अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में शिव प्रेरणा से सजी कलाकृतियां
मेले का ग्यारहवां दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। अकादमी आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कला मेले के ग्यारहवें दिन हमने ऐसे कलाकारोंं की पेंटिंग्स देखीं जिन्होने शिव के रूप को अपनी-अपनी कल्पनाओं के रंगों से साकार किया है। कई चित्रों ने अंतर्राष्ट्रीय कला मेले को भक्ति के रंग में रंग सा दिया है। शवो अहम् का मंत्र कलाकृतियों के ज़रिये गूंज सा रहा है।शिव के विशाल स्वरूप की परिकल्पना से प्रेरणा प्राप्त कर अपनी कला को संवारने वाली कलाकर अनिता दिनेश कहती हैं कि वह पिछले चौदह सालों से शिव परिकल्पना पर काम कर रही हैं। उनके चित्रों में शिव स्वरूपा काशी की पृष्ठभूमि में सहज ही नजऱ आता है।
कलाकार सोनाली कुमार ने अपनी कृतियों में शिव के उत्सवी रूप का चित्रण किया है। उनके चित्रों में शिव पार्वती के साथ नृत्य करते हुए नजऱ आते हैं। उनके चित्रों की विशेषता है कि उनमें शिव का त्रिशूल कहीं नजऱ नहीं आता।
एक स्टॉल पर कुल तेरह कलाकारों के चित्र प्रदर्शित हैं। इन सभी कलाकारों ने अपनी कला को शिव की परिकल्पना का आधार दिया है। इनमें से एक कलाकार श्याम नारायण यादव कहते हैं कि, हम शिव का चित्रण इसलिए करते हैं कि वह हमें उर्जा से भर देते हैं।
कलाकार विभा सिंह शिवशक्ति परिकल्पना पर काम कर रही हैं। वह शिव के विशेष गुण और मॉ पार्वती शक्ति को अपनी कृतियों में प्रदर्शित करती हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत कल का मुख्य आकर्षण हंगरी के कलाकार नोर्बेर्ट केल का पियानो वादन रहा। केल हंगरी के प्रख्यात संगीतकार हैं जो लोक धुनों को अपने संगीत में पिरोते हैं। संध्या के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और विशिष्ट अतिथि के रूप में हंगरी के सूचना और संस्कृति केंद्र के निदेशक ज़ोल्टन विल्हेल्म मौजूद थे। कल पेंटिंग प्रतियोगिता और क्ले कार्यशाला का भी आयोजन हुआ।
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