शुरु हुई भारतीय वस्त्रों के इतिहास को दर्शाती टेक्सटाइल एग्जीबिशन
आज होगी मयंक मानसिंह कौल के साथ क्यूरेटोरियल वॉकथ्रू
मूमल नेटवर्क, जयपुर। भारतीय वस्त्रों के इतिहास को दर्शाती टेक्सटाइल एग्जीबिशन 'न्यू ट्रेडिशंस: इन्फ्लुएंसेस एंड इंस्पीरेशंस इन इंडियन टेक्सटाइल्स, 1947-2017' की कल से जवाहर कला केंद्र में शुरूआत हुई। यह प्रदर्शनी मयंक मानसिंह कौल द्वारा क्यूरेट की गई है और रेहा सोढ़ी द्वारा डिजाइन की गई है। जेकेके द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी 31 जुलाई तक चलेगी और सार्वजनिक अवकाशों को छोड़कर प्रात: 11 बजे से सायं 7 बजे तक देखी जा सकेगी।इस अवसर पर कौल ने कहा कि जब पारम्परिक वस्त्रों की बात आती है, तो अधिकांश लोग मानते है कि वस्त्र उद्योग में अधिक बदलाव नहीं आया है। हालांकि, गत 50 से 60 वर्षों में इस क्षेत्र में अत्यधिक गतिशीलता एवं नवीनता देखने को मिली है, जिसे दर्शाना इस एग्जीबिशन का लक्ष्य है। यहां प्रदर्शित कलाकृतियों को सम्बंधित वस्त्रों के ऐतिहासिक परिदृश्य को वर्तमान समय से जोडऩे का प्रयास किया गया है।
एग्जीबिशन में उन 50 से अधिक कलाकारों एवं डिजाइनरों की कलाकृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं, जिनका कार्य सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक परिस्थितियों से अत्यधिक प्रभावित रहा है। प्रत्येक गैलरी में अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र एवं समयावधि को प्रतिबिंबित किया गया है। बोतलों के ढक्कनों एवं सिलिकॉन से बनी साडिय़ां; कांजीवरम एवं बनारसी साडिय़ां; खादी डेनिम; जरदोजी का नवीनीकरण; एम्ब्रॉयडरी एवं चिकनकारी और पारम्परिक बांधनी, आदि के साथ यह एग्जीबिशन डिजाइनर की जीवन यात्रा का ऐतिहासिक प्रतिबिंब है।
अत्याधुनिक एवं प्रयोगात्मक फैशन पर फोकस किया जाना इस एग्जीबिशन का एक विशेष आकर्षण है। ब्रांज, सिल्वर एवं गोल्ड जरी जैसे वर्क; क्लॉक डॉयल के रूप में मुकेश वर्क; रिसाइकल्ड मैटेरियल से बने वस्त्र तथा थ्री डी एम्ब्रॉयडरी जैसे विभिन्न वस्त्र दुनियाभर के देशों में पारस्परिक भारतीयकरण के प्रभावों का प्रतिक हैं।
उल्लेखनीय है कि आम लोगों के लिए आज दोपहर बाद 4 बजे मयंक मानसिंह कौल के साथ क्यूरेटोरियल वॉकथ्रू आयोजित की जाएगी।
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