गुरुवार, 30 अगस्त 2018

जनजातीय व लोक कलाएं हों सार्वजनिक-राजीव सेठी

जनजातीय व लोक कलाएं हों सार्वजनिक-राजीव सेठी
मूमल नेटवर्क, जयपुर। विलुप्त होती जा रही लोक एवं जनजातीय कलाओं को प्रदर्शनी और कला दीर्घाओं से बाहर निकालकर सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किए जाने से ही उनका संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सकता है। एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन और बस स्टैण्ड आदि सार्वजनिक स्थान ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में आमजन का आवागमन होता है। ऐसे में इन कलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किए जाने से लोगों में उनके प्रति जागरूकता बढ़ेगी। यह कहना था एशियन हैरिटेज फाउण्डेशन, नई दिल्ली के संस्थापक एवं अध्यक्ष राजीव सेठी का। सेठी ने यह वक्तव्य राजस्थान ललित कला अकादमी एवं भारतीय शिल्प संस्थान जयपुर के संयुक्त तत्वावधान आयोजित संगोष्ठी में अपने प्रजेन्टेशन ‘‘मैं आदिवासी हूं’’ में दिया।
तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी एवं कला प्रदर्शनी का उद्घाटन राजस्थान सरकार के पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका ने 29 अगस्त को दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर एशियन हैरिटेज फाउण्डेशन, नई दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष राजीव सेठी, राजस्थान ललित कला अकादमी अध्यक्ष अश्विन एम. दलवी, सचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार सोनी, भारतीय शिल्प संस्थान की निदेशक डॉ. तूलिका गुप्ता, वरिष्ठ कलाविद् सी.एस. मेहता, मिन्हाज़ मजूमदार, चित्रकार पद्मश्री शाकिर अली, अकादमी प्रदर्शनी अधिकारी विनय शर्मा सहित कला जगत के कई गणमान्य उपस्थित थे।

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता एशियन हैरिटेज फाउण्डेशन, नई दिल्ली के संस्थापक एवं अध्यक्ष राजीव सेठी थे। सेठी ने अपने प्रजेन्टेशन में भारत के विभिन्न राज्यों के लोक एवं जनजातीय जीवन की छवि प्रस्तुत की, जिनमें उन्होंने आदिवासियों का रहन-सहन, खान-पान, लोक कलाओं और संस्कृति पर विस्तार से जानकारी साझा की। इसके साथ उन्होंने लोक जनजीवन के रीति-रिवाजों की प्राचीनता के साथ आधुनिकता का समावेश दर्शाया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सेठी ने कहा कि आधुनिक समय में एनीमेशन का कलात्मक प्रयोग बहुत हो रहा है, लेकिन एनीमेशन स्टोरीज भारतीय कथाओं को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जा रही हैं।
राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष अश्विन एम. दलवी ने कहा कि अकादमी का प्रयास है कि हम अन्य संस्थानों के साथ मिलकर फोक एण्ड ट्राइबल आर्ट को आमजन तक पहुंचाएं। इसी कड़ी में इस तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है ताकि कला से जुड़े शोधार्थियों, कलाविदें एवं हर वर्ग तक इनके संरक्षण का संदेश पहुंचाया जा सके। भारतीय शिल्प संस्थान की निदेशक डॉ. तूलिका गुप्ता ने कहा कि संगोष्ठी में संस्थान के क्राफ्ट और डिजाइन फैकल्टीज के अलावा देश के विभिन्न स्थानों से आए कलाविदों के ज्ञान का लाभ स्थानीय कलाकारों और कला के विद्यार्थियों को मिलेगा।
राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि संगोष्ठी के अन्य सत्र ‘‘ट्रेडिशनल ऑर्ट फॉम्र्स अ क्रॉस द वल्र्ड: एक्सपोजर, लर्निंग एण्ड फ्यूचर स्कोप’’ को नई दिल्ली से आई कलाविद् मिन्हाज मजूमदार, सिटी पैलेस के प्रो. यूनूस खिमानी एवं आदित्य ज्ञा ने सम्बोधित किया, वहीं सत्र ‘‘फोक एण्ड ट्राइबल आर्ट टेऊडिशन्स: रिवाइवल मॉडल्स फॉर लर्निंग’’ में नई दिल्ली से आए कलाविद् चन्द्रशेखर भेड़ा, प्रो. चिन्मय मेहता और भारतीय शिल्प संस्थान की प्रो. पाम्पा पंवार ने परिचर्चा की।
संगोष्ठी के दूसरे दिन 30 अगस्त के पहले सत्र मेें ‘‘कन्टेम्पराइजिंग इंजीनियस क्राफ्ट्स थ्रू स्टाइल एण्ड लग्जरी इन्टरप्रिटेशन्स’’ को फ्रांस से आईं आर्ट क्यूरेटर वेण्डी गेयर, बड़ौदा से प्रो. जयराम पौडवाल, सारिका नारायण तथा निवेदिता नारायण ने सम्बोधित कियो। दूसरे सत्र ‘‘एक्सपीरियन्स ऑफ आर्चीविंग शोकेसिंग फोक एण्ड ट्राइबल आर्ट’’ में जयपुर के बृज भसीन, भूपेश तिवारी, सुमन पाण्डे एवं रेखा भटनागर के बीच परिचर्चा हुई। इसके साथ ही तीसरा सत्र ‘ट्रेडीशनल आर्ट फार्मस अक्रोस द वल्र्ड-एक्सपोजर, लर्निंग एण्ड फ्यूचर स्कोप‘’ सम्पन्न हुआ।
इस आयोजन में फोक व ट,ाईबल आर्ट प्रदर्शनी भी लगाई गई है। प्रदर्शनी को मिहाज मजूमदार ने क्यूरेट किया है। आयोजन का समापन कल 31 अगस्त को होगा।

