अंग संचालन के जरिये किसी परिकल्पना पर दिया गया प्रस्तुतिकरण कलाकार के मंतव्य को बहुत ही सहज तरीके से स्पष्ट करता है और लोगों के दिल में उतर जाता है।
कला मेले के आर्ट परफॉरमेंस  'इन बिटवीन द एलिमेंट्स ऑफ  पेंटिंग्स,द बॉडी एंड द स्पेस' की परिकल्पना डॉ कृष्णा महावर की थी।  लगभग 35 मिनट के इस परफॉरमेंस को डॉ महावर ने अपने 20 विद्यार्थियों के सहयोग से प्रस्तुत किया। इस परफॉरमेंस की उर्जा व कला की नई तकनीक से पाठकों को रूबरू करवाने के लिए मूमल ने डॉ. कृष्णा महावर से बातचीत की। इस बातचीत के प्रमुख अंश यहां दिए जा रहे हैं।  (सं.)



मूमल- कृष्णा जी, कला मेले में दी गई प्रस्तुति गहन अभ्यास की ओर संकेत कर रही थी। आप अपने कला अभ्यास व अध्यापन को किस तरह संतुलित करती है।
डॉ. कृष्णा महावर- वास्तव में मुझे यह दो अलग चीज़े लगती ही नही हैं। एक कला शिक्षक को स्वयं भी कार्य करते रहना चाहिए और नवीन कार्यो, तकनीको व शैलियों से अपडेट होते रहना चाहिए। मैं यह सब करते हुए अपने स्टूडेंट्स से साझा भी करती चलती हूं तो मेरा स्वयं का अभ्यास और अध्यापन दोनो ही पूरक हो जाते हैं।

मूमल- आपने परफॉरमेंस आर्ट ही क्यो चुना?
डॉ. कृष्णा महावर- मैं 20 वर्षो से चित्रकला माध्यम में कार्य कर रही हूं बीच बीच मे इंस्टालेशन, मल्टीमीडिया माध्यम भी एक्सप्लोर किये। मैने महसूस किया कि जो बात परफॉरमेंस के द्वारा सीधे व आक्रामक तरिके से संप्रेषित होती हैं ऐसी स्वतंत्रता अन्य किसी माध्यम में है ही नही। इसमे बस सशरीर कलाकार है और चारो और दर्शक। निजी राजनीति से उपजे मुद्दों से लेकर यह शैली सामाजिक-राजनीतिक , फेमेनिज़्म से जुड़े मुद्दों को लोगो तक पंहुचने का एक सशक्त माध्यम प्रतीत होता हैं।
मूमल- कला मेले में प्रस्तुत परफॉरमेंस की प्रक्रिया क्या रही।
डॉ. कृष्णा महावर - इस परफॉरमेंस पर हमने दो महीने तक कार्य किया था । शुरुआती कुछ दिन तो मैंने प्रोजेक्टर पर स्टूडेंट्स को दुनिया भर के प्रसिद्ध परफॉरमिंग आर्टिस्ट्स के परफॉरमेंस ही दिखाए। फिर कुछ दिन बॉडी मूमेंट्स पर काम किया। धीरे धीरे छोटे छोटे शब्द को लेकर इम्प्रोवाईजेशन करने लगे। जैसे केवल रेखा, या केवल टेक्सचर, या स्पेस आदि। सभी स्टूडेंट्स विजुुअल आर्टस से हैं जिन्होंने कभी अपने शरीर के साथ काम ही नही किया था। फिर भी कांसेप्ट के साथ सभी मे एक आत्मविश्वाश आने लगा था। और वे एन्जॉय भी करने लगे। उनके लिए ये बिल्कुल नई दुनिया को जानने जैसा था।

मूमल- कृष्णा जी, आप कोटा से हैं। जयपुर आने के बाद के कला सम्बन्धी बदलावो के बारे में बतलाइये ?
डॉ. कृष्णा महावर- जयपुर में एक खास बात है वो है आर्ट एक्सपोजऱ, जो राजस्थान के किसी अन्य शहर में नही है। आजकल तो यहां कला गतिविधियां भी बहुत बढ़ गयी है। में तो कोटा रहती थी तब भी जयपुर से निरंतर संपर्क में थी। अपने रिसर्च वर्क के लिए लगभग 10 वर्ष अनियमित रूप से अपडाउन किया। उस दौरान जेकेके विजिट तो अवश्य ही होता था। तब कई बार निराशा भी हुआ करती थी कि वहां कुछ भी प्रदर्शित हो जाया करता था। आज जेकेके की प्रदर्शनियां, नवरस फेस्टिवल हो, जयपुर आर्ट समिट हो, ललित कला अकादमी की कला गतिविधियां हो या अन्य निजी कला आयोजन सभी से एक्सपोजऱ बढ़ा हैं। इनसे नई पीढ़ी को काफी कुछ सीखने को मिलता है। किसी समय राजस्थान पूरे भारत के आर्ट मेप में नीचले स्थान पर आता था। आज दिल्ली, भोपाल, मुम्बई के स्तर के आयोजन यहीं होने लगे हैं तो यहां रहने का मन भी बना लिया वरना तो एक वर्ष पहले तक वापस कोटा लौटने कि तैयारी में ही थी।

