शनिवार, 30 दिसंबर 2017

अकादमी का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड रणजीत सिंह चूड़ावाला को

अकादमी का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड
 रणजीत सिंह चूड़ावाला को
मूमल नेटवर्क, जयपुर। प्रदेश के वरिष्ठ चित्रकार रणजीत सिंह चूड़ावाला को राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से इस वर्ष के लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा जाएगा। चूड़ावाला को ये अवार्ड अकादमी की ओर से 4 से 8 जनवरी तक रवींद्र मंच परिसर में आयोजित किए जाने वाले बीसवें कला मेला के समापन समारोह में 8 जनवरी को दिया जाएगा। अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अष्विन एम.दलवी और संयोजक डॉ. नाथू लाल वर्मा ने बताया कि चूड़ावाला का चुनाव पद्मश्री तिलक गिताई की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया। उन्हें सम्मान स्वरूप इक्यावन हजार रूपए की नकद राशि और सम्मान पत्र प्रदान किए जाएंगे। अब तक इस अवार्ड के लिए इकत्तीस हजार रूपए की नकद राषि दी जाती रही है, इस वर्ष से इसमें इजाफा किया गया है।
 85 वर्षीय चूड़ावाला 1988 में अकादमी के कलाविद् सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं। इन्हें कला जगत में कला में नवाचारों के लिए पहचाना जाता है। मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से आर्ड डिप्लोमा की उपाधि प्राप्त चूड़ावाला ने चित्रकला केे रेखांकन पक्ष पर विषेष दक्षता हासिल की है। पोट्रेट और लैंडस्केप इनके प्रिय विषय हैं।

कलाकार सांसद ने रखी लोक कलाओं को बचाने की मांग

कलाकार सांसद ने रखी लोक कलाओं को बचाने की मांग
हेमा मालिनी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। बीजेपी सांसद हेमामालिनी ने देश में विलुप्त हो रही लोक कलाओं का मुद्दा शुक्रवार 29 दिसम्बर को लोकसभा में उठाया और कहा कि सरकार को इन्हें बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए।
शून्यकाल के दौरान हेमा मालिनी ने लोक कलाओं के विलुप्त होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर क्षेत्र और राज्य की अपनी लोक कलाएं और संस्कृति है, परंतु आज यह लोक कलाएं विलुप्त हो रही हैं।
उन्होने कहा कि हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में देश की लोक कलाओं का प्रदर्शन देखने को मिलता है और विदेश में भी हमारी लोक कलाओं का नाम है, लेकिन आज जब ये विलुप्त हो रही हैं तो इनको बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
हेमा मालिनी ने कहा कि वह संस्कृति मंत्रालाय से आग्रह करती हैं कि वह लोक कलाओं को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए।

जयपुर कला महोत्सव में कला शिक्षा के साथ अन्य विषयों पर भी होगी चर्चा

जयपुर कला महोत्सव में कला शिक्षा के साथ 
अन्य विषयों पर भी होगी चर्चा
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर कला महोत्सव में आयोजकों द्वारा कला चर्चा की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसमें मुख्य तौर पर विद्वानों द्वारा कला शिक्षा पर चर्चा की जाएगी। इसी के साथ कला से जुड़े अन्य गम्भीर विषयों को भी चर्चा में शामिल किया गया है।
कला चर्चाओं के बारे में महोत्सव के संयोजक राजेन्द्र सिंह नरूका ने जानकारी दी कि, 18 से 20 जनवरी तक प्रतिदिन शाम साढे चार बजे से छ: बजे तक डूगरपुर हट में कला चर्चाएं होगी।
पहली कला चर्चा 18 जनवरी को 'एजूकेशन इन इण्डिया एण्ड अपॉच्र्यूनिटी' विषय पर होगी। इस चर्चा में प्रो. सुब्रतो मण्डल, प्रो. हरशिव शर्मा, डॉ. चमन शर्मा, तीर्थकर विश्वास और प्रो. भादेर सिंह हिस्सा लेंगे।
19 जनवरी को होने वाली दूसरी चर्चा में प्रो. एन.एस. राठौर, डॉ. तूलिका गुप्ता, प्रो. अनन्त दादा ओझकर, प्रो. शिखा सिंह आघेर और प्रोॅ पंपा पंवार हिस्सा लेंगे। इस चर्चा का विषय 'रिफ्लेक्शन ऑफ नैचर ड्राईंग इन आर्ट एण्ड डिजाईन' होगा।
तीसरी और समारोह की अन्तिम चर्चा 20 जनवरी को होगी। चर्चा का विषय 'नेशंस आर क्रिएटेड बाय पोएट्स एण्ड आर्टिस्ट नॉट बाय मर्चेन्ट्स एण्ड पॉलिटिशियंस' है। इस चर्चा में प्रो. शिवानी गेलरा, प्रशांतो कुमार घोष, डॉ. भभूती पाण्डे, कविता चौधरी और पूजा जैन हिस्सा लेंगे।

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

20वें कला मेले की तैयारियां चरम पर

20वें कला मेले की तैयारियां चरम पर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 20वें कला मेले की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं।  4 से 8 जनवरी तक रवींद्र मंच परिसर में आयोजित होने वाले कला मेले को भव्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
20वें कला मेले में कलाप्रेमी ना केवल कलाकृतियों का दीदार कर पाएंगे वरन् गीत, संगीत, नृत्य व नाटक की प्रस्तुतियों का लुत्फ भी उठा पाएंगे। इस वर्ष के मेले की शुरुआत इस बार पद्मश्री गुलाबो और उनके साथी कलाकारों की प्रस्तुति से होगी। अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम.दलवी और मेला संयोजक डॉ. नाथू लाल वर्मा ने बताया कि इस बार का कला मेला कई मायनों में व्यापक होगा। इसमें राज्य के विविध कलारूपों का तो संगम होगा ही, इसके अवावा कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार पहली बार शिरकत करेंगे। समारोह में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियां राज्य की विभिन्न अकादमियों के सहयोग से आयोजित की जाएंगी।
हमेशा की तरहा आर्टिस्ट मेले में लगी स्टॉल्स पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस वर्ष मेले में 120 स्टॉल्स बनाई गई हैं। हमेशा की तरहा पेंटिग कॉम्पीटीशन, लाईव डेमोस्ट्रेशन, इंस्टॉलेशन व आर्ट कैम्प का आयोजन किया जाएगा। आर्ट फिल्म शो में जहां फिल्मों का प्रदर्शन होगा वहीं कला चर्चाओं के दौर में विद्वान वक्तागण रोचक व गम्भीर विषयों पर चर्चा करेंगे। मेले में पहली बार फोटोग्राफी एग्जीबिशन भी लगाई जा रही है।
विभिन्न अकादमियों व कला संस्थानों के सहयोग से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। जिसमें आईसीसीआर के सहयोग से पद्मश्री कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो की नृत्य प्रस्तुति, संस्कृत अकादमी के सहयोग से नृत्य नाटिका रत्नावली का मंचन, संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से लंगा-मांगणियार कलाकारों के लोक गीतों की प्रस्तुति, ब्रज भाषा अकादमी के सहयोग से डीग के अशोक शर्मा के निर्देशन मेें महारास, मयूर नृत्य, ब्रज रसिया के अलावा फूलों की होली जैसी भव्य प्रस्तुतियो के साथ ंराजस्थान के भवाई और चरी नृत्य प्रस्तुत किये जाऐंगे। इस अवसर पर सौरभ श्रीवास्तव के निर्देशन में नाटक आत्मकथा का मंचन भी किया जाएगा।