रविवार, 26 अगस्त 2018

पहाड़ी लघु चित्रकला और चंबा रुमाल प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

पहाड़ी लघु चित्रकला और चंबा रुमाल प्रतियोगिता के परिणाम घोषित
कांगड़ा के चित्रकार दीपक भंडारी को प्रथम पुरस्कार
मूमल नूटवर्क, शिमला।
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की 'पहाड़ी लघु चित्रकला और चंबा रुमाल प्रतियोगिता' के वर्ष 2017 के पुरस्कार घोषित कर दिए गए हैं। अकादमी सचिव डॉ. कर्म सिंह ने कहा कि पहाड़ी लघु चित्रकला और चंबा रुमाल प्रतियोगिता योजना नियम के अनुसार वर्ष 2017 के लिए पहाड़ी चित्रकारों और चंबा रुमाल शिल्पियों से उनकी स्वरचित दो-दो नवीनतम कलाकृतियां आमंत्रित की गई थीं।
दोनों विधाओं के प्रत्येक पुरस्कृत कलाकारों को प्रथम पुरस्कार 15000 रुपये, द्वितीय पुरस्कार 7000 रुपये, तृतीय पुरस्कार 5000 रुपये की राशि के अतिरिक्त अंगवस्त्र आदि भी प्रदान किए जाएंगे। पुरस्कार वितरण अकादमी के भव्य समारोह में किया जाएगा।
सचिव ने जानकारी दी  कि पुरस्कारों का चयन 24 अक्तूबर 2017 को निर्णायक मंडल की बैठक में किया गया था। चुनाव आचार संहिता के कारण पुरस्कारों की घोषणा नहीं की जा सकी थी। अब मुख्यमंत्री और अकादमी अध्यक्ष जयराम ठाकुर के चयनित पुरस्कारों की घोषणा कर दी है।
2017 के पहाड़ी लघु चित्रकला प्रतियोगिता में कृष्ण लीला और वेणु गोपाल कलाकृतियों के लिए शाहपुर, कांगड़ा के चित्रकार दीपक भंडारी को प्रथम पुरस्कार, रामायण चित्र और गीत गोविंद कलाकृतियों के लिए धर्मशाला के चित्रकार मोनू कुमार को द्वितीय और त्रयंबकेश्वर महादेव और गीत गोविंद कलाकृतियों के लिए चंबा के परीक्षित शर्मा को तृतीय पुरस्कार दिया जाएगा।
चंबा रुमाल के लिए प्रथम पुरस्कार कृष्णा इन गार्डन और दान लीला रुमालों के लिए चंबा की अनीता,  ढोलकी रास और गोल रास रुमालों के लिए चंबा की पिंकी को द्वितीय और रस मंडल (चंबा शैली) रुमाल के लिए कमला चड्ढा को तृतीय पुरस्कार दिया जाएगा। पहाड़ी लघु चित्र कला के लिए 17 चित्रकारों और चंबा रुमाल के लिए 7 शिल्पियों से कुल 48 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं।

