कला नीलामी का बाजार ट्रेक पर आ रहा है
विश्व कला बाजार में 2014 और 2016 के बीच की गिरावट के बाद 2017 के नीलामी बिक्री आंकड़ों ने बाजार के फिर से ऊपर उठने के संकेत दिए हैं। लगने लगा है कि 2018 में कला नीलामी का बाजार ट्रेक पर आ जाएगा। इस बाजार में भारत की भी विशेष भूमिका रही है।आर्ट टैक्टिक से प्राप्त एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल की गिरावट के बाद वैश्विक कला नीलामी की बिक्री में फिर से उछाल आया है। लंदन स्थित कला बाजार विश्लेषकों द्वारा क्रिस्टी, सोथबी और फिलिप्स से 2017 बिक्री डेटा (ऑनलाइन नीलामियों को छोड़कर) के सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ है कि 2017 में यह बढ़ोतरी 25 प्रतिशत तक हुई है।
निष्कर्षों के अनुसार, कला बाजार में पोस्ट वार व कंटेम्पररी आर्ट के योगदान के साथ इम्प्रेशनिस्ट व मॉडर्न मार्केट की वापसी, एशियाई कला बाजारों के दखल और रिकॉर्ड कायम करने वाले ओल्ड मास्टर्स की कृतियों की बिक्री से यह मजबूती आयी है।
उपरोक्त नीलामी घरों ने पिछले साल 11.21 बिलियन डॉलर की कुल कीमत कृतियों की बिक्री से प्राप्त की। इसमें पोस्ट वार व कंटेम्पररी आर्ट की बिक्री के 29.3 प्रतिशत व प्रभाववादी और आधुनिक कला बाजार के 21.5 प्रतिशत के रूप में योगदान रहा। चीनी और एशियाई नीलामियों ने 1.74 अरब डॉलर की बिक्री के साथ तीसरे बड़े हिस्से पर अपना नाम अंकित किया।
तीनों ही नीलामी घरों में बिक्री की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि क्रिस्टी ने लियोनार्डो दा विंची के सैल्वेटोर मुंडी की 450 मिलियन डॉलर की बिक्री के साथ बाज़ार में अपना प्रभुत्व बना लिया है। इस अकेली बिक्री से क्रिस्टी को 34 प्रतिशत वृद्धि की मदद मिली है। क्रिस्टी द्वारा की गई कुल $बिक्री 5.89 बिलियन डॉलर थी जिसमें विंची की सेल्वाटेर मुंडी की बिक्री से प्राप्त 2.81 बिलियन डॉलर की रकम शामिल है।
सोथबी का बिक्री आंकड़ा 4.69 बिलियन डॉलर का रहा। फिलिप्स ने 624 मिलियन डॉलर की कला बिक्री के साथ कला बाजार की बढ़ोतरी में अपना योगदान दिया।
भौगोलिक दृष्टि से देखें तो न्यूयॉर्क शहर में 48.7 प्रतिशत लेनदेन के साथ प्रथम एवं लंदन ने 24.2 प्रतिशत बिक्री के साथ कला बाजार में दूसरे स्थान पर अपनी पकड़ बनाए रखी। एशिया में हांगकांग ने कला के महत्वपूर्ण बाजार के रूप में अपनी स्थिति को कायम रखा है। -गाायत्री
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