शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में अकादमी के इतिहास को बयां करती कॉफी टेबिल बुक का विमोचन

अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में अकादमी के इतिहास को बयां करती 
कॉफी टेबिल बुक का विमोचन
कल हुआ 450 मीटर लम्बी पेंटिंग का प्रदर्शन
मेले का बारहवां दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। ललित कला अकादमी आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कला मेले का बारहवां दिन विशेष गतिविधियों का साक्षी रहा। अकादमी का परिचय देती काफी टेबिल बुक का विमोचन हुआ। इसके साथ ही चार सौ पचास मीटर लम्बी विशालकाय पेंटिंग का प्रदर्शन हुआ।
कॉफी टेबल बुक का विमोचन
चित्रयात्रा का विमोचन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने किया।  इस अवसर पर अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी उपस्थित थे। चित्रयात्रा के विमोचन पर राय ने ललित कला अकादमी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, यह कॉफी टेबल बुक ललित कला अकादमी के इतिहास को बखूबी दर्शा रही है। मुझे उम्मीद है कि इसे देखकर और पढ़कर लोगों में ललित कला के साथ-साथ कला और संस्कृति के प्रति रूचि बढ़ेगी।
इस अवसर पर अपने उद्गाार व्यकत करते हुए कृष्णा शेट्टी ने कहा कि, चित्रयात्रा ललित कला अकादमी के 1954 से लेकर अब तक 2017 के इतिहास का विवरण देती है। यह पुस्तिका अकादमी के स्वर्णिम इतिहास की बानगी है।
विमोचन के पश्चात राय ने कलाकारों से मुलाक़ात की और उनका उत्साहवर्धन किया।
क्या है इस बुक में
अपने लम्बे इतिहास के प्रति आगामी पीढिय़ों और जनता को आकर्षित करना और उनमे नए विचारों का समावेश करना लगभग प्रत्येक संस्था के मूलभूत सिद्धांतों में गिना जाता है। ललित कला अकादमी भारत सरकार के अंतर्गत काम करने वाली एक स्वायत्त संस्था है जिसका अपना एक इतिहास है। अपने इसी इतिहास को संस्था ने अपने एक कॉफी टेबल बुक चित्रयात्रा के ज़रिये दिखाया है। 
इस कॉफी टेबल बुक चित्रयात्रा में ललित कला अकादमी द्वारा 1954 से 2017 तक के सफऱ में प्राप्त उपलब्धियों को तस्वीरों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। उम्दा छायाचित्रों से सजी यह बुक ललित कला अकादमी के पूरे सफर को बेहद खूबसूरती से दिखाती है। अकादमी ने किस प्रकार से स्वयं को, कला विशेषज्ञों, कला विचारकों और कलाप्रेमियों को स्थापित किया, इस बुक में उसकी कहानी दर्ज है।
450 मीटर लम्बी पेंटिंग का प्रदर्शन

कल बारहवें दिन मेले में साढ़े चार सौ मीटर लम्बी पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया। इस विशालकाय पेंटिंग को प्रदर्शित करने के लिए पूरी मानव श्रृंखला बन गई। यह पेंटिंग बिहार के आर्टिस्ट अनिल कुमार की कृति है। कलाकार ने अपने पैतृक स्थान अंग प्रदेश को इस लम्बी पेंटिंग में बहुत ही खूबसूरती के साथ दर्शाया है।
पेंटिंग प्रदर्शन में लगी मानव श्रृंखला में पाँच सौ से ज्यादा लोग शामिल थे जो स्वयं में एक रिकॉर्ड था। इनमें् कलाकारों, कलाप्रेमियों के साथ पर्ल अकादमी और दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी इसमें हिस्सा लिया था।
इस मानव श्रृंखला पर बात करते हुए अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा कि, हम बहुत खुश है कि हमें इतनी बड़ी पेंटिंग को मानव श्रृंखला के ज़रिये प्रदर्शित करने का मौका मिला। इस पेंटिंग को देखने से साफ़ पता चलता है कि कलाकार ने कितनी मेहनत और उर्जा लगायी होगी। यह पेंटिंग कलाकार के अपनी जगह से प्रेम का भी सूचक है।
क्या है पेंटिंग में
पेंटिंग में अंग प्रदेश की सैकड़ों-हज़ारों साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति को विस्तृत रूप सेें दिखाया गया है। अंग प्रदेश की महसभारतकालीन महत्ता को भी पेंटिंग में दर्ज किया गया है। कहते हैं कि महान राजा कर्ण अंग प्रदेश से ही थे। अनिल कुमार की इस कृति में बिहार के परिवेश के भौगोलिक और सामजिक अवयव को दिखाया गया है। वो चाहे सुलतानगंज से देवघर तक की 105 किलोमीटर लम्बी यात्रा हो या फिर मंदार पर्वत का इतिहास। भागलपुर की टसर रेशम बुनाई कलाए भी इस मैराथन पेंटिंग में नजऱ आती हैं।
कौन हैं अनिल कुमार
शारीरिक रूप से सीमित दृष्टि और सीमित श्रवण क्षमता वाले कलाकार अनिल कुमार कुछ साल पहले तक एक विद्यालय में कला शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी पेंटिंग के प्रदर्शन पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि, मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी कला यहाँ प्रदर्शित हुई है। मैं अपनी जगह की पुरातन संस्कृति को लोगों को सामने लाना चाहता था। खुश हूँ कि ललित कला अकादमी के सहयोग से मैं यह कर पाया। मेरी कामना है कि मेरी जगह के और कलाकार सामने आयें और लोगों को अपनी कला दिखाएं।
कल की सांस्कृतिक प्रस्तुति में वल्र्ड एथनिक म्यूजिक एन्सेम्बल की शानदार प्रस्तूति हुई। वल्र्ड एथनिक म्यूजिक एन्सेम्बल दुनिया के पाँच देशों के कलाकारों का समूह है, जो कला के विभिन्न रंग मसलन हिन्दुस्तानी शास्त्रीय, विदेशी लोक संगीत और जैज़ जैसे संगीत की प्रस्तुति देता है।

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