सोमवार, 11 दिसंबर 2017

होप : पर्सपेक्टिव ऑफ रीयल सीइंग...

होप : पर्सपेक्टिव ऑफ रीयल सीइंग...
-लखनऊ से अमित कल्ला
अदब और मिजाज़ के शहर लखनऊ की कला स्रोत आर्ट गैलरी और भारतीय सांस्कृतिक परिषद् (आई सी सी आर) के संयुक्त तत्वाधान में अलीगंज वीथिका परिसर में होप समूह की चित्रकला प्रदर्शनी दर्शकों को लुभा रही है। प्रदर्शनी का उद्धघाटन 8 दिसम्बर को वास्तुशिल्प संसथान (ऐकेटीयु) की प्राचार्या वंदना सहगल ने किया। प्रदर्शनी में देश भर के पन्द्रह कलाकारों के चित्र, ड्राइंग और मूर्तिशिल्प प्रदर्शित किये गए हैं।
कला स्रोत गैलरी की निर्देशिका मानसी डिडवानिया ने बताया कि इन सभी रंगसाजों की संगति में निश्चित ही बहुत कुछ बेहतरीन रचा गया है, जिसमें नये तारों का जन्म, नया क्षितिज, मुकाम और खुद-ब-खुद अपने आपको किन्हीं बुनवटों संग दौहरता मुकम्मल मंजऱ पैदा होता है, हर एक कलाकृति को देखने में एक सुंदर अनुक्रम की अनुभूति होती है, जिसका साक्षी होना ही निसर्ग का सर्ग और भव का वास्तविक वैभव होना है।
यह प्रदर्शनी सही अर्थों में झरते हुए रंगों को अपने भीतर समेटकर उनसे यथासंभव हुए ताल्लुकात के सही-सही अर्थों को जानने समझने का एक मुमकिन रास्ता है जो अपने आपमें  कैनवास पर सरकती रेखा और उसके सहारे टिके हुए बिंदु के सूक्ष्म से विराट होकर नियत रंगों की सरहदों में समा जाने की दास्तान-ए-दजऱ् पर उकेरी गई खूबसूरत इबारत है  । सांस दर सांस अंतर घट के भीतर सुनायी देने वाले अनहद नाद और उसकी असल लय की अकही और अगही ज़ुबान का गहरा अदब और युवा चित्रकारों के भीतर मन कि दहलीज़ों से बाहर झाँकते सयाने सपनों की सिलसिलेवार मखमली सलवटों की सुखन भरी सुरमई नुमाइंदगी है । लिहाज़ा कतरा-कतरा अनुस्मृतियों को सहेज कर शिद्दत से अपने होने के काबिल-ए -सफर को पहचानने और आहिस्ता से उसके आलम में यकीनन डूब जाने का अदना सा नाम है होप।
प्रदर्शनी का आयोजन चौदह दिसंबर तक ज़ारी रहेगी।
इन कलाकारों की कृतियां हैं प्रदर्शित
अमित कल्ला (जयपुर), विजेंद्र एस विज, (दिल्ली), बाला गोपालन (मैसूर), डायना महापात्रा (ओडि़सा), दुर्गा प्रसाद बांदी (बड़ोदा) दिव्या पांडे (बडौदा), गिरीश बेहड़ा (दिल्ली), मुकेश शाह (दिल्ली), मेघांश थापा (गुडगाँव) ,राहुल जैन (ग्वालियर), विनय अम्बर (जबलपुर), मैनाज़ बानो, जय किशोर, रवि कुमार, संजय राय और योगेश कुमार प्रजापति (लखनऊ)।
                 

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