बुधवार, 23 अक्टूबर 2013

'भारतीय कला समीक्षा' के 'की-कॉन्सेप्ट्स'

मूमल नेटवर्क, जयपुर।
खालिस चाटुकारिता या खुन्नसी आलोचना से अलग वास्तविक कला समीक्षा के क्षेत्र में अकाल झेल रहे राजस्थान के कला जगत को एक दिशा और विचार देते हुए वरिष्ठ चित्रकार और कला शिक्षक डा. ऋतु जौहरी की पुस्तक 'भारतीय कला समीक्षा' अब देशभर में सभी के लिए उपलब्ध है।
लेखिका ने यह मूल तथ्य मन-मस्तिष्क में रख कर यह पुस्तक लिखी है कि अधिकांश आम कला दर्शक और विद्यार्थी अपने ज्ञान और जानकारी के आधार पर अपने जहन में भारतीय कला का कोई सुनिश्चित स्वरूप नहीं बना पाते। समीक्षा के नाम पर विभिन्न पक्षों द्वारा अलग-अलग अंगों के आधार पर हाथी जैसे विशाल अस्तित्व का विवेेचन किया जाता रहा है। ऐसे में भारतीय कला को समग्र्र रूप से कैसे समझा जाए?
इस पुस्तक में कलासृजन से संबंधित वैचारिक और कलात्मक पक्ष के साथ लयात्मकता, जीवंतता व सौन्दर्य के सभी पक्षों को ऐसे तथ्यों के साथ संकलित कर कला समीक्षा के लिए नया नजरिया पेश करने की कोशिश की गई है। इससे न केवल कला के आम दर्शक और विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ेगा वरन चित्राकंन के 'की-कॉन्सेप्ट्स' भी मिलेंगे।
राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी की ओर से हिन्दी में प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य मात्र सौ रुपए रखा गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए लेखिका के सीधे सम्पर्क भी किया जा सकता है।
उनका फोन नम्बर है: 09413329175
ई-मेल:johriritu@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

ALBELA KHATRI ने कहा…

वाह !
क्या कहने

बेनामी ने कहा…

ये बुक मुझे चाहिए थी कैसे मिलेगी