कई सवालों के बीच शुरू हुआ
इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल की शुरुआत तय कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को हो गई। कलाकारों की भीड़ के बीच फेस्टिवल का उद्घाटन फिल्म कलाकार कंवलजीत और अनुराधा पटेल ने किया। प्रतिष्ठित कलाकार गीता दास द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद भी प्रदेश के प्रबुद्ध कला जगत ने बहुत से ऐसे प्रश्र खड़े किए हैं जो अनुत्तरित हैं।आर्टिस्टरी ग्रुप की ओर से आयोजित फेस्टिवल में रवीन्द्र मंच के बेसमेंट में बनी दीर्घाओं में कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। आयोजकों का दावा है कि फेस्टिवल में 2000 कलाकारों ने भाग लिया है और उनकी कृतियां प्रदर्शित की गई है। एक जानकारी के अनुसार प्रत्येक कलाकार को अपनी कृतियां प्रदर्शित करने के लिए चार वर्गफीट स्थान दिया गया है और इसके बदले तीन हजार रुपए लिए गए हैं।
गीता दास का पक्ष
इस आयोजन के संबंध में आयोजकों के आपसी मनमुटाव के चलते इसकी सफल सार्थकता पर सवाल खड़े किए जा चुके हैं। इस संबंध में मुख्य आयोजक गीता दास ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए बताया कि पूर्व में वह कुछ गैर वाजिब लोगों के प्रभाव में आ गई थीं, लेकिन बाद में समय रहते बहुत कुछ सुधार लिया गया।
उन्होंने बताया कि, मनीष अग्रवाल से हमारा जुड़ाव कभी भी नहीं रहा है। उन्होंने अपने साथी राम सिंहल के साथ मिलकर बिना हमारी जानकारी और सहमति के स्वयं को इस फेस्टिवल और हमारे मंच आर्टिस्टरी का सदस्य बताते हुए कलाकारों की बुकिंग करनी शुरू की और बुकिंग के एवज में कई कलाकारों से राशि प्राप्त की। जब हमें इस बात का पता चला तो वरिष्ठ कलाकार चिन्मय मेहता के घर पर उसे बुलाकर बात की और कलाकारों को पैसा लौटाने के लिए कहा। इसके बाद आयोजन से उनका कोई वास्ता नहीं रहा। इस आशय की जानकारी और सूचना हमने कलाकारों को भी दी। अब स्थिति नियंत्रण में है।
दूसरी ओर होच-पोच हुए आयोजन के बीच आवश्यक जानकारियां तक जग-जाहिर नहीं की जा सकी। कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं कि वास्तव में कुल कितने कलाकारों की कितनी कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। कलाकारों में बाहर के कितने कलाकार हैं और जयपुर या राजस्थान के कलाकारों की संख्या कितनी हैं? अंतर राष्ट्रीय स्तर के लिए स्थानीय कलाकारों या कला प्रेमियों के क्या विशेष है? और अत: इस आयोजन में कलाकारों के हित को लेकर क्या कुछ नया किया जा रहा है? मुख्य आयोजक गीता दास स्वयं भी ऐसी जरूरी जानकारियां नहीं दे पाईं। उन्होंने यह जरूर कहा कि, इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल जयपुर का मुख्य उद्देश्य ट्राइबल एरिया में रहने वाले और ग्रामीण कलाकारों को एक सशक्त मंच प्रदान करना है।
अनेक अन्य प्रश्र भी उठे
आयोजन शुरु होने के साथ ही कलाकारों के बीच चली चर्चा का सबसे बड़ा प्रश्र यही था कि, इन दीर्घाओं में 2000 कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित होना कहां तक संभव है? अगर केवल 2000 कृतियों के प्रदर्शन की बात भी करें तो क्या वो संभव है? यदि प्रत्येक कलाकार को कृतियां लगाने के लिए जो निर्धारित स्थान दिया गया है, क्या वह 2000 कृतियों या 2000 कलाकारों का काम प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है? कलाकारों के बीच चर्चा का विषय यह भी रहा कि आयोजकों के दावे को सही मान लिया जाए तो प्रति कलाकार वसूली गई 3000 रुपए की फीस के साथ आयोजकों ने लगभग 60 लाख रुपए जमा कर लिए? सवाल कई हैं और उनके गले उतरने लायक उत्तरों की प्रतीक्षा है।
व्यवसाय हो पर सार्थक तो हो
कलाकारों का कहना था कि बिजनेस करना बुरी बात नहीं है, लेकिन क्या आयोजक कलाकारों के लिए वास्तव में बायर्स उपलब्ध करवा कर आयोजन को सार्थक बना पाऐंगे? उनका यह भी कहना था कि, आजकल बाहर के आयोजकों के लिए कला का धंधा कर पैसे बटोरने के लिए जयपुर उपजाऊ जमीन साबित हो रहा है। कलाकारों को ऐसे आयोजनों में सोच-समझ कर शामिल होना चाहिए। क्योकि आयोजक भ्रामक सूचनाओं के साथ कलाकारों को आकर्षित करते हैं और सही तथ्य छुपाते हैं।
(संबंधित फोटो व वीडियो सुधि पाठकों से साभार)
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