शुक्रवार, 22 जून 2018

'योग फॉर आर्ट'

'योग फॉर आर्ट' 
ललित कला अकादमी ने बताया योग और कला का समभाव
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। योग, एक बहुआयामी विचार,जीवन जीने का एक तरीका, कला, दशर्न, तकनीक, अच्छी सेहत का लाईसेंस, विज्ञान, चेतनता का एक साधन और आयािमक उपलिध का केन्द्र है। हम एक कलाकार की कृति अथवा शिल्प की तुलना योग से करें तो यह स्वयं में एक यौगिक अनुभव है। यह सभी युगों व संस्कृति के कलाकारों को अनवरत जोड़ता रहता है। योग मूर्तिशिल्प, चित्र, साहित्य, नृत्य, संगीत और मार्शल आर्ट में निपूणता प्राप्त करने में मदद करता है।
कुछ इन्हीं भावनाओं और विचारों के साथ ललित कला अकादमी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 'योग फॉर आर्ट' कार्यक्रम का आयोजन किया । योग शिक्षक राजेन्द्र सिंह द्वारा प्रदर्शित योग मुद्राओं से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। इस अवसर पर अध्यत्रा उत्तम पचारणे सहित अकादमी स्टॉफ ने यागेगाभ्यास किया।
'चित्रशिल्पयोग'
इस अवसर पर  'चित्रशिल्पयोग' कला प्रदर्शनी आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रख्यात शिल्पकार पद्मभूषण राम वी. सुतार द्वारा अध्यक्ष उत्तम पाचारणे और उत्तरी दिल्ली के महापौर आदेश गुप्ता की उपस्थिति में किया गया।
'चित्रशिल्पयोग'  प्रदर्शनी में ललित कला अकादमी के स्थायी संग्रह से ली गई कलाकृतियां शामिल हैं, जिनमें के.वी. हरिदासन, एन. राघवन, रंगास्वामी सांरगन, जी.आर.सन्तोष, वी.एस.गायतोंडे, बीरेन डे, स.एल.साहनी, एस.नंदगोपाल, प्रदोष दासगुप्ता, लक्ष्मण पाई, ओम प्रकाश, पी.टी.रेड्डी, मोहम्मद यासीन, सनत कार आदि जाने-माने कलाकारों की कृतियां हैं।
इस अवसर पर राम वी. सुतार ने कहा 'कला भी एक प्रकार का योग है। कलाकार भी अपनी कला के माध्यम से एक तरह का योग करते हैं। मैं ललित कला अकादमी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में कला और योग के इस समायोजन के लिए बधाई देता हूं।'
ललित कली के अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने कहा कि,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के योगऋषियों के प्रयास से योग को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई है, आज पूरा विश्व योग दिवस मना रहा है। उन्होंने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को 'चित्रशिल्पयोग' के माध्यम से मनाया जाना एक विलक्षण विचार है। उन्होंने योग और सृजनात्मकता के मध्य समानता पर भी बात की। ''किसी चित्र अथवा भित्तिचित्र का सृजन स्वयं में यौगिक गतिविधि है, क्योंकि ऐसा करते हुए कलाकार बाहरी जगत को भूलकर अपने सभी भावों, कल्पना और उर्जा को अपने भीतरी जगत में इ कर लेता है।
विशिष्ट अतिथि आदेश गुप्ता ने कहा कि, योग ऋषि परम्परा की प्राचीन धरोहर है और इसे बनाये रखने के लिए ऋषियों-मुनियों ने इसे आगे बढ़ाया है। उसी क्रम में स्वामी रामदेव, श्री श्री रविशंकर जी ने इसे उच्च पटल पर स्थापित किया है। कला योग का एक अभिन्न अंग है। योग सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आत्मिक व मानसिक सुख के साथ मानसिक बल भी देता है।
और हुआ आर्ट डिमांसट्रेशन
चार प्रसिद्ध कलाकारों विजय राउत (कार्टूनिस्ट एंव एनिमेटर), रविन्द्र साल्वे (पेन्टर), स्वप्निल कदम (शिल्पकार) और सिद्धार्थ शिंगाड़े (पेन्टर) ने आर्ट डिमांसट्रेशन में भाग लिया और अपनी कला का जीवन्त प्रदर्शन किया। 

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