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017


मिनिएचर आर्ट के प्रति सरकारी रवैया उपेक्षापूर्ण
पारम्परिक कला के क्षेत्र में भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान प्राप्त कलाकारों का कहना है कि मिनिएचर आर्ट के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षा पूर्ण है। आर्ट फिएस्टा में चल रही कला चर्चा के दौरान पद्मश्री कलाकारों ने कला उत्थान पर विशेष रूप से चर्चा की।
अर्जुन प्रजापति 
सुप्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री अर्जुन प्रजापति ने जहां पारम्परिक कलाओं के प्रति सरकार की अवहेलना को साझा किया वहीं इन कलाओं को बढ़ावा दिये जाने का प्रस्ताव भी रखा। प्रजापति के अनुसार विशेषकर ललित कलाओं के लिए गठित अकादमी में ही मिनिएचर आर्ट के साथ सौतैला व्यवहार होता है तो अन्य विभागों की क्या बात की जाए।
विजय शर्मा
हिमाचल प्रदेश के पद्मश्री विजय शर्मा एक लम्बे अर्से से पहाड़ी शैली की पेंटिंग्स के उत्थान को लेकर सक्रिय हैं। अपनी बातचीत में उन्होंने अफसोस जताया कि मिनिएचर आर्ट को पढ़ाने-सिखाने के लिए कोई सरकारी संस्थान ही नही है। जबकि पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान में मिनिएचर पेंटिंग शैक्षणिक कोर्स में शामिल है। उन्होंने कहा कि लगातार अनदेखी के चलते घरानेदार चित्रकारी की परम्परा लुप्त होने के कगार पर आ खड़ी हुई है।
एस. शाकिर अली
इधर पद्मश्री एस. शाकिर अली ने कहा कि जब तक सृष्टि है तब तक आर्ट जिन्दा रहेगा। उन्होंने कहा कि आज कोई भी कलाकार भूखा नहीं मर रहा है। हालात यह हैं कि अच्छे आर्टिस्ट्स की कमी है और अच्छे काम की मांग भी, फिर भले ही वो आर्टिस्ट मिनिएचर शैली में काम करने वाला हो या कंटेम्पररी में। अच्छे आर्टिस्ट की कमी के कई कारण हो सकते हैं। इसमें कलाकार की कला साधना में अभाव भी हो सकता है तो कई शैलियों के प्रति सरकारी उपेक्षा भी। 
तिलक गीताई
पद्मश्री तिलक गीताई ने चर्चा के दौरान मिनिएचर आर्ट के प्रति सरकारी अनदेखी पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होनें कहा कि यह एक ऐसी कला है जिसमें दो रुपये के कागज पर लाखों रुपये कमाये जा सकते हैं। इतनी संभावनाओं वाली कला को उपेक्षित क्यों किया जा रहा है, यह बात समझ से परे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कॉलेज स्तर के स्कूल ऑफ आर्ट जैसी संस्था होने के बावजूद भी वहां पारम्परिक कलाओं की शिक्षा नहीं दी जाती है यह दुर्भाग्यपूर्ण है।


रविवार, 24 दिसंबर 2017

कला आन्दोलनकारियों ने किया कलात्मक प्रर्दशन

कला आन्दोलनकारियों ने किया कलात्मक प्रर्दशन
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
राजस्थान के नन्हे ब'चों को कला की शिक्षा दिलाने ,कला शिक्षा के फर्जीवाड़े पर तत्काल रोक लगाने ,योग्य कला शिक्षकों के द्वितिय ,तृतीय श्रेणी के पद सृजित कर भर्ती करने हेतु कई वर्षों से संघर्षरत कला आन्दलनकारियों ने आज 24 दिसम्बर को एक दिवसीय  पड़ाव के साथ कलात्मक प्रर्दशन किया।
बेरोजगार कला अभियर्थी संगठन के बैनर तले प्रदेश भर के चित्रकारों, संगीकारों, मूर्तिकारों, नृत्यकारों ने एकजुट होकर जयपुर विद्यानसभा पर पड़ाव व अपनी कलाओं द्वारा कलात्मक प्रर्दशन कर सरकार की नीतियों के प्रति अपना विरोध दर्ज करवाया।
दोपहर 12 बजे से यााम 4 बजे तक चलने वाले इस कलात्मक विरोध प्रदर्शन में प्रदेश के युवा चित्रकार अदिति अग्रवाल ने अपनी टीम के साथ पंख पेन्टिग का प्रर्दशन किया। वहीं लोक कलाकार भरत गुर्जर ने लोक कलाकारो की टीम के साथ  प्रस्तुती दी।
उल्लेखनीय है कि अपनी आवाज को आन्दोलनकारियों द्वारा दिल्ली दरबार तक पहुंचाने के बाद भी राÓय सरकार इस मांग पर अभी गम्भीरता से विचार नहीं कर पा रही है।



चितौडग़ढ़ के कला महोत्सव में होगी इंटरनेशनल आर्ट रेजिडेंसी

चितौडग़ढ़ के कला महोत्सव में होगी इंटरनेशनल आर्ट रेजिडेंसी     
मूमल नेटवर्क, चितौडग़ढ़। समकालीन और पारंपरिक कला को एक मंच तक लाने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया चितौड़ का कला महोत्सव इस वर्ष नये अन्दाज में आयोजित होने जा रहा है। विगत 3 वर्षों से अपनी अनूठी छाप छोडऩे में सफल रहे इस महोत्सव की अगली कड़ी के रूप में 'इंटरनेशनल आर्टिस्ट रेजिडेंसी' का आयोजन होने जा रहा है। इसी के साथ महोत्सव का आगाज 'गांवों और गांवों को चलो' विषय को प्रतिपादित करते हुए किया जाएगा।
चित्तौडग़ढ़ आर्ट सोसायटी के सचिव मुकेश शर्मा ने बताया कि 3 वर्षों से आयोजित हो रहे इस कला महोत्सव में आर्ट सोसाइटी ने तीन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय आर्ट कैंप का आयोजन किया है जिन्हें अच्छी सराहना मिली। उन्होंने बताया कि इन महोत्सव के जरिए आर्ट सोसाइटी ने कई समर्पित व प्रसिद्ध कलाकारों का समूह बनाया है। शर्मा ने अग्रिम महोत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि अगले वर्ष 2018 में प्रारंभ होने वाले कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पंचायत नंदवाई में किया जाएगा। महोत्सव में कलाकारों द्वारा गांव के गलियारों, परिदृश्य, बच्चों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा, स्वच्छता मिशन, ऐतिहासिक विरासत संरक्षण और क्षेत्रीय लोक कला संरक्षण को दर्शाया जाएगा। इस महोत्सव का आयोजन का मुख्य उद्देश्य गांव पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन जागरूकता को कलात्मक रूप से प्रस्तुत करना है। इस वर्ष से कला क्षेत्र के स्थानीय, ऐतिहासिक स्थानों व स्थानीय समुदायों के साथ जोडऩे का प्रयत्न किया जाएगा।

मुकेश शर्मा ने बताया कि रेजिडेंसी में 20 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार भाग लेंगे जो अन्य कलाकारों से अपनी कलाकृति व कला से जुड़े तकनीक व विचारों को साझा करेंगे।
कार्यक्रम समन्वयक नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि प्रवास के दौरान शॉर्टलिस्ट हुए कलाकारों को अपनी कला की एक प्रस्तुति मांगी गई थी, जिसके आधार पर उनका चयन किया गया है एवं कार्यक्रम के समाप्ति पर चयनित कलाकारों को अपने अनुभव के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसमें भू कला व सार्वजनिक कला का प्रस्तुतीकरण भी सम्मिलित  किया गया है।


अर्से बाद दिखे परम्परा के रंग

अर्से बाद दिखे परम्परा के रंग
दर्शकों की रुचि रही कम
मूमल नेटवर्क जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में जयपुर आर्ट फिएस्टा की 22 तारीख की शाम से शुरुआत हो गयी है। लगातार मॉडर्न व कन्टेम्पररी रंगों के आयोजनों के बीच भारत के पारम्परिक रंगों को एक स्थान पर एकत्रित देखना जयपुर के कला प्रेमियों के लिये खासा सुखद हो सकता था। लेकिन आयोजन के आवश्यक प्रचार-प्रसार में कमी के चलते यहां लोगों की आवाजाही उम्मीद से काफी कम नजर आ रही है। खरीददार भी नदारद हैं। ऐसे में दूरदराज से आए हुए कलाकारों में निराशा छाई हुई है। अब 25 दिसम्बर को क्रिस्मस अवकाश के चलते उम्मीद की आखरी किरण शेष है। दूसरी ओर लगातार आयोजनों के चलते फिएस्टा में स्थानीय कला प्रेमियों की रुचि पनप नहीं पा रही है।
फिएस्टा के उद्घाटन अवसर पर राजस्थान के पद्मश्री सम्मानित कलाकारों व कैबिनेट मंत्री प्रभुलाल सैनी द्वारा वयोवृद्ध पारम्परिक रंगों के चितेरे पद्मश्री श्रीलाल जोशी को लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद छिड़ी बेबाक चर्चा में पद्मश्री अर्जुन प्रजापति ने जहां पारम्परिक कलाओं के प्रति सरकार की अवहेलना को साझा किया वहीं इन कलाओं को बढ़ावा दिये जाने का प्रस्ताव भी रखा।
कल 23 दिसम्बर को पद्मश्री एस. शाकिर अली व पद्मश्री तिलक गीताई ने जहां कैनवास पर रंग भर कर कन्टेम्पररी आर्ट कैम्प की शुरुआत की वहीं इस कैम्प में कोलकत्ता के संजय चक्रवर्ती ने अपनी कला का जीवन्त प्रदर्शन कर दर्शकों को ठिठकने के लिए मजबूर कर दिया।

