मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

दीपक सांकित नवाजे जाएंगे राजा भगवंत दास अवार्ड से


दीपक सांकित नवाजे जाएंगे राजा भगवंत दास अवार्ड से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। युवा शिल्पकार दीपक सांकित कल शाम राजा भगवंत दास अवार्ड से नवाजे जाएंगे। दीपक को यह सम्मान मीनाकारी में चांदी पर कंटेम्पररी प्रयोग की उत्कृष्ट शिल्पकारी के लिए दिया जा रहा है। 
महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा प्रदान किए जाने वाले इस सम्मान के लिए दीपक द्वारा बनाए गए कफलिंग्स व बटन की कंटेम्पररी शैली  की मीनाकारी को चुना गया। जिस पर दीपक ने मुगल शैली के मोटिफ को प्रस्तुत किया है। कल 31 अक्टूबर की शाम सिटी पैलेस में होने वाले भव्य समारोह में दीपक को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। सम्मान स्वरूप उन्हें 31,000 रूपये नकद, शॉल, सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में रखी रजत कलश की प्रतिकृति, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि, यह समारोह ब्रिगेडियर स्वर्गीय एच.एच. महाराजा सवाई भवानी सिंह स्मरण में आयोजित किया जा रहा है जिसमें दीपक सांकित सहित 24 पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों में दिये जायेंगे।

एक लम्बे अर्से से दीपक सांकित मीनाकारी में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। उनका उद्देश्य मीनाकारी जैसी महंगी व अभिजात्य वर्ग तक सीमित रहने वाली कारीगरी को आम लोगों तक की पहुंच व पसन्द तक लाना रहा है। अभी हाल ही में मीनाकारी से बनाए गए फोटोफ्रेम पर उन्हें वल्र्ड क्राफट काउंसिल के एक्सीलेंसी अवार्ड के लिए भी चुना गया है। दीपक की कला का जलवा कुछ दिन पहले ही जयपुर में आयोजित राजस्थान हैरीटेज फैशन वीक तथा राजस्थान फैशन वीकएण्ड के मंच से देश-विदेश के कला पारखी देख चुके हैं।
दीपक को मीनाकारी की विरासत अपने पिता राजकुमार सांकित व दादा दीनदयाल मीनाकार से मिली है। दीपक के दादा व पिता को बेहतरीन मीनाकारी के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सममानित किया जा चुका है। इसी कड़ी में दीपक सांकित को भी भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने नेशनल सर्टिफिकेट से सम्मानित किया है।

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

आकार के सिल्वर जुबली फेस्टिवल का आगाज आज से

आकार के सिल्वर जुबली फेस्टिवल का आगाज आज से
नई-पुरानी यादों के साथ विविध रंगों को समेटेगा यह उत्सव
शुभदा के स्पेशल बच्चों की उपस्थिति होगी खास
मूमल नेटवर्क, अजमेर। कलाकार समूह आकार के सिल्वर जुबली फेस्टिवल का उद्घाटन आज 28 अक्टूबर शाम पांच बजे अजमेर क्लब में होगा। आज दिन में तीन बजे आकार द्वारा प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया गया जिसमें आकार की कला या9ा पर आधारित लगभग 25 मिनट की डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। प्रेस को फेस्टिवल के बारे में जानकारी देते हुए आकार के पदाधिकारियों डॉ. अनुपम भटनागर,लक्ष्यपाल सिंह राठौड़ व प्रहलाद शर्मा ने कहा कि, फेस्टिवल की शुरुआत आकार समूह द्वारा प्रदर्शित कलाकृतियों के उद्घाटन से होगी। इस अवसर पर आकार के 25 वर्ष की यात्रा पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग भी की जाएगी। आकार के 25 वर्ष पूरे होने की खुशाी में इस फेस्टिवल में ग्रुप के सभी पुराने और नए कलाकार अपनी कृतियों के साथ उपस्थित रहेंगे। शुभदा संस्था के बच्चों की उपस्थिति फेस्टिवल में स्पेशल रंग भरेगी। चार दिन तक चलने वाला फेस्टिवल अजमेर क्लब के सहयोग से मनाया जा रहा है जिसका समापन 31 अक्टूबर को होगा।
फेस्टिवल का दूसरे दिन की शुरुआत सुबह 10 बजे नेशनल आर्ट कैम्प से होगी। इसके बाद शुभदा के स्पेशल बच्चों की आर्ट वर्कशॉप की शुरुआत होगी जिसमें बच्चे, ग्रुप कलाकारों के साथ मिलकर अपनी कल्पना को रंगों से आकार देंगे। शाम 3 बजे शुभदा के बच्चों द्वारा तैयार कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसी दिन शाम पांच बजे लोक कला संस्थान द्वारा मांडना प्रतियोगिता का आयोजन होगा। शाम 7 बजे का समय अजमेर क्लब के सदस्यों के लिए स्लाइड शो का रखा गया है।
फेस्टिवल कें तीसरे दिन सुबह 7 बजे एल एस डवलपर्स के सौजन्य से उत्सव के प्रतिभागी कलाकार पुष्कर भ्रमण करेंगे। दिन में 12 बजे सद्भावना संस्था के साथ क्ले वर्कशॉप आयोजित होगी। दिन में ही 3 बजे अजमेर क्लब के सदस्यों के लिए स्पॉट पेंटिंग का आयोजन रखा गया है। इसमें क्लब सदस्य वरिष्ठ कलाकारों के निर्देशन में पेंटिंग्स बनाएंगे।
फेस्टिवल के चौथे यानि समापन दिवस की शुरुआत स्कूल व कॉलेज के बच्चों के बीच पेंटिंग कॉम्पीटिीशन से की जाएगी। दिन के 3 बजे का समय क्लोजिंग व अवार्ड सेरेमनी का होगा।

क्या आप मूर्तिकार पाब्लो पिकासो को भी जानते हैं?


क्या आप मूर्तिकार पाब्लो पिकासो को भी जानते हैं?
पाब्लो पिकासो को तो जानते ही होंगे? संभव है, बहुत से लोगों ने उनका नाम सुन रखा होगा. पर निश्चित रूप से वे एक चित्रकार के रूप में ही उन्हें जानते होंगे. लेकिन मूल रूप से स्पेन के इस महान कलाकार के बारे में यह जानकारी अधूरी ही है. अधूरी भी क्या, उनके व्यक्तित्व का एक पहलू मात्र है. बड़े होकर अपना जीवन फ्रांस में गुजारने वाले पिकासो कवि, नाटककार, स्टेज डिजाइनर (मंच सज्जा करने वाले), सेरेमिसिस्ट (मिट्टी की कलाकृतियां बनाने वाले) और प्रिंटमेकर भी थे. इसके साथ ही, एक आला दर्जे के मूर्तिकार भी. हालांकि पिकासो के चित्रों के अलावा उनकी अन्य कलाकृतियां भी जब-तब संग्रहालयों, प्रदर्शनियों और नीलामी घरों में नजर आती रही हैं. लेकिन उनकी चित्रकारी का जादू पूरी दुनिया के सिर पर इस कदर चढ़ा कि उनके व्यक्तित्व से जुड़े दूसरे तमाम पहलू पीछे रह गए या फिर कम जाने-समझे गए.
कुछ समय पहले जब पिकासो की बनाई एक मूर्ति से जुड़ा कानूनी विवाद सुर्खियों में आया तो उनके अद्भुत मूर्तिकार होने के संदर्भ में भी चर्चा शुरू हो गई. बहरहाल, पिकासो की बनाई मूर्ति की खरीद से जुड़ा विवाद एक तरफ है और यह बहस दूसरी् तरफ कि वे क्या चित्रकार से भी बेहतर मूर्तिकार थे? कई जानकार इस सवाल का जवाब 'हां' में देते हैं. ऐसे ही जानकारों का आकलन है कि पिकासो ने अपने जीवनकाल में करीब 50,000 कलाकृतियां गढ़ीं. लेकिन इनमें उनके द्वारा बनाई गई शिल्पकृतियों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी. पिकासो की जीवनी लिखने वाले रॉलैंड पेनरोज ने इस महान कलाकार की शिल्पकृतियों पर आधारित एक प्रदर्शनी आयोजित की थी. इसमें उन्होंने 284 कृतियां शामिल की थीं. जबकि पिकासो पर शोध करने वाले वर्नर स्पाइस ने उनकी कलाकृतियों की सूची में 664 मूर्तियों का जिक्र किया है. वहीं, पिकासो से संबंधित ऑनलाइन प्रोजेक्ट में उनकी बनाई 796 शिल्पकृतियों को जगह दी गई है. हालांकि किसी कलाकार के योगदान का आकलन महज उसकी कलाकृतियों की संख्या से करना ठीक नहीं. इसके लिए तो यह देखना बेहतर होता है कि उसकी कलाकृति किस कोटि या दर्जे की हैं.
पिकासो की बनाई गई मूर्तियों की तादाद अपेक्षाकृत कम रही. इसलिए भी इन्हें बहुत कम ही खरीदा और बेचा जाता है. मीडिया में पिकासो के मूर्तिशिल्प के ज्यादा सुर्खियां न बनने के पीछे भी यही बड़ी वजह रही. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में स्थित क्रिस्टी नीलामघर ने 2014 में पिकासो की 116 चुनी हुई कलाकृतियों की नीलामी कीं जिनमें मूर्तिकृतियां सिर्फ नौ ही थीं. इसी तरह अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित सॉदबी नीलामघर ने भी पिकासो की 201 कलाकृतियों की नीलामी की, जिनमें सिर्फ 21 मूर्तियां ही थीं. हालांकि इसके बावजूद इन्हें जिस कीमत पर खरीदा गया, उसका किसी ने अनुमान भी नहीं लगाया होगा.

