पेंशन देने के लिए नहीं मिल रहे कलाकार
वृद्ध व असहाय कलाकार पेंशन योजना
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। प्रदेश सरकार संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भले ही योजनाएं चला रही हो, पर बुजुर्ग कलाकार अनदेखी के शिकार हैं। संस्कृति विभाग पेंशन के लिए बुजुर्ग और असहाय कलाकारों को खोज नहीं पा रहा है। इस वजह से तीन दशक बाद भी प्रदेश के बुजुर्ग कलाकारों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा।संस्कृति विभाग की लापरवाही और संवेदनहीनता का हाल ये है कि पेंशन योजना का कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता। पिछले पांच साल से पेंशन के लिए विभाग ने विज्ञापन भी नहीं निकाला है।
संस्कृति विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 1985 में कलाकारों के लिए पेंशन योजना शुरू हुई थी। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सिर्फ 322 वृद्ध व असहाय लोक कलाकार हैं। ये सभी कलाकार प्रदेश के भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के 18 मंडल के अंतर्गत आने वाले 75 जिलों के हैं। इन जिलों का औसत निकाला जाए तो हर जिले में लगभग चार कलाकार ही पेंशन पा रहे हैं। कलाकारों की पेंशन के मूल्यांकन में भी विभाग की कोई रुचि नहीं है। इस सन्दर्भ में संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि, वृद्ध और असहाय कलाकारों को पेंशन दिए जाने के लिए जल्दी ही विज्ञापन निकाला जाएगा।
चिकित्सा और कला छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति भी बंद
एक ओर जहां तमाम विभागों की पेंशन बीते वर्षों में दो से तीन गुना बढ़ चुकी है। वहीं, संस्कृति विभाग से मिलने वाली पेंशन महज दो हजार रुपये ही है। इसके अलावा वृद्ध पेंशनर्स को चिकित्सा प्रतिपूर्ति और कला छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति भी बंद है। ऐसे में विलुप्त होती लोक कलाओं के सरंक्षण की बात बेमानी साबित होती नजर आती है।
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