रविवार, 19 अगस्त 2018

राजस्थान के युवा थिएटर निर्देशकों से आवेदन आमंत्रित

राजस्थान के युवा थिएटर निर्देशकों से आवेदन आमंत्रित
तीन युवा डायरेक्टर्स को दिए जाएंगे एक-एक लाख रूपए
जेकेके द्वारा युवा थिएटर डायरेक्टर्स को दी जायेगी वित्तीय सहायता
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान के युवा थिएटर डायरेक्टर्स को प्रोत्साहित करने और थिएटर में नवीन विचार लाने के उद्देश्य से जवाहर कला केंद्र  युवा थिएटर निर्देशकों को सहयोग रूप में वित्तीय अनुदान देगा। इसके तहत जेकेके द्वारा गठित थिएटर जूरी युवा निर्देशकों के तीन नाटकों का चयन करेगी। इन निर्देशकों को नाटक के विकास एवं निर्माण के लिए एक-एक लाख रूपए का वित्तीय अनुदान दिया जाएगा। प्रत्येक चयनित निर्देशक को एक वरिष्ठ थिएटर निर्देशक द्वारा मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा।
इस अनुदान के लिए प्रस्ताव भेजने वाले निर्देशक की उम्र 18 वर्ष से 35 वर्ष होनी चाहिए। उन्हें थिएटर निर्देशन में न्यूनतम तीन वर्ष का अनुभव भी होना चाहिए। आवेदन करने वाले निर्देशक द्वारा प्रस्तावित नाटक का पूर्व में मंचन नहीं होना चाहिए। आवेदन 25 अगस्त तक भेजे ज सकते हंै।

रंगों की लयात्मकता का आभास देती प्रदर्शनी क्रोमा

रंगों की लयात्मकता का आभास देती प्रदर्शनी क्रोमा
ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय केंद्र की  पेंटिंग कार्यशाला में सृजनरत धीरज यादव के चित्रों की एकल प्रदर्शनी क्रोमा लखनऊ के गोमती नगर स्ििात सिटी मॉल में लगी हुई है। प्रदर्शनी का उद्घाटन 17 अगस्त को लखनऊ कॉलेज की प्रिंसिपल व आर्किटेक्ट संकाय की डीन वंदना सहगल ने किया। 23 अेस्त तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 45 चित्र प्रदर्शित किये गए हैं।
कहते हैं प्रकृति विविध आकारों और रंगों के कारण परिलक्षित होती है। कभी कभी आकार एक जैसे होते है तो हम उन्हें रंगों के माध्यम से जान पाते हैं। वस्तुओं को हम उसके आकारए स्वरूप या रंग से पहचानते है। यदि आकार हो और रंग न हो तो नीरसता का आभास होगा। चित्रकार के लिए रंग उसकी अभिव्यक्ति का मूल माध्यम है। रंग से भाव तथा रस की उत्पत्ति होती है। चित्र सृजन में कला के छ: अंग में वर्णिका भंग एक महत्वपूर्ण अंग है। रंग का जीवन और कला दोनो में बहुत महत्व है। यदि रंग का बोध न हो तो चीजों को पहचानने में दिक्कत होती।
चित्रकार अपने चित्रों में रंग के माध्यम से लयात्मकता उसी प्रकार लाता है जैसे संगीतकार अपनी रचना में स्वर। उदाहरण के लिए इम्प्रेशनिस्ट कलाकार स्यूरा ने अपने चित्रों में रंगों के विज्ञान का पूरी तरह अध्ययन किया और हमारे सामने रखा। धीरज ने कुछ ऐसे ही भाव प्रस्तुत करने के लिए रंगों का भरपूर प्रयोग किया है। इनके चित्रों में भू.दृश्य, दैवीय रूप, लखनऊ की चिकनकारी तथा अद्धभुत भाव -भंगिमा प्रस्तुत करते व्यक्ति चित्र पर आधारित चित्रण करने का प्रयास किया है।
धीरज अपने चित्रों के बारें में कहते हैं कि, चिकनकारी लखनऊ की प्रसिद्द परंपरा है। मेरे चित्रों के चिकनकारी मशीनरी है। इसकी विशेषता इसके अलंकरणों को कलात्मक रूप से प्रस्तुत करना है । घाट के सभी चित्र मंदिरों और घाटों पर आधारित है। जिसको बनाने के लिए भिन्न भिन्न रंगों का प्रयोग कर और सुन्दर रूप प्रदान करने का प्रयास किया है। भूदृश्य हमें अक्सर सफर करते समय दिखाई देते है। मैंने भी प्रकृति के कुछ अंश लेकर चित्र भूदृश्य को विभिन्न प्रकार के रंगों से बनाने का प्रयास किया है।
उल्लेखनीय है कि, राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ कई राज्यों से सम्मान पाने वाले युवा चित्रकार धीरज यादव वर्ष 2017 में भारत के राष्ट्रपति भवन में आर्टिस्ट इन रेजीडेंसी प्रोग्राम में भाग ले चुके हंै इनके चित्रों की प्रदर्शनी उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के प्रमुख राज्यों में भी लग चुकी हैं।
                                                                                                             -भूपेंद्र कुमार अस्थाना