इधर डूंगरपुर हट का मंच पद्मश्री विजय शर्मा और नीलान्द्री पॉल की कला चर्चा का साक्षी बना। रंगकर्मी सालेहा गाजी से हुई बातचीत के दौरान विजय शर्मा ने अफसोस जताया कि मिनिएचर आर्ट को पढ़ाने-सिखाने के लिए कोई सरकारी संस्थान ही नही है। उन्होने कहा कि लगातार अनदेखी के चलते घरानेदार चित्रकारी की परम्परा लुप्त होने के कगार पर आ खड़ी हुई है। नीलान्द्री पॉल ने भारत की बुनियादी आर्ट के रूप में पारम्परिक कला को देश ही नहीं विदेशों में भी इस कला के विस्तार की बात कही।
जयपुर आर्ट फिएस्टा का पांच दिवसीय आयोजन दिल्ली की ट्रेडीशनल आर्ट प्रमोशनल सोसायटी की तरफ से किया गया है। फिएस्टा का समापन 26 दिसम्बर को होगा।

जयपुर कला महोत्सव 17 जनवरी से

जयपुर कला महोत्सव 17 जनवरी से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला आयोजनों से रंगे इस वर्ष यानि 2017 का सिलसिला अगले वर्ष भी जारी रहने वाला है। नए साल की शुरुआत जहां राजस्थान ललित कला अकादमी के वार्षिक आयोजन कला मेले से होगी वहीं कला मेले की समाप्ति के साथ ही जयपुर कला महोत्सव के दूसरे एडीशन के रंग बिखरने शुरु हो जाएंगे।
प्रतिभा एजूकेशनल डवलपमेंट रिसर्च सोसायटी का कला आयोजन जयपुर कला महोत्सव 2018 की 17 जनवरी से आरम्भ होकर 21 जनवरी तक चलेगा। संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नरूका ने बताया कि इस वर्ष के महोत्सव में कई देशों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के लगभग तीस छात्र-छात्राएं मेला परिसर को आकर्षक इंस्टॉलेशन से सजाएंगे। पोट्रेट हट में कोई भी अपना और अपने प्रियजन का पोट्रेट बनवा सकेगा।
कला चौपाल के अन्र्तगत कला चर्चा व डिस्कशन का माहौल रहेगा। लाईव डेमोस्ट्रेशन व आर्ट कॉम्पीटीशन भी होगा। आर्ट कॉम्पीटीशन में भाग लेने वाले कलाकारों व कला विद्यार्थियों से कोई फीस नहीं ली जाएगी। आर्ट कॉम्पीटीशन दिवयांग बच्चों व स्कूली बच्चों के मध्य भी अलग-अलग सेशन में करवाया जाएगा। इसके साथ ही सजी हुई स्टॉल्स में से किसी एक सर्वश्रेघ्ठ स्टॉल को बेस्ट स्टॉल के अवार्ड से नवाजा जाएगा। नरूका ने बताया कि कलाकारों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से स्टॉल पर सजी पांच सर्वश्रेष्ठ कृतियों को संस्थान द्वारा खरीदा जाएगा।
यह कलाकार देंगे लाईव डेमोस्ट्रेशन
आयोजकों ने बताया कि, महोत्सव के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार लाईव डेमोस्ट्रेशन देंगे। इन कलाकारों में प्रमुख हैं प्रो. सुमित सेन, तीर्थकंर बिस्वास, डॉ. भादेर सिंह, डॉ. चमन शर्मा, डॉ भाभूति पाण्डया, निर्मल कुमार व सान्तनु दास इत्यादि।

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

अमित हरित की 'कान्ट वेट फार ड्रीम्स' दिल्ली में

अमित हरित की 'कान्ट वेट फार ड्रीम्स' दिल्ली में
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। जयपुर के युवा कलाकार अमित हरित की सातवीं सोलो एग्जीबिशन 'कान्ट वेट फार ड्रीम्स' 18 दिसम्बर से ललित कला अकादमी की गैलेरी नं. 4 में चल रही है। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध कवि व आट्र क्रिटिक प्रयाग शुक्ला ने किया। प्रदर्शनी 24 दिसम्बर तक चलेगी।
राजस्थान की धरती से जुड़ी, यहां की लोक शैलियों को समेटे हुए आधुनिक अन्दाज में अपनी पेंटिंग्स को प्रस्तुत करना अमित की खासियत है। उसकी पेंटिंग्स के चटकीले रंग धूसर धोरों के बीच बहते जीवन के चटकीले रंगों का एहसास  सहज ही दर्शकों को करा जाते हैं।

जेकेके में जमेंगे कल से आर्ट फिएस्टा के रंग

जेकेके में जमेंगे कल से आर्ट फिएस्टा के रंग
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कल 22 दिसम्बर से जवाहर कला केन्द्र के शिल्प ग्राम में पारम्परिक कलाओं पर जयपुर आर्ट फिएस्टा का आयोजन होगा। 26 दिसम्बर तक चलने वाला फिएस्टा दिल्ली की ट्रेडीशनल आर्ट प्रमोशनल सोसायटी की तरफ से आयोजित हो रहा है।
आर्ट फिएस्टा का विशेष आकर्षण होगा बंगाल और राजस्थान के नामी कलाकारों के कृतित्व और व्यक्तित्व से कलाप्रेमियों को रूबरू करवाने का। समारोह संयोजक रमाकांत खंडेलवाल ने बताया कि पहले दिन 22 दिसंबर को शाम 5 बजे से होने वाले शो में राजस्थान के पद्मश्री से सम्मानित दो कलाकार श्रीलाल जोशी और मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति से चर्चा होगी। 23 का टॉक शो शाम 6 बजे से होगा जिसमें चंबा के पद्मश्री विजय शर्मा और दिल्ली के एब्सट्रेक्ट आर्टिस्ट नीलाद्री पॉल शामिल होंगे। 24 को बंगाल स्कूल के सेमी रियलिस्टिक शैली के आर्टिस्ट समीर सरकार और राजस्थान के पद्मश्री एस. शाकिर अली, 25 को पद्मश्री तिलक गिताई, बंगाल के रजत सुब्रत बंदोपाध्याय, उड़ीसा के रघुनाथ साहू और झारखंड के परवीन कर्माकर तथा 26 दिसंबर को अलीगढ़ के मूर्तिकार कपिल कपूर और राजस्थान के फोटो आर्टिस्ट किशन मीणा के कृतित्व पर चर्चा होगी।
होंगे आर्ट डेमोंस्ट्रेशन
आर्ट फिएस्टामें आर्ट डेमोंस्ट्रेशन भी होंगे। 23 दिसंबर से हर रोज दोपहर 1 बजे से शिल्पग्राम की जयपुर हट परिसर में लाइव डेमोंस्ट्रेशन शो होंगे जिनमें कई बड़े कलाकार अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन करेंगे। 23 दिसंबर को बंगाल स्कूल के किशोर रॉय, राजस्थान के कल्याण जोशी, पोट्र्रेट आर्टिस्ट चंद्र प्रकाश गुप्ता और नवल किशोर, 24 को रजत सुब्रत बंदोपाध्याय, परवीन कर्माकर और रघुनाथ साहू, 25 को टंका शैली के सिद्धहस्त कलाकार जयशंकर शर्मा, मिनिएचर आर्ट के  वीरेंद्र बन्नू और केके शर्मा छोटू अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन करेंगे।

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

आज हुआ 38वीं छात्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन

आज हुआ 38वीं छात्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन

श्रेष्ठ कृतियों के विद्यार्थी कृतिकार हुए सम्मानित

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी की 38वीं छात्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन आज शाम अकादमी परिसर में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रमुख शासन सचिव व परिवहन विभाग के आयुक्त शैलेन्द्र अग्रवाल थे। इस अवसर पर राजस्थान उर्दु अकादमी के अध्यक्ष अशरफ अली भी उपस्थित थे। इस प्रदर्शनी के लिए अकादमी को राज्य भर से 306 छात्र-छात्राओं की 646 कलाकृतियां प्राप्त हुई थीं। इनमें से 79 छात्रों की 103 कृतियों को प्रदर्शन के लिए चुना गया है। पुरस्कार के लिये 10 कृतियों का चयन किया गया जिन्हें आज 5-5 हजार रुपये के नकद पुरस्कार से नवाजा गया।
मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों से सम्बोधित होते हुए कहा कि, अकादमी से में कई सालों से जुड़ा हूं। आज प्रदर्शित कृतियों को देखकर लग रहा है कि कार्य का स्तर बढ़ा है। नई तकनीकें सामने आ रही हैं। छात्रों की मेहनत के साथ इन परिणामों के लिए शिक्षक भी बधाई के पात्र हैं।
अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम. दलवी ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि, आप लोग कला साधक ही नहीं कला योगी भी हैं। क्योंकि योग के बिना जो बनता है वो क्राफ्ट होता है। आप लोगों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां समाज का दपर्ण हैं। उन्होनें कला विद्यार्थियों को आमन्त्रित करते हुए कहा कि नए विद्यार्थी अपने विचार अकादमी से शेयर करें।
इन कृतियों और कृतिकारों को मिला पुरस्कार
जयपुर से मुबशेरा बानों की माई होम, मो. समीर खान की पोट्रेट स्टडी-1, संस्कृति अग्रवा की टी स्टॉल, उदित अग्रिहोत्री की कतार-2, उदयपुर से जयेश सिकलंगर की 1.2. .3. .4. .5. .., दिव्या चूण्डावत की दी मोस्ट लव्ड मशीन-2, मुक्ता शर्मा की लाइफ ऑफ इनफिनिटी, वनस्थली से अदिति दाधीच की कलेक्टिव पॉवर एवं शालिनी पॉल की लायब्रेरी-1 तथा कुचामन सिटी से मुकेश कुमार की ब्याह-1

