गुरुवार, 31 मई 2018

संजय कुमार सेठी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज

संजय कुमार सेठी का नाम इंडिया बुक ऑफ  रिकॉर्ड में दर्ज
मूमल नेटवर्क, अजमेर। लोक कला संस्थान के निदेशक व विगत 20 वर्षों से लोक कला संवर्धन के लिए समर्पित कलाकार संजय सेठी  को मांडना चित्रकारी के संरक्षण के लिए इंडिया बुक ऑफ  वल्र्ड रिकॉड्र्स में स्थान मिला है। सेठी ने लुप्त होती जा रही मांडना चित्रकारी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी होने वाले प्रथम दिवस आवरण लिफाफे को कैनवास के रूप में चुना।
संजय अभी तक ढाई हजार से अधिक  लिफाफे पर मांडना चित्रकारी से अंकित कर चुके हैं। संजय का लक्ष्य बारह हजार लिफाफों में मांडना चित्रकारी करने का है। संजय के इस लक्ष्य के पूर्ण होते ही यह भारत ही नहीं विश्व रिकार्ड बन जाएगा।
प्रथम दिवस के लिफाफे प्राप्त करने के लिए डाक विभाग की लम्बी और थका देने वाली प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही संग्रहकर्ताओं के साथ जद्दोजहद भी करनी पड़ती है। यह थका देने वाले कार्य भी संजय के जुनून को कम नहीं कर पाया। इस जुनून के चलते ही संजय सेठी ने अपने नाम के साथ अपनी संस्था और शहर के नाम को भी इंडिया बुक ऑफ  वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज करवा दिया। उल्लेखनीय है कि इंडिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड से पहले जिनियस बुक आफ रिकार्ड ने भी संजय सेठी को इस अद्भुत और अनूठी पहल के लिए सम्मानित किया है।
लिफाफों के विषय
लिफाफे जिन विषयों पर आधारित है उनमें से बाल दिवस, स्व'छ भारत, योग दिवस, दादाभाई नौरोजी, संत रविदास, अठारह सौ सत्तावन का संग्राम, विश्व विख्यात असमिया गायक भूपेन हजारिका , श्रीमद राजचंद्र जी, विक्टोरिया टर्मिनस मुम्बई के सौ वर्ष, झलकारी बाई स्मारक, अकबरी किला, अजमेर का मुख्य डाकघर, सोनी जी की नसियां, मेयो कॉलेज, बारहदरी आदि उल्लेखनीय है । इन लिफाफों पर चौक, चौपड़, स्वस्तिक, मोर, पडल्या, पशु पक्षी, श्रवण कुमार, विविध आध्यात्मिक, धार्मिक प्रतीकों को मांडना चित्रकारी से सजाया गया है।

तार-तार हुआ खुद्दार कलाकार का सम्मान

तार-तार हुआ खुद्दार कलाकार का सम्मान
सुरेन्द्र पाल जोशी, कला जगत में अपनी खुद्दारी के लिए जाना-पहचाना नाम, एक ऐसा समर्पित कलाकार जिसने कला व कलाजगत के लिए अपनी  जमा-पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बिना किसी प्रचार के खर्च कर डाला। आज वह स्वाभिमानी कलाकार ललित कला अकादमी द्वारा उनकी बीमारी के चलते एक लाख रुपए का अनुदान दिए जाने के प्रचार के कारण चर्चा में है।
सुरेन्द्र पाल जोशी पिछले कुछ बरसों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन अपनी खुद्दारी के चलते कुछ निकट सम्बन्धियों के अलावा किसी को इसकी जानकारी नहीं होने दी। अपने संचित धन से इलाज कराते रहे। संचय भी इतना कि इलाज के दौरान ही उत्तराखंड में एक गैलेरी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान करते रहे। इसी दौरान अपनी पुत्री का अच्छे स्तर पर विवाह सम्पन्न किया। पिछले कुछ महीनों में बीमारी ने जब अपना विकराल रूप दिखाया तो बड़े नामी अस्पतालों के कई-कई लाख रुपए के बिल भी चुकाए। पिछले कुछ दिनों से वे जयपुर के एक नामी अस्पताल में भर्ती हैं। जाहिर है, ऐसे हालात में तो धन्ना सेठों के खजाने भी खाली हो जाते हैं, फिर एक कलाकार तो.....
ऐसे में राजस्थान ललित कला अकादमी ने एक संवेदनशील कदम उठाते हुए सुरेन्द्र पाल जोशी की सहायता के लिए एक लाख रुपए की सहायता राशि जारी की। अकादमी के अध्यक्ष और नवनियुक्त सचिव ने जोशी के परिजनों को सहायता राशि का चैक सौंपा। यहां तक सब कुछ सामान्य और सहज था, लेकिन उसके बाद जो हुआ... वह जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे इस खुद्दार कलाकार के लिए बिलकुल असहज रहा।
कला जगत के कुछ अतिउत्साही कलाकारों ने अकादमी की इस सहायता का सामान्य से कहीं अधिक प्रचार किया। अखबारों में बड़े आकार का समाचार प्रकाशित कराया गया। उसके बाद उसे और प्रचारित करने का बीड़ा सोशल मीडिया के खिलाडिय़ों ने उठा लिया। कला जगत के जानकार कहते हैं कि अकादमी की ओर से इससे पूर्व भी अनेक अवसरों पर जरूरतमंद कलाकारों की सहायता की गई है, लेकिन इतना प्रचार पहले कभी नहीं देखा। वह तो शुक्र है कि सुरेन्द्र पाल जोशी पूरी तरह होश में नहीं हैं और सहायता के इस प्रचार से अनभिज्ञ हैं। यदि उन्हें इसका ज्ञान होता तो उनके लिए यह कष्ट कितना पीड़ादायक होता इसका अनुमान कोई भी संवेदनशील इंसान लगा सकता है।
राजस्थान के कला जगत की नयी पौध को संभवत इस स्वाभिमानी कलाकार के बारे में ज्यादा जानकारी ना हो, लेकिन इनके संगी साथी रहे मूर्धन्य कलाकार अपने साथी के स्वभाव से भली भांति परीचित हैं। असामान्य यह है कि उनके नाम भी समाचारों व तस्वीरों में शामिल हैं। अकादमी के कोष से सहायता राशि प्रदान करने वालों को श्रेय देने की होड़ में कुछ लोग क्या कर रहे हैं, वे स्वयं नहीं जानते... ईश्वर उन्हें क्षमा करे।

