रविवार, 8 अप्रैल 2018

दुनिया के सबसे महंगे कलाकार पिकासो



पुण्यतिथि विशेष
दुनिया के सबसे महंगे कलाकार पिकासो
पिकासो की कई पेंटिंग्स की कीमत आज की तारीख में 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा है
पिकासो यानि कला जगत के आदि पुरुष जिसके चित्रण के प्रभाव से सूजा व हुसैन जैसे महान कलाकार भी अपनी कूचि को सुरक्षित नहीं रख पाए। बीसवीं शताब्दी के सबसे अधिक चर्चित, विवादास्पद और समृद्ध कलाकार थे। उन्होंने तीक्ष्ण रेखाओं का प्रयोग करके घनवाद को जन्म दिया। पिकासो की कलाकृतियां मानव वेदना का जीवित दस्तावेज हैं। आज इसी महान कलाकार की 45वीं पुण्यतिथि है।

पिकासो उन पेंटर्स में से है जिनका दस्तखत किया हुआ एक कैनवास भी किसी को करोड़पति बना सकता है। ज्यादातर लोगों को आश्चर्य होता है कि आखिर क्यों पिकासो के बनाए 'कुछ भी' की कीमत करोड़ों में होती है।
पिकासो के काम की सबसे ज्यादा कीमत उनके पेंटिंग को दिए गए नए आयाम के चलते है। पिकासो ने कम से कम रेखाओं में स्ट्रक्चर बनाना सीखा। दो तीन लाइनों में बने उनके चित्रांकन से ही समझ आ जाता था कि किसकी बात की गई है। उनकी इस शैली को उनके बाद से लगभग दुनिया भर के पेंटर फालो कर रहे हैं। जिनमें भारत के महान चित्रकार भी शामिल हैं। सूजा और हुसैन जैसे भारतीय कलाकारों के कुछ चित्रों में भी पिकासों के बनाए चित्रों की छवि स्पष्ट नजर आती है। कला की दुनिया में किसी की महानता उसके रूपक से तय होती है। पिकासो महानता की उसी स्थिति तक जा पहुंचे थे।
एक बार की बात है मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो कहीं गए। एक महिला ने उनसे कोई पेंटिंग बनाने की गुजारिश की। पिकासो ने वहां मौजूद चीजों से कुछ बनाया और नीचे अपने दस्तखत कर दिए। महिला कुछ 'शानदार पेंटिंग'  की उम्मीद कर रही थी। जबकि पिकासो ने तीखी लकीरों से कुछ बना दिया था। बहरहाल बाद में महिला ने वो पेंटिंग किसी विशेषज्ञ को दिखाई तो वो कलेक्टर उसे इसकी भारी कीमत देने को तैयार हो गया।
अपने चित्रों में नीले रंग का खूब इस्तेमाल करने वाले पिकासो ने घनवाद (क्यूबिज्म) की शुरुआत की। सात साल की उम्र से पेंटिंग की ट्रेनिंग लेने वाले पिकासो को मॉर्डन आर्ट पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले तीन पेंटरों (पाब्लो पिकासो, हेनरी मेटीस और मार्शल डशहैंप) में प्रमुख माना जाता है।
पिकासो एक साथ कई चित्रों पर काम करते थे। उम्र के हर दशक में उनके प्रेम संबंधों की चर्चाएं आम रहती थीं। इन्याय को सहना उनकी आदत में शामिल नहीं था। 1937 में नाजी बमवर्षकों की खिलाफत करने के एवज में उन्होंने स्वेच्छा से देश निकाला स्वीकार किया था। मनमौजी ऐसे कि उन्होंने अमीरों से अपने चित्रों के लिए अथाह पैसा वसूल किया। वहीं कला के कद्रदानों, संग्राहलयों और आर्ट को समझने वालों को अपने चित्र मुफ्त में दिए। कहते हैं कि दुनिया में पिकासो ने जितना पैसा कला से कमाया, उतना कोई और आज तक कला या साहित्य की रॉयल्टी से नहीं कमा सका है। इस महान कलाकार का निधन 8 अप्रेल 1973 में हुआ।

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