जयपुर आर्ट समिट में कन्यादह विमोचन उत्सव

जयपुर आर्ट समिट में 
कन्यादह विमोचन उत्सव
मूमल नेटवर्क, जयपुर।जयपुर आर्ट समिट में कन्यादह विमोचन उत्सव के तहत मूमल के संपादक राहुल सेन की लिखी पुस्तक 'कन्यादह'  का लोकार्पण किया गया।  इस अवसर पर समिट के फाउण्डर डायरेक्टर एस.के भट्ट, डायरेक्टर आर.बी. गौतम, कलाकार अमित कल्ला व अन्य सम्मानित अतिथि उपस्थित थे।

तेरहवीं सदी के दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के कला जगत की आज तक अनकही, अनछुई कहानी को इस पुस्तक में पिरोया गया है। जिसके प्रमाण पुरा-अवशेषों के रूप में आज भी उस स्थान विशेष पर बिखरे पड़े हैं और अपने वैभव से लेकर विनाश तक की गाथा सुना रहे हैं।

नए आयाम स्थापित कर सम्पन्न हुआ जयपुर आर्ट समिट का पांचवा एडीशन

नए आयाम स्थापित कर सम्पन्न हुआ
जयपुर आर्ट समिट का पांचवा एडीशन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। यहां आयोजन के नए आयाम स्थापित करते हुए जयपुर आर्ट समिट का पांचवा एडीशन सम्पन्न हो गया। इसी के साथ जयपुर आर्ट समिट का कद कुछ और ऊंचा हो गया।
रंग और राग, खुशी और आनन्द, अनुभूतियां और विचार, परिचर्चाएं और कल्पनाएं तथा कला के कई रूप और जीवन्त तस्वीरों के पांच दिन के साथ और सुखद एहसास के पलों को बांटकर कल शाम जयपुर आर्ट समिट के पांचवें एडीशन ने विदाई ली। साल-दर-साल पूरे पांच वर्ष की समिट की कला यात्रा अपने आप में अनूठी रही, कई रंगों से लिपटी हुई। 2013 के पहले एडीशन से लेकर आज 2017 में पांचवें एडीशन तक आते-आते जहां समिट कैनवास के कई रंग बदले वहीं पांचवें पायदान ने समिट के कद को भी बढ़ाया। इस वर्ष के समिट में पूरे आयोजन को कुल आठ खण्डों में विभक्त किया गया। जिन्हें सम्बन्धित क्षेत्र के विद्वानों ने क्यूरेटर के रूप में अपनी कल्पनाओं के कैनवास पर जूनियर व सीनयर आर्टिस्ट्स के संग मिलकर साकार किया। कई कृतियों, कलाकारों व कला अभिव्यक्तियों के साथ इस वर्ष के समिट के खासियत रही उसका व्यवस्थित होना।
जयपुर और भारत के युवा व वरिष्ठ कलाकारों के साथ विदेश के कई मुल्कों से आए कलाकारों ने इन पांच दिनों में पूरी उर्जा के साथ अपनी भागीदारी निभाई। कलाकारों ने अपनी कला अभिव्यक्ति से यह साबित कर दिया कि कला सीमाओं और बंधनों से परे की चीज है जिसकी सच्ची साधना प्रेम और खुशियों के रंग बिखेर एक सूत्र में बांधने को प्रेरित करती है। कला की सही शब्दों में व्याख्या करें तो यह साक्षात ईश्वर से साक्षात्कार करवाने का एहसास करवाती है।

कल होगा जॉनी एमएल का व्याख्यान

कल होगा जॉनी एमएल का व्याख्यान
मूमल नेटवर्क, दिल्ली। मूर्तिकार धनराज भगत का जन्म शताब्दी वर्ष आयोजन की प्रथम कड़ी के रूप में कल 20 दिसम्बर को शाम 5 बजे रवीन्द्र भवन स्थित कौस्तुभ ऑडिटोरियम में जॉनी एमएल का व्याख्यान होगा।

अकादमी मनाएगी मूर्तिकार धनराज भगत का जन्म शताब्दी वर्ष


अकादमी मनाएगी मूर्तिकार धनराज भगत का जन्म शताब्दी वर्ष
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी देश के जाने-माने मूर्तिकार धनराज भगत का जन्म शताब्दी वर्ष धूमधाम से मना रही है। कल 20 दिसम्बर यानि धनराज भगत के जन्मदिवस के अवसर पर यह आयोजन आरम्भ होगा जो अगले बरस 2018 के 20 दिसम्बर तक चलेगा।
इस पूरे वर्ष में अकादमी के देश भर में फैले केन्द्रों में कला व मूर्तिशिल्प पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिनमें वार्ताएं, व्याख्यान, कला कार्यशालाएं व मूर्तिशिल्प शिविर शामिल हैं।


अकादमी के प्रशासक सी एस कृष्णा शेट्टी ने धनराज भगत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, भगत पूरे उपमहाद्वीप में नवोन्मेषी मूर्ति शिल्पकार के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्होनें देसी और आधुनिक शिल्प को मिलाकर अद्भुत कल्पनाओं को साकार किया। उनके ज्यामितीय व परिष्कृत आकृति संबन्धी प्रयोगों ने कृतियों में भारतीय लोक व पश्चिमी आधुनिक शैलियों के मिश्रण की झलक पेश की। उन्होंने दुनिया में भारतीय कला को अपने स्तर पर विशेष पहचान दिलवाई।
ऐसे महान कलाकार की यादों को सम्मानित करने के लिए शेट्टी ने सभी कला परिषदों व कला अकादमियों से भी धनराज भगत का जन्म शताब्दी वर्ष मनाने का आग्रह किया है।

सोमवार, 18 दिसंबर 2017

कमाल के आर्ट परफ़ॉर्मेन्स

कमाल के आर्ट परफ़ॉर्मेन्स
राजस्थान विश्वविद्यालय में अस्टिेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत, मुलत: कोटा निवासी कृष्णा महावर पांचाल की रुचि आर्ट परफोर्मेंस में विशेष रूप से है। कृष्णा के पास आर्ट परफोर्मेंस के बारे में अच्छा ज्ञान हैं। जयपुर आर्ट समिट में उन्हें यहां प्रस्तुत किये जाने वाले आर्ट परफोर्मेंस खींचकर लाते हैं। इस कला के प्रति अपने विचारों को साझा करते हुए कृष्णा महावार ने बताया कि,
परफ़ॉर्मेन्स आर्ट भारत के लिए नई है। आज इंस्टालेशन आर्ट से तो काफी लोग वाकिफ हो रहे हैं। कलाकार अन्तरसम्बन्धात्मक कार्यो मैं भी अभ्यास करने लगे है। परंतु परफ़ॉर्मेन्स आर्ट को लेकर कोतुहल बना हुआ है। परफ़ॉर्मेन्स आर्ट एक एसी नवीन कला शैली है जिसमे कलाकार अपने शरीर को ही अपनी अभिव्यक्ति का टूल बनाता है। यह पूर्णत: प्रत्ययवादी(कॉन्सेप्टुअल) होती हैं। इसमें पूरी स्वतंत्रता होती है । कलाकार के और दर्शको के बीच कोई दीवार नही होती। दर्शक भी इसमें एक हिस्सा बन जाता है। कलाकार इसे चाहे तो पब्लिक के बीच लाइव करे या रिकॉर्ड करके भी दिखा सकता है। कलाकार योजना बनाकर पूरी तैयारी के साथ या फिर केवल इम्प्रोवाइजेशन भी कर सकता है। कुछ मिनट के लिए या कुछ घंटो के लिए या महीनों के लिए भी परफ़ॉर्मेन्स हो सकती है।
हाँ, जैसे मरीना अब्रोमोविक को परफ़ॉर्मेन्स आर्ट की गॉड मदर" कहा जाता है उनका परफ़ॉर्मेन्स artist is present मोमा(म्यूसियम ऑफ मॉडर्न आर्ट) मे 750 दिन चल था। खैर इस विधा में कलाकार के पास कहने को बहुत कुछ होता है जिसे किसी अन्य पारंपरिक माध्यम चित्र या मूर्तिशिल्प द्वारा कहना संभव नही होता। इसमे राजनैतिक, सामाजिक, लिंग भेद जैसे और कई जरूरी मुद्दों को कलाकार अपना विषय बनाते हैं। तथा सशक्त रूप में परफ़ॉर्मेन्स द्वारा अभिव्यक्त करते हैं।