एक परिचय
उत्तराखण्ड में जन्में जोशी ने राजस्थान को अपनी कर्मभूमि बनाया। कला शिक्षक के रूप में कई विद्यार्थियों को अपने जीवन लक्ष्य तक पहु्रचाया। वक्त आया तो पूरी निष्ठा और समर्पणता के साथ जन्म भूमि का ऋण भी चुकाया। जोशी ने अपना कीमती समय, श्रम व धन देकर राज्य सरकार के सहयोग से देहरादून में प्रदेश की पहली आर्ट गैलेरी की स्थापना की। म्यूरलव फ्रेस्कों आर्टिस्ट के रूप में ख्यात जोशी ने इंस्टालेशन की दुनिया में भी खूब रंग जमाया।
जोशी की खास कृतियों में एक लाख सेफ्टीपिन से बना हैलीकॉप्टर, 70 हजार सेफ्टीपिन से बना हैलमेट, फिल्म स्ट्रिप से बना आर्कीटेक्चर स्ट्रेक्चर खासे चर्चित रहे हैं। अभी कुछ अर्सा पहले महंगी व भव्य काफी टेबिल बुक लांच की। जीवन भर आत्म सम्मान और ठसक जिनके चारित्रिक गुण रहे। कला जगत में जितना यश कमाया उतना ही धन भी। किसी से कभी कुछ मांगा नहीं अलबत्ता दिया जरूर।
दिसम्बर 2017 से सुरेन्द्र पाल जोशी के स्वास्थ्य की हालत नाजुक है। इसकी जानकारी उत्तराखण्ड के कलाकारों को भी है और मीडिया को भी। प्रचार से दूर वहां केवल जोशी जी के शीघ्र स्वस्थ होने की चुपचाम प्रार्थनाएं की जा रही हैं। 

सोमवार, 28 मई 2018

उत्तर प्रदेश अकादमी की स्ववित्त पोषित ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला आरम्भ

उत्तर प्रदेश अकादमी की स्ववित्त पोषित 
ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला आरम्भ
मूमल नेटवर्क, अयोध्या। साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आज उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी की स्ववित्त पोषित ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला आरम्भ हुई। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य अजय मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले कई वर्षों से सफलतापूवर्क इस कार्यशाला का आयोजन किया जाता रहा है।
कार्यशाला की संयोजिका डॉ. कुमुद सिंह ने कहा कि एक माह तक चलने वाली इस कार्यशाला में 10 से 15 तथा 18 से 25 वर्ष की आयु के विद्यार्थियों के दो वर्ग बनाए गए हैं। कार्यशाला में पेंटिंग की विभिन्न विधाओं दृश्य चित्रण, जल रंग, तैल रंग, नाइफ पेंटिंग पुथुरल व पोट्रेट अत्यिादि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यशाला के समापन पर राज्य ललित कला अकादमी द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।

सृजनात्मक कला अभिरूचि कार्यशाला 4 जून से

सृजनात्मक कला अभिरूचि कार्यशाला 4 जून से
स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए
प्रशिक्षण शुल्क 500 रुपये प्रति कोर्स प्रति विद्यार्थी
राजस्थान ललित कला अकादमी व कला चर्चा टीम का संयुक्त प्रयास
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी एवं कलाचर्चा टीम जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए कला अभिरुचि कार्यशाला लगाई जाएगा। यह कार्यशाला स्लम्स् और सामाजिक पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों को कला व सृजन के माध्यम से मुख्य धारा से जोडऩे के लिए आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में कला की पांच विधाओं को लेकर पांच कोर्स करवाए जाएंगे। इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए प्रत्येक कोर्स के लिए अलग-अलग प्रति विद्यार्थी रजिस्ट्रेशन शुल्क 500 रुपये रखा गया है।
कार्यशाला 4 जून से आरम्भ होकर 14 जून को समाप्त होगी। कार्यशाला से सम्बन्धित पोस्टर का विमोचन  को कर दिया गया है।

शनिवार, 26 मई 2018

सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में एमएफए के एडमीशन 28 मई से

सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में एमएफए के एडमीशन 28 मई से
आवेदन की अन्तिम तिथि 16 जून
मूमल नेटवर्क, मुबई। सर जेजे स्कृल ऑफ आर्ट में सत्र 2018-19 के लिए एमएफए के एडमीशन आमन्त्रित किये जा रहे हैं। यह एडमीशन पेंटिंग, पोट्रेट, म्यूरल, ग्राफिक आर्ट, स्क्लपचर्स, मेटल वर्क, सिरेमिक, टैक्सटाइल डिजाइन व इंटीरियर विधा के लिए होंगे।
सर जेजे स्कृल ऑफ आर्ट के द्वारा जारी एक विज्ञकप्त के अनुसार एडमीशन फार्म 28 मई से उपलब्ध करवाए जाएंगे। एडमीशन आवेदन फार्म जमा करवाने की अन्तिम तिथि 16 जून है। प्राप्त आवेदनों के लिए इंटरव्यू की तिथि स्कूल ऑफ आर्ट की वेबसाइट पर 22 जून को लगा दी जाएगी।
अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट www.sirjjschoolofart.in देखें या फोन नम्बर पर o22 22621652 सम्पर्क करें।

प्रकृति की गोद में सजती हैं जिनकी कृतियां



नवल सिंह चौहान
प्रकृति की गोद में सजती हैं जिनकी कृतियां
दुनिया में कुछ हटकर, कुछ रुचिकर और मन को भाने वाले कार्य करने के लिए बहुत कुछ है। कुछ लोग परम्परा को दोहराते हैं तो कुछ लीक से अलग हटकर कुछ नया कर दिखाते हैं। राजस्थान के आर्टिस्ट नवल सिंह चौहान का नाम भी कुछ नया स्थापित करने वालों में शामिल होने जा रहा है।
भागती-दौड़ती सामाजिक व्यवस्था में जहां एक ओर कलाकार बड़ी और महंगी गैलेरीज में अपनी कृतियों का शो करने के लिए उत्सुक रहते हैं, वही नवल सिंह अपनी कृतियों के प्रदर्शन के लिए प्रकृति की गोद चुनतेे हैं।
प्रसिद्ध होने ओर बिकने की चाह से खुद को अलग करके नवल सिंह जंगल, नदी और शिलाओं को कला दीर्घा बनाने का साहसिक कदम उठाते हैं। जाहिर सी बात है कि उन्हें इस प्रदर्शन से आर्थिक लाभ की प्राप्ति नहीं होती होगी, लेकिन उनके भीतर का ईमानदार कलाकार और अधिक धनी होता चला जाता है।

नवल की अनोखी प्रदर्शनी पहली बार 14 जून 2015 को राजसमंद जिले के भीम क्षेत्र में जस्साखेड़ा गांव में एक स्कृल के बगीचे में लगी जहां बच्चों के साथ अध्यापकों और गिने-चुने ग्रामीणों ने चित्रों का आनन्द लिया। यह बताना नहीं होगा कि इनमें अधिकांश दर्शक वास्तविक थे, कॉन्टेक्ट्स बनाए रखने के लिए रस्मी मौजूदगी दिखने वाले नहीं।
दूसरी प्रदर्शनी उन्होंने 14 जून 2016 के दिन राजस्थान के पाली स्थित कोट किराना पंचायत के अपने गांव भेऊ कासियां में खेजड़ी के पेड़ों पर लगाई। ग्रामीणों के लिए यह अनुभव सुखद और नित्य के कार्यों में रंग भरने वाला साबित हुआ। गांव के सभी लोग नवल की कृतियों के दर्शक बने।
अपनी तीसरी प्रदर्शनी के लिए नवल ने पानी को चुना और एक नदी के बहाव में अपनी पेंटिंग्स को बहने के लिए मुक्त छोड़ दिया। जाहिर सी बात है नवल को अधिकांश कृतियां वापस तो नहीं मिली होंगी, लेकिन कुछ जल के बहाव में एकाकार हुई; तो कुछ बहाव के साथ कला पारखियों के हाथों में लग सुरक्षित हो गईं। इस प्रदर्शनी में नवल के जज्बे का मान एक समाजसेवी परमेश्वर सीरमा ने रखा और नवल की एक पेंटिंग खरीदी। नवल की यह प्रदर्शनी 14 जून 2017 के दिन 24 मील, नेशनल हाईवे नं.-8 पर राजस्थान के जस्साखेड़ा के पास बने एनीकेट में लगी थी।
नवल ने चौथी प्रदर्शनी अभी हाल ही ब्यावर के पास सेन्दड़ा की शिलाओं पर लगाई। राजस्थान में व्यावर से पाली जाते हुए सेन्दड़ा नामक स्थान पर यत्र-तत्र बिखरी छोटी-बड़ी चट्टानें सभी का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं, लेकिन बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने रुक कर इन्हेें करीब से देखा हो। नवल सिंह ने इस बार इन शिलाओं को अपने चित्रों के प्रदर्शन का माध्यम बनाकर सबको चौंका दिया। नवल के इस प्रदर्शन का एक खास उद्देश्य और भी था, इस प्राकृतिक रॉक गार्डन को समाज व प्रशासन द्वारा संरक्षित किये जाने की अपील करना। बीस मई को आयोजित इस कला प्रदर्शनी में जयपुर, अजमेर, राजसमंद, पाली, भीलवाड़ा जिलों के निमंत्रित कला व प्रकृतिप्रेमियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा नवल के प्रयत्न को सराहा।
प्राकृतिक रॉक गार्डन में कला प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रकृति व कलाप्रेमियों ने विभिन्न आकार की चट्टानों को साफे बांधकर किया गया। उपस्थित लोगों का उत्साह इतना था कि कड़ी धूप की परवाह किए बिना वे चित्रों को लेकर ऊँची चट्टानों पर पहुंचे। वहाँ विभिन्न आकार वाली चट्टानों को अपने साथ लाए साफे बांधे और चट्टानों व पेंटिंग्स के साथ फोटो भी खिंचवाए और सोशल मीडिया पर शेयर कर सराहना पाई। इस प्रदर्शनी के दौरान ड्रोन कैमरे से विशाल चट्टानों पर प्रदर्शित चित्रों के विहुगम दृश्यों को भी सहेजा गया।

मूमल को प्रदर्शनी बारे में जानकारी देते हुए नवल सिंह ने कहा कि, 2016 में एक अखबार में छपे फोटो से जाना कि सेन्दड़ा में प्रकृति के द्वारा निर्मित विभिन्न सौन्दर्यमयी आकार लिए चट्टानें हैं। तब सोचा कि यहाँ कला प्रदर्शनी लगाई जानी चाहिए... क्योंकि मेरी कला प्रदर्शनयां प्रकृति के बीच.. प्रकृति के साथ प्रतिवर्ष आयोजित की जाती रही हैं... ताकि हम सभी प्रकृति से प्रेम करना सीखें... इसी बहाने कला से भी हम रूबरू हो सके...।
धन और यश के पीछे भागती भीड़ के बीच खड़े प्रकृति और कला के स्वरूप को धारण किए इस निश्छल कलाकार को मूमल का निष्पक्ष सलाम।
                                                                                                                      -राहुल सेन

