आशंका के अनुरूप समाप्त हुआ जयपुर में इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल
ठगे से रह गए स्थानीय कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इंटरनेशनल लेवल की घोषणाओं के साथ जयपुर में प्रस्तुत प्रतिष्ठित कलाकार गीता दास का आर्ट फेस्टिवल किसी लोकल लेवल के आयोजन से भी बदतर स्थिति में सिमटकर समाप्त हो गया। दो हजार कलाकारों के काम प्रदर्शित करने का दावा ढाई सौ कलाकारों तक सिमटकर रह गया। तीन हजार की फीस वाले फेस्टिवल का छोटा-मोटा कैटलॉग तक नहीं छापा गया और कलाकार ठगे से देखते रह गए।पालने में दिखे थे, पूतों के...
उल्लेखनीय है कि कला जगत के जानकारों ने आयोजक व उनकी कोर टीम के रंग-ढंग देखते हुए आगाज से पहले ही इसके अंजाम के बारे में साफ संकेत दे दिए थे। पूर्व आशंका के अनुसार आयोजकों की अधिकांश घोषणाएं थोथी और दावे खोखले साबित हुए। इंटरनेशन लेवल की प्रस्तुतियां तो दूर कलाकारों के बेहतरीन काम का डिस्प्ले लोकल लेवल से भी अधिक बदतर रहा। अनूप जलोटा सहिज जिन एक दर्जन सैलीब्रिटीज के शामिल होने के दावे किए उनमें से आधे भी आयोजन मेें नजर नहीं आए। आपा-धापी में हुए उद्धाटन से लेकर होच-पोच में हुए समापन तक सब कुछ अस्त-व्यस्त रहा। कलाकारों का कहना था कि, मंच पर बुला कर ससम्मान किसी को सर्टिफिकेट तक नहीं दिया गया, बस चलते रास्ते बांट दिया गया। लगभग सात या आठ कलाकारों को मोमेंटो थमाए गए। मोमेंटो पाने वाले कलाकार खुद भी नहीं समझ पाए हैं कि, मोमेंटों के लिए कलाकारों के चयन का आधार क्या रहा?
आओ कभी हवेली पे..।
शुरुआत के पहले से लेकर समापन तक जयपुर के कलाकारों व पत्रकारों द्वारा खड़े किए सवालों का कोई जवाब दिए बिना मुख्य आयोजक स्थानीय कोर टीम को संकट में डालकर उड़ गए। इसी के चलते समापन से पूर्व कोर टीम के महत्वपूर्ण ऑरग्नाइजर ऐसोसिएट से आयोजक का मतभेद झगड़े तक पहुंच गया। (मनीष अग्रवाल या राम सिंहल वाला मामला अलग है।) कोर टीम के अन्य सदस्य जो आयोजन के दौरान प्रैस का सामना करने से लगातार बचते रहे, अब संकेत दे रहे हैं कि- 'आओ कभी, हवेली पे..।'
ठगा हुआ सा...
वहीं अपने दावों को साबित नहीं कर पाने की असफलता लिए आयोजक जयपुर के कलाकारों सहित आयोजन से जुड़े अपने ही साथियों और प्रेस पर दोष लगाते नजर आए। कुल मिलाकर फीस चुका कर फेस्टिवल का हिस्सा बनें कलाकार समापन तक अपने आप को आयोजकों द्वारा ठगा हुआ महसूस करते रहे।
कई चीजें सिरे से नदारत
इंटरनेशनल के नाम पर शास्त्रीय नृत्यांगना मारिया एलनगोवन उपस्थित रहीं। लाइव डेमों के नाम पर समापन के दिन वरिष्ठ आर्टिस्ट जतिन हजारिका ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, वहीं कला-चर्चा या पैनल डिस्कशन सिरे से नदारद रहा। जबकि नगर के मूर्धन्य कलाविद् का नाम आयोजन की कोरटीम में इसी उद्देश्य को लेकर शामिल किया गया था। इनके अलावा कोर टीम में सीतापुरा स्थिति एक होटल के मालिक भी शामिल थे। इनके अलावा स्थानीय कला जगत से जुड़े चार उत्साही युवाओं को वालिंटियर के रूप में प्रस्तुत किया गया था, उनकी भूमिका जग-जाहिर नहीं हो सकी, जबकि स्थानीय कलाकारोंं के एक समूह के कुछ प्रतिष्ठित व गंभीर सदस्य आयोजन के लिए शुरू से ही काम करते नजर आए। बाद में वे आयोजन के फ्लाप होने की आशंका के चलते अधिक मुखर नहीं हुए।
कैटलॉग तक नहीं...
