सामने आने लगा चयन सूची में नामों के जोड़-तोड़ का नतीजा
मूमल नेटवर्क, जयपुर। अंतत: वही हुआ जिसकी आशंका थी, राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा जहांगीर आर्ट गैलेरी के ग्रुप शो के लिए किए कलाकारों के चयन को लेकर प्रदेश के कला जगत में असंतोष मुखर होने लगा है।चयन की प्रकिया में हो रही अनावश्यक देरी और असामान्य गोपनियता के चलते जानकारों को लिस्ट में जबरदस्त जोड़-तोड़ की आशंका होने लगी थी। नतीजतन अब सामने आया है कि जिन कलाकारों को अकादमी की ओर से फोन करके उनका काम मंगवाया गया था, पहले उनको सूची में स्थान मिला, लेकिन जोड़-तोड़ के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि अंतिम सूची में उनका नाम नदारद था।
जयपुर के युवा कलाकार सुनील कुमार कुमावत के अनुसार 21 या 22 तारीख को प्रदर्शनी के संयोजक लोकेश जैन ने फोन करके उसका काम मंगवाया था। सुनील ने तत्काल अपना काम अकादमी पहुंचा दिया था। सूची में उसका नाम शामिल हुआ भी था, लेकिन कैटलॉग में उसका नाम नदारद था। उल्लेखनीय है कि लगभग अंतिम दौर की जिस सूची में सुनील कुमावत का नाम था, उसमें महावीर भारती मूर्तिकार का नाम शामिल नहीं था, लेकिन कैटलॉग में महावीर भारती मूर्तिकार का नाम शामिल है।
कोटा से मिली जानकारी के अनुसार वहां के तीन वरिष्ठ कलाकारों ने तो अकादमी के मांगे जाने पर स्वयं अपना काम जयपुर जाकर अकादमी तक पहुंचाया था। अकादमी द्वारा दिए गए भरोसे के आधार पर कोटा की स्थानीय मीडिया को अपना काम जहांगीर कला दीर्घा में प्रदर्शित होने की जानकारी भी दी। सभी प्रमुख अखबारों ने इन सीनियर कलाकारों के समाचार भी प्रकाशित किए। अब कैटलॉग में नाम व काम नहीं पाकर उनकी स्थिति बयान करने लायक नहीं रही। इनमें शुभूसिंह चौबदार, डी.पी. छाबड़ा व डा. धांसू अन्नूसिंह धाकड़ शामिल हैं। शुभूसिंह चौबदार ने तो फोन ही स्विचऑफ कर दिया।
ऐसे मामलों के संबंध में अकादमी सचिव सुरेन्द्र सोनी का कहना है कि इस आयोजन के लिए कलाकारों के चयन का काम अकादमी द्वारा गठित अनुभवी व जिम्मेदार कलाकारों की एक समिति ने किया है। इसमें अधिकारियों की भूमिका नहीं थी।
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