आगामी प्रयाग कुंभ 2019 में दिखेंगे कला व संस्कृति के रंग
कलाकारों को मिलेगा कलाकृतियां बनाने का अवसर
कई देशों के कलाकारों द्वारा मंचित होंगी राम लीलाएं
मूमल नेटवर्क, इलाहबाद। उत्तर प्रदेश सरकार आगामी प्रयाग कुम्भ को विशेष बनाने के लिए कला के रंग से रंगने जा रही है। सरकार की कोशिश है कि मेले में आने वाले देसी-विदेसी पर्यटक भारत की कला व संस्कृति को करीब से महसूस करें और उसका हिस्सा बनें। 'पेंट माय सिटी' नाम की इस योजना के तहत मेले में कलाकारों को खासी वरीयता मिलने वाली है। इसलिए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के साथ प्राइवेट कंपनियों की भी मदद ली जा रही है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिहाज से भव्य होने जा रहे इस मेले में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, थाइलैंड जैसे देशों की रामलीलाओं तथा मलेशिया की कृष्ण लीला का मंचन करने की तैयारी भी चल रही है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा बनायी गई योजना के तहत तैयार कृतियों के होर्डिंग्स को शहर के प्रमुख चौराहों से लेकर मेला क्षेत्र तक लगाया जाएगा। केन्द्र कलाकारों को कुम्भ आयोजन में जुडऩे के लिए विशेष रूप से आमन्त्रित कर रहा है। योजना के तहत सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से दस-दस कलाकारों की टीम तैयार की जाएगी। इसमें एक वरिष्ठ कलाकार के साथ नौ नए कलाकारों को शामिल किया जाएगा। कलाकृतियों मेेंं कुंभ मेला के विहंगम दृश्यों के अलावा धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर पर केन्द्रित चित्र उकेरे जाएंगे। मेले के तहत शहर के प्रमुख चौराहों, बस स्टेशन व रेलवे स्टेशन से लेकर मेला क्षेत्र के आसपास एरिया में वाल पेंटिंग के जरिए कलाकृतियों की बड़ी-बड़ी होर्डिग्स लगाए जाएंगे। इसके तहत शहर के सभी प्रवेश द्वारों से लेकर चौराहों और सभी महत्वपूर्ण स्थलों की दीवारों पर पेंटिंग्स बनाई जाएंगी। यही नहीं, नावों और शहर व मेला क्षेत्र में गुब्बारों पर इन पेंटिंग्स को देखा जा सकेगा। जुलाई में पेंटिंग्स बनाने का काम शुरू होगा और अक्टूबर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। पेंटिंग के विषय में कुंभ से जुड़े कथानकों के साथ ही शहर की पहचान रह चुकी हस्तियों और उनकी कृतियों को भी भित्ति चित्रों के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
वेस्ट मटेरियल की कृतियां
केन्द्र प्रशासन जिन कलाकारों को अवसर देगा उनसे वेस्ट मैटेरियल के जरिए कलाकृतियां बनवाई जाएंगी। इसमे लोहा, लकड़ी व अनुपयोगी प्लास्टिक का इस्तेमाल कराया जाएगा। यही नहीं जिन चौराहों पर कलाकृतियों को लगाया जाएगा उसके बगल में एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया जाएगा, जहां से कोई भी पर्यटक कलाकृति के साथ खुद की तस्वीर ले सकेगा।
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक ने कहा है कि इस योजना के लिए अनुभवी कलाकारों के साथ युवा व नए कलाकारों को भी अवसर प्रदान किया जाएगा।
दीवारों पर चित्रकारी
इलाहाबाद को कुम्भ से पहले देश और दुनिया के आकर्षण का केन्द्र बनाकर उसे सजाने की तैयारी की जा रही है। हैदराबाद और जयपुर की तरह इलाहाबाद में प्रवेश के सभी प्रमुख मार्गों और शहर के अंदर स्थित दर्शनीय स्थलों के साथ रेलवे स्टेशन और पहली बार में नजर आने वाली दीवारों पर इलाहाबाद के धार्मिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक गौरव को चित्रों में उकेर कर पर्यटकों को लुभाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। इसकी जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों को दी जाएगी। योजना के पहले चरण के लिए तीन करोड़ का बजट भी स्वीकृत हो चुका है।
ताजा होंगी इनसे जुड़ी यादें
पेंट माय सिटी की मुख्य थीम देवासुर संग्राम होगा। हालांकि इसके साथ ही कुम्भ और इलाहाबाद से जुड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक कथानक और लोग भी इसमें शामिल होंगे। कुम्भ का दिल कहे जाने वाले साधु-संन्यासी और कल्पवासी भी पेंटिंग्स का हिस्सा होंगे। इसके साथ ही देश-प्रदेश और जिले के ऐसी हस्तियों को भी इनमें स्थान मिलेगा जो 'आइकनÓ के रूप में जाने जाते हैं। जिन हस्तियों के चित्र और कृतियों को दीवारों पर स्थान दिए जाने की योजना है इनमें हर्षवर्धन, हरिवंशराय ब'चन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फिराक गोरखपुरी, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, चंद्रशेखर आजाद, मदन मोहन मालवीय, शहीद लाल पद्मधर भी शामिल हैं।
प्रोफेशनल की ली जाएगी मदद
कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि, पेंटिंग्स के लिए प्रोफेशनल चित्रकारों की मदद ली जाएगी। कई प्राइवेट कंपनियों से बात चल रही है। प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के बाद बिडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। इस योजना में न केवल पेंटिग बल्कि म्यूरल को भी डिजाइन का आधार बनाया जाएगा। पेंटिंग्स और म्यूरल शहर के अलावा रेलवे के स्ट्रक्चर्स (पुल व स्टेशन) पर भी बनाए जाएंगे इसके लिए रेलवे ने अपनी सहमति दे दी है। इसके साथ ही नावों और गुब्बारों पर भी इन पेंटिंग्स को बनाया जाएगा, जिससे कुम्भ सिटी में आने वाले श्रद्धालुओं को खुद के यहां होने की अनुभूति हो सके।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि &1 मई को लखनऊ में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई एक उ'च स्तरीय बैठक में कुंभ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा को लेकर प्रस्ताव पेश किए गए। उन्होंने बताया कि इस बैठक में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) को यह प्रस्ताव दिया गया कि वह कुंभ मेले में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, थाइलैंड, रूस, त्रिनिडाड, कंबोडिया और सूरीनाम की रामलीला और मलेशिया की कृष्ण लीला की प्रस्तुतियों के संबंध में बात करे। बैठक में आईसीसीआर महानिदेशक से अनुरोध किया गया कि विदेश से कलाकारों को भारत लाने का जिम्मा आईसीसीआर उठाए और नई दिल्ली से इलाहाबाद लाने और यहां मंचन और आतिथ्य का जिम्मा स्थानीय आयोजक द्वारा उठाया जाएगा।
इलाहाबाद स्थित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने बताया, आगामी कुंभ मेले में पूरे भारत के साथ ही विदेश में भारतीय संस्कृति के रूपों की झलक देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि कुंभ मेले में अपने अपने क्षेत्र के दिग्गज कलाकारों को बुलाने की तैयारी है। इनमें पांडवानी के लिए प्रख्यात तीजनबाई, भरतनाट्म की सरोजा वैद्यनाथन, कुचीपुड़ी की स्वपन सुंदरी, बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया, कथक के पंडित बिरजू महराज, छऊ के संतोष नायर, कजरी गायिका मालिनी अवस्थी आदि शामिल हैं।
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