मूमल- आज की कला शिक्षा में बहुत बदलावों की आवश्यकता है। आप तो इस क्षेत्र में लंबे समय से हैं, क्या महसूस करती हैं?
डॉ. कृष्णा महावर -आज समय तेजी से बदल रहा है, कई नए माध्यम और शैलियां प्रचलन में आ गए है। परंतु उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम अभी भी पुराना ही है। हम कक्षाओं में आधुनिक कलाओ से ही जूझते रहते है और दुनिया की कला उत्तर आधुनिक समय में भी प्रवेश कर चुकी हैं। विद्यार्थी भी जब बाहर जाकर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय उत्सव में कला देखते है तो विरोधाभासों से गुजरते हैं कि हमे पढ़ाया कुछ जाता है और बाहर की प्रायोगिक दुनिया तो कुछ और ही है। बहुत ही आवश्यक रूप में सर्वप्रथम पाठ्यक्रमो को समकालीन बनाया जाए। शिक्षक भी स्वयं को अपडेट रखे। वैसे भी कला की शिक्षा को एक स्वतंत्र माहौल की सख्त आवश्यता होती हैं जो चार दीवारी के अंदर और मात्र किताबी पढ़ाई से नही सीखी जा सकती।

मूमल- इस वार्तालाप का अन्त हो इससे पहले आप युवा कलाकारों से कुछ कहना चाहेंगी?
डॉ. कृष्णा महावर - जरूर, कला निरंतर अभ्यास का विषय है। पढ़ाई खत्म करते ही कुछ युवा अपने आप को आर्टिस्ट समझने लगते है जो मात्र एक खुशफहमी में रहना ही है। जुनून और मेहनत के साथ ही लगातार कुछ नया पढ़ते रहना भी बहुत जरूरी है। हाथ की स्किल तो अभ्यास से आ जाती है परंतु क्रिएटिविटी तो प्रकृति, समाज, साहित्य व अन्य कलाओं (नाटक, कविता, संगीत, सिनेमा आदि) के साथ समझ विकसित करने से ही आती है। वह भी एक निश्चित समय पर, धीरे-धीरे...। मुख्यतया महिला कलाकारों से भी कहना चाहूंगी कि हमारी जि़ंदगी बहुत चुनौतयों भरी होती है। मुझे भी कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। पढ़ाई, नौकरी, शादी, परिवार, सभी के बीच अपना कला अभ्यास करते रहना स्वयं के जुनून से ही संभव है।





रविवार, 14 जनवरी 2018

कृष्णा महावर के आर्ट परफॉरमेंस ने समां बांधा


कृष्णा महावर के आर्ट परफॉरमेंस ने समां बांधा
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 20वें कला मेले के चौथे दिन यानि आज शाम 5 बजे डॉ. कृष्णा महावार द्वारा प्रस्तुत आर्ट परफॉरमेंस ने समां बांध लिया।
आर्टिस्ट के शब्दों में यह परफॉरमेंस पूरी तरह से बॉडी द्वारा सेल्फ एक्सप्लोरेशन की और एक कदम है, यह नॉन लिनियर और अमूर्त परफॉरमेंस है। जिसका मूल विचार तो चित्र के छ तत्व है परंतु प्रक्रिया के दौरान कई बार उस विचार से आगे व परे की यात्रा भी हो जाती है। जो कि किसी भी सृजन प्रक्रिया में जायज भी है। एक रेखा किस प्रकार अपनी भौतिक सत्ता रखती है या टेक्सचर और रंगो की मुठभेड़ जब शरीरों से होने लगे तो क्या कुछ नई संभावनाएं निकल कर आती हैं। रिक्त स्थल की ऊर्जा को परोक्ष रूप में स्वयं कलाकार और साथ ही दर्शक भी एक साथ महसूस करने लगते है। इसे  मुमेंट्स, साउंड्स के साथ मूर्त- अमूर्तन, पॉजिटिव-नेगेटिव,  सृजन- विध्वंस के इर्द गिर्द गूंथा गया है।