उन्हें अपने मूर्तिशिल्प से बेहद प्यार था
पिकासो की शिल्पकृतियों का जिक्र कम होने या उनके रहस्य बने रहने की एक वजह यह भी रही कि उन्हें अपनी इन कृतियों से बेहद प्यार था. वे इन्हें बेचने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे. अमेरिका में कनेक्टीकट प्रांत के हर्टफोर्ड में स्थित ट्रिनिटी कॉलेज के प्रोफेसर माइकल फिजग़ेराल्ड के मुताबिक, 'पिकासो ने चित्रकला का प्रशिक्षण हासिल किया था और उन्हें अपनी पेंटिंग्स बेचने में कभी कोई हिचक महसूस नहीं हुई. दूसरी तरफ अपनी शिल्पकृतियों से उन्हें गहरा प्यार हो गया था. वे उन्हें अपने परिवार के सदस्यों की तरह संभाल कर रखते थे.' यहां तक कि पूरी तरह अपनी बनाई मूर्तियों पर ही आधारित प्रदर्शनी लगाने के लिए भी वे 1966 तक तैयार नहीं हुए.
मगर 1967 में पेरिस में व्यापक स्तर पर उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी ('पिकासो को आदरांजलिÓ शीर्षक से) लगाई गई. इस प्रदर्शनी ने लंदन और न्यूयॉर्क की भी यात्रा की. तब कहीं जाकर उनका मूर्तिशिल्प लोगों के सामने आ सका. उसी वक्त आम जनता को पता चला कि यह कलाकार इस विधा में भी अपनी रचनाशीलता का प्रयोग कर रहा है. न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट के क्यूरेटर एन एमलैंड के मुताबिक, 'यह पहला मौका था, जब पिकासो अपनी सारी शिल्पकृतियों को स्टूडियो से बाहर लाने के लिए राजी हुए थे. तभी आम लोगों को भी उनकी मूर्तिकला की गहराई और विस्तृत दायरे का भी अंदाजा हो सका.'
ज्यादा प्रचार नहीं मिल सका
चूंकि पिकासो अपने जीवनकाल में लंबे समय तक अपनी शिल्पकृतियों को जनता के सामने लाने के लिए राजी नहीं हुए थे, इसलिए उनके इस काम का समग्र रूप से दस्तावेजीकरण भी नहीं हो सका. मिसाल के तौर पर कर्सटन-पीटर वन्र्क और इंगो एफ वाल्दर ने दो खंड में 'पिकासो' शीर्षक से जो किताब लिखी, उसमें 1,226 कलाकृतियों का वर्णन है. लेकिन शिल्पकृतियों के नाम पर इसमें सिर्फ 66 का जिक्र ही किया गया है. इसी तरह 'अल्टीमेट पिकासो' (अद्वितीय पिकासो) के नाम से एक और किताब आई. इसे ब्रिजिट लियॉल, क्रिस्टीन पाएट, मैरी लॉर बर्नाडेक ने मिलकर लिखा. इसमें पिकासो की 1,187 कलाकृतियों का विवरण है, लेकिन शिल्पकृतियां महज 78 ही हैं. यहां तक कि पिकासो की जीवनी की विस्तृत श्रृंखला लिखने वाले जॉन रिचर्डसन ने भी उनके मूर्तिशिल्प का जिक्र सरसरी तौर पर ही किया है.
पिकासो की ज्यादातर प्रदर्शनियों में भी मूर्तिशिल्प को सीमित तरीके से ही प्रदर्शित किया गया. जैसे कि 2012-13 में अमेरिका के गगेनहैम संग्रहालय और ह्यूस्टन संग्रहालय में 'पिकासो; ब्लैक एंड व्हाइट' के नाम से जो प्रदर्शनियां लगीं, उनमें कलाकृतियां तो 118 प्रदर्शित की गईं थी. लेकिन शिल्पकृतियां सिर्फ 12 ही थीं. इसी तरह, 2013 की 'म्यूजी पिकासो' के नाम से आयोजित की गई सफऱी नुमाइश (ट्रेवलिंग एक्जि़बिशन या चलती-फिरती प्रदर्शनी) में भी कुल 139 कलाकृतियां थीं. मगर इनमें शिल्पकृतियां सिर्फ 28 ही थीं.
मूर्तिशिल्प में प्रयोग जमकर किए
पिकासो औपचारिक तौर पर चित्रकला में प्रशिक्षित थे. उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा भी पेंटिंग्स की बिक्री से ही आता था. लिहाजा, मूर्तिकला उनके लिए वह माध्यम बना, जिसमें वे स्वतंत्र रूप से खूब प्रयोग कर सकते थे. इसमें वे स्थापित नियम-कायदों को तोड़ सकते थे और ऐसा करते वक्त उनकी छवि या साख बिगडऩे का भी कोई झंझट या डर नहीं था. न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न (एमओएमए) की क्यूरेटर एन टेमकिन के मुताबिक, 'चूंकि पिकासो गैर-पेशेवर मूर्तिकार थे, इसलिए मूर्तिशिल्प क्या है, इस पर वे पूरी आजादखयाली के साथ सोच-विचार कर सके, प्रयोग कर सके.'
उदाहरण के लिए पिकासो ने 20वीं सदी की शुरुआत में साथी कलाकार फ्रांस के जॉर्ज ब्रैक के साथ मिलकर चित्रकला में क्यूबिज्म (कलाकृति को यूं बनाना कि वह घनाकार (क्यूब के आकार वाले) टुकड़ों में बंटी या उनसे बनी नजर आए) शैली का चलन शुरू किया. इसे उन्होंने अपनी मूर्तिकला में भी बखूबी इस्तेमाल किया. पिकासो के द्वारा 1912-13 में किया गया यह प्रयोग एकदम अभिनव था. गार्जियन अखबार के कला समीक्षक जैसन फरागो कहते हैँ, 'पिकासो की ये कलाकृतियां 'बादलों के बीच कड़कती बिजली की चकाचौंध' की तरह थीं. इनके जरिए कलाकार कला के नए स्वरूप को पाने के लिए मूर्तिकला के स्थापित तौर-तरीकों को उलट-पलट कर रहा था.'
पिकासो ने ऐसी ही एक कलाकृति 'गिटार' 1912 में बनाई. इसके लिए उन्होंने रोजमर्रा के काम में आने वाली सामान्य सी चीजों जैसे, कार्डबोर्ड (गत्ता) के टुकड़ों, थोड़ी मात्रा में लकड़ी और धातु आदि का उपयोग किया. इस तरह वे अपने शिल्प को आम जिंदगी से जोड़ते चले गए. यहां तक कि उन्होंने कला और जीवन के बीच की महीन सीमारेखा को भी धुंधला कर दिया. कला इतिहासकार वी एलेन बॉएस के अनुसार, 'पिकासो का यह शिल्प गैर-प्रतिनिधित्ववादी मूल्य की तलाश करता है. दूसरे शब्दों में पिकासो अपने शिल्प को चित्रित करने के लिए मनमर्जी से पदार्थों-वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे थे. इस तरह, जैसा कि उन्होंने खुद ही एक बार कहा था कि वे सिर्फ देखने वालों की 'आंखों को ही नहीं बल्कि उनके दिमाग को भी चकमा देना चाहते थे'
फिर 1950 तक पिकासो एक बार फिर सरल शिल्प की तरफ लौटे. इसमें शुरुआत कागज और गत्ता आदि से ही होती थी जिन्हें काटकर, घुमाकर तरह-तरह के आकार दिये जाते थे. इसके बाद इन्हें धातु की चादर से बनाया जाता था. इसे कभी वे पेंट करते थे और कभी नहीं भी.
अब पहली बार पिकासो की शिल्पकृतियों को उनका हक, प्रतिष्ठा और मान्यता मिलने की शुरुआत हुई है. उम्मीद है कि 1960 के दशक के आखिरी और 1970 के दशक के शुरुआती सालों में जिस तरह की पहचान पिकासो की चित्रकला को मिली, वैसी ही अब उनकी मूर्तिकला को भी मिलेगी.
पिकासो के चित्रों की प्रदर्शनी पहली बार 1978 में दक्षिण-पूर्वी फ्रांस के एविनॉन शहर में लगी थी. इसमें उनकी विख्यात चित्रकृति 'ली वाएल हॉम ऐसिस' भी थी. तब उनकी चित्रकृतियों के बारे में काफी-कुछ लिखा-पढ़ा गया. अब ऐसा ही कुछ उनकी शिल्पकृतियों के मामले में होने लगा है. पिकासो की शिल्पकृतियों के बारे में जानने के लिए पूरी दुनिया में रुचि और ललक दिख रही है. यानी पिकासो के शिल्प का भी अब कलाकारों की आने वाली पीढ़ी पर गहर असर पडऩे वाला है.

