सिक्किम की कला संस्कृति का हुआ जीवन्त प्रदर्शन
इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय का 42वां स्थापना दिवस समारोह
मूमल नेटवर्क, भोपाल। आज से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के 42वें स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आगाज हुआ।इस वर्ष सिक्किम राज्य को थीम के रूप में चुना गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री सिक्किम के कानूनी सलाहकार केटी ग्यालत्सेन ने वीथी संकुल अंतरंग प्रदर्शनी भवन में किया। तीन दिवसीय स्थापना दिवस की शुरुआत एक हजार बाती वाले केरल के दीपक आलविलक्कु के प्रज्ज्वलन से हुई।
परंपरा के अनुसार, इस दीपक को पूरे रीति-रिवाजों के साथ प्रज्ज्वलित किया जाता है। इसके लिए मलयाली समाज के लोग अपने पारंपरिक परिधानों में पहुंचे हुए थे। विघ्नेश्वर गणपति की लंबी पूजा अर्चना के बाद लगभग 7 बजे अलविलक्कु को प्रज्ज्वलित करना शुरू किया गया। 15 मिनट में ही एक हजार आठ सौ किलो वजनी और 18 फीट ऊंचा यह दीपक रौशन हो गया। दीप प्रज्जवलन के साथ केरल का वाद्ययंत्र शिकारी मेलाम का वादन केरल की महिला कलाकारों द्वारा किया गया।
पहली शाम को सिक्किम के प्रख्यात फ्यूजन बैंड ने सोफियम की मधुर प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता। अगले दो दिन लोक एवं जनजातीय नृत्य व संगीत की की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
इससे पहले संग्रहालय के शैल कला सभागार में प्रो. एल के अनंत कृष्ण ने मेमोरियल लेक्चर दिया। 'सिक्किम की सांस्कृतिक धरोहर' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। संगोष्ठी का समापन कल किया जाएगा। संग्राहलय में तीन दिन के लिए शिल्प मेला भी सजाया गया है।
'सिक्किम की कला, संस्कृति एवं समुदाय' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन कल दोपहर को किया जाएगा। इसके साथ ही प्रो. टीबी सुब्बा (नार्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग, सिक्किम) 22 मार्च को शाम 4.00 बजे 14वां वार्षिक इगांरामासं व्याख्यान देंगे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता, प्रो. पीके मिश्रा (मानवशास्त्री, मैसूर) करेंगे।
यह है इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का शुभारंभ 21 मार्च 1977 को भागलपुर हाउस नई दिल्ली में हुआ था। भोपाल में इसका शुभारंभ 1979 को हुआ। यह देश का पहला ओपन एयर म्यूजियम है। 200 एकड़ में फैला यह एशिया का सबसे बड़ा म्यूजियम है। यह जीवित संस्कृति को संरक्षित, संग्रहित कर रहा है। जिस जगह पर मानव संग्रहालय बना है, वहां तीन हजार साल पुराने शैल चित्र भी हैं। ऐसा माना जाता है कि तीन हजार साल पहले वहां स्थित गुफाओं में कुछ लोग रहते थे।
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