इस परफॉरमेंस की रचना के बारे में जानकारी देते हुए कृष्णा महावर कहती हैं कि, एक कला शिक्षिका होने के नाते मेरी सर्वप्रथम प्राथमिकता विद्यार्थी ही होते है। और उन्हें एक खुला और स्वतंत्र माहौल देंने के लिए कई बार मुझे सिस्टम से भी बाहर आना पडता है। मैं बहुत गहराई से सोचती हूं कि आर्ट थ्योरी को भी विसुअल तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए....इसी प्रक्रिया में एक दिन मैंने कला के तत्वों को परफॉरमेंस के रूप में परिकल्पित किया। और इस परफॉरमेंस के लिए मेरी पहली पसंद स्टूडेंट ही रहे। मैने उन्ही के साथ मिलकर इस विचार को विकसित किया ताकि परफॉरमेंस के साथ उनका सीधा संबंध  स्थापित हो सके। आरंभिक रूप मे यह क्लासरूम का हिस्सा था बाद में एक आर्ट वर्क के रूप में विकसित हो गया।
क्या होता है आर्ट परफॉरमेंस
परफॉरमेंस आर्ट ललित कला की ही एक शैली है। यह नाटक या थिऐटर  से संबंधित नही होती है। परफॉरमेंस में अन्य कलाओ से प्रेरणा ली जा सकती है। इसमे कई बार सब कुछ रेंडम भी हो सकता हैं। इसमे तीन मुख्य तत्व होते है। एक कांसेप्ट, कलाकार का शरीर, और विशिष्ट स्थान। क्योंकि यह लाइव होती है अत: परफॉरमेंस की अवधि को कलाकार स्वयं दर्शकों की रुचि के अनुसार घटा बढ़ा सकता है।

सोमवार, 8 जनवरी 2018

ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता पुरस्कार

20वें कला मेले का आज शाम हुआ समापन
रणजीत सिंह चूड़ावाला लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित
कलाकारों को विभिन्न श्रेणियों में मिले 25 पुरस्कार
मूमल नेटवर्क,जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित पांच दिवसीय 20वें कला मेले का आज समापन हुआ। शाम ढ़ले हुए समापन समारोह में प्रदेश के पिचयासी वर्षीय चित्रकार रणजीत सिंह चूड़ावाला को लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी, कला एवं संस्कृति विभाग की उप सचिव रणजीता गौतम और मेला संयोजक डॉ. नाथू लाल वर्मा ने उन्हें सम्मान स्वरूप इक्यावन हजार रूपए की नकद राशि, सम्मान पत्र, शॉल और श्रीफल से सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि चूड़ावाला 1988 में अकादमी के ही कलाविद् सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं।

अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने जानकारी दी कि चूड़ावाला का चुनाव पद्मश्री तिलक गिताई की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया था। उन्होने यह भी बताया कि अब तक इस अवार्ड के लिए इकत्तीस हजार रूपए की राशि प्रदान की जाती थी जिसे इस वर्ष से बढ़ाकर 51 हजार रुपये किया गया है।
समापन समारोह में कलाकारों, कलाप्रेमियों के साथ अकादमी अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि कला एवं संस्कृति विभाग की उप सचिव रणजीता गौतम और मेला कमटी की पूरी टीम उपस्थित थी। समापन समारोह में आमन्त्रित मुख्य अतिथि सांसद रामचरण बोहरा किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाये।
अकादमी प्रति वर्ष मेला समापन के अवसर पर श्रेष्ठ कृतियों के लिए कलाकारों को प्रोत्साहन हेतु सम्मानित करती है। इस वर्ष भी अकादमी द्वारा प्रदान किये जाने वाले 15 पुरस्कार्रों के साथ विभिन्न लोगों द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कारों सहित विभिन्न श्रेणियों में कुल 25 पुरस्कार प्रदान किये गए।
पंद्रह कलाकारों को मिला अकादमी पुरस्कार
अकादमी पुरस्कार के रूप में इस वर्ष लोकेश कुमावत, प्रतीक कुमार कुमावत, मांगीराम शर्मा और कैलाश चंद सैन की कलाकृतियों को दस-दस हजार रूपए के नकद पुरस्कार से नवाजा गया। इसी के साथ  विजय के. शर्मा, विदुला मानधानिया, कमल जोशी, हिमांशु अग्निहोत्री, एकता शर्मा, विजय सौख्या, संजीव शर्मा, रवि कुमार योगी, शीतल चितलांगिया और डॉ. सुरेश चंद्र जांगिड़ की कलाकृतियों को पांच-पांच हजार रूपए के नकद पुरस्कार प्रदान किये गए।
इन्हें मिले निजी स्तर पर पुरस्कार
समापन समारोह में राजस्थान ललित कला अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम.दलवी ने अपने समय में प्रसिद्ध तबला वादक रहे पिता महेश दलवी की याद में डॉ. अमित हरित को, मेला संयोजक डॉ. नाथू लाल वर्मा ने पद्मश्री कृपाल सिंह शेखावत की याद में डॉ. मनोज टेलर और खुश नारायण जांगिड़ को, समर कंस्टे्रक्शन की ओर से सानिध्य गुप्ता को तथा कला चर्चा की ओर से सैनाराम को दो-दो हजार रूपए के नकद पुरस्कारों से नवाजा गया।
पांच कलाकारों को ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता पुरस्कार (विद्यालय स्तर)
इस श्रेणी में श्रेष्ठा श्रीवास्तव को पांच हजार और एंजल गुप्ता, दिव्यानी काकानी, खुशी अग्रवाल और आद्या झा को विद्यालय स्तर के ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कृतियां बनाने के लिये दो-दो हजार रूपए के नकद पुरस्कार दिए गए।
पांच कलाकारों को ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता पुरस्कार (कॉलेज यूनिवर्सिटी स्तर)
इस श्रेणी में मनीष कुमार सैनी को पांच हजार और कुबेर सिंह, दिव्या बैरवा, मनीष कुमार सैनी व प्रकाश वर्मा को ऑन द स्पॉट प्रतियोगिता में कॉलेज यूनिवर्सिटी लेवल के तीन-तीन हजार रूपए के नकद पुरस्कार प्रदान किए गए।
इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने सभी कलाकारों, कलाप्रेमियों, सहयोगी अकादमियों व संस्थाओं यथा केंद्रीय ललित कला अकादमी और प्रदेश की विभिन्न अकादमियों के साथ बेहतरीन कवरेज के लिए मीडिया को धन्यवाद दिया।
कला मेले के समापन समारोह का मंच संचालन अरुण किम्मतकर ने किया। उल्लेखनीय है कि इस मेले में आयोजित प्रत्येक कार्यक्रम का सुन्दर संचालन अरुण किम्मतकर ने ही किया और सराहना पायी।

शनिवार, 6 जनवरी 2018

विभिन्न कला विधियों को समर्पित रहा कला मेले का तीसरा दिन


विभिन्न कला विधियों को समर्पित रहा कला मेले का तीसरा दिन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 29वें कला मेले का तीसरा दिन विभिन्न कला गतिविधियों को समर्पित रहा।
प्रतिदिन चलने वाले आर्ट कैम्प व कैलीग्राफी कैम्प के साथ कला मेला परिसर स्कूली बच्चों से आबाद रहा। बच्चों ने रंगों के जरिए अपनी कल्पना को आकार देकर ऑन द स्पॉट ड्राईंग कॉपीटीशन में उपस्थिति दर्ज करवाई। बच्चों के रंगों का सिरा थाम जलरंग आर्टिस्ट संजीव शर्मा ने मूमल के संपादक राहुल सेन का पोट्रेट बनाकर इस कला की खूबसूरती से लोगों का परिचय करवाया। इसके साथ जाने-माने व्यंग्य चित्रकार सुधीर गोस्वामी ने कार्टून और कैरीकेचर कला का लाईव डेमोस्ट्रेशन देकर समां बांधा।
चला चर्चाओं-परिचर्चाओं का दौर
फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकारों ने साझा किये विचार

फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकारों एक साथ अपने विचार साझा किए। इस टॉक शो में वीजुअल आर्ट से जय झरोटिया, थिएटर से अशोक बांठिया, नृत्य से भरतनाट्यम नृत्यांगना संध्या पुरेचा, संगीत से डॉ. चेतन जोशी और अकादमी के अध्यक्ष एवं सुर बहार वादक डॉ. अश्विन एम.दलवी ने शिरकत की। परिचर्चा में सभी विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया कि कोई भी एक विधा दूसरी के बिना अधूरी है। सभी विधाओं का अन्त:सम्बन्ध इतना गहरा है कि साथ मिलकर चलने में ही कला की सम्पूर्णता है। डॉ. राजेश व्यास ने  इन कलाकारों से विभिन्न कलाओं के अंत: संबंध पर चर्चा को एक सूत्र में पिरोया।

सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश का चिंतन
दोपहर 12 बजे मिनि ऑडिटोरियम में डॉ. सुरेंद्र भटनागर और कला विश्लेषक, चित्रकार व कवि हेमंत शेष से भारतीय कला दृष्टि विषय पर डॉ. विनीत घोडल ने बातचीत की।
और फिर भारतीय कला की चिंतन परंपरा पर हुई चर्चा
दोपहर को 3 बजे मिनि ऑडिटोरियम में भारतीय कला की चिंतन परंपरा एवं सौंदर्य के मानदंड पर चर्चा आयोजित की गई। इसमें डॉ. जयराम पोडवाल और राजस्थान साहित्य अकादमी के चेयरमैन डॉ. इंदुशेखर तत्पुरूष से डॉ. लोकेश जैन ने चर्चा की।
और आखिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के साथ तीसरे दिन के कला मेले ने विराम लिया।

शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

वरिष्ठ कलाकार राम जायसवाल ने दिया जलरंग का डेमोस्ट़ेशन


वरिष्ठ कलाकार राम जायसवाल ने दिया जलरंग का डेमोस्ट़ेशन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 20वें कला मेले के दूसरे दिन के आकर्षणों में प्रदेश के वरिष्ठ जलरंग कलाकार राम जायसवाल का लाइव डेमोस्ट्रेशन रहा। करीब एक घंटा चले इस जीवंत प्रदर्षन में जायसवाल ने लैंडस्कैप का सौंदर्य खिलाकर वहां मौजूद लोगों को अपने मोहपाष में बांध लिया। उन्होंने सड़क के किनारे पहाड़ों की पृष्ठभूमि में सरसों के लहलहाते खेतों को चित्रित किया। इसके साथ ही कला संवाद व कला चर्चा से उपस्थित जनों को कई नई जानकारियों की प्राप्ति हुई। कला मेले में कलाकारों की कृतियों ने लोगों को आकर्षित किया। कलाकारों के संगम कला मेले में बांसवाड़ा की युवा कलाकार ने अपना जन्मदिन मनाया।

आज रवींद्र मंच के मिनि ऑडिटोरियम में अकादमी के आईने में कला विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। परिचर्चा में कलाओं की पुस्तकों की दशा-दिशा पर चर्चा करते हुए उनके प्रति पाठकों की रूचि कैसे जागृत की जाए जैसे विषय पर विचार विमर्श किया गया। बातचीत में यह बात सामने आई कि अकादमी कला की ऐसी पुस्तकें प्रकाशित करे जिनमें विलुप्त होते कलारूपों और उनके कलाकारों की जानकारी हो। डॉ. विजय सिद्ध का कहना था कि संगीत कला का विकास गुरू-शिष्य परंपरा के साथ-साथ शब्दों के माध्यम से भी हो सकता है। इसलिए अकादमियों को ऐसी पुस्तकें निकालने की ओर भी ध्यान देना चाहिए। परिचर्चा में तबला वादक डॉ. विजय सिद्ध, कला लेखक डॉ. देवदत्त शर्मा, चित्रकार डॉ. रीटा प्रताप, अन्नपूर्णा शुक्ला और डॉ. वीणा बंसल ने भगीदारी निभाई। इन कला विद्वानों से डॉ. राजेश व्यास ने चर्चा की।
सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश
दोपहर 3 बजे मिनि ऑडिटोरियम में डॉ. अशोक भौमिक और डॉ. चिन्मय शेष मेहता ने कला मूल्यांकन एवं नई सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश विषय पर ििवचार-विमर्श किया। डॉ. लोकेश जैन से हुई बातचीत में अशोक भौमिक ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय और पश्चिमी कलाओं में बड़े परिवर्तन आए हैं लेकिन अब कला से ज्यादा कलाकार के बारे में चर्चा की जाती है। कलाकार का ऐसा औरा तैयार हो जाता है जिसमें कला उलझ कर रह जाती है। डॉ. चिन्मय शेष मेहता ने कहा कि कला के क्षेत्र में देखने को तो खूब मिल रहा है लेकिन कलाकृतियों में मौलिकता कम होती चली जा रही है। कलाकार आर्ट को सेलेबल बनाने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहे हैं जो कला के लिए ठीक नहीं है।

