कलाकारों के अनोखे अन्दाज नजर आए कला मेले में
कला मेले का दसवां दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे अकादमी आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय कला मेले में कई कलाकार अपनी अनोखी संकल्पनाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं।अपनी अनोखी परिकल्पना के साथ मानवी प्रभा ने अपनी पेंटिंग्स प्रदर्शित की हैं। उनकी कृतियों में परयावार्ण संरक्षण की बात उबर कर सामने आती हैं। उनका चित्रण वनों के कम होने, वर्षा जल के दूषित होने जैसे विषयों पर आधारित है। मानवी का कहना है कि, मुझे प्रकृति से प्रेम है। मैं चाहती थी कि मैं कुछ ऐसा करूँ जिससे लोगों में प्रकृति को लेकर प्रेम पैदा हो जाए।
आन्ध्र प्रदेश से आये हुए वी.राम कृष्ण अपनी चित्रकारी में शहर के भीड़.भाड़ को ज्यों का त्यों रख देते हैं। उनकी एक पेंटिंग में बस्ती की पेचीदगियाँ ज्यों की त्यों दिख जाती हैं। उनका कहना है किए वह मूल रूप से गाँव के निवासी हैं। जब वह शहर आये तो उन्हें न तो खुले मैदान मिले न ही सांस लेने की कोई मुफीद जगह। उनकी चित्रों में महानगरों की वही जि़ंदगी है जो आम लोग जीने को मजबूर हैं।
कुनाल कपूर मूर्तिकार हैं। वह ऐसी मूर्तियाँ बनाते हैं जिन्होंने पोशाक तो धारण की हुई होती है मगर उन पोशाक से शरीर गायब होते हैं। जब कुनाल से उनकी मूर्तिकारी की संकल्पना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह आत्मा का चित्रण करते हैं। वह आत्मा जिसका चेहरा नहीं होता, जो भ्रमण करती रहती है और कभी नहीं मरती।
अंजलि की कलाकारी अलग तरीके की है। वह सादे पन्ने की जगह किताबों के पुराने पन्ने पर पेंटिंग करती हैं। जब उनसे इसकी वज़ह पूछी गयी तो उन्होंने खुल कर बताया कि सादे पन्ने पर खींची गयी रेखाएं उन्हें डराती हैं जबकि इन लिखे हुए पन्नों पर खींची हुई रेखाएं सहज मालूम होती हैं। वह अपनी कलाकृति की सखी बनना चाहती थीं, अत: उन्होंने लिखे हुए पन्नों पर पेंट करना शुरू किया।
कलाकार राघवेन्द्र राव मेले में अपनी लघु पॉटरी और संकलन लेकर आये हैं। विगत तीन वर्षों से दवाई की छोटी छोटी शीशीयों को संकलित करके उन्होंने खूबसूरत कृतियाँ तैयार की हैं जिन पर बरबस ही नजऱ चली जाती है और हटाए नहीं हटती । उनकी यह लघु कलाकृतियां मेले में आने वाले लोगों को पसन्द आ रही है।
दसवें दिन आज लोगों को सजी हुई कलाकृतियों के साथा श्रृंखला नृत्य समूह द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य खूब भाया। इन नृत्य प्रस्तुतियों में रासलीला, बिहू, गरबा, लावणी, कमरा माडिया, झूमर, और हरियाणवी नृत्यों की ताल पर कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया।
खुशियों और विश्वबंधुत्व का सन्देश फैलाती इन नृत्य प्रस्तुतियों को देख अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने अपना हर्ष जताते हुए कहा कि, अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में हम हर प्रकार की कला के लिए उचित मंच का निर्माण करना चाहते हैं।शाम को ख़ास तौर पर नृत्य, संगीत और नाट्य कला को प्रश्रय दिया गया है। न सिर्फ भारतीय कलाकार बल्कि यूरोप, अफ्रीका और एशिया के अन्य देशों के कलाकार भी यहाँ अपनी कला प्रस्तुत कर चुके हैं या फिर करने वाले हैं। आज भारत के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत हुए जिन्होंने विश्वबंधुत्व का सन्देश भी दिया। ललित कला अकादमी इन सुन्दर कोशिशों की तारीफ़ करती है।
कल शाम की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के दौरान तिहाड़ के भूतपूर्व महानिदेशक सुधीर यादव भी मौज़ूद थे।
फिल्म स्क्रीनिग सेशन में दर्शकों ने एम.एफ. हुसैन की कला पर केन्द्रित फिल्म का मज़ा लिया। कल मेले के दसवें दिन भी बड़ी संख्या में स्कूली छात्रों ने चित्रकारी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
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