(अमेरिका की सैम ह्यूस्टन स्टेट यूनिवर्सिटी में लिंग्विस्टिक और आर्ट हिस्ट्री के प्रोफेसर एनरिक मैलेन का लिखा यह लेख मूल रूप से द कन्वरसेशन पर प्रकाशित हुआ था। मूमल ने यह लेख सत्याक्रह ब्यूरो से साभार लिया है।)

शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

जेकेके में बच्चों ने सीखा 3डी फेस स्ट्रक्चर बनाना

जेकेके में बच्चों ने सीखा 3डी फेस स्ट्रक्चर बनाना
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जवाहर कला केंद्र में आयोजित इंडियन सिरेमिक्स ट्राइऐनियल के तहत स्कल्चर पर आधारित दो दिवसीय वर्कशॉप 'फेसेज' आयोजित की गई। इस वर्कशॉप का संचालन सिरेमिक आर्टिस्ट, राशि जैन द्वारा किया गया।
राशि जैन ने बताया कि इस कार्यशाला में भारतीय विद्या भवन विद्याश्रम स्कूल के कक्षा 4 से 12 तक के 100 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। वर्कशॉप के दौरान  विद्यार्थिया् ने क्ले के स्वभाव एवं इतिहास के बारे में जाना और टेराकोटा फेस बनाये। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागी बच्चों को 3डी फेस स्ट्रक्चर बनाने के लिये स्वयं के चेहेरे को आब्ज़र्व करने, फीचर्स महसूस करने और महत्वपूर्ण पॉईंट्स पर ध्यान केंद्रित करने के लिये कहा गया। आमतौर पर स्कूलों में किसी भी ऑब्जेक्ट को देखकर 2-डी फेस की ड्राईंग करना बताया जाता है। यह एक अनूठी कार्यशाला थी जिसमें बच्चों को मौलिकता और आत्म-अन्वेषण के लिये प्रोत्साहन किया गया। यह वर्कशॉप मुख्यत: स्कल्प्चर आर्ट का बेसिक इन्ट्रोडक्शन था।
उल्लेखनीय है कि इस वर्कशॉप के साथ ही ट्राइऐनियल के तहत बच्चों के लिये आयोजित वर्कशॉप्स की सीरीज का भी समापन हुआ। इस सीरीज के तहत कुल 6 कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं के आयोजन में अक्षरा फाउंडेशन ऑफ आट्र्स एंड लर्निंग द्वारा सहयोग किया गया। इस सीरीज के तहत पूर्व में रूबी झुनझुनवाला द्वारा मूवमेंट विद क्ले, केट मालोन द्वारा 'प्ले विद क्ले, अदिति सराओगी द्वारा कोइलिंग, स्लैबिंग एंड स्टैम्पिंग, कावेरी भारथ द्वारा स्केल्टिंग विथ फाईब्रस पेपर क्ले और रियाज बदरूद्दीन द्वारा मोजेक  वर्कशॉप्स आयोजित की गई।

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

हवा-हवाई बातें बनाकर करीब 10 लाख समेटे फिर राजस्थानी पपेट्स व पिक-पॉकेटर्स बताया

हवा-हवाई बातें बनाकर करीब 10 लाख समेटे
फिर राजस्थानी पपेट्स व पिक-पॉकेटर्स बताया
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल के नाम पर आयोजकों ने जयपुर के कलाकारों से लगभग 10 लाख रुपए समेटे और दिल्ली लौटने के बाद उनकी टोली ने यहां के ठगे से कलाकारों, सहयोगियों और बिंदास रिर्पोटिंग करने वालों को राजस्थानी पपेट्स व पिक-पॉकेटर्स जैसे शब्दों से नवाजा।

