सोमवार, 16 मार्च 2015

कलाकारी बंदरों की

कलाकारी बंदरों की
जंगल की एक कहानी है। जंगल के राज की कमाण्ड किसी तरह शेरों के हाथों से निकलकर बंदरों के हाथों में आ गई। एक बार जंगल का मौसम बिगड़ गया। बहुत बरसात हुई। पक्षियों के घौंसले टूटने लगे। अण्डे-बच्चे असुरक्षित हो गए। बकरी के बच्चे नाली में बहने लगे। सब परेशान होकर नए बंदर राजा के पास गए। बन्दर ने पहले तो सबको घुड़की दी। फिर मौके की नजाकत देखते हुए सबको तस्सली दी। अपने साथियों को हालात समझने को कहा। अपनी फितरत के अनुसार नए राजा सहित सभी बन्दर पेड़ों पर चढ़कर हालात का जायजा लेने लगे। बड़ी मेहनत से काफी देर तक एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उछल-कूद करते रहे। इस बीच सब घौंसले उजड़ गए, अण्डे फूट गए अएैर बकरी के बच्चे बह गए। अब बारी आई, पेड़ों से उतर कर जंगल के जीवों को जवाब देने की। बंदरों ने हांफते हुए अपनी राजनैतिक कलाकारी दिखाई। बन्दर बोले 'देखो भाईयों! बरसात में तो हम भी आपके साथ रहे। पूरी जिम्मेदारी निभाई। हमने अपनी भागदौड़ में कोई कमी रखी हो तो कहो?

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