फड़ शैली के लीजेंड आर्टिस्ट श्रीलाल जोशी नहीं रहे
अन्तिम यात्रा कल सुबह 9 बजे
मूमल नेटवर्क, भीलवाड़ा। राजस्थान की लौक चित्रशैली फड़ की पहचान बन चुके श्रीलाल जोशी का आज शाम साढे पांच बजे देहान्त हो गया। पद़मश्री श्रीलाल जोशी की अन्तिम यात्रा उनके निवास स्थान से कल सुबह 9 बजे पंचमुखी मोक्षधाम के लिए रवाना होगी। कला के प्रति अन्तिम समय तक समर्पित रहे श्रीलाल जी अपनी पीछे दो पुत्रों कल्याण जोशी व गोपाल जोशी को कला की विरासत सौंप कर ब्रह्मलीन हुए।पिछले एक सप्ताह से अस्वथ चल रहे जोशी जी का आज शाम साढे पांच बजे देहान्त हो गया। निमोनिया की शिकायत पर उन्हें एक सप्ताह पहले प्राइवेट हास्प्ीटल में एडमिट करवाया गया था। बाद में उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी। उनके छोटे पुत्र गोपाल जोशी ने बताया कि भारतीय तिथि के अनुूसार आज उनका जन्म दिन भी है। अपने पीछे दो पुत्रों के साथ जीवन संगिनी को तन्हां छोड़ अनन्त की यात्रा के लिए चलने वाले जोशी जी की कल विवाह वर्षगाांठ भी हैं।
5 मार्च 1931 को भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के एक जोशी परिवार में इनका जन्म हुआ। उनके पिता रामचंद्र जोशी ने 13 साल की उम्र में ही उन्हें इस पारंपरिक पारिवारिक कला की जिम्मेदारी सौंपी। इन्होंने फड़ की अपनी शैली विकसित की। कई राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित जोशी जी को भारत सरकार ने सन् 2006 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। सन् 2007 में इन्हें शिल्पगुरु की उपाधि प्रदान की गई। अब तक बीस से अधिक देशों में इनकी कलाकृतियां प्रदर्शित हो चुकी हैं।
अपने जीवन काल में अनेक सम्मानो व पुरस्कारों से नवाजे जाने वाले जोशी जी को पिछले दिनों जयपुर में सम्पन्न हुए आर्ट फिएस्टा के दौरान लाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उस मौके पर उन्होंने मूमल से अपने जीवन व कला यात्रा से सम्बन्धित लम्बी बातचीत की थी।
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