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

15 करोड़ में खरीदी पेंटिंग के नकली होने का खुला राज

15 करोड़ में खरीदी पेंटिंग के नकली होने का खुला राज
खरीददार सकते में
मूमल डेस्कवर्क। पांच साल पहले किसी एग्जीबिशन से एक बड़े कलाकार की पेंटिग समझकर 1 लाख 65 हज़ार पाउंड यानि तकरीबन 15 करोड़ रूपए में खऱीदी पेंटिंग के नकली होने का खुलासा हुआ है। यह पेंटिंग एक जग और नाशपाती की है जिसे ब्रिटेन के कलाकार सर विलियम निकलसन की कलाकृति बताकर बेचा गया था। एक विशेषज्ञ द्वारा जांच करने पर पेंटिंग नकली निकली।
लगभग 5 साल पहले बिकी एक पेंटिंग के असली होने पर तब सवाल उठा जब बीबीसी के कार्यक्रम 'फ़ेक ऑर फ़ॉर्चून' में उसे जांचा गया। एक विशेषज्ञ ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि इसे किसने पेंट किया।
इधर एक लिखावट विशेषज्ञ का कहना है कि ये पेंटिंग असली है और सबूतों के मुताबिक़ ये निकलसन के पेंट बॉक्स की ही है। कार्यक्रम की प्रस्तोता फिओना ब्रूस ने कहा कि वो हैरत में हैं क्योंकि पेंटिंग के जाली होने का मामला काफ़ी मज़बूत है।
ऐसे हुआ शक
पेंटिंग को खरीदने वाली लिन कहती हैं कि उन्हें इसकी विश्वसनीयता पर कोई शक़ नहीं हुआ था जब उन्होंने 2006 में इसे खऱीदा था, "पहली नजऱ में इससे प्यार हो गया था।" लेकिन जब 2011 में कलाकार निकलसन की सभी कलाकृतियों का कैटलॉग प्रकाशित हुआ तो उसमें इस पेंटिंग का नाम नहीं था।
लिन ने कहा, "मैं बहुत दुखी हुई। मुझे लगा कि न्याय ही ख़त्म हो गया है।" उन्हें उम्मीद थी कि फ़ेक ओर फ़ॉर्चून की टीम शायद इस शक़ को ग़लत साबित कर पाए। यह पेंटिंग विल डार्बी की गैलरी से खऱीदी गई थी जहां इसे प्रदर्शनी के लिए लगाया गया था।
कुछ नए सबूतों से लगा कि ये पेंटिंग निकलसन के अपने पेंट बक्से की ही है जो उनके पोते के घर में है। लिखावट विशेषज्ञ ने कहा कि वो 100 फ़ीसदी मानते हैं कि पेंटिंग के पीछे लिखी लिखावट निकलसन की ही है। कनाडा में इसी तरह की एक पेंटिंग और है जिसके पिगमेंट इस पेंटिंग से मिलते-जुलते हैं।
नकली निकली पेंटिंग
लेकिन इन सबके बावजूद एक विशेषज्ञ पेट्रिशिया रीड को विश्वास नहीं था कि यह पेंटिंग असली है। उन्होंने कहा, "ऐसा कोई सीधा सबूत नहीं है जो बताए कि निकलसन ने खुद यह पेंटिंग बनाई है।" निकलसन का जन्म 1872 में हुआ था और उनकी जि़ंदगी के 50 साल पेंटिंग के नाम रहे। उन्होंने पोट्र्रेट, लैंडस्केप और स्टिल लाइफ  कलाकृतियां बनाईं।
विशेषज्ञ रीड का कहना है कि निकलसन के कुछ छात्रों ने स्टूडियो में सीखने के दौरान उनके पेंटिंग बोर्ड का इस्तेमाल किया होगा। विंस्टन चर्चिल भी इस संडे पेंटर्स नाम के ग्रुप का हिस्सा रहे हैं और विशेषज्ञ पेट्रिशिया रीड का मानना है कि ये पेंटिंग इसी ग्रुप के किसी व्यक्ति ने बनाई है। अंतरराष्ट्रीय आर्ट डीलर फिलीप मोल्ड ने बताया, "किसी चित्र के लिए की गई ये हमारी सबसे ठोस तकनीकी जांच है।

