कला आस्था का विषय, ना कि मनोरंजन का-दलवी
संस्कार भारती, अजमेर का चित्रकला प्रशिक्षण शिविर समापन समारोह
मूमल नेटवर्क, अजमेर। प्राचीन काल में नगरों में स्थित रंग-शालाओं में निर्मित चित्रों के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता था। ' यह बात राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष अश्विन एम दलवी ने संस्कार भारती की अजमेर इकाई व राजस्थान ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित कलांकन शिाविर के समापन समारोह में कही।मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में दलवी ने कहा कि, टीवी हो या सिनेमा हर जगह कलाकार की ही मुख्य भूमिका होती है, चित्र और कलाकृतियों की रचना कलाकार के बिना संभव नहीं। कला और कलाकार का संबंध मछली और पानी की तरह है जो एक दूसरे के पूरक हैं। इनमें बिछोह हो जाएगा तो न कला बचेगी न कलाकार।
उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर अजर अमर है, ये न कभी मिटी है ना कभी मिटेगी। भारत देश ने अनेक आक्रमण झेले, पराधीनता का दंश भी भोगा लेकिन यहां के कलाकार और कला जीवंत रूप लिए हमेशा अस्तित्व में रही। देव स्थाओं, आस्था स्थलों पर विद्यमान चित्रकारी, और कलाकृतियां इस बात का प्रमाण है कि कला यहां आस्था का विषय रही है न कि मनोरंजन का।
इस अवसर पर चित्तौड़ प्रांत के संघ चालक जगदीश राणा, प्रसिद्ध चित्रकार राम जैसवाल, संस्था के क्षेत्र प्रमुख डॉ. सुरेश बबलानी ने भी शिाविरार्थियों को सम्बोधित किया। संस्था अध्यक्ष डॉ. तिलकराज ने संस्था की गतिविधियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
सावित्री गल्र्स स्कूल में चल रहे पन्द्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला एवं प्रशिक्षण शिविर का समापन 22 मई को हुआ। शिविर के सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गए। समापन समारोह के दौरान प्रशिक्षणार्थियों द्वारा निर्मित 50 पेन्टिंग्स की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। शिाविर संयोजक डॉ. अर्चना ने बताया कि प्रदर्शनी 24 मई की शाम तक आमजन के अवलोकनार्थ लगी रही। इस मौके पर चित्रकार सचिन सांखलकर, उमेश शर्मा, साहित्यकार राजेशा भटनागर, संजय सेठी, राम गोपाल सोनी सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।
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