20वें कला मेले में कृष्णा महावर देंगी आर्ट परफॉरमेंस

20वें कला मेले में कृष्णा महावर देंगी आर्ट परफॉरमेंस
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा रवीन्द्र मंच पर रंग बिखेर रहे 20वें कला मेले के चौथे दिन रवीवार 7 जनवरी को कला दर्शक आर्ट परफॉरमेंस का आनन्द ले सकेंगे।
रवीवार की शाम 5 बजे राजस्थान विश्वविद्यालय की आर्ट लेक्चरर कृष्णा महावर की परिकल्पना पर आधारित लाइव आर्ट परफॉरमेंस की प्रस्तुति दी जाएगी। 35 मिनट की अवधि की कला के आधारभूत तत्वों पर केन्द्रित यह प्रस्तुति कृष्णा महावार अपनी छात्राओं के साथ देंगी।
इस परफार्मेंस की परिकल्पना कला के आधारभूत तत्वों पर आधारित है। वे तत्व जो प्रत्येक चित्र में आवश्यक रूप से विद्धमान होते ही है(कई बार नही भी), सादृश्य रूप मे अथवा अदृश्य रूप मे भी। यह तत्व है स्थान, रेखा, रंग, रूप, तान, टेक्सचर। क्या हो जब यही तत्व मूल चरित्र के रूप में रिक्त स्थल पर आगे आकर दृष्टिमान होने लगे। मानवीय शरीर द्वारा रिक्त स्थल पर कला के इन  तत्वों का आधारभूत विचार ही प्रस्तुत किए जाने वाले परफार्मेंस का मूल भाव है।

20वें कला मेले में आर्ट कैम्प के आर्टिस्ट

20वें कला मेले में आर्ट कैम्प के आर्टिस्ट
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 20वें कला मेले की विधिवत शुरुआत भले ही शाम ढलने के साथ हुई हो लेकिन कलाकारों की गतिविधियां कल सुबह 11 बजे आर्ट कैम्प के उद्घाटन के साथ शुरु हो गई। कैंप में हिस्सा लेने वाले सभी कलाकारों ने कैनवास पर अपने हस्ताक्षर करके इस कैंप की रंगभरी शुरूआत की। पहले दिन कलाकारों ने अपने कैनवास व्यवस्थित किए और कृति की रूपरेखा बनाई। यह कैम्प नार्थ जोन कल्चर सेन्टर पटियाला और वेस्ट जोन कल्चर सेन्टर उदयपुर के सहयोग से आयोजित किया गया है।
कैम्प के कलाकार
इस कैंप में जयपुर की इरा टाक, नीलू कंनवरिया व रिदेष कुमार, कहानी भारावत, भावना वषिष्ठ और प्रेषिका दिवेदी, झुंझुनू के मोनू शेखावत, बूंदी के आषीष कुमार, दिल्ली के विनोद गोस्वामी और देवेंद्र खन्ना, वाराणसी के सुनील विश्वकर्मा, गोआ के राजेंद्र उस्पाकर, नागालैंड के एच. अकूप, दीव के प्रेम जी बारिया कृतियों को आकार देंगे।
उर्दू परशियन कैलीग्राफी कैंप
इस अवसर पर राजस्थान उर्दू अकादमी के सहयोग से  उर्दू परशियन कैलीग्राफी कैंप की भी शुरूआत हुई। इस कैंप में दिल्ली की कैलीग्राफी विषेषज्ञ कमर डागर और दिल्ली के ही शिराज हुसैन ने कैलीग्राफी कला का जीवंत प्रदर्शन करेंगे और इस विधा में रूचि रखने वालों को इसकी तकनीकी की जानकारी भी देंगे।

इस बार कला मेले में फोटो जर्नलिस्ट के फोटोज का प्रदर्शन

इस बार कला मेले में फोटो जर्नलिस्ट के फोटोज का प्रदर्शन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के 20वें कला मेले के प्रमुख आकर्षणों में एक फोटो जर्नलिस्ट्स की फोटो प्रदर्शनी 'दृष्टिकोण' है। आई सी ए गैलेरी द्वारा क्यूरेटेड एवं फोटोर्नलिस्ट एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में 24 फोटो जर्नलिस्ट ने हिस्सा लिया है। यह प्रदर्शनी प्रदेश के तीन वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट गोपाल संगर, राजीव संगर और मोलिना खिमानी को समर्पित की गई है। प्रदर्शनी में राष्ट्रीय स्तर के फोटोजर्नलिस्टकी तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया है।
प्रदर्शनी का उद्घाटन कल 4 जनवरी को सवाई माधोपुर विधायक दीया कुमार ने ने किया। 
प्रदर्शनी में हिमांशु व्यास, सुमन सरकार, गिरधारी पालीवाल, ज्ञान त्रिपाठी, इमरान शेख, संतोष शर्मा, सुनील शर्मा, शहजाद खान, मनोज श्रेष्ठ, दलबीर सिंह नेगी, मुकेश शर्मा, पुरुषोत्तम दीवाकर, राजेश कुमावत, निरंजन चौहान, राजेश जोबन पुत्रा, राजेश शर्मा, महेश आचार्य, प्रवीण भोजणे, अमित काला, जाकिर हुसैन, नईम खान, रवि शंकर व्यास, सत्य प्रकाश शर्मा, चंद्रमोहन अलोरिया और दिनेश सैनी के 120 फोटोग्राफ्स प्रदर्शित किए गए।

