कलाकारों की सोच, आमजन तक पहुंचे कला
अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में कई कलाकारों ने रखी है कृतियों की कम कीमत
मेले का पांचवा दिनमूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। शहर इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय कला मेले में कलाकारों की सोच आम जन के प्रति सकारात्मक है। अपनी कला को वो खास वर्ग से निकाल ककर आम लोगों के घरों में सजाना चाहते हैं। इसी सोच को सामने रखते हुए कई आर्टिस्ट्स ने अपनी कृतियों की कीमत को कम रखा है, जिससे वो बायर्स की परचेजिंग पॉवर के दायरे में आ सके।
मेले में विश्व प्रसिद्ध कलाकारों की कृतियां भी प्रदर्शित हैं जिनमें से रामकिंकर बैज, नंदलाल बोस, मुकुल डे, सोमनाथ होरे, एम.एफ. हुसैन, एस.एच. रज़ा, परितोष सेन, के.जी.सुब्रमनियन, बिनोद बिहारी मुखर्ज़ी, प्रोकाश कर्मकार, जोगेन चौधरी, सुहास रॉय, सुभाप्रसन्ना, राबिन मंडल, जे.एम.एस मणि, टी. वैकुण्ठम, के. लक्षमण गौड़, हिम्मत शाह, धीरज चौधरी, लालू प्रसाद शॉ जैसे कलाकारों की कृतियां शामिल हैं।
इन कलाकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी पर बात करते हुए अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा कि, हम सौभाग्यशाली हैं कि एम.एफ. हुसैन, एस.एच. रज़ा, और बिनोद बिहारी मुखर्ज़ी जैसे कलाकारों के काम अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में प्रदर्शित हैं। उनकी हरेक कलाकृति अपूर्व है। मुझे लगता है कि हर कला प्रेमी को यह मौका मिलना चाहिए कि इन कलाकारों के काम को देखकर प्रेरित हों।
शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम मेेंं फिजी के श्री सत्संग रामायण मण्डली की कला प्रस्तुति का लोगों ने लुत्फ उठाया। इससे पूर्व एक इंडोनेशियन फिल्म की स्क्रीनिंग के साथ मार्लो मीट्स एंटोगी गोर्मे एट ब्रिटिश म्यूजियम फिल्म की भी स्क्रीनिंग हुई।
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