चेन्नई में नेचुरल कलर और एस्थेटिक्स कार्यशाला 20 जुलाई से
जयपुर के अमित कल्ला करेंगे संचालन
मुमल नेटवर्क, चैन्नई/जयपुर। कवि और चित्रकार अमित कल्ला बीस जुलाई से तमिल नाडू की राजधानी चेन्नई में प्राकृतिक रंगों और भारतीय दर्शन की सौन्दर्य मीमांसा विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का संचालन करेंगे जिसे आर्ट प्रोमो ग्लोबल और माय स्टूडियो के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जायेगा, इस दौरान वे फूल-पत्तियों और धरती में पाए जाने वाले विभिन्न मिनरल्स और मेटल्स से नेचुरल कलर बनाने की तकनीक साझा करेंगे।अमित वहां फूलों में केसुला, अमलतास, हरसिंगार, बोगनबेलिया, चंपा, कुसुम जैसे फूलों के अलावा हल्दी, आंवला, चूना, पेवड़ी, सिन्दूर, तून, कत्था, कॉफ़ी, हरितिका, अनार छिलका, बडहल, जामुन, गरण, चिरायता, कायफल,सोनामुखी और प्राकृतिक नील से बबूल के गौंद का इस्तमाल करके विभिन्न प्रकार के रंग बनाना सिखायेंगे।
अमित के अनुसार प्राकृतिक रंगों की अपनी एक अलग तासीर होती है जो किसी भी सर्फेस पर चित्र का रूप लेकर हमेशा से एक आयाम रचती नजऱ आती है। सदियों से इसका सामाजिक, ऐतिहासिक और प्रायोगिक महत्व रहा है। इस प्राचीन विधियों की कला के विद्यार्थियों और कलाकारों दोनों को यथासंभव जानकारी होना वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है ।
कार्यशाला में रंग तकनीक के साथ ही इंडियन एस्थेटिक्स के मूल कहे जाने वाले कुछ प्रमुख ग्रन्थ मनसोलास, संग्रामणसूत्रधार, विष्णुधर्मोत्तरपुराण, दृगदृष्य विवेचिका के अलावा रस-ध्वनि के सिद्धांत, कला का देश-काल, नाद-बिंदु, पुरुष-प्रकृति, रूप-अरूप, भाव-अलंकर और विभिन्न दृश्यात्मक अनुभवों से जुड़े तमाम पहलुओं को बेहद सरलतम अंदाज़ में बतलाया जायेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें