सोमवार, 2 जुलाई 2018

Rajasthan-147 सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षा-1


राजस्थान - 147 
 सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षा-1 
अकादमी की ओर से मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित राजस्थान के कलाकारों के चित्रों की प्रदर्शनी को लेकर मूमल को हमेशा की तरह बहुत बड़ी मात्रा में प्रतिक्रियाएं और समीक्षाएं प्राप्त हुई। सभी का आभार। अकादमी में व्याप्त अराजकता से भरे बैठे कलाकारों ने इतने खुलकर अपनी बात रखी कि मूमल को कलाकारों की आवाज बनाए रखने के लिए हमें कमोबेश सभी को शामिल करना जरूरी लगा। ऐसे में आलेख इतना लम्बा हो गया कि उसे दो-तीन भागों में विभाजित करना पड़ा। यहां वह क्रम से प्रस्तुत है।
कुछ नया करने के नाम पर 
कलाकारों द्वारा जो बात सर्वाधिक नोट की गई वह थी कि कुछ डिजायनर कलाकारों द्वारा कुछ नया करने के नाम पर सरकार के खजाने से खुद पाने और अपनों को रेवडियां बांटने के लिए इतना बड़ा आयोजन डिजाइन किया गया। चयन का कोई ठोस आधार नहीं रखा गया। जो आधार रखा गया वह अंत तक गुप्त रहा। अधिकतर कलाकारों को इस कार्यक्रम के संबंध में अकादमी की ओर से कोई गंध तक नहीं लगने दी गई। निष्पक्षता व पारदर्शिता का नितांत अभाव रहा। जानकार कलाकारों का कहना है कि अकादमी के इतिहास में किसी आयोजन में इतनी गोपनीयता और मठाधीशों की ऐसी मनमानी पहले कभी नहीं देखी गई।
 निर्भीक रिपोर्टिंग और बेबाक प्रतिक्रियाएं
मूमल को इस संबंध में आयोजन और इसके लिए चयनित कलाकारों की सूची जगजाहिर होने के बाद से प्रतिदिन अनेकानेक साहसी और निर्भीक कलाकारों की बेबाक प्रतिक्रियाएं प्राप्त होती रहीं। गुस्से और क्रोध में कुछ लोगों ने कुछ ज्यादा भी कह दिया, उन्हें नजरअंदाज भी किया जाए तो सीधी-सट्ट कहने वालों के विचारों को समेटना भी हमारे लिए मेहनत भरा काम रहा। इसी के साथ उन विचारवान कलाकारों की संख्या भी अच्छी खासी रही, जिन्होंने मूमल की निर्भीक रिपोर्टिंग के जरिए हालात का पूरा जायजा लिया, लेकिन कहीं भी अपनी उपस्थिति जाहिर होने से खुद को बचाए रखा। इनमें वे भोले कलाकार भी शामिल हैं जिन्हें इस चरम पक्षपात के बावजूद कुछ खरचन पाने की उम्मीद में अकादमी की गुडबुक में बने रहने में फायदा नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि, यह बातें भी हमें कलजगत की रग-रग जानने वाले कलाकारों के माध्यम से ही पता चली हैं। उनका कहना है कि ऐसे कुछ कलाकार दुनियां का सबसे मुश्किल काम करते हैं जो केवल अपने काम से काम रखते हैं।
ऐसे में हमने विचार किया कि केवल सच्चे मन से प्रतिक्रया व्यक्त करने या कुटिलता से अपने विचार दबा लेने वालों के आधार पर अकादमी की कार्यप्रणाली के विरोधी या समर्थक के रूप में किसी की पहचान कामय  ना हो जाए। इसलिए हम नामों को उल्लेख नही करते हुए खुलकर विचार रखने वाले कलाकारों की बातों का लब्बोलुआव यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। सदैव सुझाव लेने को तत्पर अकादमी के कर्णधार चाहें तो इसकी सहायता से अपनी भावी कार्ययोजना तैयार कर सकते हैं।
 चयन का आधार क्या था?