आयोजन से जुड़े सूत्रों के अनुमान अनुसार यदि 250 कलाकारों की भागीदारी भी मानी जाए तो फीस के रूप में प्राप्त राशि 7 लाख 50 हजार रुपए होती है। इसमें स्पॉन्सर्स और स्टॉल लेने वाले लोगों से प्राप्त धन को जोड़ा जाए तो यह राशि लगभग 12 लाख होनी चाहिए। जानकारों के अनुसार रवीन्द्र मंच की गैलेरीज के लिए लगभग 28 हजार रुपए का भुगतान किया गया। बाहर लॉन पर हुए आयोजन का दायित्व सह-आयोजक के रूप में एसोसिएट अविनाश त्रिपाठी पर था। अविनाश, अनिमेश फिल्म प्रा.लि. के कर्ताधर्ता हैं। एक समझौते के अनुसार अपनी फिल्म कम्पनी के प्रमोशन के साथ यहां से होने वाले आय-व्यय का नफा-नुकसान त्रिपाठी को ही होना था। अविनाश के साथ काम करने वाले लोगों की मानें तो स्पॉन्सर का पूरा पैसा और कुछ स्टॉलों से प्राप्त राशि मैडम ने सीधे ले ली, जो उनके सर को अभी तक नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार इस आयोजन में अविनाश त्रिपाठी करीब 4 लाख रुपए के नीचे आए हैं, अब टेंट, लाइट, साउण्ड आदि के बिल भरने के जुगाड़ में लगे हैं।
कलाकारी गैंग 
हालांकि कलाजगत में अपनी ही बिरादरी के कलाकारों को चूना लगाने के लिए नित-नए आयोजनों की कलाकारी करने वाले गैंग देशभर में सक्रिय हैं। जयपुर जैसे शहर अब तक इनकी चपेट में आने से बचे हुए थे, लेकिन पिछले कुछ बरसों में गुलाबी नगर में आयोजित कुछ सफल और बड़े आयोजनों के बाद ऐसे गैंग्स को यहां भरपूर पैसा नजर आने लगा है। यहां के सरल कलाकारों को अपने प्रभाव में लेना भी उनके लिए आसान होता है। उस पर अगर आयोजक अन्य बड़े कलाकारों, ब्यूरोकेट्स और फिल्मी लोगों के साथ अपनी तस्वीरें दिखाकर उनसे करीबी रिश्ते होने की बात कहे तो काम और आसान हो जाता है।
पहले कलाकारों से मीठी-मीठी बातें करने वाले आयोजक और उसकी कलाकारी गैंग के मैम्बर्स बुकिंग के बाद पार्टिसिपेट्स से सीधे मुंह बात नहीं करते, कई बार तो बदतमीजी पर उतर आते हैं। यहां तो सहयोगियों तक से ऐसा व्यवहार किया गया। इसी के चलते पहले मनीष अग्रवाल और उसके बाद अविनाश त्रिपाठी से झगड़े की स्थिति बनी। आयोजकों के अनुरूप नहीं चलने वाले कलाकारों और सहयोगियों के लिए कथित कलाकारी गैंग ने किसी ओर के हाथों में नाचने वाले राजस्थानी पपेट्स और पिक-पॉकेटर्स जैसे शब्दों का उपयोग किया।
कमोबेश यही बात आयोजन का असल रंग दिखाने वाली रिपोर्टिंग के लिए भी कही गई।  'रंग बिखेरे और रंग जमायाÓ जैसे हैड लाइन के साथ बिना किसी खास जानकारी वाली खबरों के आदि आयोजकों को मूमल की बेबाक रिपोर्टिंग बिलकुल नहीं सुहायी। आयोजन के फ्लाप होने की आशंका से संबंधित समाचार को कथित कलाकारी गैंग ने आयोजन की विफलता का प्रमुख कारण बताया। आमतौर पर आलोचना के शिकार आयोजकों की तरह कलाकारी गैंग ने भी मूमल को सही पत्रकारिता का पाठ पढ़ाते हुए ज्ञान प्रदान किया।
मेहता की सहमति नहीं 
आयोजन की कोर टीम में नम्बर वन की स्थिति में प्रकाशित वरिष्ठ कलाकार चिन्मय मेहता के चित्र पर हुई चर्चा पर मेहता ने इससे अनभिज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो आयोजकों ने इसके लिए उनसे कोई सहमति प्राप्त नहीं की। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या मनीष अग्रवाल और गीता दास के बीच झगड़ा मिटाने के लिए दोनों आप ही के घर पर नहीं मिले थे? मेहता ने कहा कि उन्होंने कहा था कि वे मुझ से मिलना चाहते हैं, मैने सहमति दे दी। ऐसे में जब कोई मुझ से मिलना चाहे तो वह मेरे ही घर तो आएगा, मै उनसे मिलने थोड़े ही जाउंगा। आयोजन के दौरान वहां प्रमुखता से नजर आने पर पूछे गए सवाल पर मेहता ने बताया कि वे कला जगत के लगभग छोटे-बड़े आयोजन में आमंत्रित होने पर ऐसे ही नजर आते हैं। मेहता ने कहा कि वे आयोजकों से कोर टीम में बिना उनकी सहमति के उन्हें शामिल करने और उनके फोटो का उपयोग करने के बारे में बात करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वे इस आयोजन के संबंध में कला एवं संस्कृति विभाग को भी पत्र लिखेंगे।
'कलाचर्चा' जैसा आयोजन करें
इस संबंध में कला जगत के वरिष्ठ और जिम्मेदार लोगों से हुई चर्चा के बाद यह विचार निकल कर आया कि अब कला जगत के तेजी से बदलते परिदृश्य को देखते हुए कलाकारों को ठगी से बचने के लिए किसी भी कलाकारी गैंग से स्वयं सतर्क रहना होगा। ऐसे गिरोहों का सहयोग करने वाले स्थानीय लोगों को भी परखना होगा। ठगे गए महसूस होने पर उनका खुलकर विरोध भी करना होगा। ऐसे मेें अपने छोटे-छोटे समूह बनाकर स्वयं ही प्रदर्शनी का आयोजन किया जा सकता है। कलाचर्चा जैसे युवा कलाकारों के समूह इसकी एक से अधिक मिसाल पेश कर चुके हैं। इसी के साथ अनेक गंभीर व्हाट्सऐप ग्रुप हैं, जो बिना कोई फीस लिए ऑन लाइन प्रदर्शनी का आयोजन करते हैं।

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

जयपुर के यवा मीनाकार दीपक सांकित को वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल का अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस



जयपुर के यवा मीनाकार दीपक सांकित को

वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल का अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस

मूमल नेटवर्क, जयपुर। युवा आर्टिस्ट दीपक सांकित को वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल के अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस 2018 के लिए चुना गया है। आने वाले दिनों में उन्हें इस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। दीपक को यह अवार्ड अपने काम के प्रति समर्पणता व मीनाकारी में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए दिया जा रहा है।

आशंका के अनुरूप समाप्त हुआ इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल


आशंका के अनुरूप समाप्त हुआ जयपुर में इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल 
ठगे से रह गए स्थानीय कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इंटरनेशनल लेवल की घोषणाओं के साथ जयपुर में प्रस्तुत प्रतिष्ठित कलाकार गीता  दास का आर्ट फेस्टिवल किसी लोकल लेवल के आयोजन से भी बदतर स्थिति में सिमटकर समाप्त हो गया। दो हजार कलाकारों के काम प्रदर्शित करने का दावा ढाई सौ कलाकारों तक सिमटकर रह गया। तीन हजार की फीस वाले फेस्टिवल का छोटा-मोटा कैटलॉग तक नहीं छापा गया और कलाकार ठगे से देखते रह गए।
पालने में दिखे थे, पूतों के... 
उल्लेखनीय है कि कला जगत के जानकारों ने आयोजक व उनकी कोर टीम के रंग-ढंग देखते हुए आगाज से पहले ही इसके अंजाम के बारे में साफ संकेत दे दिए थे। पूर्व आशंका के अनुसार आयोजकों की अधिकांश घोषणाएं थोथी और दावे खोखले साबित हुए। इंटरनेशन लेवल की  प्रस्तुतियां तो दूर कलाकारों के बेहतरीन काम का डिस्प्ले लोकल लेवल से भी अधिक बदतर रहा। अनूप जलोटा सहिज जिन एक दर्जन सैलीब्रिटीज के शामिल होने के दावे किए उनमें से आधे भी आयोजन मेें नजर नहीं आए। आपा-धापी में हुए उद्धाटन से लेकर होच-पोच में हुए समापन तक सब कुछ अस्त-व्यस्त रहा। कलाकारों का कहना था कि, मंच पर बुला कर ससम्मान किसी को सर्टिफिकेट तक नहीं दिया गया, बस चलते रास्ते बांट दिया गया। लगभग सात या आठ कलाकारों को मोमेंटो थमाए गए। मोमेंटो पाने वाले कलाकार खुद भी नहीं समझ पाए हैं कि, मोमेंटों के लिए कलाकारों के चयन का आधार क्या रहा?
आओ कभी हवेली पे..।
शुरुआत के पहले से लेकर समापन तक जयपुर के कलाकारों व पत्रकारों द्वारा खड़े किए सवालों का कोई जवाब दिए बिना मुख्य आयोजक स्थानीय कोर टीम को संकट में डालकर उड़ गए। इसी के चलते समापन से पूर्व कोर टीम के महत्वपूर्ण ऑरग्नाइजर ऐसोसिएट से आयोजक का मतभेद झगड़े तक पहुंच गया। (मनीष अग्रवाल या राम सिंहल वाला मामला अलग है।) कोर टीम के अन्य सदस्य जो आयोजन के दौरान प्रैस का सामना करने से लगातार बचते रहे, अब संकेत दे रहे हैं कि-  'आओ कभी, हवेली पे..।'
ठगा हुआ सा...
वहीं अपने दावों को साबित नहीं कर पाने की असफलता लिए आयोजक जयपुर के कलाकारों सहित आयोजन से जुड़े अपने ही साथियों और प्रेस पर दोष लगाते नजर आए। कुल मिलाकर फीस चुका कर फेस्टिवल का हिस्सा बनें कलाकार समापन तक अपने आप को आयोजकों द्वारा ठगा हुआ महसूस करते रहे।
कई चीजें सिरे से नदारत
इंटरनेशनल के नाम पर शास्त्रीय नृत्यांगना मारिया एलनगोवन उपस्थित रहीं। लाइव डेमों के नाम पर समापन के दिन वरिष्ठ आर्टिस्ट जतिन हजारिका ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, वहीं कला-चर्चा या पैनल डिस्कशन सिरे से नदारद रहा। जबकि नगर के मूर्धन्य कलाविद् का नाम आयोजन की कोरटीम में इसी उद्देश्य को लेकर शामिल किया गया था। इनके अलावा कोर टीम में सीतापुरा स्थिति एक होटल के मालिक भी शामिल थे। इनके अलावा स्थानीय कला जगत से जुड़े चार उत्साही युवाओं को वालिंटियर के रूप में प्रस्तुत किया गया था, उनकी भूमिका जग-जाहिर नहीं हो सकी, जबकि स्थानीय कलाकारोंं के एक समूह के कुछ प्रतिष्ठित व गंभीर सदस्य आयोजन के लिए शुरू से ही काम करते नजर आए। बाद में वे आयोजन के फ्लाप होने की आशंका के चलते अधिक मुखर नहीं हुए।
कैटलॉग तक नहीं...
प्रति कलाकार तीन हजार रुपए लेने के बाद भी शो का आधार और कलाकारों की पूंजी यानि कोई छोटा-मोटा कैटलॉग तक नहीं छापा गया। जब कलाकारों ने अरायोजकों से इस सम्बन्ध में पूछताछ की तो उन्हें यह कह कर शांत किया गया कि, आप लोगों को प्रमाण के रूप में लैटर भेजे जाएंगे।
कलाकारों को टका सा जवाब
कलाकारों ने जब मुख्य आयोजक गीता दास से इस बात की चर्चा की तो उन्हें टका सा जवाब दे दिया गया। निराशा व दुखी: कलाकारों ने बताया कि, उन्होंने कलाकारों से बहुत ही ध्रष्टता से बात की है, मानों आयोजन के लिए फीस भर लेना ही उद्देश्य रहा हो। तीनों दिन कोई बायर तो क्या आम विजिटर भी शो में नहीं आया। कलाकारों ने बताया कि एन्ट्री फीस की आशंका के समाचार प्रकाशित होने से उभरे असंतोष के बाद शो की एण्ट्री फीस रखने की योजना रद्द की गई, अन्यथा विजिटर्स के नाम पर जो कलाकारों के परिजन व मित्रों ने आकर शो देखा वो भी नहीं आते।
अगले शो के लिए सामान?
कलाकारों का यह भी कहना था कि, गीता दास के मनमुटाव के चलते जयपुर के वालिन्टियर्स को भी हताशा मिली। सबसे गंभीर बात जो चर्चा में रही वो यह थी कि गीता दास यहां स्वयं को आयोजक की जगह किसी सैलीब्रिटी की तरह प्रस्तुत करती रहीं। अधिकांश समय वे सेलिब्रिटीज के साथ फोटो सेशन में व्यस्त रहीं वो चाहे स्वयं द्वारा बुलाए गए फिल्मी कलाकार हों या राजस्थान के पद्मश्री अर्जुन प्रजापति सहित अन्य वरिष्ट कलाकार। जानकारों ने बताया कि खाए-खेले आयोजक ऐसा इसलिए करते हैं ताकि कहीं और अगले शो में इन फोटोग्राफ्स को दिखाकर अन्य कलाकारों को पकड़ सकें। 

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

कई सवालों के बीच शुरू हुआ इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर

कई सवालों के बीच शुरू हुआ 
इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल की शुरुआत तय कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को हो गई। कलाकारों की भीड़ के बीच फेस्टिवल का उद्घाटन फिल्म कलाकार कंवलजीत और अनुराधा पटेल ने किया। प्रतिष्ठित कलाकार गीता दास द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद भी प्रदेश के प्रबुद्ध कला जगत ने बहुत से ऐसे प्रश्र खड़े किए हैं जो अनुत्तरित हैं।
आर्टिस्टरी ग्रुप की ओर से आयोजित फेस्टिवल में रवीन्द्र मंच के बेसमेंट में बनी दीर्घाओं में कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। आयोजकों का दावा है कि फेस्टिवल में 2000 कलाकारों ने भाग लिया है और उनकी कृतियां प्रदर्शित की गई है। एक जानकारी के अनुसार प्रत्येक कलाकार को अपनी कृतियां प्रदर्शित करने के लिए चार वर्गफीट स्थान दिया गया है और इसके बदले तीन हजार रुपए लिए गए हैं।
गीता दास का पक्ष
इस आयोजन के संबंध में आयोजकों के आपसी मनमुटाव के चलते इसकी सफल सार्थकता पर सवाल खड़े किए जा चुके हैं। इस संबंध में मुख्य आयोजक गीता दास ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए बताया कि पूर्व में वह कुछ गैर वाजिब लोगों के प्रभाव में आ गई थीं, लेकिन बाद में समय रहते बहुत कुछ सुधार लिया गया।
उन्होंने बताया कि, मनीष अग्रवाल से हमारा जुड़ाव कभी भी नहीं रहा है। उन्होंने अपने साथी राम सिंहल के साथ मिलकर बिना हमारी जानकारी और सहमति के स्वयं को इस फेस्टिवल और हमारे मंच आर्टिस्टरी का सदस्य बताते हुए कलाकारों की बुकिंग करनी शुरू की और बुकिंग के एवज में कई कलाकारों से राशि प्राप्त की। जब हमें इस बात का पता चला तो वरिष्ठ कलाकार चिन्मय मेहता के घर पर उसे बुलाकर बात की और कलाकारों को पैसा लौटाने के लिए कहा। इसके बाद आयोजन से उनका कोई वास्ता नहीं रहा। इस आशय की जानकारी और सूचना हमने कलाकारों को भी दी। अब स्थिति नियंत्रण में है।
दूसरी ओर होच-पोच हुए आयोजन के बीच आवश्यक जानकारियां तक जग-जाहिर नहीं की जा सकी। कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं कि वास्तव में कुल कितने कलाकारों की कितनी कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। कलाकारों में बाहर के कितने कलाकार हैं और जयपुर या राजस्थान के कलाकारों की संख्या कितनी हैं? अंतर राष्ट्रीय स्तर के लिए स्थानीय कलाकारों या कला प्रेमियों के क्या विशेष है? और अत: इस आयोजन में कलाकारों के हित को लेकर क्या कुछ नया किया जा रहा है? मुख्य आयोजक गीता दास स्वयं भी ऐसी जरूरी जानकारियां नहीं दे पाईं। उन्होंने यह जरूर कहा कि, इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर का मुख्य उद्देश्य ट्राइबल एरिया में रहने वाले और ग्रामीण कलाकारों को एक सशक्त मंच प्रदान करना है।
अनेक अन्य प्रश्र भी उठे
आयोजन शुरु होने के साथ ही कलाकारों के बीच चली चर्चा का सबसे बड़ा प्रश्र यही था कि, इन दीर्घाओं में 2000 कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित होना कहां तक संभव है? अगर केवल 2000 कृतियों के प्रदर्शन की बात भी करें तो क्या वो संभव है? यदि प्रत्येक कलाकार को कृतियां लगाने के लिए जो निर्धारित स्थान दिया गया है,  क्या वह 2000 कृतियों या 2000 कलाकारों का काम प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है? कलाकारों के बीच चर्चा का विषय यह भी रहा कि आयोजकों के दावे को सही मान लिया जाए तो  प्रति कलाकार वसूली गई 3000 रुपए की फीस के साथ आयोजकों ने लगभग 60 लाख रुपए जमा कर लिए? सवाल कई हैं और उनके गले उतरने लायक उत्तरों की प्रतीक्षा है।
व्यवसाय हो पर सार्थक तो हो
कलाकारों का कहना था कि बिजनेस करना बुरी बात नहीं है, लेकिन क्या आयोजक कलाकारों के लिए वास्तव में बायर्स उपलब्ध करवा कर आयोजन को सार्थक बना पाऐंगे? उनका यह भी कहना था कि, आजकल बाहर के आयोजकों के लिए कला का धंधा कर पैसे बटोरने के लिए जयपुर उपजाऊ जमीन साबित हो रहा है। कलाकारों को ऐसे आयोजनों में सोच-समझ कर शामिल होना चाहिए। क्योकि आयोजक भ्रामक सूचनाओं के साथ कलाकारों को आकर्षित करते हैं और सही तथ्य छुपाते हैं।
(संबंधित फोटो व वीडियो सुधि पाठकों से साभार)