रविवार, 12 अगस्त 2018

प्रदर्शनी डेवोशन में दिखे संस्कृति के विभिन्न रंग


प्रदर्शनी डेवोशन में दिखे संस्कृति के विभिन्न रंग
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आईसीए गैलरी में इन दिनों समूह प्रदर्शनी डेवोशन लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। लम्बे अर्से के बाद जयपुर के रंगों के साथ अन्य प्रदेशों के रंग देखना अच्छा लग रहा है। कलाकारों ने अपनी कूचि से मनोभावों का डेवोशन आकर्षक रूपाकारों में उकेरा है। प्रदर्शनी में भारत के 55 प्रतिष्ठित कलाकारों की लगभग 100 कलाकृतियां प्रदर्शित की गईे हैं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन 12 अगस्त  को हुआ। इस अवसर पर सिटी पैलेस संग्राहलय के निदेशक यूनुस खिमानी, आईआईसीडी निदेशक तूूलिका गुप्ता, जयपुर आर्ट समिट के संस्थापक एस.के. भट्ट एवं राजस्थान ललित कला अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन दलवी उपस्थित थे। 18 अगस्त तक चलने वाली इस 7 दिवसीय प्रदर्शनी को आईसीए गैलरी द्वारा क्यूरेट किया गया है।

प्रदर्शनी में इन कलाकारों की कृतियां हैं प्रदर्शित
1. अमित हरित- जयपुर
2. अशोक बलोडिया-दिल्ली
3. अशोक राठोड़-मुंबई
4. अशोक रॉय-कोलकाता
5. बबली केशरी - कोलकाता
6. बनवारी लाल जांगिड़ - जयपुर
7. बी. एन. शुक्ला-लखनऊ
8. बी. एन. आर्य - लखनऊ
9। चंद्र मोर्कोंडा-चेन्नई
10. चित्रा आर्य - लखनऊ
11. दीपक रॉय - कोलकाता
12. जी.के. श्रवण कुमार-हैदराबादबाद
13. घनश्याम कश्यप-दिल्ली
14. एच. बी. भुजेल-नेपाल
15. एच.आर. दास-मुंबई
16. इंदु त्रिपाठी-दिल्ली
17. जे. सूर्य नारायण-मुंबई
18. जिन्तेन्द्र सैनी-जयपुर
19. के. प्रकाश - मुंबई
20. किशोर रॉय-कोलकाता
21. के. कृष्ण कुंदारा-जयपुर
22. कौशिक अवतान-दिल्ली
23. लखन सिंह जाट-जयपुर
24. मानवेंद्र सिंह-जयपुर
25. मोनिका दीवानंग-छत्तीसगढ़
26. मुकेश साल्वी-जयपुर
27. नीतू छाजेर-कोलकाता
28. नीलेश भारती-पुणे
29. प्रवीण उगे-मुंबई
30. परमेश पॉल-मुंबई
31. रमेश गोरजाला-चेन्नई
32. राखी कुमार-दिल्ली
33. राहुल महेरे-मुंबई
34. राजेंद्र कुमार-दिल्ली
35. राजेश्वर नयालपल्ली-हैदराबादबाद
36. राम ओन्कर-दिल्ली
37. रोहित शर्मा-दिल्ली
38. सरला चंद्र-दिल्ली
39. शरद भारद्वाज-उदयपुर
40. संजय चक्रवर्ती-दिल्ली
41. शाहीन वर्मा-दिल्ली
42. समीर सरकार-कोलकाता
43. संजय तंदेकर-मुंबई
44. संगीता शर्मा-दिल्ली
45. संदीप ग्यूम -
46. संजय टिक्कल-दिल्ली
47. शीतल चितलांगिया-जयपुर
48. शिशिर भट्ट-जयपुर
49. सुब्रतो दास-कोलकाता
50. श्वेत गोयल-जयपुर
51. तस्लीम जमाल-बांसवाड़ा
52. वसुंथुला रामकृष्ण-हैदराबादबाद
53. विजय वांशु-दिल्ली
54. विनय शर्मा-जयपुर
55. विनय त्रिवेदी-जयपुर