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

'समाज के उत्थान के लिए कला का उत्थान जरूरी'-शेट्टी

'समाज के उत्थान के लिए कला का उत्थान जरूरी'-शेट्टी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। 'समाज के उत्थान के लिए कला का उत्थान जरूरी है। अगर कला का उत्थान नहीं तो इतिहास गवाह है कि समाज का उत्थान भी अवरुद्ध हो जाता है।' यह शब्द थे केन्द्रिय ललित कला अकादमी के प्रशासक सी.एस. शेट्टी के। अवसर था राजस्थान ललित कला अकादमी के 20वें कला मेले के उद्घाटन समारोह का। इस समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सी.एस. शेट्टी ने कहा कि, राजस्थान की कला उन्नत व सराहनीय है। उन्होने राजस्थान की पहचान यहां की पारम्परिक कलाओं व मिनिएचर आर्ट के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। अपने वक्तव्य में शेट्टी ने कला बाजार के बारे में  कहा कि कला डीलर, कला बायर व कलाकार यदि एक ही मंच पर हो तो आयोजन की सार्थकता बढ़ जाती है।

समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में  मेयर अशोक लाहोटी ने कहा कि यहां आने से पहले मैने सोचा था कि यह मेला आम मेलों की तरहा होगा। लेकिन कला जगत के बड़े-बड़े लोगों का एक ही जगह पर होना आश्र्चचकित करने वाला है जो मैने पहले कभी नहीं देखा। उन्होने कहा कि इतने बड़े कलाकारों के बीच मैं एक जमादार हूं। मै शहर की सफाई के बारे में अधिक जानकारी रखता हूं, कला के बारे में मेरी जानकारी कम है। परन्तु मैने महसूस किया है कि सफाई में भी कलाकारों का योगदान ज्यादा है।
मेयर अशोक लाहोटी ने आगे कहा कि राजस्थान कला व स्थापत्य की दृष्टि से धनवान है। कला मेले का यह आयोजन जरूर राजस्थान की कला का इतिहास रचेगा।
इस अवसर पर समारोह के अध्यक्ष व राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वेत गणनायक  के साथ विशिष्ट अतिथि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के निदेशक मो. फुरकान खान ने भी अपने विचार रखे।
समारोह की शुरुआत में अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने सभी उपस्थित अतिथियों, कलाकारों व कला दर्शकों का आभार व्यक्त किया और कला मेले के कार्यक्रम की भूमिका व रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि अकादमी की पत्रिका 'आकृति' के प्रकाशन को पुन: आरम्भ किया गया है।
कला मेला कमेटी के संयोजक डॉ. नात्थूलाल वर्मा ने कला मेले में सम्पन्न होने वाले कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी।

इस अवसर पर आकृति के विशेषांक का विमोचन किया गया। डॉ राजेश व्यास के संपादन में इस विशेषांक की लेखन सामग्री आज के परिपेक्ष्य में लोक व पारम्परिक कलाओं पर केन्द्रित की गई है।
समारोह का समापन पद्मश्री गुलाबो सपेरा व उनकी पार्टी के कालबेलिया नृत्य से हुआ जिसका उपस्थित जनों ने जी भर कर लुत्फ उठाया। यह मेला 8 जनवरी तक चलेगा।

बुधवार, 3 जनवरी 2018

20वें कला मेले ने दे दी दस्तक

20वें कला मेले ने दे दी दस्तक
भव्य अन्दाज में हो रही प्रस्तुति
आर्ट कैम्प का उद्घाटन थेड़ी देर बाद 11 बजे
मेले का विधिवत उद्घाटन शाम 4 बजे