रविवार, 21 अक्टूबर 2018

कला प्रदर्शनी संकलन- ए कलेक्शन की हुई शुरुआत

कला प्रदर्शनी संकलन- ए कलेक्शन की हुई शुरुआत
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। सी.ऐस.ओ.आई. आर्ट गैलरी व  ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कला प्रदर्शनी संकलन- ए कलेक्शन का कल 20 अक्टूबर को उद्घाटन हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुण गोयल व फॉरमर कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर ललित कला अकादमी अध्यक्ष उत्तम पछारन, प्रख्यात मूर्तिकार अद्वैता गाडनायक एवं जानी-पहचानी कलाकार अर्पणा कौर उपस्थित थे।
इस प्रदर्शनी में राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों के 30 कलाकारों की लगभग 150 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। कलाकारों में राजस्थान की वस्त्र नगरी भीलवाड़ा के कलाकार सौरभ भट्ट के साथ गणपत भड़के, रघु नेवारा, अर्पिता रेड्डी, किरण सोनी गुप्ता सहित कई कलाकारों के काम प्रदर्शित किए गए हैं।
ललित कला अकादमी की दीर्घा में आयोजित इस प्रदर्शनी के समापन के साथ यही प्रदर्शनी दिल्ली की आए. टी. आर. आर्ट गैलरी में भी आयोजित होगी।

शुरु हुआ ललित कला अकादमी का नेशनल आर्ट कैम्प

शुरु हुआ ललित कला अकादमी का
नेशनल आर्ट कैम्प
मूमल नेटवर्क, दिल्ली/श्रीनगर। आज से श्रीनगर में ललित कला अकादमी आयोजित नेशनल आर्ट कैम्प की शुरुआत हो रही है। आज शाम चार बजे कैम्प का उद्घाटन होगा।  मास्टर संसारचन्द्र बारू मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित इस कैम्प में देश भर के 15 युवा व वरिष्ठ कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। चश्मेशाही स्थित जम्मू एण्ड कश्मीर टूरिज्म डवलपमेंट कारपोरेशन परिसर में यह कैम्प 26 अक्टूबर तक चलेगा।
कैम्प में भाग लेने वाले आर्टिस्ट
भास्कर सागर
जावेद इकबाल
जयप्रकाश जगताप
किशोर राय
नौशाद गयूर
नीलाद्री पॉल
नीलेश वेड़े
राहुल ऊशाहरा
रामचन्द्र पोकले
रमेश भोसले
रश्मि सिंह
साहिल ओहरी
संतोष कुमार वर्मा
शफी चमन
शम्भू नाथ गोस्वामी

शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

जयपुर आर्ट समिट, मेट्रो संस्करण 2018


जयपुर आर्ट समिट, मेट्रो संस्करण 2018

सफल रहा जयपुर के बाहर समिट का मेट्रो संस्करण

-राहुल सेन
मूमल नेटवर्क, जयपुर/नई दिल्ली। जयपुर में लगातार पांच वर्ष तक अपना परचम लहराने के बाद जयपुर आर्ट समिट ने अपने आयोजन को विस्तार देकर राजस्थान के बाहर कामयाब कदम बढ़ाए हैं। जयपुर आर्ट समिट का पहला मेट्रो संस्करण दिल्ली में सफलता पूर्वक आयोजित हुआ। यह संस्करण 'क्रॉस बॉर्डर आर्ट कनेक्टÓ विषय पर आधारित था। जिसमें दृश्य कला के तहत सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रमुखता देते हुए भारत एवं अन्य देशों के मध्य कला कार्यक्रमों को तय करना था। आयोजन का उद्देश्य कला प्रदर्शनियों, कला वार्ता, कला प्रतियोगिताओं और कला कार्यशालाओं के जरिये देश के युवा कलाकारों की रचनात्मक एवं सांस्कृतिक प्रतिभा को प्रोत्साहित करना था।
अपने छठे संस्करण के रूप में जयपुर के बाहर आयोजन कर समिट ने अपनी ऊंची उड़ान की  झलक दिखा दी है। युवाओं को केन्द्र में रखकर बुने गए आयोजन में इस बार जयपुर व राजस्थान से बाहर के युवा कलाकारों को समिट ने देश की राजधानी में मंच प्रदान किया। अपने इस मेट्रो संस्करण में स्थापित विदेशी और भारतीय कलाकारों के साथ दस युवा कलाकारों की कुछ बेहतरीन कलाकृतियों की युगलबंदी प्रस्तुत कर समिट ने आने वाले समय के बेहतरीन कलाकारों की एक बानगी प्रस्तुत की है।
एक सप्ताह तक कला प्रेमियों को लुभाने वाले इस त्रिआयामी कार्यक्रम में भारत के साथ दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, बेल्जियम और बांग्लादेश के बाईस कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन कर मेट्रो संस्करण के इस कला उत्सव में रंग भरे। स्थापित कलाकारों के साथ कॉलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की भागीदारी अनुकरणीय रही। प्रति वर्ष कुछ हटकर और नया करने का समिट आयोजकों का प्रयास निश्चित रूप से भारत के कला जगत को नई कला सौगात देने के लिए पहचाना जाएगा।

शुरू होने से पहले ही फ्लॉप? इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल

शुरू होने से पहले ही फ्लॉप?

इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल 

मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला जगत के जानकारों की बात मान ली जाए तो सीजन के पहले शो के रूप में रवीन्द्र मंच परिसर में 22 अक्टूबर से आयोजित होने वाला तीन दिवसीय इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल शुरू होने से पहले ही फ्लॉप की लिस्ट में दर्ज होने जा रहा है। आयोजकों के आपसी मतभेेद  और अदूरदर्शिता के साथ प्रबंधन में अनुभवहीन लोगों का दखल प्रमुख कारण के रूप में सामने आया है।
दिल्ली-मुंबई की प्रतिष्ठित कलाकार गीता दास की ओर से लगभग एक साल पहले से की जा रही तैयारियों के चलते इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होना तय था।
 भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले इस प्रोग्राम के लिए पूरे रवीन्द्र मंच को लगभग 20 लाख रुपए की किराया राशि के अनुसार पूरा रवीन्दमंच बुक किया गया था। आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जयपुर के मनीष अग्रवाल इस आयोजन के लिए लगभग एक करोड़ रुपए की राशि का इंतजाम  करने वाले थे। लेकिन, प्रोग्राम की तारीख नजदीक आते-आते मुख्य आयोजक गीता दास व फाइनेंसर मनीष अग्रवाल के बीच मतभेद के चलते कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई और अग्रवाल ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। परिणाम स्वरूप आयोजन सिमट सा गया।  इसी के साथ रवीन्द्र मंच परिसर की बुकिंग भी आर्ट गैलेरी और लॉन तक सिमट कर रह गई है।
इस संबंध में जब आयोजक गीता दास से सम्पर्क करने पर उनका फोन स्विच ऑफ मिलता रहा। उनसे सम्पर्क होने पर आयोजन का अधिक खुलासा हो सकेगा। फिलहाल इस इंटरनेशन आर्ट फेस्टिवल में पेन्टिग, ड्राइंग, कैलीग्राफी, मूर्तिशिल्प व पॉटरी के साथ पारम्परिक कलाओं के प्रदर्शन की बात कही जा रही है। आयोजकों द्वारा फेस्टिवल विजिटर्स के लिए एन्ट्री फीस तय किए जाने की अपुष्ट जानकारी भी सामने आई है। हालांकि आयोजन के ताजा पोस्टर्स में कलाकार गीता दास का नाम नदारत है, लेकिन उनके स्थान पर कला जगत से जुड़े कुछ वरिष्ठ स्थानीय व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए हैं। आयोजन में क्या कुछ नया देखने को मिलेगा और जयपुर के कला प्रेमियों का कितना समर्थन प्राप्त हो सकेगा, यह तो शो का अन्तिम परिणाम ही बता पाएगा। फिलहाल कला पारखियों की राय तो यही है कि इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर शुरु होने से पहले ही फ्लॉप होता नजर आ रहा 