कलाविद गौतम को लाइफ टाइम अवार्ड

कलाविद गौतम को लाइफ टाइम अवार्ड 
बंगाल आर्ट फाउंडेशन करेगा सम्मानित
मूमल नेअवर्क, जयपुर। प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप राजस्थान के अध्यक्ष आर बी गौतम को कला संस्कृति के क्षेत्र में पिछले पचास वर्षों से दिए गए योगदान और सृजनात्मक सक्रियता के लिए  बंगाल आर्ट फाउंडेशन द्वारा लाइफ टाइम अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कोलकाता की म्यूजियम आर्ट गैलेरी में प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर रामकृष्ण कला केंद्र में एक ग्रुप प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी जिसमें आर.बी. गौतम के चित्र भी शामिल हैं।
पेग के प्रवक्ता रविकांत माइकल ने बताया कि कार्यक्रम में आर्टिस्ट कौंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष व प्रदेश के वरिष्ठ कला समीक्षक डॉ. ए एल दमामी और जयपुर आर्ट समिट के निदेशक एस के भट्ट विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद होंगे।

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

स्टेट अवार्ड व छात्र कला प्रदर्शनी की नई तारीखें

स्टेट अवार्ड व छात्र कला प्रदर्शनी की नई तारीखें 
छात्रों की पुरस्कार राशि अब 10 हजार
मूमल नेटवर्क, जयपुर। (संशोधित) राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार 60वें स्टेट अवार्ड के आवेदन की अन्तिम तिथि 10 सितम्बर और 39वीं छात्र कला प्रदर्शनी के आवेदन की अन्तिम तिथि 18 सितम्बर है। इसी के साथ छात्र कला प्रदर्शनी में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए दी जाने वाले पुरस्कार राशि को पांच हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया गया है। इस वर्ष दस श्रेष्ठ कृतियों के छात्र कलाकारों को 10-10 हजार रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

