कला शिक्षक भर्ती से बीएड हटाने के लिए प्रदर्शन
मूमल नेटवर्क, इलाहाबाद।राजकीय विद्यालयों में कला शिक्षक भर्ती से बीएड की अनिवार्यता हटाने की मांग को लेकर बेरोजगारों ने कल 21 मार्च को शिक्षा निदेशालय में प्रदर्शन किया। बेरोजगार कला शिक्षकों का कहना है कि बीएफए तथा एमएफए जैसी व्यावहारिक और व्यावसायिक डिग्री के बाद कला शिक्षक पद के लिए बीएड की डिग्री की अनिवार्यता गैरवाजिब है।
विरोध प्रदर्शन करते हुए कला स्नातक और ललितकला स्नातक छात्र-छात्राओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री व माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की 40 गुणे 20 फीट विशाल पेंटिंग बनाकर अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक मंजू शर्मा के कार्यालय के बाहर लगाई।
अभ्यर्थियों की मांग है कि जो अर्हता केंद्र सरकार की सभी भर्तियों जैसे केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन में लागू हैं, वे ही एलटी ग्रेड भर्ती में भी मान्य की जाएं। उनका कहना है कि पूरे देश में कला स्नातक व ललितकला स्नातक की डिग्री मान्य है। उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी विश्वविद्यालय तथा उससे संबद्ध महाविद्यालय ललित कला व कला स्नातक की उपाधि देते हैं, तो इसे उत्तर प्रदेश में मान्य क्यों नहीं किया जा रहा।
कला विषय के छात्रों के लिए जबरन बीएड की उपाधि लागू की जा रही है जबकि ललितकला बीएफए व एमएफए (छह वर्ष) और कला स्नातक बीए व एमए (ड्राइंग व पेंटिंग पांच वर्ष) का होता है। ये पाठ्यक्रम पूरी तरह से व्यवसायिक है और इन्हें पढ़ाने के लिए बीएड की आवश्यकता नहीं होती। दृश्य कला छात्र मोर्चा के सुनील भारतीय ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि बीएड की अनिवार्यता समाप्त करें ताकि दृश्य कला के लाखों छात्रों को भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिल सके।
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