लखनऊ में खुला फोटोग्राफी संग्रहालय

लखनऊ में खुला फोटोग्राफी संग्रहालय
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। युवा छायाकारों को छाया-चित्रण के इतिहास और पुरानी तकनीक से परिचित कराने के उद्देश्य से  एमिटी विश्वविद्यालय परिसर फोटोग्राफी संग्रहालय की शुरुआत की गई है। संग्रहालय का उद्घाटन गुरुवार18 अक्टूबर को राज्य ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने  किया।
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए डॉ. यशवंत ने कहा कि आज फोटोग्राफी बदलती तकनीक के कारण काफी आसान हो गई है। पहले सेल्यूलाइड  फिल्म पर चित्र खींचना और उसको प्रिंट करना केवल प्रशिक्षित छायाकार के ही बस की बात थी। फोटोग्रफी के युवा छायाकारों को यह इतिहास जानना चहिए और उन्हें सीखना चाहिए कि  पहले कैमरे को फोकस करने में भी महारत हासिल किस तरह करनी पड़ती थी।
इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के कार्यवाह प्रति कुलपति डॉ. सुनील धनेश्वर, एमिटी के सलाहकार सेवानिवृत्त मेजर जनरल के.के. ओहरी, विश्वविद्यालय के परियोजना निदेशक नरेश चंद्र सहित छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

अंतर्राष्ट्रीय मीनाकारी प्रदर्शनी में जयपुर के कलाकारों का प्रदर्शन

अंतर्राष्ट्रीय मीनाकारी प्रदर्शनी में जयपुर के कलाकारों का प्रदर्शन
इटली में लेमरोर दंपति कर रहे भारत का प्रतिनिधित्व
मूमल नेटवर्क, जयपुर/मिलान। इन दिनों इटली के मिलान शहर में अंतर्राष्ट्रीय सी.के.आई इटली एक्सपो 2018 चल रहा है। इसमें मीनाकारी कला का प्रदर्शन करते हुए जयपुर के दंपति कलाकार काना लोमरोर और कविता लोमरोर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस प्रदर्शनी में भारत सहित 18 देशों के 112 कलाकार भाग ले रहे हैं। 6 अक्टूबर को आरम्भ हुए एक्सपो का समापन 21 अक्टूबर को होगा।
काना लोमरोर विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन से स्नातक हैं अज्ञैर गत18 साल से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं । काना इस प्रदर्शनी में स्टील पर कांच के तामचीनी रंगों में बनाई गयी कलाकृतियां प्रदर्शित कर रहे हैं। यह कलाकृतियां भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिकता और विशालता का प्रतिनिधित्व करती हैं। काना ने अपनी कलाकृतियों के माध्यम से दृश्य प्रतिनिधित्व में इन विस्तृत श्रृंखलाओं को बांधने की कोशिश की है।
कविता लोमरोर एक प्रशिक्षित फैशन और आभूषण डिजाइनर है जो  12 साल से मीनाकारी कलाकार के रूप में काम कर रहीं हैं। इस प्रदर्शनी में वह तांबे और चांदी पर कांच के तामचीनी में बने आर्टवर्क प्रदर्शित कर रही हैं। उनकी कला कृतियों और आभूषण दोनों पर की गई मीनाकारी के रूप में प्रदर्शित है। कविता अपनी कलाकृतियों में ज्यादातर प्राकृतिक और आध्यात्मिक छवियां बनाती हैं।
उल्लेखनीय है कि, काना और कविता ने हंगरी के केकेकेमेट में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मीनाकारी संगोष्ठी
में हिस्सा लेकर भारत के लिए पहला पुरस्कार जीता था।

द ग्लिम्पसेस ऑफ गुरुकुल

द ग्लिम्पसेस ऑफ गुरुकुल
मूमल नेटवर्क, जयपुर। आईसीए गैलेरी में प्रसिद्ध चित्रकार संजय एन. राउत की एकल प्रदर्शनी शुरु होने जा रही है। कल शनीवार 20 अक्टूबर की शाम 5 बजे आरम्भ होने वाली प्रदर्शनी का समापन 25 अक्टूबर को होगा। राउत को ब्रह्मचारी जीवन व गुरुकुल की जीवन शैली पर पेंटिंग्स रचना पसंद है। संभवत बाल ब्रह्मचारियों के क्रियाकलापों पर आधारित पेंटिंग्स उनकी पहचान बन गई है। इस प्रदर्शनी में भी संजय की गुरुकुल गतिविधियों पर आधारित रियलिस्टक स्टाइल की पेंटिंग्स प्रदर्शित की जाएंगी।

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

करोड़ो की पेंटिंग नीलामी के बाद हुई टुकड़े-टुकड़े

करोड़ो की पेंटिंग नीलामी के बाद हुई टुकड़े-टुकड़े
मूमल डेस्कवर्क। लंदन के मशहूर स्ट्रीट आर्टिस्ट बैकसी की एक पेंटिंग 1.04 मिलीयन पाउण्ड यानि 10 करोड़ भारतीय रुपययों से भी ज्यादा कीमत में नीलाम होते ही टुकड़े-टुकड़ हो गई। नीलामीघर सौदबीज ने 5 अक्टूबर को जैसे ही नीलामी का हथैड़ा पटका पेंटिंग अपनेआप पट्अीनुमा टुकड़ों में कटती हुई फ्रेम के बाहर निकलने लगी। यह देखकर वहां उपस्थित सभी लोग भैचक रह गए। लंदन में घटी इस घटना का बैकसी के इंस्टाग्राम से वीडियो शेयर किया गया है। वीडियो में बैकसी ने दावा किया है कि, मैने इस अंजाम की योजना वर्षे पहले बनाई थी और पेंटिंग में गुप्त रूप से एक काटने वाला औजार लगा दिया था कि कभी यह पेंटिंग नीलामी के लिए रखी जाती है तो...।
यह पेंटिंग 2006 में बनाई गई थी। इसमें स्प्रे पेंटिंग और एक्रलिक पीस में एक छोटी सी बच्ची को दिखाया गया है जो उड़ते हुए गुब्बारे की ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए दिखार्द देती है।

इंटरनेशनल आर्ट एण्ड कैलीग्राफी फेस्टिवल में 26 देशों के कलाकार

इंटरनेशनल आर्ट एण्ड कैलीग्राफी फेस्टिवल में 26 देशों के कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कुवत के कला संस्कृति मंत्रालय के यहयोग से जयपुर में पहली बार इंटरनेशनल आर्ट एण्ड कैलीग्राफी फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। फेस्टिवल का उद्घाटन कल शाम जेकेके के शिल्पग्राम में हुआ। इसमें भारत सहित 26 देशों के 50 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। पांच दिन चलने वाले फेस्टिवल में पेंटिंग, कैलीग्राफी व ज्योमेट्रिक आर्ट वर्कशॉप भी होगी। फस्विल का मुख्य आकर्षण इस्लामिक, अरेबिक व गुरमुखी कैलीग्राफी है। कलाकारों को अपनी कला दिखाने के लिए कलम, स्याही, शीट व पैन जैसी कला सामग्री कुवैत से आई है।

