गुरुवार, 19 जुलाई 2018

महिला कलाकारों की कूंचि से महिला सरोकार के रंग

भारत का स्ट्रीट आर्ट 
महिला कलाकारों की कूंचि से महिला सरोकार के रंग
6 महिला स्ट्रीट कलाकारों के रंगों की कहानी
मूमल डेस्कवर्क। इन दिनों स्ट्रीट आर्ट का जादू ना केवल भारत वरन् विदेश के कई हिस्सों में छाया हुआ है। हम यहां भारत की बेहतरीन 6 ऐसी महिला स्ट्रीट कलाकारों की बात करेंगे जिनकी कला ना केवल लुभाती है अल्कि बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर देती है।
झील घोरडिया

झील घोरडिया मुंबई निवासी स्अ्रीट आर्टिस्ट हैं। इनकी कला में बोल्डनेस है, विचारों की बोल्डनेस। इनकी कृतियों में हिंदी सिनेमा में महिलाओं की स्थिति, लिंग भेद और अन्याय, बालीवुड की रूडि़वादिता प्रमुख है। डिजीटल मीडिया से बनाई गई अपनी कला के माध्यम से झील लोगों को भारतीय महिलाओं द्वारा भोगे जाने वाले अन्यायों के बारे में विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। झील ने अपने प्रोजेक्ट का नाम  'ब्रेकिंग द साइलेंस' रखा है। बलात्कार, वेश्यावृत्ति, एलजीबीटी अधिकार जैसे विषय इसमें शामिल हैं।
जस चरंजीवा

जस का जन्म यूके में हुआ और भारत इनकी कर्मस्थली बना। भारत में महिलाओं की व्यथा इनकी कला का विषय बना। जस ने 2012 के निर्भया काण्ड के मामले के बाद 'डॉट नॉट मेस विथ मी' नामक एक चित्र बनाया जिसे आम तौर पर 'द पिंक लेडी' के नाम से भी जाना जाता है। यह चित्र महिलाओं के लिए अपनी पीड़ा व्यक्त करने का प्रतीक बन गया।
वर्तमान में जस और उसके पति दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ग्राफिक कलाकारों के लिए एक किल्चर शॉप चलाते हैं।
लीना केजरीवाल

लीना केजरीवाल भारत की एक और कलाकार हैं, जिन्होंने अपने काम के लिए सामाजिक संदेशों को चुना है। इस कलाकार ने 'मिसिंग' परियोजना के तहत महिला तस्करी के मुद्दे पर प्रकाश डाला है।  लीना अपनी परियोजना के तहत  सड़कों और प्रमुख स्थलों पर 'लापता' लड़कियों को काले रंग के चित्रित करती हैं।
पिछले कई सालों से, लीना मानव जालसाजी और युवा लड़कियों की वेश्यावृत्ति के मुद्दों पर कई गैर सरकारी संगठनों के साथ काम कर रही है। 'लापता' के माध्यम से, वह अपनी चिंताओं को जनता के लिए एक दिलचस्प और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करती है।
लीना फ्रांस की निवासी है, और कोलकाता, दिल्ली, तेहरान, बर्लिन और वीमर जैसे शहर अपने बड़े पैमाने पर फोटोग्राफिक इंस्टालेशन लगाती हैं।
काजल सिंह

काजल सिंह को लोग 'डिज़ीÓ नाम से अधिक पहचानते हैं। काजल नेे पूरे भारत में अपनी हिप-हॉप प्रेरित कला की छाप छोड़ी है। बचपन से कला प्रतियोगिताओं को जीतना सिंह के जीवन का हिस्सा रहा है। हिप-हॉप और कला के लिए उनका प्यार एक यूनिक आर्ट के रूप में लोगों के ामने आया। स्ट्रीट आर्ट में विभिन्न रंगों के प्रयोग से काजल की अपनी शैली उनकी एक विशेष पहचान को कायम किया है।
किसी भी शहर में काम शुरू करने से पहले काजल हमेशा उचित अनुमति लेती हैं। लेकिन उन्होंने महसूस किया है कि ग्रामीण इलाकों में लोग अपनी दीवारों को भित्तिचित्रण के लिए हमेशा प्रदान करते हैं। काजल की कला पुराने स्कूल की भित्तिचित्र सी है, जिसमें चमकदार रंगों में चंकी अक्षरों के साथ छोटे किरदार निकलकर सामने आते हैं। काजल एक हिप-हॉप नर्तकी,  उग्र चित्रकार और एक फिटनेस ब्लॉगर भी है।
रश

रश मणिपुर की मूल निवासी हैं। यह 2010 से सक्रिय रूप से चित्रकारी कर रहीं हैं। रश ने दिल्ली के चार महत्वपूर्ण स्थान आईआईटी, हौज खास, आईएसबीटी फ्लाईओवर और चाणक्यपुरी में अपने काम की छाप छोड़ी है। उनके प्रवेश से, कला उसे एक भीड़ देता है, और इसलिए उसने अपना नाम चुना। चित्रण के लिए गुलरबी रंग को विशेष रूप से पसन्द करने वाली रश को शब्दों के साथ खेलना पसंद है।
अंपू वर्की

अंपू वर्की एक कुशल चित्रकार हैं। दिल्ली, पूणे, ऋषिकेश व चैन्नई की दीवारों पर चित्रित बिल्ली के चित्रों ने इंपु को विशेष रूप से पहचान दिलाई।

भारत में सबसे महत्वपूर्ण कलाकृतियों में से एक दिल्ली पुलिस मुख्यालय टावर पर विशाल महात्मा गांधी की मूर्ति भी अंपूं की ही कृति है। बेंगलुरू की मूल निवासी अंपू ने हलासुरु मेट्रो स्टेशन के पास एक घर की दीवार पर एक विशाल चंद्रमा चित्रित किया। अंपू ने 2017 बेंगलुरु छोड़ा और पेंटिंग का अध्ययन करने के लिए बड़ौदा के एमएस विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और फिर लंदन में बाम शॉ स्कूल ऑफ आर्ट में।
अंपू का मानना है कि दुनिया तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका एक दीवार को पेंट करना है जो हर किसी को आमन्त्रित करता है। 

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