शुक्रवार, 25 मई 2018

आइसीसीआर का दायरा बढ़ा

आइसीसीआर का दायरा बढ़ा
संस्कृति के साथ शिल्प भी होगा शामिल
मूमल नेटवर्क, वाराणसी। आइसीसीआर (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद) अब शिल्पियों के लिए भी काम करेगा। आइसीसीआर का दायरा बढ़ गया है। संस्कृति के साथ अब इसके कार्य में शिल्प भी शामिल होने जा रहा है।
आइसीसीआर द्वारा  मिट्टी, लकड़ी आदि के शिल्प को बनाने वाले कारीगरों को भी विश्व पटल पर बेहतर पहचान दिलाने के लिए पहल की जाएगी। यह बात राज्यसभा सांसद एवं आइसीसीआर के अध्यक्ष डा. विनय प्रभाकर सहस्रबुद्धे ने कल शुक्रवार 25 मई को बीएचयू स्थित आइसीसीआर के क्षेत्रीय कार्यालय की प्रेसवार्ता में कही है। उन्होंने कहा कि परिषद की ओर से सभी देशों में सांस्कृतिक आयोजन किया जा रहे हैं। इसका उद्देश्य सिर्फ अपनी संस्कृति को विदेशों तक ले जाना ही नहीं बल्कि इसका आकलन करना भी है।
सहस्रबुद्धे ने कहा कि भारतीय गीत, संगीत, नाटक, शास्त्रीय संगीत पर फेलोशिप दी जा रही है। विदेशों में भारत महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है। इसके लिए 68 चेयर भी स्थापित किए गए हैं।
लोक कलाओं को संरक्षण
ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों की विलुप्त होती लोक कलाओं के बारे में डा. सहस्रबुद्धे ने कहा कि भारतीय लोक कला पिछड़े वर्ग एवं आदिवासी क्षेत्र में भी बसती हैं लेकिन उनको उचित मंच नहीं मिलता। इसे ध्यान में रखते हुए आइसीसीआर अब ऐसे लोगों के प्रोत्साहन के लिए जगह-जगह केंद्र खोल रही है। इसी के तहत नागपुर में केंद्र खोला गया है।  परिषद अब संस्कृति की साधना करने वाले हर क्षेत्र के कलाकारों को सम्मानित करेगी। चाहे वह कला-संस्कृति के हों या शिल्प क्षेत्र के। उन्होंने कहा कि किसी भी आयोजन में कमेंट्री का एक अपना महत्व होता है, लेकिन इसमें अगर लिट्रेचर जोड़ दिया जाए तो आयोजन और भी खास हो जाता है।
शुरू होगा भारत अध्ययन कार्यक्रम
डा. सहस्रबुद्धे ने बताया कि परिषद की ओर से देश में भारत अध्ययन कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। इसके माध्यम से देश में आने वाले पर्यटकों को भारत के बारे में सभी जानकारी दी जाएगी ताकि देश का पर्यटन बढ़े और प्रभावशाली बने। इसके तहत पर्यटकों के लिए एक दिन या आधे दिन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सभी मंत्रालयों से सहयोग लिया जा रहा है। सांस्कृतिक संबंध को और प्रगाढ़ करने के लिए नीति आयोग के साथ विमर्श भी हो चुका है।
पहली बार मनाया विश्व संस्कृति दिवस
उन्होंने बताया कि इस वर्ष 21 मई को पहली बार विश्व संस्कृति दिवस मनाया गया। इसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का व्याख्यान भी हुआ। बताया कि परिषद की ओर से विदेश मंत्रालय को तीन साल का प्लान भी दिया गया है ताकि सभी नजदीकी देशों के सांस्कृतिक संबंध को और विस्तार दिया जा सके। बताया कि देश के 100 विश्वविद्यालयों में चीन ने सेंटर खोले हैं। भारत भी विदेशों में छात्रों के लिए नई पहल करेगा।
हिन्दी का बढ़ा क्रेज
उन्होंने कहा कि देश की बोली हिन्दी का भी अब दुनिया में क्रेज बढ़ रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री विदेशों में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भी हिन्दी में भी भाषण दिए हैं। यह एक अच्छी पहल है।
नहीं शिफ्ट होगा लखनऊ का सेंटर
अध्यक्ष ने लखनऊ स्थित आइसीसीआर सेंटर के शिफ्ट होने की अटकलों को खारिज किया। कहा कि वहां पर छात्रों की संख्या को लेकर किसी ने सुझाव भेजा था लेकिन शिफ्ट करने की कोई मंशा नहीं है।

कला आस्था का विषय, ना कि मनोरंजन का-दलवी

कला आस्था का विषय, ना कि मनोरंजन का-दलवी
संस्कार भारती, अजमेर  का चित्रकला प्रशिक्षण शिविर समापन समारोह
मूमल नेटवर्क, अजमेर। प्राचीन काल में नगरों में स्थित रंग-शालाओं में निर्मित चित्रों के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता था। ' यह बात राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष अश्विन एम दलवी ने संस्कार भारती की अजमेर इकाई व राजस्थान ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित कलांकन शिाविर के समापन समारोह में कही।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में दलवी ने कहा कि, टीवी हो या सिनेमा हर जगह कलाकार की ही मुख्य भूमिका होती है, चित्र और कलाकृतियों की रचना कलाकार के बिना संभव नहीं। कला और कलाकार का संबंध मछली और पानी की तरह है जो एक दूसरे के पूरक हैं। इनमें बिछोह हो जाएगा तो न कला बचेगी न कलाकार।
उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर अजर अमर है, ये न कभी मिटी है ना कभी मिटेगी। भारत देश ने अनेक आक्रमण झेले, पराधीनता का दंश भी भोगा लेकिन यहां के कलाकार और कला जीवंत रूप लिए हमेशा अस्तित्व में रही। देव स्थाओं, आस्था स्थलों पर विद्यमान चित्रकारी, और कलाकृतियां इस बात का प्रमाण है कि कला यहां आस्था का विषय रही है न कि मनोरंजन का।
इस अवसर पर चित्तौड़ प्रांत के संघ चालक जगदीश राणा, प्रसिद्ध चित्रकार राम जैसवाल, संस्था के क्षेत्र प्रमुख डॉ. सुरेश बबलानी ने भी शिाविरार्थियों को सम्बोधित किया। संस्था अध्यक्ष डॉ. तिलकराज ने संस्था की गतिविधियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
सावित्री गल्र्स स्कूल में चल रहे पन्द्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला एवं प्रशिक्षण शिविर का समापन  22 मई को हुआ।  शिविर के सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गए। समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षणार्थियों द्वारा निर्मित 50 पेन्टिंग्स की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। शिाविर संयोजक डॉ. अर्चना ने बताया कि प्रदर्शनी 24 मई की शाम तक आमजन के अवलोकनार्थ लगी रही। इस मौके पर चित्रकार सचिन सांखलकर, उमेश शर्मा, साहित्यकार राजेशा भटनागर, संजय सेठी, राम गोपाल सोनी सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।

अग्रवाल की टाइम एंड स्पेस नेपाल में 27 मई तक




अग्रवाल की टाइम एंड स्पेस नेपाल में 27 मई तक
मूमल नेटवर्क, लखनऊ/नेपाल। वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल के चित्रों की एकल प्रदर्शनी टाइम एंड स्पेस इन दिनों नेपाल के कलाप्रेमियों को खासी पसन्द आ रही है। 27 मई तक चलने वाली यह प्रदर्शनी नेपाल की राजधानी  काठमांडू में बाबर महल स्थितआर्ट काउंंसिल में लगी हुई है। शिवाता लव फाउंडेशन द्वारा अंडरप्रिव्लेज्ड गल्र्स की सहायता हेतु कोष एकत्रित करने के लिए यह प्रदर्शनी लगाई गई है। इसका उद्घाटन नेपाल में योरोपियन यूनियन की राजदूत हर एक्सीलेन्सी वरोनिका कोडी ने किया।
प्रदर्शनी में कला प्रेमियों एवं नेपाल के गणमान्य व्यक्तियों के साथ अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय की उपस्थिति देखी जा सकती है। प्रदर्शनी में कलाकृतियों के विक्रय से एकत्रित समस्त धनराषि सहायता कोष में दी जाएगी।

अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष का लखनऊ केन्द्र दौरा


अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष का लखनऊ केन्द्र दौरा
मूमल नेटवर्क, लखनऊ। ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय केन्द्र में कल 24 मई को नवनियुक्त अध्यक्ष उत्तम पचारणे ने दौरा किया। पदभार ग्रहण करने के बाद अध्यक्ष की यह पहली गतिविधि है। अपने दौरे के दौरान उन्होनें कलाकारों से भी भेंट की।
क्षेत्रीय सचिव प्रभारी राजेश कुमार शर्मा ने पुष्प गुच्छ देकर अध्यक्ष का अभिनंदन किया। इस अवसर पर ललित कला संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय के  डीन डॉ रतन कुमार एवं कई वरिष्ठ कलाकार व कला शोधार्थी उपस्थित थे।
पचारणे ने कलाकारो को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनकी इस भेंट वार्ता का उद्देश्य कलाकारों सें उनकी समस्याओं तथा आवश्यकताओं के बारे में जानकारी लेना है। कलाकारों की भावनाओं को समझा उनके अनुरूप अकादमी में सृजनात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सकेगा। उन्होंने कहा की उनका इस प्रकार का संवाद आगे भी जारी रहेगा एवंम कलाकार स्वयं या क्षेत्रीय सचिव प्रभारी के जरिये केन्द्र के वंाछित सुधार हेतु उनसें पत्राचार कर सकते है।
उल्लेखनीय है कि उत्तम पचारणे जाने-माने मूर्तिकार हैं और 22 मई को तीन वर्ष की अवधि के लिए उन्होंने अकादमी के स्थायी अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है।

रविवार, 13 मई 2018

हैरिटेज पर स्क्वायर फीट

हैरिटेज पर स्क्वायर फीट
मूमल नेटवर्क, मुंबई। &1 कलाकारों का एक ग्रुप शो हैरिटेज पर स्क्वायर फीट क्र्लाक हाउस बॉम्बे में 10 मई से चल रहा है। शोएब चडखान द्वारा क्यूरेटेड इस शो को कलाप्रेमी 6 जून तक देख सकते हैं।
यह प्रदर्शनी आम प्रदर्शनियों से हटकर एक विचार पर टिकी है। प्रदर्शनी का विचार मैसूर में हुआ, जहां क्यूरेटर एक शताब्दी पुरानी द इंडिया सॉन्ग हाउस में रह रहा था। यह स्थान कला रचनाओं और योग गतिविधियों से भरा था। बाद में मकान मालिक ने संपत्ति को एक रियल एस्टेट फर्म को बेच दिया, जिसकी  प्रसिद्धि विकास के नाम पर पुरानी संरचनाओं को खत्म करने की थी। संपत्ति बेचने से ठीक पहले, एक कलाकार योगानंद ने क्यूरेटर को घर का चित्र प्रस्तुत किया। पेंटिंग की गड़बड़ी ने शोएब को आश्चर्यचकित कर दिया कि क्या वह इमारत को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है।
मानव जाति के प्रगति का विचार हमेशा उसके आस-पास की जगह को बदल देता है। बदलते समय के साथ आत्मनिर्भर गांव कस्बों और शहरों में फैल गए हैं। हमारे चारों ओर निर्मित रिक्त स्थान रूपांतर से गुजरते हैं, विस्थापन का कारण बनते हैं। निर्मित रिक्त स्थानों का भविष्य हमें जमीन से आकाश तक डरावना रूप दे देगा, इसलिए हमें जो प्रश्न पूछने की ज़रूरत है वह यह है कि हम क्या संरक्षित करेंगे और हम इसे कैसे करना चाहिए।
यह प्रदर्शनी पुरानी संरचनाओं यानि हैरिटेज के संरक्षण के लिए प्रेरित करती है।
प्रदर्शनी के कलाकार
ए.एम स्वामी, आधिरिका कारा, अम्बिका शंकर, अंजलि सकलेशपुर, अनिल चन्द्रन, आयशा अब्राहम, भारत कुमार डी.एस, ब्रह्मानन्द, चन्द्रकला एम.एन, चारलोट.के, डेबोराह स्टोम्बर्ग, सोमेश देसाई, धनश्री गडियार, गौरव कुमार, काव्याश्री शास्त्री, महेश बी. लिंगैह, मनोज गुड्डेकुप्पा, स"िादानन्द कलियुर, शैतान सिंह, शरत कुमार, शिवकुमार रंगैह, स्मिता निंगराज, श्रीधर वी.जी., सुजान घोष, सुरेश एच.एस., विजय कुमार सी.एस., विकास उर्स, विनय एच.एस., विश्वनाथ एच. के., विश्वनाथ कोंडलीगट्टा तथा योगानन्द एल.।

लाखों में बिकने वाले चित्रकार की उम्र केवल चार साल

लाखों में बिकने वाले चित्रकार की उम्र केवल चार साल 
मूमल डेस्कवर्क। कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के एक चार साल के बच्चे ने अपने हुनर से सबको हैरत में डाल दिया है। अद्वैत कोलार्कर नाम के इस बच्चे ने कला की दुनिया बड़े-बड़े कलाकारों को पीछे छोड़ दिया है।  चार साल के बच्चे की पेंटिंग की बोली लाखों में लगी है। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि अद्वैत कोलार्कर इतनी खूबसूरत और कीमती पेंटिंग बना सकता है।
पुणे के रहने वाले अद्वैत का परिवार 2016 से कनाडा चला गया था। दावा है कि यह कनाडा के इतिहास में सबसे कम उम्र का चित्रकार है। अद्वैत की मां श्रुति कोलार्कर का कहना है कि अद्वैत को पेंटिंग बनाने के लिए किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती है।
गैलेक्सी, डायनासोर और ड्रैगन की पेंटिंग बनाना उसे सबसे ज्यादा पसंद है। हाल में कनाडा के सेंट आर्ट सेंटर में उसकी पेंटिंग की प्रदर्शनी हुई थी। इसमें उसकी कलाकृतियां एक लाख रुपये तक में बिकीं।
पिछले महीने उसकी पेंटिंग न्यूयार्क के आर्ट एक्सपो में भी दिखाई गई थी। वहां भी उसकी एक पेंटिंग एक लाख तीस हजार रुपये में बिकी। श्रुति का कहना है कि जब अद्वैत एक साल का था, तभी से उसने हाथ में ब्रश पकड़ लिया था।
वह ब्रश और रंगों के जरिए कुछ न कुछ बनाया करता था। धीरे-धीरे उसने इसमें महारत हासिल कर ली। पेंटिंग बनाने के दौरान वह केवल सिर्फ रंगों से खेलता ही नहीं था बल्कि, उसमें रंगों को सही तरीके से भरने की भी समझ थी।उल्लेखनीय है कि, श्रुति भी एक व्यावसायिक चित्रकार हैं।