जयपुर आर्ट समिट मे आज हुई दो आर्ट परफ़ॉर्मेन्स अपने प्रदर्शनात्मक पहलू में बहुत ही रोमांचित कर देने वाली थी। पहली परफ़ॉर्मेन्स भारत के रघु वोदेयर की थी। इसमे उन्होंने एक कांच के वर्गाकार फिश एक्वेरियम के अंदर अपना चेहरा गर्दन तक छुपाया था। या यों कहे कि उस एक्वेरियम को मास्क की तरह पहना था। उसमें छोटे आकार की सजीव मछलियां भी तैर रही थी वे भीड़ के बीच एकदम से धीरे धीरे चलते हुए आते हैं और वंहा पहले से ही एक चमकीली पीली एक्रेलिक शीट उपलब्ध थी। और उसके दोनों और बाल्टी में गुंथी हुई मिट्टी के छोटे गोले भरे हुए थे। रघु वंहा पंहुच कर उन मिट्टी के गोलों को उस शीट पर चिपकना शुरू कर देते है और लोगो को भी एक एक करके आमंत्रित करते है वैसा ही करने को। लोग भी बढ़ चढ़ कर भागीदारी निभाते है, परंतु मिश्रित भाव लिए । लेकिन उस परफ़ॉर्मेन्स को सही मायनों में तो दर्शक ही आगे लेकर जाते है। और कही न कही यही प्रक्रिया उस परफ़ॉर्मेन्स की वास्तविक सफलता सिद्ध करती हैं।

दूसरी परफ़ॉर्मेन्स पोलेन्ड से आए आरती ग्रोबोव्स्की की five shoked of life थी वे नंगे बदन आते है और माइक पर पांच चरणों मे अजीब अजीब आवाजो के साथ पास रखी बाल्टियों को भी हाथ से बजाते है। हर बाल्टी के बाद वे थोड़ी दूर जाकर खड़े हो जाते है और एक अन्य आदमी उस बाल्टी मे भारी सामग्री को उनके बदन पर फेंकता है। इन सामग्रियों में क्रमश: पानी, सफेद चुना पाउडर, कोयला पाउडर, छोटे छोटे पत्थर के टुकड़े आदि शामिल हैं। एक खाली बाल्टी को वे अपने सर को ढक अजीब गर्मजोशी से बाल्टी को पीटते हुए ये दोहराते जाते है- I love you, I hate you. ऐसे ही कभी yes, no, I trust you, I faith on you....वगैरह वगैरह। अंत मे टेबल पर चढ़ एक बाल्टी को दर्शको की और उंडेल देते हैं , पहले की सारी प्रक्रिया को देख दर्शक भी डर से जाते है कि उसमें क्या होगा। अचंभित माहौल में एकदम से खुशी छा जाती है जब उसमे से रंग बिरंगे कागज के चमकदार टुकड़े चारो और गिरते हैं। अंत मे वे एक बड़े हथोड़े से वहां रखी पांचो बाल्टियों को पीट पीट कर तोड़ देते है और एक ओर फेंक देते है। वास्तव मे जीवन के इन पांच प्रकार के डर का ये शानदार परफ़ॉर्मेन्स प्रत्येक दर्शक को लुभा गया। वे भी सारे भावो से एक के बाद एक गुजरते रहे। मेरे पांच वर्षीय पुत्र ने भी प्रत्येक परफ़ॉर्मेन्स में भागीदारी दी और इन पलों का आनन्द उठाया।

जयपुर आर्ट समिट के पांचवे एडीशन का आज अन्तिम दिन


जयपुर आर्ट समिट के पांचवे एडीशन का आज अन्तिम दिन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला, कलाकार व कलाप्रेमियों को समर्पित जयपुर आर्ट समिट के पांच दिवसीय पांचवें एडीशन का आज अन्तिम दिन है। कुछ ही घण्टों में जयपुर के कला जगत व देश-विदेश के कलाकारों से समिट विदाई लेने वाला है्, अगले बरस फिर मिलने के वादे के साथ। बहुत बड़े कैनवास और अलग अन्दाज में इस वर्ष के समिट की गतिविधियों का कलाकारों व कलाकारों ने जी भर कर आनन्द लिया। कला चर्चाएं, कला फिल्में, आर्ट डेमोस्ट्रेशन, कला पुस्तकों के विमोचन, कला कार्यशालाओं के साथ कला कृतियों के प्रदर्शन व गीत-संगीत की जीवन्त महफिलों ने समिट को यादगार पलों में बदल दिया।
आज कुछ ही देर बाद घड़ी में 4 बजते ही बांग्ला देश के शुभो शाह एवं जर्मनी के डोरोथिया सेरर आर्ट परफोमेंस देंगे। इसके बाद 6 बजे रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में जयपुर आर्ट समिट की क्लोजिंग सेरेमनी की जाएगी।

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

कला और कलाकारों के नाम रहा समिट का दूसरा दिन

कला और कलाकारों के नाम रहा समिट का दूसरा दिन
मूमल नेटवर्क। रवीन्द्र मंच पर चल रहे पांच दिवसीय जयपुर आर्ट समिट का दूसरा दिन कला व कलाकारों का नाम रहा। गहमा-गहमी के स्थान पर बहुत ही शांति से बीत रहे समिट के दूसरे दिन में कला चर्चाओं का शोर रहा। अपने आकषर्ण से लोगों को पास बुलाते आर्ट इंस्टॉलेशन्स ने समिट की सैर का आमन्त्रण दिया।
कला चौपाल की चर्चा कला शिक्षा

वुडन बॉक्स को जोड़कर बनाए गए कलात्मक चौपाल में चर्चा की गर्मी थी, कला शिक्षा का औचित्य। मुबई के वरिष्ठ कलाकार प्रभाकर कोल्टे का कहना था कि यदि एकलवय नीति अपनाए और विश्वास का दामन थामें तो संभवत आर्ट एजूकेशन की आवश्यक्ता ही नहीं रहे। कलात्मक वातावरण और सीखने सिखाने के दौर कला के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।
डेमोस्ट्रेशन की बहार
 
चार गुणजनों के चार डेमोस्टेशन कला की खूबियों को अभिव्यक्त कर रहे हैं। 17 दिसम्बर तक निरन्तर चलने वाले डेमोस्ट्रेशन्स में जयन्त गजेरा कंटेम्पररी वुड कट पर, दत्तात्रेय आप्टे पेपर पल्प कॉस्टिंग पर, राजीव लाचन डिजीटल प्रिंट पर तथ्ता जापान के आर्टिस्ट यूरिको जापानी पेंटिंग पर कार्य कर रहे हैं।

कार्यशालाओं का मजमा
कला कार्यशालाओं की श्रृंखला में कल गौरी केटकर ने रिसाइलिंग आर्ट व पंकज गोस्वामी ने कार्टुनिंग कला की बारीकियां सिखाई।
फिल्म सेशन
कल 15 दिसम्बर को करीम बैज के निर्देशन से सजी रिद़म ऑफ थार तथा पाऊला के निर्देशन में तैयार दि गुरु एण्ड दि फार्क का लोगों ने लुत्फ लिया।

गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

कलात्मक आगाज हुआ कला के कारवां का


कलात्मक आगाज हुआ कला के कारवां का
जयपुर आर्ट समिट के पांचवें एडीशन की शुरुआत रवीन्द्र मंच पर

कलाश्री अवार्ड से नवाजे गए आर.बी. गौतम और प्रो. भवानी शंकर शर्मा

मूमल नेटवर्क, जयपुर। कल से रवीन्द्र मंच पर जयपुर आर्ट समिट के पांचवें एडीशन के रंग सज गए हैं। इस वर्ष के आयोजन का कैनवास कुछ नए अन्दाज में और आकार में बड़ा बुना गया है। मुख्य प्रदर्शनी के साथ रवीन्द्र मंच परिसर में सजे आर्कषक इंस्टॉलेशन्स जहां अपनी कारीगरी और रंगों की परिकल्पना से लोगों को लुभा रहे हैं, वहीं दूसरी और अपने होने की कहानी को भी अभिव्यकत कर रहे हैं।

ऐसे हुई शुरुआत
मुख्य सभागार में फिल्मी अन्दाज में अंधेरे मंच पर स्पॉट लाईट का प्रकाश और एक चित्रकार जोगेन चौधरी की कूंचि की हरकत से श्वेत-श्याम रेखाओं से सजी कृति ने धीर-धीरे पूरा आकार ले लिया। और फिर पूरी रौशनी के साथ मंच दर्शकों के सामने था जहां पर समिट के विशिष्ट अतिथियों के रूप में आमन्त्रित चित्रकार जोगेन चौधरी, मूर्तिकार हिम्मत शाह, गीति सेन व प्रणव रंजन रे जैसे कला के सशक्त हस्ताक्षरों के अभिन्न्दन के साथ समिट की औपचारिक शुरुआत हुई।