नई सोच के साथ मनाया गया अकादमी स्थापना दिवस

नई सोच के साथ मनाया गया अकादमी स्थापना दिवस
64वें स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत हुई स्कूली बच्चों के साथ
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। कल 6 अगस्त को ललित कला अकादमी का 64वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। इस समारोह की विशेष बात रही स्कूली बच्चों को कला के प्रति प्रेरित करने का प्रयास। इस अवसर पर एल के ए कलेक्शन्स प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्य समारोह व प्रदर्शनी का उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने किया।
स्थापना दिवस की शुरुआत कल सुबह 10 बजे राष्ट्रपति एस्टेट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में बच्चों के साथ मिलकर मिट्टी की कृतियां बनाकर की गई। अकादमी आयोजित 'आओ मिट्टी में खेलेंÓ कार्यक्रम में मूर्तिकार व अकादमी अध्यक्ष उत्तम पचारणे साथ मूर्ति शिल्पकार चंद्रजीत यादव एवं प्रशांत देसाई ने दिया। स्कूली बच्चों के साथ मिलकर क्ले से खेल-खेल में बनाई गई कृतियों ने अकादमी अध्यक्ष उत्तम पचारणे की कार्यशैली व उनकी सकारात्मक सोच के साथ नए आयाम स्थापित किये। अकादमी स्थापना दिवस की इस शानदार व बच्चों को साथ लेकरचलने की अध्यक्ष की भावना ने सबको प्रभावित किया।
मुख्य समारोह की शुरुआत शाम साढे चार बजे अकादमी में हुई। इस अवसर पर कला प्रदर्शनी एल के ए कलेक्शन्स लगाई गई। प्रदर्शनी व समारोह का उद्घाटन संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने किया। डॉ महेश शर्मा ने अकादमी को बधाई देते हुए भारतीय कला और संस्कृति में इसके अहम योगदान की सराहना की। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय के 'कल्चरल मैपिंगÓ यानी 'सांस्कृतिक सूचीकरणÓ अभियान की जानकारी दी। डॉ शर्मा ने सांस्कृतिक संगठन संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र और पद्मभूषण कलाकार राम वी सुतार को सम्मानित किया।
अकादमी अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने संस्थान के कार्यों के बारे में बताया और भविष्य में आयोजित की जाने वाली योजनाओं की जानकारी दी। अपने वक्तव्य में पचारणे ने कला गतिविधियों पर लिखने वाले मीडिया कर्मियों की सराहना की।
समारोह में अकादमी ने लगभग तीन दर्जन युवा कलाकारों को स्कालरशिप प्रदान की। इस अवसर पर दिसम्बर में आयोजित होने वाले त्रिनाले का लोगो भी हरलीज किया गया। समारोह की एक और उपलब्धि रही  'अ पेंटर ऑफ  एलोक्वेंट साइलेंस का लोकार्पण। प्रणव रंजन रे लिखित यह पुस्तक आर्टिस्ट गणेश पाइने की कला पर आधारित है।
समारोह का समापन चेतन जोशी के बांसुरी वादन से हुआ।

रविवार, 5 अगस्त 2018

सांस्कृतिक विकास के लिए एकजुट हुए सात राज्य

सांस्कृतिक विकास के लिए एकजुट हुए सात राज्य
नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला की बैठक आयोजित 
मूमल नेटवर्क, मसूरी। नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला की मेंबर ऑफ एग्जीक्यूटिव बोर्ड एवं कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कल्चरल सेंटर के चेयरमैन व पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर ने की। बैठक में नार्थ जोन में शामिल सात राज्यों के प्रतिनिधियों ने सांस्कृतिक विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया। राज्यों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान कर भी जोर दिया।
शनिवार को मसूरी स्थित सवॉय होटल में आयोजित बैठक में नार्थ जोन के सात राज्यों के प्रतिनिधियों सहित मेजबान उत्तराखंड से पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर पंजाब के राज्यपाल व एनजेडसीसी चेयरमैन वीपी सिंह बदनोर ने कहा कि बैठक में उत्तराखंड के सांस्कृतिक विकास को लेकर कई सुझाव मिले, जिन पर मिलकर कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कल्चरल सेंटर राज्यों के सांस्कृतिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है। लोकनृत्य और लोक कलाओं के माध्यम से भी संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। इस दौरान दूरस्थ क्षेत्रों के लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही विलुप्त होते पारंपरिक वाद्य यंत्रों को संरक्षित करने और संजोने के प्रयास पर भी विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर व केंद्र के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में पीएल साहू संयुक्त सचिव भारत सरकार, पूर्णिमा चौहान सचिव भाषा एवं संस्कृति हिमाचल प्रदेश, बीना भट्ट निदेशक संस्कृति उत्तराखंड, डॉ. अश्विन दलवी चेयरमैन, राजस्थान ललित कला अकादमी, माधव कौशिक, केवल धारीवाल पंजाब, शिवकुमार हरियाणा, संजीव गुप्ता जम्मू कश्मीर, एमएस जग्गी पंजाब, अरुण गुप्ता चंडीगढ़, कमल अरोड़ा चडीगढ़ सहित कई सम्मनित अतिथी उपस्थित थे।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

लोक कलाओं के रंगों से सजेंगी खास ट्रेनें

लोक कलाओं के रंगों से सजेंगी खास ट्रेनें 
मूमल नेटवर्क, जयपुर। लोक संस्कृति एवं कला को बढ़ावा देने के लिए रेल मंत्रालय एक अनूठी पहल करने जा रहा है। अब कुछ खास ट्रेनें अपने राज्य की लोक कलाओं के रंगों से सजाई जाएंगी।  में रंगी नजर आएंगी। ट्रेन यदि राजस्थान की है तो उसे राजस्थानी पेंटिंग से, बिहार की है तो उसे मधुबनी पेंटिंग से और मध्यप्रदेश की है तो उसे बाहरी हिस्से पर गोंड चित्रकला नजर आएगी। पूर्व मध्य रेलवे से इसकी शुरुआत होने जा रही है। ईसीआर अपनी ट्रेन पटना-राजधानी के बाहरी हिस्से में मधुबनी पेंटिंग को उकेर रहा है। इसकी शुरुआत एनसीआर के अलीगढ़ रेलवे स्टेशन से हुई है। 