मूमल नेटवर्क, जयपुर। रवीन्द्र मंच परिसर अकादमी द्वारा आयोजित 20वें कला मेले के रंगों से रंग गया है। अभी कुछ देर बाद ही 11 बजे मॉडर्न आर्ट गैलेरी में आर्ट कैम्प का उद्घाटन होगा।यह आर्ट कैम्प वेस्ट जोन  और नार्थ जोन कल्चर सेन्टर के सहयोग से आयोजित किया गया है।
मेले का विधिवत उद्घाटन शाम 4 बजे मेयर अशोक लाहोटी करेंगे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वेत गणनायक करेंगे।
शाम 7 बजे होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शक कालबेलिया नृत्य का आनन्द ले सकेंगे। नृत्य प्रस्तुति पद्मश्री गुलाबो सपेरा देंगी।
यह मेला 8 जनवरी तक कला प्रेमियों को अपने विविध रंगों व कला प्रस्तुतियों से लुभायगा।

मंगलवार, 2 जनवरी 2018

20वें कला मेले में आर्ट परफॉरमेंस

20वें कला मेले में आर्ट परफॉरमेंस
मूमल नेटवर्क, जयपुर। रवीन्द्र मंच पर कल सुबह 11 बजे राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 20वें कला मेले का उद्घाटन होगा। इस वर्ष के कला मेले में कई नई कला विधाओं को शामिल किया गया है जिसमें आर्ट परफोमेंस भी शामिल है।
यह परफोमेंस कला के आधारभूत तत्वों पर केन्द्रित होगा। इसे राजस्थान विश्वविद्यालय की लेक्चरर व आर्टिस्ट कृष्णा महावर अपनी छात्राओं के साथ प्रस्तुत करेंगी। आर्ट परफोमिंग की विधा की जानकार कृष्णा महावर पहले भी जयपुर में इस कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं।

बीसवें कला मेले के टॉक शो में फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकार एक साथ करेंग शिरकत

बीसवें कला मेले के टॉक शो में फाईन आर्ट की 
चारों विधाओं के कलाकार एक साथ करेंग शिरकत
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 20वें कला मेले में एक अनूठा टॉक शो होगा जिसमें फाईन आर्ट की चारों विधाओं के कलाकार एक साथ शिरकत करेंगें।
अकादमी अध्यक्ष डॉ. अध्विन एम. दलवी ने मूमल को बताया कि, मेले के दौरान 6 जनवरी की शाम 5.00 बजे से होने वाले इस टॉक शो में वीजुअल आर्ट से जय झरोटिया, थिएटर से अशोक बांठिया, नृत्य से भरतनाट्यम नृत्यांगना संध्या पुरेचा तथा संगीत से डॉ. चेतन जोशी और अकादमी के अध्यक्ष एवं सुर बहार वादक डॉ. अश्विन एम.दलवी अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। डॉ. राजेश व्यास इन कलाकारों से विभिन्न कलाओं के अंत: संबंध पर चर्चा करेंगे।

कला मेले में चलेंगे कला संवादोंं के दौर

कला मेले में चलेंगे कला संवादोंं के दौर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 20वें कला मेले में कला संवादों के दौर चलने वाले है।
अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने मूमल से हुई एक बातचीत में जानकारी दी कि यह संवाद  5 से 7 जनवरी तक रवींद्र मंच के मिनि ऑडिटोरियम में दोपहर 3 से शाम 5 बजे के बीच आयोजित होंगे।
5 जनवरी को 'समसामयिक भारतीय कला का मूल्यांकन एवं नई सृजनात्मक संभावनाओं की तलाश' विषय पर  पर अशोक भौमिक और डॉ. चिन्मय शेष मेहता से लोकेष जैन चर्चा करेंगे। 6 जनवरी को 'भारतीय कला की चिंतन परम्परा एवं सौन्दर्य मानदण्ड' विषय पर डॉ. जयराम पोडवाल और राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. इंदुषेखर तत्पुरूष से लोकेश जैन चर्चा करेंगे। संवाद की अन्तिम कड़ी में 7 जनवरी को 'आर्ट ट्रेडिशन एण्ड सिटी प्लानिंग ऑफ जयपुर' विषय पर डॉ. कलानाथ शास्त्री, डॉ. चंद्रमणि सिंह और विनोद जोशी से पंकज शर्मा चर्चा करेंगे।
यह होंगी कला वार्ताएं
रवीन्द्र मंच के मिनी ऑडीटोरियम में आयोजित होने वाली कला वार्ताओं का आरम्भ 5 जनवरी को दिन में 12 बजे होगा। इसमें हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा 'अकादमी के आइने में कला विषय पर वार्ता आयोजित की जाएगी। 6 जनवरी को भारतीय कला दृष्टि विषय पर साहित्य अकादमी द्वारा वार्ता का आयोजन होगा जिसमें डॉ. सुरेन्द्र भटनागर और हेमन्त शेष हिस्सा लेंगे।