बेरोजगार कला शिक्षकों का एक बार फिर कलात्मक प्रदर्शन
मुख्यमंत्री तक पहुंचाई अपनी मांगे
मूमल नेटवर्क, जयपुर। गत पांच वर्षों से बेरोजगार कला शिक्षक सरकार से कला शिक्षक के पद सृजित करने की मांग करते हुए आन्दोलन कर रहे हैं। इसी आन्दोलन की कड़ी में कल 12 जून को विधान सभा के सामने ज्योती नगर टी पोईंन्ट धरना स्थल पर कलात्मक प्रदर्शन करते हुए सरकारी रवैये के खिलाफ विरोध प्रदर्शित किया गया। इस कलात्मक प्रर्दशन में प्रदेश के कलाकारों के समर्थन में अन्य राज्यों के कलाकारों द्वारा भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई गई। इस अवसर पर संगठन अधिकारियों ने अपनी पांच सूत्री मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री के सचिव के.के. पाठक को सौंपा।सरकार तानाशाही और भेदभाव भरे रवैये से परेशान बेरोजगार कला शिक्षक (चित्रकला, संगीत, मूर्तिकला, नाटक, नृत्य)के अभ्यर्थियों ने पेन्टिग व मूतिकला के प्रदर्शन के साथ गीत, संगीत, नृत्य व नाटक के माध्यम से कलात्मक प्रर्दशन कर रोष जताया। संगठन ने यह भी ऐलान किया कि, अगर राजस्थान सरकार व शिक्षा विभाग हमारी वाजिब मांगों पर ध्यान नही देती है तो हर जिले में कला टीमे (जत्थे) तैयार किये जायेंगे जो हर जिले में कला शिक्षा के फर्जीवाड़े को उजागर कर अभिभावकों को जागरूक करेगे। उन्होनें कहा कि जरूरत पड़ी तो मुख्यमन्त्री निवास के बाहर भी कलात्मक प्रदर्शन करेंगे।
संगठन के प्रभारी सतवीर भास्कर ने कहा की कला शिक्षा कक्षा 1-10 अनिवार्य होते हुए भी राजस्थान सरकार कला शिक्षको के द्वितिय श्रेणी के पद सृजित नही कर रही है। अन्य विषयों में हजारों पद निकाले गए लेकिन 5 वर्षो मे एक भी कला शिक्षक का पद सृजित नहीं हो सका।
संगठन के जयपुर प्रभारी विरेन्द्रप्रताप सिंह मोडियाला ने कहा कि विगत 25 वर्षो से हर वर्ष राजकीय विद्यालयों मे कक्षा 1 से 10 में नामांकित होने वाले बच्चों को कला शिक्षा नहीं दी जा रही। विधालयो मे ना तो कला शिक्षक हैं और ना ही बच्चो के पास कला शिक्षा की किताबें हंै। कला शिक्षा की किताबों की छपाई तो हुई लेकिन बच्चों को वितरित नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि, कला शिक्षा की पढ़ाई के बिना ही सैद्वातिक व प्रायोगक परीक्षा के फर्जी मूल्यांकन लिस्ट बनाई जाती है और फर्जी अंक ग्रेडिंग बच्चों की अंक तालिका मे भर दी जाती है जो बच्चो की शिक्षा के साथ खिलवाड़ है।
संगठन के प्रदेश सचिव महेश गुर्जर ने कहा कि वर्तमान राजस्थान सरकार के आगे 5 वर्षो मे सैकडो़ बार शान्तिपूर्ण अहिसा के माध्यम से अपनी विभिन्न कलाओ के प्रर्दशन व धरने देकर मांगे रखी लेकिन एक बार भी सरकार ने हमारी मांगो पर ध्यान नही दिया। सरकार हमारी मांगो के प्रति सवेदनशील नही है जिसका उदाहरण यह है की कला शिक्षा मामले मे कभी भी मिटिंग नही बुलाई गई ना ही कोई वार्ता की गई। जबकि हिंसात्मक आन्दोलन करने वाले संगठनों की मांगे सरकार तुरन्त मान लेती है। सरकार की नजऱ मे अहिंसा वालो की कोई जगह नही है। केन्द्र सरकार द्वारा भी कला शिक्षा देने और कला शिक्षको के पद सृजन को लेकर सैकड़ो पत्र व टिपप्णीयां राजस्थान सरकार को प्रेषित किये गए हैं। संगठन के प्रमेन्द्र कुमार मीणा ने बताया की सन् 1992 से कला शिक्षा मे हर वर्ष हजारो विधार्थी डिग्री डिप्लोमा हासिल कर रहे हैँ। इस बार भी हमने शान्तिपूर्ण कलात्मक प्रर्दशन किया और आगे भी करेंगे।
ज्ञापन में दर्ज प्रमुख मांगे
1.शिक्षा विभाग के निर्धारित मापदण्डो के तहत् राजस्थान के राजकीय विद्यालयों मे कक्षा 1-10 तक हर वर्ष नामांकित होने वाले बच्चों को कला की शिक्षा (चित्रकला,संगीत)का अध्ययन करवाया जाये।
2.शिक्षा विभाग के मानदण्डो,योग्यता प्रावाधानो व नि:शुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के मापदण्डो के तहत् कला शिक्षको (चित्रकला,संगीत)के द्वितिय,तृतीय श्रेणी के पद सृजित कर भर्ती कि जाये।
3.विगत 2 वर्षो से गोदामो मे पड़ी कक्षा 1-10 तक अनिवार्य कला शिक्षा विषय की पुस्तके बच्चो को वितरण कि जाये।
4.राजकीय विद्यालयो में कक्षा 1 से 10 तक अनिवार्य कला शिक्षा विषय मे हर वर्ष हो रहे फर्जी मूल्यांकन बन्द किया जाये ।
5.प्रधानमन्त्री कार्यालय,माननव संसाधन विकास मन्त्रालय नई दिल्ली द्वारा कला शिक्षा के सन्दर्भ मे प्रेषित किये गये टिपप्णीयो,पत्रो के निर्देश के अनुसार कला शिक्षको पद सृजित कर भर्ती कि जाये ।
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