बुधवार, 17 अक्टूबर 2018

शिल्पकार ने 60 करोड़ की पूंजी दान की

शिल्पकार ने 60 करोड़ की पूंजी दान की
मूमल नेटवर्क, अहमदाबाद। गुजरात के विख्यात गांधीवादी शिल्पकार और पद्मश्री कांतिभाई बी. पटेल ने शिल्पकला के विकास के उद्देश्य से अपनी संपत्ति ललित कला अकादमी-दिल्ली को दान कर दी है। अकादमी के अध्यक्ष उत्तम जी पाचारणे ने 10 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंच कर दानदाता कांतिभाई से मुलाकात की थी। अकादमी ने  दी गई भेंट का विधिवत स्वीकार कर लिया।
ललित कला अकादमी अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने इस दान के बारे में कहा कि, एक तपस्वी शिल्पकार ने समाज के प्रति, अपने जैसे कलाकारों की आगामी पीढ़ी के लिए अपना सर्वस्व दान कर समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अब से पश्चिम विभाग के प्रमुख केन्द्र का नाम ' शिल्प भवन ललित कला अकादमी केन्द्र-अहमदाबाद' होगा। यहां नवोदित कलाकारों के लिए कैंप-सेमिनार जैसी गतिविधियां होंगी। दानदाता पद्मश्री शिल्पकार कांतिभाई पटेल ने इस स्टूडियो को पश्चिमी भारत के ललित कला प्रेमियों के लिए रीजनल केन्द्र के रूप में विकसित करने का आग्रह किया है।
यह दिया दान में
कांतिभाई पटेल 1967 में अहमदाबाद आकर बसे थे। दान की गई संपत्ति में शिल्पकार कांतिभाई पटेल का अहमदाबाद के घाटलोडिया क्षेत्र स्थित स्थित 'शिल्प भवन' नामक स्टूडियो और 9270 वर्ग मीटर का भूखंड शामिल है। इस पर चीकू का बगीचा भी है। स्टूडियो-चीकू बगीचा और भूखंड की बाजार कीमत 60 करोड़ रुपए बताई जा रही है। क्योंकि इसे बेचना नहीं था, इसलिए दानदाता ने इसका वैल्यूएशन नहीं करवाया।

शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

ग्रुप एग्जीबिशन में दिखेंगी सौरभ भट्ट की कृतियां

ग्रुप एग्जीबिशन में दिखेंगी सौरभ भट्ट की कृतियां
मूमल नेटवर्क, भीलवाड़ा। सी.ऐस.ओ.आई. आर्ट गैलरी द्वारा 18 अक्टूबर से एक ग्रुप एग्जीबिशन का आयोजन केन्द्रीय ललित कला अकादमी की दीर्घा में होगा। देश के प्रतिष्ठित एवं वरिष्ठ 35 कलाकारों की कृतियों से सजी इस एग्जीबिशन में उदयपुर के प्रो. सुरेश शर्मा, भीलवाड़ा के सौरभ भट्ट व जयपुर की किरण सोनी गुप्ता की पेंटिंग्स को शामिल किया गया है।
आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक गौवर्धन लाल भट्ट ने जानकार दी कि प्रदर्शनी में राजस्थान के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

हेरिटेज वॉक के फोटोग्राफर्स हुए सम्म्मानित

हेरिटेज वॉक के फोटोग्राफर्स हुए सम्म्मानित
मूमल नेटवर्क, जयपुर। म्यूजियम ऑफ लेगसीज में आयोजित तीन दिवसीय फोटो एग्जीबिशन में भाग लेने वाले फोटोग्राफर्स को कल शाम अल्बर्ट हॉल पर आयोजित पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया। यह समारोह पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जयपुर फोटोग्राफर क्लब और जयपुर मेरा शहर की ओर से आयोजित किया गया था।
अजय विक्रम सिंह, आकाश भटनागर, अरुण मजूमदार, अंकित कुमार और अंक्स श्रीवास्तव सहित 37 फोटोग्राफर्स को सम्मानित किया गया। अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक, डॉ. राकेश छोलक, म्यूजियम ऑफ  लेगसीज की क्यूरेटर अपूर्बा रॉय चौधरी, फोटोग्राफर सुधीर कासलीवाल, पुरुषोत्तम दिवाकर व योगेंद्र गुप्ता द्वारा फोटोग्राफर्स को पुरस्कार प्रदान किए गए।
इस अवसर पर स्वराग बैंड द्वारा इंडो-वेस्टर्न फ्यूजन म्यूजिक की प्रस्तुति दी गई। बैंड के सदस्यों द्वारा 'पधारो म्हारे देस', 'दमादम मस्त कलंदर', 'रे परदेसिया' और 'तू माने या ना माने' जैसे लोकप्रिय गीत पेश किए गए। इस दौरान वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी भी प्रस्तुत की गई, जिसने उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया।

मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

द साइलेंट म्यूटेशन एग्जीबिशन 5 अक्टूबर से

द साइलेंट म्यूटेशन एग्जीबिशन 5 अक्टूबर से
मूमल नेटवर्क, जयपुर जेकेके की परिजात कला दीर्घा में 5 अक्टूबर से द साइलेंट म्यूटेशन एग्जीबिशन की शुरुआत होगी। आशु चावला और रिचा परसरामपुरिया द्वारा लगाई जा रही इस पेंटिंग एग्जीबिशन में जिंदगी के सरप्राइज की कहानी को अंकित किया है। प्रदर्शनी 7 अक्टूबर तक चलेगी।

जंतर मंतर में शोधकर्ताओं एवं पर्यटकों के लिए खुले 'रिसर्च रूम' एवं 'ऑब्जर्वर रूम'

जंतर मंतर में शोधकर्ताओं एवं पर्यटकों के लिए खुले 'रिसर्च रूम' एवं 'ऑब्जर्वर रूम' 
मान्यूमेन्ट का थ्री डी मॉडल भी प्रदर्शित 
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शोधकर्ताओं एवं पर्यटकों के लिये जंतर मंतर में 'रिसर्च रूम' एवं 'ऑब्जर्वर रूम' खोले गये हैं। यहां राजस्थान के अन्य जिलों से लाये गए यंत्रों के मॉडल्स के अतिरिक्त वेधशाला का 3 डी मॉडल भी प्रदर्शित है। यह जानकारी राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय के निदेशक हृदेश शर्मा ने दी।
शर्मा ने बताया कि जंतर-मंतर के 3डी मॉडल, इंटरप्रिटेशन सेंटर और स्मारक में मौजूद विभिन्न यंत्रों के मॉडल्स के माध्यम से वेधशाला की विस्तृत जानकारी प्रदर्शित की गई है। 'ऑब्जर्वर रूम' में तीन यंत्रों - खगोल घटी यंत्र, खगोल यंत्र और सौर मंडल के मॉडल स्थापित किये गये है। इसी प्रकार 'रिसर्च रूम' में उन्नतांश यंत्र, लघु सम्राट यंत्र, दिगंश यंत्र, कपाली यंत्र और जयप्रकाश यंत्र प्रदर्शित किए गये हैं। यही नहीं, महाराजा जय सिंह के सिनोटैफ के मॉडल के साथ-साथ मान्यूमेन्ट के निर्माण एवं नवीनीकरण के दौरान उपयोग में लिये गये यंत्रों के मॉडल्स भी प्रदर्शित है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा विभिन्न स्मारकों को जीवंत बनाने तथा अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मान्यूमेन्टस् पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 'रिसर्च रूम' एवं 'ऑब्जर्वर रूम' खुलने से अब पर्यटकों के लिये जंतर-मंतर में एक और नया आकर्षण जुड़ गया है।

अकादमी में युवा चित्रकार शिविर

अकादमी में युवा चित्रकार शिविर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के सहयोग ये युवा चित्रकार शिविर का कल 2 अक्टूबर को उद््घाटन हुआ। इस सात दिवसीय युवा चित्रकार शिविर में महात्मा गांधी पर आधारित चित्रों का अंकन किया जाएगा। शिविर का समापन आठ अक्टूबर को होगा।