इस वर्ष बहुत कुछ
इस वर्ष का समिट विजुअल आर्ट को पसन्द करने वाले दर्शकों के लिए ही नहीं वरन् परफोंमिग आर्ट के दर्शकों के लिए भी रचा गया है। कला प्रदर्शनी, आर्टिस्ट कैम्प, आर्ट परफोमेंस, कैलीग्राफी, व परफोमिंग आर्ट के साथ लीक से हटकर कुछ नये अन्दाज की फिल्मों का प्रदर्शन, विभिन्न विषयों पर कला चर्चाएं एवं और भी बहुत कुछ समेटे है, इस वर्ष का समिट। पूरे आयोजन को कुल आठ खण्डों में विभक्त किया गया है। जिन्हें सम्बन्धित क्षेत्र के विद्वान क्यूरेटर के रूप में अपनी कल्पनाओं के कैनवास पर जूनियर व सीनयर आर्टिस्ट्स के संग मिलकर साकार कर रहे हैं।

इस वर्ष से कलाश्री अवार्ड
जयपुर आर्ट समिट फाउण्डेशन की तरफ से अब हर वर्ष ऐसे कलाकारों को कलाश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा जिन्होनें कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इस वर्र्ष कलाश्री के प्रथम अवार्ड से कलाविद एवं समिट के डायरेक्टर आर.बी. गौतम तथा समिट के सलाहकार मण्डल में शामिल प्रो. भवानी शंकर शर्मा को कलाक्षी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

होप : पर्सपेक्टिव ऑफ रीयल सीइंग...

होप : पर्सपेक्टिव ऑफ रीयल सीइंग...
-लखनऊ से अमित कल्ला
अदब और मिजाज़ के शहर लखनऊ की कला स्रोत आर्ट गैलरी और भारतीय सांस्कृतिक परिषद् (आई सी सी आर) के संयुक्त तत्वाधान में अलीगंज वीथिका परिसर में होप समूह की चित्रकला प्रदर्शनी दर्शकों को लुभा रही है। प्रदर्शनी का उद्धघाटन 8 दिसम्बर को वास्तुशिल्प संसथान (ऐकेटीयु) की प्राचार्या वंदना सहगल ने किया। प्रदर्शनी में देश भर के पन्द्रह कलाकारों के चित्र, ड्राइंग और मूर्तिशिल्प प्रदर्शित किये गए हैं।
कला स्रोत गैलरी की निर्देशिका मानसी डिडवानिया ने बताया कि इन सभी रंगसाजों की संगति में निश्चित ही बहुत कुछ बेहतरीन रचा गया है, जिसमें नये तारों का जन्म, नया क्षितिज, मुकाम और खुद-ब-खुद अपने आपको किन्हीं बुनवटों संग दौहरता मुकम्मल मंजऱ पैदा होता है, हर एक कलाकृति को देखने में एक सुंदर अनुक्रम की अनुभूति होती है, जिसका साक्षी होना ही निसर्ग का सर्ग और भव का वास्तविक वैभव होना है।
यह प्रदर्शनी सही अर्थों में झरते हुए रंगों को अपने भीतर समेटकर उनसे यथासंभव हुए ताल्लुकात के सही-सही अर्थों को जानने समझने का एक मुमकिन रास्ता है जो अपने आपमें  कैनवास पर सरकती रेखा और उसके सहारे टिके हुए बिंदु के सूक्ष्म से विराट होकर नियत रंगों की सरहदों में समा जाने की दास्तान-ए-दजऱ् पर उकेरी गई खूबसूरत इबारत है  । सांस दर सांस अंतर घट के भीतर सुनायी देने वाले अनहद नाद और उसकी असल लय की अकही और अगही ज़ुबान का गहरा अदब और युवा चित्रकारों के भीतर मन कि दहलीज़ों से बाहर झाँकते सयाने सपनों की सिलसिलेवार मखमली सलवटों की सुखन भरी सुरमई नुमाइंदगी है । लिहाज़ा कतरा-कतरा अनुस्मृतियों को सहेज कर शिद्दत से अपने होने के काबिल-ए -सफर को पहचानने और आहिस्ता से उसके आलम में यकीनन डूब जाने का अदना सा नाम है होप।
प्रदर्शनी का आयोजन चौदह दिसंबर तक ज़ारी रहेगी।
इन कलाकारों की कृतियां हैं प्रदर्शित
अमित कल्ला (जयपुर), विजेंद्र एस विज, (दिल्ली), बाला गोपालन (मैसूर), डायना महापात्रा (ओडि़सा), दुर्गा प्रसाद बांदी (बड़ोदा) दिव्या पांडे (बडौदा), गिरीश बेहड़ा (दिल्ली), मुकेश शाह (दिल्ली), मेघांश थापा (गुडगाँव) ,राहुल जैन (ग्वालियर), विनय अम्बर (जबलपुर), मैनाज़ बानो, जय किशोर, रवि कुमार, संजय राय और योगेश कुमार प्रजापति (लखनऊ)।
                 

रविवार, 10 दिसंबर 2017

जयपुर आर्ट समिट का पांचवा एडीशन नए अन्दाज में

जयपुर आर्ट समिट का पांचवा एडीशन नए अन्दाज में
अनुभवी क्यूरेटर बुनेंगे कला फलक
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आर्ट समिट का पांचवा एडीशन 14 दिसम्बर से शहर की सांस्कृतिक धड़कन रवीन्द्र मंच पर आयोजित होगा। 18 दिसम्बर तक चलने वाला यह आयोजन कला दर्शकों के समक्ष नये अन्दाज में प्रस्तुत होने जा रहा है।
आज शाम आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में समिट के फाउण्डर डायरेक्टर एस.के. भट्ट ने बताया कि, इस बार का समिट विजुअल आर्ट को पसन्द करने वाले दर्शकों के लिए ही नहीं वरन् परफोंमिग आर्ट के दर्शकों के लिए भी रचा गया है।
समिट में मुख्य प्रोग्राम के रूप में कला प्रदर्शनी, आर्टिस्ट कैम्प, आर्ट परफोमेंस, कैलीग्राफी, व परफोमिंग आर्ट का आयोजन किया जा रहा है। समिट के मुख्य आकर्षण के रूप इस बार 11 कला कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं जिसमें परफोमिग आर्ट भरतनाटय़म को भी शामिल किया गया है। कला फिल्मों के प्रदर्शन में भी लीक से हटकर कुछ नये अन्दाज की फिल्मों को चुना गया है जिनमें सामाजिक मुद्दों पर आधारित शार्ट फिल्म भी है। इन सब के साथ टॉक्स के सेशन में जहां विभिन्न विषयों पर चर्चाएं होंगी वहीं परफोमिग आर्ट की आकर्षक प्रस्तुतियां दर्शकों को आनन्द के पलों का एहसास करवाने के लिए तत्पर हैं।
पूरे आयोजन को कुल आठ खण्डों में विभक्त किया गया है। जिन्हें सम्बन्धित क्षेत्र के विद्वान क्यूरेटर के रूप में अपनी कल्पनाओं के कैनवास पर जूनियर व सीनयर आर्टिस्ट्स के संग मिलकर साकार करने वाले हैं।

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

अमित राजवंशी-नारी चित्रण से फंतासी तक

अमित राजवंशी-नारी चित्रण से फंतासी तक
इंदौर में जन्में अमित राजवंशी की शिक्षा व कर्मस्थली बनी राजस्थान की मरुभूमि। चित्रकार के रूप में अमित ने अपने चित्रण का केन्द्रबिंदु नारी को बनाया और नारी चित्रण के लिए ही आज उनकी विशेष पहचान है। अमित के चित्रों की नारियां एक लयात्मक गति के साथ सामने आती हैं। संभवत लयात्मकता के चलते ही चित्रों में अमित ने नारी के सहभागी के रूप में पहले मछली, मोर और फिर घोड़े को उसका संगी बनाया।
 
