तार-तार हुआ खुद्दार कलाकार का सम्मान
सुरेन्द्र पाल जोशी, कला जगत में अपनी खुद्दारी के लिए जाना-पहचाना नाम, एक ऐसा समर्पित कलाकार जिसने कला व कलाजगत के लिए अपनी जमा-पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बिना किसी प्रचार के खर्च कर डाला। आज वह स्वाभिमानी कलाकार ललित कला अकादमी द्वारा उनकी बीमारी के चलते एक लाख रुपए का अनुदान दिए जाने के प्रचार के कारण चर्चा में है।सुरेन्द्र पाल जोशी पिछले कुछ बरसों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन अपनी खुद्दारी के चलते कुछ निकट सम्बन्धियों के अलावा किसी को इसकी जानकारी नहीं होने दी। अपने संचित धन से इलाज कराते रहे। संचय भी इतना कि इलाज के दौरान ही उत्तराखंड में एक गैलेरी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान करते रहे। इसी दौरान अपनी पुत्री का अच्छे स्तर पर विवाह सम्पन्न किया। पिछले कुछ महीनों में बीमारी ने जब अपना विकराल रूप दिखाया तो बड़े नामी अस्पतालों के कई-कई लाख रुपए के बिल भी चुकाए। पिछले कुछ दिनों से वे जयपुर के एक नामी अस्पताल में भर्ती हैं। जाहिर है, ऐसे हालात में तो धन्ना सेठों के खजाने भी खाली हो जाते हैं, फिर एक कलाकार तो.....
ऐसे में राजस्थान ललित कला अकादमी ने एक संवेदनशील कदम उठाते हुए सुरेन्द्र पाल जोशी की सहायता के लिए एक लाख रुपए की सहायता राशि जारी की। अकादमी के अध्यक्ष और नवनियुक्त सचिव ने जोशी के परिजनों को सहायता राशि का चैक सौंपा। यहां तक सब कुछ सामान्य और सहज था, लेकिन उसके बाद जो हुआ... वह जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे इस खुद्दार कलाकार के लिए बिलकुल असहज रहा।
कला जगत के कुछ अतिउत्साही कलाकारों ने अकादमी की इस सहायता का सामान्य से कहीं अधिक प्रचार किया। अखबारों में बड़े आकार का समाचार प्रकाशित कराया गया। उसके बाद उसे और प्रचारित करने का बीड़ा सोशल मीडिया के खिलाडिय़ों ने उठा लिया। कला जगत के जानकार कहते हैं कि अकादमी की ओर से इससे पूर्व भी अनेक अवसरों पर जरूरतमंद कलाकारों की सहायता की गई है, लेकिन इतना प्रचार पहले कभी नहीं देखा। वह तो शुक्र है कि सुरेन्द्र पाल जोशी पूरी तरह होश में नहीं हैं और सहायता के इस प्रचार से अनभिज्ञ हैं। यदि उन्हें इसका ज्ञान होता तो उनके लिए यह कष्ट कितना पीड़ादायक होता इसका अनुमान कोई भी संवेदनशील इंसान लगा सकता है।
राजस्थान के कला जगत की नयी पौध को संभवत इस स्वाभिमानी कलाकार के बारे में ज्यादा जानकारी ना हो, लेकिन इनके संगी साथी रहे मूर्धन्य कलाकार अपने साथी के स्वभाव से भली भांति परीचित हैं। असामान्य यह है कि उनके नाम भी समाचारों व तस्वीरों में शामिल हैं। अकादमी के कोष से सहायता राशि प्रदान करने वालों को श्रेय देने की होड़ में कुछ लोग क्या कर रहे हैं, वे स्वयं नहीं जानते... ईश्वर उन्हें क्षमा करे।
एक परिचय
उत्तराखण्ड में जन्में जोशी ने राजस्थान को अपनी कर्मभूमि बनाया। कला शिक्षक के रूप में कई विद्यार्थियों को अपने जीवन लक्ष्य तक पहु्रचाया। वक्त आया तो पूरी निष्ठा और समर्पणता के साथ जन्म भूमि का ऋण भी चुकाया। जोशी ने अपना कीमती समय, श्रम व धन देकर राज्य सरकार के सहयोग से देहरादून में प्रदेश की पहली आर्ट गैलेरी की स्थापना की। म्यूरलव फ्रेस्कों आर्टिस्ट के रूप में ख्यात जोशी ने इंस्टालेशन की दुनिया में भी खूब रंग जमाया।
जोशी की खास कृतियों में एक लाख सेफ्टीपिन से बना हैलीकॉप्टर, 70 हजार सेफ्टीपिन से बना हैलमेट, फिल्म स्ट्रिप से बना आर्कीटेक्चर स्ट्रेक्चर खासे चर्चित रहे हैं। अभी कुछ अर्सा पहले महंगी व भव्य काफी टेबिल बुक लांच की। जीवन भर आत्म सम्मान और ठसक जिनके चारित्रिक गुण रहे। कला जगत में जितना यश कमाया उतना ही धन भी। किसी से कभी कुछ मांगा नहीं अलबत्ता दिया जरूर।
दिसम्बर 2017 से सुरेन्द्र पाल जोशी के स्वास्थ्य की हालत नाजुक है। इसकी जानकारी उत्तराखण्ड के कलाकारों को भी है और मीडिया को भी। प्रचार से दूर वहां केवल जोशी जी के शीघ्र स्वस्थ होने की चुपचाम प्रार्थनाएं की जा रही हैं।
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