मेला बनेगा तीर्थस्थल, देश-दुनिया के लोग लेंगे प्रेरणा- कैलाश सत्यार्थी
प्रथम अन्तरराष्ट्रीय कला मेले का दूसरा दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे पहले अंतरराष्ट्रीय कला मेले का रंग और गहरा हो गया जब नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी अचानक मेला देखने पहुंचे। विभिन्न कलाकारों से बातचीत करते हुए आशा जताई कि भविष्य में यह मेला एक तरीके का तीर्थ स्थल बनेगा, जहां आकर देश और दुनिया के कलाकार प्रेरणा लेंगे। उन्होंने आयोजकों से मेले में देश भर के स्कूली बच्चों का प्रतिभाग सुनिश्चित करने को कहा, जिससे वे देश की संस्कृति व समृद्धि को एक मंच पर देख सकें। मेले में घूमते हुए डॉ सत्यार्थी कई कलाकारों से मिले और उनसे उनकी कला के बारे में बात-चीत की. उन्होंने ललित कला अकादमी एवं प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी को इस भव्य कला मेला के आयोजन की बधाई दी। उन्होने खुशी जताई कि, पहली बार भारत में इस तरह का कला मेला लगाया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि अंतर्राष्ट्रीय कला मेला क्या संभावित परिवर्तन ला सकता है, उन्होंने कहा कि, आर्ट इतनी गहरी चीज़ है और इतनी सरल भी है कि जो बात बड़ी से बड़ी किताबें नहीं कह सकती वो कला के माध्यम से कह दिया जाता है। मुझे लगता है कि देश भर के स्कूली बच्चों को यहाँ आना चाहिए और हमारी संस्कृति की समृद्धि को देखना चाहिए. बच्चों को इससे सीखना चाहिए।
दोपहर की खूबसूरत हलचल के बीच पॉटरी वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसमें कलाकार कांती प्रसाद ने पॉटरी की बारीकियों से कलाप्रेमियों को अवगत कराया।
5 फरवरी सोमवार को दूसरे दिन मेले में कई मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें लोकनृत्य की प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। शाम ढलने के साथ ही साहित्य कला परिषद् के कलाकारों ने फ्यूजऩ डांस प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत 'देवा श्री गणेशा' पर गणेश वंदना से हुई और उसके बाद पंजाबी लोक नृत्यों भाँगड़ा, गिद्दा, गुजराती फोक डांस डांडिया, और राजस्थान के कालबेलिया नृत्य सहित कई मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियों ने समां बांधा। मेले के दूसरे दिन कलाप्रेमियों और कलाकारों की खासी चहल-पहल रही। अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कला प्रेमियों से बढ़-चढ़ कर मेले में भाग लेने की अपील की है। मेला 18 फरवरी तक चलेगा।
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