वस्त्रहीन नारी चित्रण के चलते कई विरोध झेल चुके अमित का कहना है कि मेरा चित्रण अश्लील नहीं अपितु नारी की सामाजिक व मानसिक स्थिति का प्रतिबिंब है। सबसे पहले उन्हें 'साइको' सीरीज ने मशहुर किया जिसमें उन्होने नारी की विक्षिप्त अवस्था की दयनीयता और ऐसी अवस्था में भी समाज की उस देह के प्रति लोलुपता को दर्शाया।  इसके बाद अमित की नारी में कहीं सबलता दिखी तो कहीं बेचारगी, कहीं कमसिनता दिखी तो कहीं कामुकता। परन्तु चित्रण का भाव व रेखाएं लयात्मक रहीं।
कहतें हैं समय और स्थितियां मन के भाव को बदलने में सक्षम होती हैं। कुछ ऐसा ही अमित के मनोभावों के साथ हुआ। बदलते समय ने उन्हें यह एहसास करवाया कि कहीं ना कहीं चित्रण को लेकर वो एक ही घेरे में बंध रहे हैं या टाईप्ड हो रहे हैं। 
मन में बदलाव की लहर ने पूरी सजगता के साथ तब अंगड़ाई ली जब उनका चयन महिला महाविद्यालय में व्याख्याता के रूप में हुआ। अपनी छात्राओं के बीच अपने अन्दर के चित्रकार को सुलझाते हुए और सामाजिक सरोकारों के अनुसार प्रस्तुत करने की प्रबलता ने उनकी चित्रण शैली को बिल्कुल ही बदल डाला। रेखाओं की लयात्मकता कोणात्मक हो गई। विषय का चयन जो केवल नारी पर केन्द्रित था बहुआयामी हो गया। सबसे खास बात रही चित्रण की सरलता और रोचकता। अभी हाल ही में जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में लगी अमित की सोलो एग्जीबीशन के कोणात्मक चित्र खासे पसन्द किये गए। भविष्य में अमित की योजना कैनवास चित्रण के साथ स्कलपचर्स की बुनावट और इंस्टॉलेशन के विशेष गठन के प्रति झुकाव लिये नजर आ रही है। अमित का कला सफर कला प्रेमियों को इस कलाकार के मनोभावों के कई अन्य रोचक पहलुओं से रू-ब-रू करवाने वाला है, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
आगामी 5 व 6 दिसम्बर को राजस्थान के अजमेर नगर में मूमल व शुभदा संस्था के संयुक्त तत्वावधान में अमित राजवंशी के चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। प्रतिष्ठित अजमेर क्लब के प्रांगण में होने वाली इस चित्र प्रदर्शनी के दौरान अमित राजवंशी नगर के गणमान्य लोगों की उपस्थिाति में अपनी कला का जीवन्त प्रदर्शन भी करेंगे।
                                                                                                 -गाायत्री

गुरुवार, 30 नवंबर 2017

इंदौर में भी खुलेगा ललित कला अकादमी का रीजनल सेन्टर

इंदौर में भी खुलेगा ललित कला अकादमी 
का रीजनल सेन्टर 
मूमल नेटवर्क, इंदौर। लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की पहल पर इंदौर में ललित कला अकादमी का रीजनल सेन्टर शीघ्र ही खुलेगा। सुमित्रा महाजन ने इसके लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा से चर्चा की थी, जिस पर उन्होंने स्वीकृति दे दी है।
कार्ययोजना को गति और मूर्त रूप देने के लिए सुमित्रा महाजन और महेश शर्मा के निर्देश पर अकादमी के प्रशासक कृष्णा शेट्टी, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अवर सचिव  अनर्ब आईच और भोपाल से राज्य के संस्कृति विभाग तथा भारत भवन के अधिकारीगण ने इंदौर का दौरा किया। अकादमी के रीजनल सेन्टर के स्थान का चयन करने के लिये सभी लोगों ने
संभागायुक्त संजय दुबे एवं परिवहन व पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ रामपुर कोठी (पुराने आरटीओ ऑफिस) का निरीक्षण किया, तत्पश्चात लालबाग में इसी संबंध में मीटिंग की गई।
मीटिंग में कृष्णा शेट्टी ने कहा कि स्पीकर सुमित्रा महाजन यह केंद्र अतिशीघ्र प्रारम्भ करवाना चाहती है और हम भी इसके लिए तैयार है। संभागायुक्त दुबे ने कहा कि बहुत जल्द रामपुर कोठी में सुधार की प्रक्रिया का शुरु करवा दिया जाएगा।
उन्होंने बैठक के दौरान ही इस संबंध में आर्किटेक्ट से भी चर्चा की। बैठक में स्पीकर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि शहर के कलाकारों को बेहतर प्लेटफॉर्म देने के लिए ललित कला केंद्र बनाने की योजना दो साल से बनाई जा रही है। इसके लिए जहां आरटीओ ऑफिस चल रहा था, उस इमारत का चयन भी कर लिया गया था। अब केसरबाग स्थित आरटीओ बिल्डिंग के नायता मुंडला के नए भवन में शिफ्ट होने के बाद लालबाग पैलेस के पास ऐतिहासिक होलकर कालीन रामपुर कोठी में दिल्ली के ललित कला केंद्र के रीजनल सेंटर को शुरू करने की कवायद की जा रही हैं।

59 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 5 फरवरी 2018 से

59 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 5 फरवरी 2018 से
राजस्थान के पांच कलाकारों सहित देश भर के 172 कलाकारों की कृतियों का चयन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 59वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन 5 फरवरी 2018 से किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी 18 फरवरी तक चलेगी।
प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए देश भर के 1433 कलाकारों की 3644 कृतियों अकादमी को प्राप्त हुई थीं। पांच सदस्यों के निर्णायक मण्डल ने  21 से 23 नवम्बर तक आयोजित बैठक में प्रदर्शनी के लिए कुल 172 कलाकृतियों का चुनाव किया। निर्णायक मण्डल ने आमन्त्रित अनुभाग के तहत प्रख्यात कलाकारों जैसे बोस कृष्णामचारी, टी.वी. सन्तोष, अतुल डोडिया, मनु पारेख, के.एस. राधाकृष्णन, सुबोध गुप्ता,  अद्वैत गणनायक, ज्योति भट्ट, सुदर्शन शेट्टी, एल.एन. ताल्लुर और एन. पुष्पमाला से कलाकृतियां आमन्त्रित करने का भी सुझाव दिया है।
अकादमी के प्रेस प्रतिनिधी हिमांशु डबराल ने बताया कि, भारतीय स्वतन्त्रता के 70वें वर्ष को मनाने के लिए पुरस्कार चयन के लिए कलाकारों की दो श्रेणियाँ बनाई गई हैं। प्रथम श्रेणी में 30 से 50 वर्ष के आयु समूह में 10 पुरस्कार और दूसरी श्रेणी में 50 वर्ष से ऊपर के आयु समूह के लिए 5 पुरस्कार अकादमी द्वारा प्रदान किये जाएंगे।
निर्णायक मण्डल
प्रो. श्याम शर्मा, बिहार
नोनी बोर पुजारी, असम
रामदास अध्यांत्या, कर्नाटक
वी. नागदास, छत्तीसगढ़
जॉनी एम.एल., नई दिल्ली
मनु पारेख
प्रदर्शनी के लिए चयनित राजस्थानी कलाकार
डिम्पल चाण्डत, नेमाराम, पंकज गहलोत, पुष्पा दुल्लर, वाघाराम चौधरी।

बुधवार, 29 नवंबर 2017

छापा कला का पहला बैनाले मार्च में

छापा कला का पहला बैनाले मार्च में

मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली।
देश में छापा कला को प्रोत्साहन करने के लिए ललित कला अकादमी देश में पहली बार छापा कला बैनाले का आयोजन कर रही है। इस आयोजन में देश-विदेश के कलाकार हिस्सा लेंगे। पांच चयनित कृतियों को 2-2 लाख रुपए के पुरस्कार दिये जाएंगे।
ललित कला अकादमी देश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रिंट द्विवार्षिकी (छापा कला बैनाले) आयोजित कर रही है। अकादमी के प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने जानकारी दी कि छापा कला (प्रिंट) को बढ़ावा देने के लिए यह बैनाले 25 मार्च को शुरु होगा और 10 अप्रेल तक चलेगा। बैनाले का आयोजन ललित कला अकादमी व राष्ट्रीय आधुनिक संग्रहालयों की दीर्घाओं में किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री करेंगे। बैनाले में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से कलाकार अपनी कलाकृतियां भेज सकते हैं। अकादमी द्वारा निर्धारित प्रपत्र को भर कर 30 दिसम्बर तक आवेदन भेजे जा सकते हैं।
प्रदर्शनी के लिए चयनित कृतियों में से श्रेष्ठ पांच कृतियों को दो-दो लाख रुपए की नकद राशि के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम में  पांच दिन की वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें कलाकार आधुनिक शैली से रूबरू होने के साथ ही परंपरागत शैली को और निखार सकेंगे। प्रसिद्ध कलाविद अनुपम सूद को इस प्रदर्शनी में आयुक्त का दायित्व सौंपा गया है। प्रिंट कलाकार आनंद रॉय बनर्जी ने बैनाले के बारे में कहा कि यह हम पर निर्भर है कि हम इस अवसर का लाभ उठाएं व समकालीन छापा कलाकारों (प्रिंटमेकर) के लिए एक नई छाप छोड़ते चलें। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गणनायक ने कहा कि संग्रहालय के पास अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं हैं जो कि अकादमी को उपलब्ध करवाई जाएंगी। ललित कला अकादमी का ये प्रयास मील का पत्थर साबित होगा।
बैनाले में भाग लेने के इच्छुक कलाकार 30 दिसंबर तक आवेदन भेज सकते हैं। भारतीय कलाकारों के लिए आयोजन में हिस्सा लेने का शुल्क रुपये एक हजार रखा गया है।
मूमल के पास बैनाले में प्रवेश का आवेदन पत्र और नियमावली उपलब्ध है।

अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला 4 फरवरी से दिल्ली में

अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला 4 फरवरी से दिल्ली में
राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का पहला अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला
स्टॉल बुकिंग आवेदन की अन्तिम तिथि 15 दिसम्बर
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय कला मेला आयोजित कर रहा है। 15 दिवसीय मेला 4 से 18 फरवरी 2018 को आयोजित होगा। अकादमी आयोजित इस मेले में आर्टिस्ट स्टॉल बुक करवाने के लिए 15 दिसम्बर तक आवेदन कर सकते हैं।
इस मेले में राज्यों की ललित कला अकादमियां एवं क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र भी स्टॉल बुक करवा सकती हैं। इसके साथ कलाकार समूह, कला दीर्घाएं, संस्थाएं व महाविद्यालय भी मेले में भाग ले सकते हैं। अकादमी मेले में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का कैटलॉग भी प्रकाशित करेगी।
आवेदन पत्र व नियमावली मूमल के पास उपलब्ध है।

मंगलवार, 28 नवंबर 2017

जयरंगम में रजिस्ट्रेशन फ्री किन्तु डोनेशन पर जोर


जयरंगम में रजिस्ट्रेशन फ्री किन्तु डोनेशन पर जोर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। पिछले वर्ष नाट्य प्रेमियों को जयरंगम में नाटक देखने के लिए टिकट खरीदने पड़े थे। इस वर्ष राज्य के कला संस्कृति विभाग की अनुदान स्वीकृत करने की शर्त के चलते जयरंगम को नाटकों को देखने के लिए फ्री रजिस्ट्रेशन का प्रावधान करना पड़ा है। हां नाट्य प्रेमियों से शुल्क वसूलने के लिए डोनेशन की पतली गली निकाली गई है।
रंगमंच के प्रचार-प्रसार के लिए राजस्थान के कला संस्कृति विभाग के साथ कई निजी संस्थाएं एवं राष्ट्रीयकृत बैंक जयरंगम को भारी-भरकम राशि का अनुदान दे रहे हैं। गत वर्ष भारी अनुदान प्राप्त करने के बाद भी जयरंगम ने लोगों से नाटक देखने के लिए सभागार प्रवेश शुल्क के रूप में काफी बड़ी रकम एकत्रित की थी। इस वर्ष राज्य के कला-संस्कृति विभाग ने अनुदान के एवज में यह कड़ी शर्त लगा दी कि नाट्य प्रेमियों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाए। इसके चलते जयरंगम ने सभागार में प्रवेश के लिए किया जाने वाला रजिस्ट्रेशन तो नि:शुल्क रखा है किन्तु प्रमियम सीटें डोनेशन देने वालों के लिए रिजर्व कर दी हैं। अपनी वेबसाईट में जयरंगम ने डोनेशन की अपील के साथ यह स्पष्ट लिखा  है कि यदि सभागार में महत्वपूर्ण और प्रीमियम सीट पर बैठकर नाटक देखना है तो सीट आरक्षण के लिए जयरंगम को डोनेशन देना होगा।
इस वर्ष डोनेशन के लिए की गई अपील से जयरंगम आयोजकों को कितना डोनेशन मिलता है और उसमें से अपने वादे के अनुसार वो कितना थियेटर एक्टिविटी के प्रमोशन के लिए लगाते हैं, आने वाला समय बताएगा। जवाहर कला केन्द्र, महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम से सिमट कर जयरंगम को रवीन्द्र मंच पर अपना आयोजन करने के लिए आना पड़ा है। जयरंगम के सिमटने और अनुदान के बढ़ते जाने का विवरण आगामी खबरों में।

रविवार, 26 नवंबर 2017

प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा



प्रतिबिंब की कला में कला का प्रतिबिंब- विनय शर्मा
यूं तो कला की कई विधाएं और विधाओं की कई शाखाएं हैं। कला के प्रति समर्पित कलाकार अपनी कला-विधा के प्रति जुनूनी भी होता है और पारंगत भी। लेकिन कला की दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिन्होने स्वयं को किसी विधा विशेष की सीमाओं में नहीं बांधा है। कला जिनके प्रत्येक आचरण से झलकती है्र जीवन का प्रत्येक कदम जिनके लिए कला में सांस लेने जैसा होता है। कला के सीमाबंधन से परे उन्मुक्त आकाश के अनन्त विस्तार जैसा।
कुछ दिन पहले एक शार्ट फिल्म 'सड़क से सरहद तक' देखने का अवसर मिला। सुखनिधि फिल्म्स की प्रस्तुति इस फिल्म का केन्द्र बिन्दु नायक एक परीचित चेहरा और अभिनय ऐसा जो वास्तविकता को समेटे हुए दिल को सहजता से छू लेने वाला। इस फिल्म को देखने के बाद नायक कलाकार की कला यात्रा के कुछ पल टटोलने की इच्छा अनायास ही मन में जागी और कलम ने अपना कार्य करते हुए इन रोचक पहलुओं से आपको भी रू-ब-रू करवा दिया है।
यह फिल्म इस लिंक पर जाकर आप भी देख सकते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=6AoX0D7cBr0
आप जरूर उस नायक कलाकार का नाम जानने को उत्सुक हो उठे होंगे। वो कलाकार हैं विनय शर्मा, जिनकी कला यात्रा प्रत्येक के लिए एक खुली किताब सी है। शुरुआत प्रिंट मेकिंग से फिर पुरानी बहियों के पन्नों पर बनी कलाकृतियों ने देश-विदेश के कला जगत में पहचान बनाना शुरु किया। कला में सम्माहित होने की आतुरता ने अपना कैनवास स्वयं बुनने-बनाने की प्रेरणा दी। हैण्डमेड पेपर स्वयं बनाते और उसे कैनवास की शक्ल में ढाल कर सुन्दर सी आकृति प्रस्तुत कर देते। देखते ही देखते यह विनय शर्मा की पहचान बन गई। ...और पहचान देश के विभिन्न हिस्सों को छूती हुई सरहद पार विदेशी मुल्कों तक जा पहुंची।
जर्मनी, इंग्लैण्ड, कतर, पौलेण्ड, इजिप्ट के आर्ट कैम्पस में अपनी पहचान को नये-नये आयाम देते हुए भारत का प्रतिनिधत्व किया। आध्यात्मिकता की लगन ने भी कला कृति का रूप इख्तियार किया और कुछ वर्ष पहले दिल्ली में आयोजित मोसा सेके्रड आर्ट की डिवोशनल कला प्रदर्शनी में झण्डे गाढ़े। यहां इन्होनें राजस्थान के उदयपुर के ग्राम बस्सी की लुप्त होती काष्ठ कला कावड़ को अपना माध्यम बनाकर उस कला को नई राह दिखाई। विश्व कला जगत के प्रिय कलाकार बनते जा रहे विनय शर्मा को कुछ दिन पहले आईएफजे The Indian review of world interiors, architecture, furniture and design पत्रिका के एक अंक में इनकी कलाकृतियों और इन्स्टॉलेशन पर सचित्र आवरण कथा प्रकाशित की गई है। यह पत्रिका आईएएफपी से भी संबद्ध है।
कला को अधिक से अधिक रंगों और आकारों में समेटने की लालसा ने विनय को उन सब पुरानी वस्तुओं को समेटने के प्रति आकर्षित किया जिन्हें बदलते समय ने बीते काल की तरहा भुलाना शुरु कर दिया था। आज उन्हीं वस्तुओं से सजा एक संग्रहालय विनय के आवास पर नई जिन्दगी की सांसे ले रहा है। अपने समीप आने वालों को वो अपने अनुभव की  कई ऐसी कहानियां सुनाता है जो लोगों को एक नई व सुखद अनुभूति का एहसास करवा जाती हैं।
इन दिनों विनय का रुझान प्रतिबिंबों की ओर बढ़ता लग रहा है। यह प्रतिबिंब उनका स्वयं का हो या उनके द्वारा संग्रहित वस्तुओं का। यह छाया किसी कलाकृति की हो या या किसी भी प्राकृतिक चीज, मानव  व वस्तुओं की। परछाई की तरफ बढ़ता विनय शर्मा का यह रुझान कला जगत को प्रतिबिम्बों के रूप में और कौनसी नई  सौगात देगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल विनय शर्मा मलेशिया की यात्रा करने की तैयारियों में व्यस्त हैं जहां पर सासरान इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल का आर्ट कैम्प उनकी बाट जोह रहा है।
लगभग 20 देशों के कलाकारों की मेजबानी करने को तत्पर एक से 10 दिसम्बर तक चलने वाले इस आर्ट फेस्टिवल में विनय के साथ हैदराबाद से भी एक कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करने जा रहे हैं।    -गायत्री