प्रति कलाकार तीन हजार रुपए लेने के बाद भी शो का आधार और कलाकारों की पूंजी यानि कोई छोटा-मोटा कैटलॉग तक नहीं छापा गया। जब कलाकारों ने अरायोजकों से इस सम्बन्ध में पूछताछ की तो उन्हें यह कह कर शांत किया गया कि, आप लोगों को प्रमाण के रूप में लैटर भेजे जाएंगे।
कलाकारों को टका सा जवाब
कलाकारों ने जब मुख्य आयोजक गीता दास से इस बात की चर्चा की तो उन्हें टका सा जवाब दे दिया गया। निराशा व दुखी: कलाकारों ने बताया कि, उन्होंने कलाकारों से बहुत ही ध्रष्टता से बात की है, मानों आयोजन के लिए फीस भर लेना ही उद्देश्य रहा हो। तीनों दिन कोई बायर तो क्या आम विजिटर भी शो में नहीं आया। कलाकारों ने बताया कि एन्ट्री फीस की आशंका के समाचार प्रकाशित होने से उभरे असंतोष के बाद शो की एण्ट्री फीस रखने की योजना रद्द की गई, अन्यथा विजिटर्स के नाम पर जो कलाकारों के परिजन व मित्रों ने आकर शो देखा वो भी नहीं आते।
अगले शो के लिए सामान?
कलाकारों का यह भी कहना था कि, गीता दास के मनमुटाव के चलते जयपुर के वालिन्टियर्स को भी हताशा मिली। सबसे गंभीर बात जो चर्चा में रही वो यह थी कि गीता दास यहां स्वयं को आयोजक की जगह किसी सैलीब्रिटी की तरह प्रस्तुत करती रहीं। अधिकांश समय वे सेलिब्रिटीज के साथ फोटो सेशन में व्यस्त रहीं वो चाहे स्वयं द्वारा बुलाए गए फिल्मी कलाकार हों या राजस्थान के पद्मश्री अर्जुन प्रजापति सहित अन्य वरिष्ट कलाकार। जानकारों ने बताया कि खाए-खेले आयोजक ऐसा इसलिए करते हैं ताकि कहीं और अगले शो में इन फोटोग्राफ्स को दिखाकर अन्य कलाकारों को पकड़ सकें।
3 टिप्पणियां:
I would like to point out few things-
a) She is GEETA DASS and not Luna Das as mentioned here.
b) rename of the reporter/ anchor who wrote this is not disclosed which shows unprofessional and maligned intention of the writer.
c) Instead of being a very good host and showing humanitarian (Geetaji landed in Jaipur straight from a 20 days stay in hospital) and cooperative behaviour, the writer is behaving like a puppet( after all, puppetry is a unique art of Jaipur)!
4) In any reporting story balance is always maintained. Greta D as was available at the venue despite having vomits, physical weakness and giddiness all the time and she was easily accessible(your wish to meet her was important!)
5) It was utterly surprising to see/ note that people who promised to walk along with her on the path of Gurudev Ravindranath Thakur, started pocketing the fees in cash or undefined accounts in the age of digital banking.
6) Discipline on the part of local associates was totally disappointing.
7) Jaipur, kalanagari , was chosen thinking artists here are very sensitive souls and will come forward to make this affair a true cooperative and warm affair from a tribal artist from a remote place to a metropolitan artist and work as a bridge.
8) Flaws are there, we apologise, but nobody came forward to mend any of the flaw !
Our 'dhok', our pranam, our Namaste, our ' salaam to all senior and master artists of Jaipur and love to all new comers.
Learn to be genuine while reporting and must maintain balance!
Kalpana Palkhiwala.
Moomal news has been extremely irresponsible and has shown very cheap attitude towards someone who is trying to uplift all the non affording and tribal children .. they have just created rumours and false talks
Moomal news is proven to be the cheapest and irresponsible journalist who just spread in rumours ... it shows what your standards are towards someone who is so kind to uplift the masses in art and This is your news representing and publishing .. what a waste reporter ... I wish you people learn some professionalism the show was a hit and a lot of artists sold their works and an up jalota had given work for the show and had to come but couldn't because of his commitment to big boss all of a sudden ... an up jalota considers Geeta ji As her sister .. and Geeta ji never in her interviews or to even any artist claimed any false information like you claim...
एक टिप्पणी भेजें