शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

फ्रांस के कलाकार और भारतीय शास्त्रीय संगीत की धुन

सितार पर फ्रांस की कलाकार सिल्विया हैली तबले पर संगत कर रहे लोहो गैरवी
सितार की मधुर झनकार और गुंजाई तबले की तिरकिट
मूमल नेटवर्क, जयपुर।
जवाहर कला केंद्र के मंच पर गुरुवार को फ्रांस के कलाकारों ने हमारे संगीत के सात सुरों का ताना-बाना बुनकर साबित कर दिया कि सात सुर कभी फिरकापरस्ती नहीं करते। जो धैर्य से इनको साध ले, ये उसी के हो जाते हैं। मौका था भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम का।
कार्यक्रम का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् एवं जवाहर कला केन्द्र के सयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसमें फ्रांस की कलाकार सिल्विया हैली ने भारतीय तार वाद्य सितार पर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सुर सजाए, वहीं उनके साथ आए लोहो गैरवी ने तबले की तिरकिट से संगीत प्रेमियों को रोमांचित कर दिया। इन कलाकारों ने भारत के कई प्रतिष्ठित कलाकारों से संगीत के गुर सीखे हैं। जयपुर से पूर्व ये कलाकार देश के कई अन्य शहरों में भी अपने फन का प्रदर्शन कर चुके हैं।
सिल्विया ने इस मौके पर सबसे पहले राग कलावती को अपनी प्रस्तुति का माध्यम बनाया। उन्होंने आलाप, जोड़ और झाला के बाद ताल कहरवा में इस राग के अन्य पक्षों को जीवंत किया। उन्होंने राग काफी में रूपक और तीन ताल व पहाड़ी में दादरा ताल पर प्रस्तुति दी। तबले पर संगत कर रहे लोहो गैरवी ने भी मंझे हुए संगतकार की भांति कई प्रकार लय, उन पर चलन और लय बांट की बेहतरीन अदायगी से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।

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