समाजसेवी डेविड रॉकफेलर के कलेक्शन की नीलामी

समाजसेवी डेविड रॉकफेलर के कलेक्शन की नीलामी
773 करोड़ रुपये में नीलाम हुई पिकासो की पेंटिंग
मूमल डेस्कवर्क। दुनिया के दिग्गज चित्रकारों में शामिल पाब्लो पिकासो की एक पेंटिग अमेरिका में हुई नीलामी में 11.5 करोड़ डॉलर (करीब 773 करोड़ रुपये) में बिकी है। इस वर्ष के मध्य में हुई यह सबसे अधिक कीमत हासिल करने वाली नीलामी है। नीलामी में स्पेनिश चित्रकार पिकासों के साथ फ्र्रांस के मातिसे और मॉनेत की बनाई गई पेटिंग को भी काफी महंगे दामों पर खरीदा गया है।
नीलाम हुई पिकासो की पेंटिंग वर्ष 1905 में बनाई गई थी  जिसमें एक लड़की को हाथ में फूल की टोकरी लिए दिखाया गया है। इसके साथ ही 1914 से 1917 के बीच मॉनेत द्वारा बनाया गया चित्र  'निमफियाश एंड फ्लेउर' (जल में खिला कमल) 8.46 लाख डॉलर (करीब 569 करोड़ रुपये) में बिका। वहीं मातिसे द्वारा 1923 में बनाई गई पेंटिंग को 8.07 लाख डॉलर (करीब 542 करोड़ रुपये) में खरीदा गया। इस चित्र में आरामदायक कुर्सी पर लेटे हुए एक व्यक्ति को दिखाया गया है।
यह नीलामी क्रिस्टीज द्वारा की गई नीलामी 'पेगी एंड डेविड रॉकफेलर' के तहत हुई। 1,500 सामानों वाले इस कलेक्शन में पिकासो, हेनरी मातिसे, क्लॉदे मॉनेत के कई चित्र शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि, समाजसेवी डेविड रॉकफेलर के निधन के एक वर्ष बाद इनके कलेक्शन को नीलाम  किया जा रहा है। नीलामी से मिले धन का इस्तेमाल चैरिटी के लिए किया जाएगा।

रविवार, 6 मई 2018

संस्कृति के महान स्तम्भ-गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर

संस्कृति के महान स्तम्भ-गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर
जन्म दिवस विशेष
-राहुल सेन
प्रेम में प्राण में गान में गंध में
आलोक और पुलक में हो रह प्लावित
निखिल द्युलोक और भूलोक में
तुम्हारा अमल निर्मल अमृत बरस रहा झर-झर।

दिक-दिगंत के टूट गए आज सारे बंध
मूर्तिमान हो उठा, जाग्रत आनंद
जीवन हुआ प्राणवान, अमृत में छक कर।

कल्याण रस सरवर में चेतना मेरी
शतदल सम खिल उठी परम हर्ष से
सारा मधु अपना उसके चरण?ं में रख कर।

नीरव आलोक में, जागा हृदयांगन में,
उदारमना उषा की उदित अरुण कांति में,
अलस पड़े कोंपल का आँचल ढला, सरक कर।

इन पंक्तियों के रचियता गुरुदेव के बारे में जब हम बचपन में पढ़ते और सुनते थे कि वो बहुत बड़े कवि हैं। राष्ट्रगान जन गण मन की रचना के लिए जाने जाते हैं। बड़े होने के साथ पता चला कि, ये वो शख्सियत है जिसमें ना जाने कितनी प्रतिभाएं सम्माहित हैं। कवि होने के साथ-साथ वो कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार भी थे। अकेले राष्ट्रगान की ही बात करें तो भारत के साथ बांग्ला देश के राष्ट्रगान के रचियता भी कविगुरु ही हैं। उनके काव्य ग्रंथ 'गीतांजलिÓ पर मिले नोबेल पुरस्कार के बारे में तो सारा जग जानता ही है। केवल कवि ही क्यों भारतीय संस्कृति की अनेकों धाराओं के प्रवाह ठाकुर रबीन्द्र नाथ टैगोर से जुड़े हुए हैं।
गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर का जन्मदिन 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। रबीन्द्र्र नाथ टैगोर बैरिस्टर बनना चाहते थे इसलिए वो लन्दन विश्वविद्यालय में कानून पढऩे गये थे लेकिन 1880 में  बिना डिग्री हासिल किए ही स्वदेश वापस आ गए थे। गुरुदेव की पत्नी का नाम मृणालिनी देवी था। गुरुदेव ने अपनी पहली कविता मात्र आठ साल की उम्र में लिखी थी। 1877 में केवल सोलह साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई थी। गुरुदेव ने करीब 2,230 गीतों की रचना की। वे एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। पहली भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन तथा दूसरी बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार। उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये उन्हे सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। गुरुदेव एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। गुरुदेव ने जीवन के अंतिम दिनों में चित्र बनाना शुरू किया था। संस्कृति और कला के सतत् ज्ञान की शिक्षा देने के लिए गुरुदेव द्वारा स्थापित शान्तिनिकेतन आज विश्व भर में प्रसिद्ध है। गुरुदेव द्वारा रचित भारत के राष्ट्रगान की कालजयी रचना में कुल पांच पद हैं, जिसका पहला पद राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया। इसे सबसे पहले कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। इसकी रचना संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में की गई है। 

कला महोत्सव 'एक्ट, कनेक्ट एण्ड रिफ्लेक्ट' 18 मई से

कला महोत्सव 'एक्ट, कनेक्ट एण्ड रिफ्लेक्ट' 18 मई से
ईस्टर्न फाउंडेशन फॅार आर्ट एण्ड कल्चर का आयोजन
तीसरी वार्षिक कला प्रदर्शनी के परिणाम घोषित
मूमल नेटवर्क, बालासोर (उड़ीसा)/जोधपुर। उड़ीसा का ईस्टर्न फाउण्डेशन फॉर आर्ट एण्ड कल्चर सूर्यनगरी जोधपुर में राष्ट्रीय स्तर का कला महोत्सव आयोजित कर रहा है। 18 मई से आयोजित हो रहे इस महोत्सव 'एक्ट, कनेक्ट एण्ड रिफ्लेक्ट' में कलाओं की विभिन्न विधाओं से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसमें आर्ट कैम्प, चित्रकला व फोटोग्राफी एग्जीबिशन के साथ कला सेमीनार, फिल्म स्क्रीनिंग, काव्य संध्या तथा सुगम संगीत की सभा राग-विराग का आयोजन किया जाएगा। समापन अवसर पर 20 मई को अवार्ड व पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रदीप्ता कुमार दास ने मूमल को आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, जयपुर के प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप-पेग के सहयोग से यह आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर पेग के अध्यक्ष चित्रकार आर.बी. गौतम को सृजन सम्मान से सममानित किया जाएगा।
दास ने कहा कि, आयोजित होने वाली कला प्रदर्शनी राष्ट्रीय स्तर की है। प्रदर्शनी के लिए देशभर से प्रोफेशनल व स्टूडेंट कैटेगरी में 95 चित्र प्राप्त हुए हैं। जोधपुर के वरिष्ठ चित्रकार सैययद मेहर अब्बासी ने मुख्य अवार्ड चयन कर्ता के रूप में 28 कृतियों को सम्मानित करने का प्रस्ताव दिया है। भगवान महावीर वाटिका में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय कला महोत्सव के समापन अवसर पर सभी विजेताओं को अवार्ड से नवाजा जाएगा।
दास ने विजेताओं के नामों की घोषणा कर दी है।
ऑल इण्डिया आर्ट कैम्प
आर्ट कैम्प में कुल 15 आर्टिस्ट कला रचना करेंगे। तैयार कृतियों को समापन दिवस पर प्रदशित किया जाएगा। इस कैम्प में पश्चिम बंगाल से जयन्त खान व कौशिक कोनार, दिल्ली से विजेनद्र एस. गिल, उड़ीसा से पंचानन सामल एवं नरसिंह चरण ओझा, उदयपुर से संदीप मेघवाल एवं अमित गुप्ता और जोधपुर से रंजना जांगिड़, अजय एस. राजपुरोहित, पप्पू कुमार गर्ग, मनोज कुमार संधा, रूपक कुमार पात्रा व प्रीति माहेश्वरी भाग लेंगे।
फोटोग्राफी एग्जीबिशन
फोटोग्राफी एग्जीबिशन का आयोजन जोधना फोटो जनर्लिस्ट सोसायटी के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसमें रामजी व्यास, ओम प्रकाश कल्ला, मनोज बोहरा, सर्वेश जोशी, सुनील पुरोहित एव पीयुष पुरोहित के फोटोग्राफ्स को प्रदर्शित किया जाएगा।
नेशनल कला सेमीनार
नेशनल कला सेमीनार का आयोजन 19 मई को होगा। सेमीनार का विषय 'कलाओं का अंतर-संबंध' रखा गया है। सेमीनार के वक्ताओं में जयपुर से आर.बी. गौतम एवं अमित कल्ला, जोधपुर से डॉ. ऋतु जौहरी, बीकानेर से गोपाल सिंह, गुजरात से कन्नू पटेल, उड़ीसा से पंचानन सामल तथा दिल्ली से विजेन्द्र एस. विज, राजेश, एकनाथ पाटील एवं हिमांशु व्यास शामिल हैं।
कला प्रदर्शनी
कला प्रदर्शनी में देश भर से प्रोफेशनल कैटेगरी व स्टूडेंट कैटेगरी के तहत प्राप्त 95 कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। प्राप्त कृतियों में से 28 कृतियों को विभिन्न श्रेणियों के अवार्ड के लिए चुना गया है। दोनो श्रेणियों  के अवार्ड विजेताओं के नाम यह हैं:
प्रोफेशनल कैटेगरी
बेस्ट एग्जीबीट अवार्ड (पेंटिंग)-सुनील कुमार, बोकारो
बेस्ट पेंटिंग अवार्ड- हेमा जैसानी, मुबई
बेस्ट ग्राफिक्स अवार्ड- हेमलता दत्त, बोकारो
मेरिट अवार्ड- पूणे से राहुल रानाडे, चण्डीगढ़ से लखविन्दर सिंह, उदयपुर से अमित सोलंकी, झुंझनू से कौशिक तथा जोधपुर से रतन सिंह राजपुरोहित, मनोज संधा, किरण भाटी, रंजना जांगिड़ एवं सुस्ताना चटर्जी।
स्टूडेंट कैटेगरी
बेस्ट एग्जीबीट अवार्ड (पेंटिंग)- अहाना सेन कोलकता
बेस्ट पेंटिंग अवार्ड- सौरभ कुमार, पश्चिम बंगाल
बेस्ट ग्राफिक्स अवार्ड- अरविन्द कुमार, बालासोर
बेस्ट ड्राइंग अवार्ड- राहुल दौराई, जबलपुर
मेरिट अवार्ड- शोलापुर से यास्मीन, झारखण्ड से दीप रंजन, चण्डीगढ़ से अनीता कौर, यशिका जिंदल तथा अनुष्का बंसल, बालासोर से शांतनु दास, रोश्नाम कादरी तथा रंकनिधि सुथार, भुबनेश्वर से दीपांजलि प्रधान, शान्ति निकेतन से मनीष कुमार, उदयपुर से सिद्धार्थ सोनी तथा जोधपुर से हार्दिक वर्नोती।

हेरिटेज फोटो वॉक में शामिल हुए 70 से अधिक फोटोग्राफर

हेरिटेज फोटो वॉक में शामिल हुए 70 से अधिक फोटोग्राफर
सिसोदिया रानी एवं विद्याधर का बाग में आयोजित वॉक
मूमल नेटवर्क, जयपुर। सिसोदिया रानी बाग एवं विद्याधर बाग में आज सुबह 'हेरिटेज फोटो वॉक' का आयोजन किया गया। इस वॉक में 8 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के 70 से अधिक फोटोग्राफर शामिल हुए। यह वॉक राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा 'जयपुर हेरिटेज फोटो वॉक' के तहत जयपुर फोटोग्राफर्स क्लब (जेपीसी) और 'जयपुर मेरा शहर' (जेएमएस) के सहयोग से आयोजित की गई।
वॉक के दौरान फोटोग्राफर्स ने दोनों उद्यानों की फोटोग्राफी की। फोटोग्राफी में प्रतिभागियों ने ना केवल उद्यानों की खूबसूरती को कैमरे में कैद किया, बल्कि फोटोज के जरिए यह भी बताने की कोशिश की कि, पर्यटक उद्यानों को किस नजरिए से देखते हैं।
पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक हृदेश कुमार शर्मा ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य शहर के फोटोग्राफर्स को ऐतिहासिक स्थलों की खूबसूरती को कैमरे में कैद करने हेतु मंच प्रदान करना है।
शर्मा ने जानकारी दी कि आगामी महीनों में जयपुर के अन्य पुरातात्विक स्थलों पर भी फोटो वॉक आयोजित की जाएगी। इस वॉक का फोटो एग्जीबिशन के साथ समापन होगा, जिसमें इस श्रृंखला के दौरान क्लिक की गई कुछ चुनिंदा बेहतरीन फोटोग्राफ्स को प्रदर्शित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जंतर मंतर एवं आमेर महल में भी ऐसी ही फोटो वॉक का आयोजन किया गया था। अगली हैरिटेज फोटोवॉक 20 मई को आयोजित की जाएगी।

मूर्तिकार अवतार सिंह को समर्पित प्रतिबिंब II


मूर्तिकार अवतार सिंह को समर्पित प्रतिबिंब II
मूमल नेटवर्क, अमृतसर। इण्डियन एकेडमी ऑफ फाइन आटर्स में राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी प्रतिबिंब II कलाप्रेमियों को आकर्षित कर रही है।
जम्मू-कश्मीर सेंटर फॉर क्रिएटिव आटर्स (जेकेसीसीए) द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी अमृतसर के मूर्तिकार स्व. अवतार सिंह को समर्पित की गई है।
29 कलाकारों की कृतियों से सजी इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक सुनील दत्त ने किया। उद्घाटन अवसर पर
गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में मेयर करमजीत सिंह रिंटू ओर विशिष्ट अतिथि के रूप में उप आयुक्त आयकर राहुल पडा उपस्थित थे।
प्रदर्शनी के उद्घाटन पर मेहमानों का स्वागत करते हुए जेकेसीसीए  के निदेशक ओ.पी. शर्मा ने केन्द्र की बीस वष्र की यात्रा का संक्षिप्त परिचय दिया। इस मौके पर मूर्तिकार अवतार सिंह के कला जगत को दिए गए योगदान पर चर्चा की गई।

इन कलाकारों की कृतियां हैं प्रदर्शित
नई दिल्ली से वी एस राही और डॉ. ए के दीक्षित, जम्मू-कश्मीर से एन डी जामवाल, टी एस बत्रा, जंग एस वर्मन, शफी चमन, ओ पी शर्मा,
अनिल सिंह, चरक, पायल चढा गुप्ता, भूपिंदर सिंह सूडान और कुनैन जुबैर, चण्डीगढ़ से प्रभिंदर लाल और हरपुनीत कौर, पंजाब से के. एस. गिल, धर्मेंद्र शर्मा, निशा, सुधमणी सूद, माला चावला, गायत्री, इंद्रप्रीत कौर, गुरशरण कौर, नरिंदर सिंह, अतुल मट्टू और कवी चौहान, गुजरात से
ममता पटेल और रागिनी त्रिपाठी, पश्चिम बंगाल से मीनू डे तथा उत्तर प्रदेश से प्रतिमा सिंह।

शनिवार, 5 मई 2018

कला चर्चा समूह आयोजित प्रदर्शनी 7 मई से

कला चर्चा समूह आयोजित प्रदर्शनी 7 मई से
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला चर्चा समूह  अपने सदस्य कलाकारों की कृतियों को 7 मई से जेकेके में प्रदर्शित करेगा। इन्फयूजन नाम की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन सात मई को शाम पांच बजे राजस्थान ललित कला अकादमी अध्यक्ष डॉ. अश्विन एम.दलवी करेंगे। राष्ट्रीय स्तर की इस कला प्रदर्शनी में समूह के 34 कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। प्रदर्शनी का समापन 10 मई को होगा।

सिन्धी आइडियल गायन प्रतियोगिता पांच शहरों में

सिन्धी आइडियल गायन प्रतियोगिता पांच शहरों में
राजस्थान सिन्धी अकादमी करेगी आयोजन
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान सिन्धी अकादमी पहली बार राज्य स्तरीय सिन्धी आइडियल गायन प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। यह आयोजन भाषा व संगीत को बढ़ावा देने के लिये किया जा रहा है। इसमें विजेता प्रतिभागियों को नकद पुरस्कारों से नवाजा जाएगा।
अकादमी अध्यक्ष हरीश राजानी ने कहाा कि यह प्रतियोगिता राज्य के नवोदित सिन्धी गायक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिये की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता दो चरणों में आयोजित की जायेगी। प्रथम चरण में प्रतियोगिता राज्य के पांच शहरों अजमेर में 19 मई को, जोधपुर में 20 मई को, उदयपुर में 27 मई को, कोटा में 2 जून को एवं जयपुर में 3 जून को आयोजित की जायेगी।
अकादमी सचिव ईश्वर मोरवानी ने बताया कि प्रथम चरण में उक्त शहरों के प्रतिभागियों में से प्रत्येक शहर से केवल तीन प्रतिभागियों का चयन कर उन्हें फाईनल प्रतियोगिता के लिए आमंत्रित किया जायेगा। फाईनल प्रतियोगिता 10 जून को अजमेर में आयोजित की जायेगी। फाईनल प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रथम पुरस्कार 31 हजार, द्वितीय पुरस्कार 21 हजार एवं तृतीय 11 हजार की नकद राशि प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही अच्छे गायन के लिये सांत्वाना पुरस्कार भी प्रदान किये जायेंगे।
प्रथम चरण के चयनित प्रतिभागी को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये अकादमी द्वारा यात्रा भत्ता दिया जाएगा।