कनॉट प्लेस के जनपथ सबवे में सजी है कला प्रदर्शनी

कनॉट प्लेस के जनपथ सबवे में सजी है कला प्रदर्शनी
'विजय की उत्कृष्ट कृतियां हमारा राष्ट्रीय गौरव ' प्रदर्शनी में 
42 समकालीन कलाकारों की कृतियां
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। एनडीएमसी ने अपने क्षेत्र में कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में देश के 42 समकालीन कलाकारों की एक सामूहिक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया है। कनॉट प्लेस के बाहरी सर्कल स्थित जनपथ भूमिगत पारपथ (सबवे) में यह प्रदर्शनी लगाई गई है। दो भागों में आयोजित इस प्रदर्शनी के पहले प्रदर्शन का उद्घाटन 30 जुलाई को हुआ। यह प्रदर्शनी आठ अगस्त तक चलेगी। प्रदर्शनी का दूसरा भाग 10 से 27 अगस्त तक प्रदर्शित होगा।
एनडीएमसी के अध्यक्ष नरेश कुमार ने इस कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस कला प्रदर्शनी को विजय की उत्कृष्ट कृतियां हमारा राष्ट्रीय गौरव शीर्षक दिया गया है। इस अवसर पर कलाकारों को संबोधित करते हुए नरेश कुमार ने कहा कि महानगर की दौड़-भाग वाली दिनचर्या के तनाव से यहॉं के नागरिकों को राहत दिलाने और उनकी जिदंगी में खुशहाली लाने के उद्देश्य से पालिका परिषद् द्वारा ऐसे कलाऔर संस्कृति के आयोजन किया जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों का उद्देश्य कला एवं संस्कृति को कलादीर्घाओं, संग्रहालयों और सभागारों से बाहर निकाल कर सार्वजनिक स्थानों पर जन-साधारण को सुलभ कराना है, जिससे वें इनमें भाग लेने के साथ-साथ इनका आनंद भी उठा सकें।
नरेश कुमार ने कहा कि, इसी श्रृंखला में पालिका परिषद् सामूहिक कला प्रर्दशनी के माध्यम से चित्रकारी, मूर्तिकला, गॅ्राफिक्स इत्यादि विषयों को जन-साधारण के सम्मुख लाने का प्रयास पिछले तीन वर्षों से इस सबवे में कर रहा है।
इस प्रदर्शनी में सुविख्यात कलाकारों के साथ-साथ, नवोदित कलाकारों को भी मौका दिया गया है, जिससे कि वें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। पालिका परिषद् के अध्यक्ष ने बताया कि यह कला प्रदर्शनी भारत के उन वरिष्ठ और मध्यवय के कलाकारों की उत्कृष्ट कृतियों की झांकी है, जो अपनी विशिष्ट कला शैली में निरन्तर कार्यरत है और भारतीय कला परिदृश्य में अपनी कला के लिए पहले से महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानेमाने चेहरे हंै, इस प्रदर्शनी को किशोर लाबर के सहयोग से लगाया गया है।
पालिका अध्यक्ष ने कहा कि यहॉं उन समकालीन कलाकारों की महत्वपूर्ण विशिष्ट कलाकृतियों की एक झलक भर है, जिन्होंने अपनी वर्ष-दर-वर्ष की गई कड़ी 'कला-साधनाÓ से अनेक प्रभावी विधाओं, वस्तुओं और तकनीकों को खोजा है। उन्होंने यह भी कहा कि इन कलाकारों ने अपने कलाकर्म की निरन्तर यात्रा में नित्य नये प्रयोगों से निकली अद्भूत कृतियों को चित्रकला, मूर्तिकला, रेखांकन और स्थापत्यता के रूपों में समय पर प्रस्तुत तथा प्रदर्शित किया है।