अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में लगी वायलिन बनाने की कार्यशाला
मेले का नवां दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। दुनिया भर के कलाकारों और कलाओं का संगम बन कर उबरे पहली बार आयोजित हो रहे अन्तर्राष्ट्रीय कला मेले का नवां दिन कुछ खास रहा। कल चेक कलाकारों ने वायलिन तैयार करने की कार्यशाला का आयोजन किया।इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में ललित कला अकादमी आयोजित मेले में आने वाले लोगों के साथ कलाकारों की रुचि तब प्रभावित हुई जब चेकिया, चेक रिपब्लिक के कलाकार जेरोस्लाव सेवेंसी के द्वारा वायलिन वर्कशॉप लगाई गई। इसमें सेवेंसी ने बहुत ही खूबसूरत अन्दाज में वायलिन बनाने के गुर सिखाए। इसके साथ ही सेवेंसी ने शाम ढले के सांस्कृतिक कार्यक्रम में वायलिन पर मधुर धुने बजाकर लोगों को मोहित किया। कलाकारों को सम्मोहित करते हुए सेवेंसी स्टेज छोड़ अपने देश की परम्परागत धुनों की मधुरता बिखरते हुए कला स्टॉल्स पर भी गए। मेले का नवां दिन लगभग चैक गणराज्य के नाम रहा। फिल्म स्क्रीनिंग के तहत भी चेकिया की एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया। मेले में आने वाले लोग चैक स्टॉल्स पर सजी कला को निहारने से स्वयं को नहीं रोक पाए।
मेले के आरम्भ होने के साथ ही विदेशी कलाकारों ने शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रंग भरे हैं। मेले के पहले दिन श्रीलंका के कलाकारों ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया था जबकि चौथे दिन पुर्तगाल के नुनो फ्लोर्स ने वायलिन बजाकर लोगों का मनोरंजन किया था। मेले के सातवें दिन यूनाइटेड किंगडम के एक समूह ने चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कृति उसने कहा था पर प्रभावशाली नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया था। इसके साथ ही फिजी के कलाकार सत्संग प्रस्तुत कर चुके हैं और आने वाले दिनों में हंगरी, त्रिनिदाद और टोबागो के कलाकार अपनी कला प्रदर्शित करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों की सक्रिय भागीदारी पर अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा किए हम इस
बात पर बेहद खुश हैं कि अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में पेंटिंग और मूर्तिकारी से लेकर नृत्य, संगीत, नाट्य के साथ लगभग हर तरह की कला प्रदर्शित की जा रही है। हमारी कोशिश एक विशेष तरीके से मेले को आयोजित करने की थी और हमारे अंतर्राष्ट्रीय
भागीदार हमें अपने हमारे लक्ष्य के करीब ले जा रहे हैं। कल मेले में विद्यार्थियों की बहुतायत थी जिन्होंने कई तरह की कार्यशालाओं और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
आज मेले का प्रमुख आकर्षण यूनाइटेड किंगडम की कलाकार देविका राव के यक्षगान की प्रस्तुति है।
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