जहांगीर के शो में सजेगी चूड़ावाला की पेंटिंग
प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलाकार रणजीत सिंह चूड़ावाला की कृति राजस्थानन ललित कला अकादमी द्वारा जहांगीर आर्ट गैलेरी में लगाए जाने वाले ग्रुप शो में प्रमुखता से प्रदर्शित होगी। यह कृति चूड़ावाला के कला सफर का अन्तिम पड़ाव है। अकादमी की मांग पर चूड़ावाला ने मृत्यु से पूर्व अपनी यह कृति बनाकर अकादमी को भिजवाई थी।राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलेरी में 26 जून से 2 जुलाई तक एक ग्रुप शो होने जा रहा है। इस शो में प्रदेश के लगीाग 100 वरिष्ठ व युवा कलाकारों की कृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा। कला को समर्पित चूड़ावाला जी ने अपनी खराब तबियत की परवाह किये बिना इस शो के लिए कृति चित्रित की। चूड़ावाला जी का जून को निधन हो गया और यह कृति उनके कला सफर का अन्तिम पड़ाव बन गई।
जीवन परिचय
10 मई 1934 को जोधपुर में जन्में रणजीत सिंह चूड़ावाला ने भारत के प्रसिद्ध कला संस्थान जे.जे. स्कृल ऑफ आर्ट से पेंटिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। उनके परिजन बताते हैं कि, अक्षरज्ञाान से पहले ही उन्हें ईश्वरीय तोहफे के रूप में रेखाओं का ज्ञान था। जीवनयापन के लिये भारतीय रेलवे को अपनी सेवाएं देते हुए उन्होंने कला जगत को अपनी कलाकृतियों के रूप में अनमोल धरोहर सौंपी।
कला को समर्पित चूड़ावाला के स्वभाव में प्रकृति की सौम्यता समाहित थी और मानस में कला की तलीनता। प्रकृति को अपनी कूंचि के जरिये कैनवास पर उतारने का उन्हें महारथ हासिल था। अपनी धुन के पक्के और प्रचार-प्रसार से अलग हटकर चलने वाले चूड़ावाला रेखांकन के मामले में दक्ष थे। प्रकृति और समाज के विभिन्न रूपों को अपने चित्रों में जीवन देने वाले इस कलाकार ने लघुशैली चित्रण में भी खासा काम किया। इनकी कृतियों में कन्टेम्पररी, रियलिस्टिक व मिनिएचर का अद्भुत समावेश था। जलरंग व तैलरंग के साथ काली स्याही से उकेरे गए उनके चित्र भावाभिव्यक्ति को सजीव करते हुए देखने वालों को मोहपाश में बांध देते थे। उनके द्वारा चित्रित रघुवंश, ऋतुसंहार व शकुंतला आधारित चित्र रंग संयोजन व रेखांकन के लिए कला विद्यार्थियों की प्रेरणा बनते रहे हैं। कला मेलों में मशीनी गति से हाथोंहाथ रेखाचित्र बनाकर सौंपना उनकी रुचि में शामिल था। कुछ अर्सा पहले मूमल से हुई एक मुलाकात में उन्होंने कला जगत के बदलते परिदृश्य, कलाकारों द्वारा जल्दी से जल्दी सफलता हासिल करने की प्रवृति और संस्थाओं द्वारा बीते जमाने के शिखर चित्रकारों को नजरअंदाज करने की बात को लेकर चिन्ता जताई थी। लेकिन अगले ही पल अपनी कला साधना के सुख को जीवन की प्रधानता स्वीकार करते हुए मुस्करा दिये थे।
जयपुर के राजभवन, जवाहर कला केन्द्र व राजस्थान ललित कला अकादमी के साथ अन्य संग्राहकों के पास संग्रहित उनकी कृतियां राज्य की अमूल्य धरोहर हैं। कला को समर्पित चूड़ावाला जी के सम्मान में राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा उन्हें फैलोशिप तथा कलाविद उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त करने के साथ दो बार स्टेट अवार्ड भी जीते। अभी इसी वर्ष जनवरी में सम्पन्न कला मेले में उन्हें लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।
कला को अपना जीवन मानने वाले चूड़ावाला जी बढ़ती हुई आयु व अस्वस्थता की परवाह किये बिना मृत्यु परन्त अपनी कृतियों में रंग भरकर हमेशा के लिए अमर हो गए। -राहुल सेन
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