लिस्ट का पता चलने के बाद सबसे अहम सवाल जो उठा वह यह कि चयन का आधार क्या था? अगर आधार सीनियरिटी को बनाया गया था तो राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकांश नाम प्रदर्शनी से गायब थे। यह बात तो अब अकादमी के कर्त्ता -धर्ता ही बता सकते हैं कि उन नामों को आमन्त्रित किया भी था या नहीं। यदि आमन्त्रित किये गए थे तो क्या उन दिग्गज नामों ने इस शो में शामिल होना स्वीकार नहीं किया? यदि चयन का आधार उभरती प्रतिभाओं और जूनियर कलाकारों को प्रोत्साहन देना था तो प्रदर्शनी की लिस्ट में सीनियर कलाकारों की उपस्थिति फिर सवालों के घेरे में आ जाती है।
शहरों के प्रतिनिधित्व की बात करें तो लिस्ट में सर्वाधिक कलाकार जयपुर के शामिल किए गए हैं। इसके बावजूद जयपुर के  कई बड़े दिग्गज लिस्ट में नजर नहीं आ रहे।  इसके बाद उदयपुर का नम्बर है और वहां भी यही हाल है। व अजमेर के। अन्य शहरों के नाम तो मात्र राई-रत्ती भर जैसे ही हैं। शहरों के प्रतिनिधित्व  की बात करें तो पहचाने जाने वाले दिग्गजों के नाम का अभाव साफ  नजर आ रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि प्रदर्शनी में शामिल कुछ नाम ऐसे हैं जिनका कला से वास्तविक वास्ता ही नहीं हैं। कुछ ऐसे नाम भी जिनकी कूंचियों के रंग बीतते समय के साथ लगभग सूख चुके हैं।
चयन के आधार पर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि, राजस्थान का कलाकार आखिरकार माना किसे गया है? जिनकी जन्मस्थली कोई अन्य राज्य रहा, लेकिन कर्मस्थली राजस्थान बना या फिर जिनका जन्म भर राजस्थान में हुआ, लेकिन बरसों से जिनका कलाकर्म अन्य राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहा है?
अब बात करेंगे महिला प्रतिनिधित्व की तो कुल 147 कलाकारों की लिस्ट में केवल 26 महिला कलाकारों को ही शामिल किया गया। शेष अनेक योग्य व वरिष्ठ तुलिकाओं तक अकादमी की नजर नहीं पहुंच पाई। यही स्थिति युवा उभरती प्रतिभाओं के साथ रही।
गुटबाजी खुलकर सामने आई
जानकारों की माने तो इस लिस्ट से कला जगत की गुटबाजी खुलकर सामने आई है। नए गुटों का वर्चस्व नजर आ रहा है और पुराने दिग्गज गुट सिरे से नदारद हैं। लिस्ट यह भी बता रही है कि, जहां एक और नई और वास्तविक प्रतिभाओं तक प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए निमन्त्रण पहुंचाने की जहमत तक नहीं उठायी गई वहीं दूसरी ओर एक ही परिवार के दो-दो, तीन-तीन नामों को शामिल किया गया। यह तो थे उन कलाकारों के विचार जिनका नाम जाहिर किए बिना उनके विचार आपके सामने रखे गए।
आलेख के दूसरे भाग में उन कलाकारों के विचार उनके नाम सहित प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी हस्ती खुद बनाई है और उनका मानना है कि वे अकादमी की बैसाखियों के सहारे चलने के पक्षधर नहीं हैं। इसलिए गुडबुक या बैडबुक की चिंता किए बिना उनके विचार के साथ उनका नाम बेखटके दिया जा सकता है। इनके विचार क्रमश.... अगले आलेख में।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

मूमल को जैयपर से जहांगीर आर्ट गैलरी तक की सूचनाएं एवं वेवाक टिप्पणी पोस्ट करने के लिए बहुत सारी बधाई डा केके पांडे