शुक्रवार, 13 मार्च 2015

Kala Mela Day-2 पानी ने खोली सांठगांठ की पोल

बरसात ने धोया जयपुर का कला मेला
पानी ने खोली सांठगांठ की पोल
संयोजक के फरमान से फैला आक्रोष
कृष्णयन में अदा हुई मशायरे की रस्म
मूमल ने दी थी वर्षा की पूर्व चेतावनी
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मूमल नेटवर्क, जयपुर। यहां ललित कला अकादमी की तत्वावधान में चल रहे कला मेला के दूसरे दिन बरसात ने भारी तबाही मचाई। कथित वाटरप्रुफ टैंट के नीचे बने स्टॉल्स में ऊपर और नीचे से जम कर पानी आया। पानी की इस दोहरी मार से कलाकृतियां क्षतिग्रस्त हो गई। इसी के साथ बरसात ने टैंट वालों के साथ होने वाली सांठ-गांठ की बात को भी बल दिया।
मौसम का मिजाज बिगडऩे की पूर्व आशंका के अनुसार शुक्रवार को ठीक दोपहर बाद बादल उमडऩे लगे और कुछ देर में ही वर्षा होने लगी। वाटर पु्रफिंग के नाम पर स्टॉल्स के ऊपर टैंट में नाम मात्र को लगी पॉलिथिन ज्यादा देर तक पानी को नहीं रोक सकी और बेशकीमती पेंटिग्स पर  पानी टपकने लगा। कुछ ही देर में टैंट में से पानी की धार बहने लगी और कलाकृतियां तरबतर हो गयीं। कलाकार अपने काम को संभालते तब तक नीचे फर्श पर भी पानी आने लगा। देखते ही निचले इलाकों में पानी भर गया। यह निचले इलाके वह थे जो इस बार तंग गलियारों के रूप में चार अलग-अलग जगह जबरन बनवाए गए थे।
वर्षा के दौरान कलाकार अपनी कलाकृतियों को बबलशीट के टुकड़ो से ढांप कर बचाते रहे। इसके बावजूद पानी से क्षतिग्रस्त होने वाली कलाकृतियों की संख्या काफी रही। अधिकांश लोगों ने उन हट्स में लाकर भी अपना काम बचाया जो युवा या उपेक्षित कलाकारों को आवंटित किए गए है। क्षतिग्रस्त कलाकृतियों का विवरण शाम तक पूरा नहीं मिल पाया। कल सुबह स्टाल पुन: लगने के बाद स्थिति स्पस्ट हो पाएगी।
सचिव ने लिया जायजा
वर्षा बंद होने के फोरन बाद राज. ललित कला अकादमी की सचिव अनीता मीणा और आयोजन समिति की सदस्या मीनू श्रीवास्तव ने एक-एक स्टॉल पर जाकर हालात का जायजा लिया और हड़बड़ए कलाकारों का हौंसला बढ़ाया। दोनों ने सभी की समस्याओं को धर्य और सहानभति से सुना और तत्काल निवारण का आश्वासन दिया। समिति के अन्य सदस्यों या संयोजक ने अपने परिचितों के अलावा किसी का हाल जानने का जोखिम नहीं उठाया।
पहले तुकलकी फरमान
बरसात बंद होने के बाद ज्यादातर कलाकारों ने रात को पुन: वर्षा की आशंका और अपनी कलाकृतियों को फिर से प्रदर्शन योग्य बनाने के लिए जरूरी करने हेतु उन्हें घर ले जाने का मानस बनाया। ऐसे में अधिकांश लोग स्टॉल बंद करके घर जाने की तैयारी करने लगे। यह देखकर अपनी समझ के अनुसार आयोजन समिति के संयोजक ने कलाकारों को रोकने के लिए माइक से यह घोषणा करना शुरू किया कि कोई अपनी पेटिंग्स स्टॉल से नहीं उतारेगा न स्टॉल को कनात से ढकेगा। इसी के साथ यह भी कहा गया कि कोई यहां से अपनी पेंर्टिग्स बाहर नहीं ले जाएगा।
गेट पर जड़ा ताला
इसी के साथ बाहर जाने वाले गेट्स पर अकादमी के कुछ कर्मचारियों और गार्डस को तैनात कर दिया और शिल्पग्राम के पीछे वाले गेट पर ताला जड़ दिया गया। आम तौर पर वहां तैनात गार्ड आवश्यता अनुसार पूछताछ व जांच के बाद प्रतिभागियों को आने जाने देते हैं। आज वहंा तैनात गार्डस को यह निर्देश दिए गए कि कोई खोलने को कहे या चाबी की बात करे तों कहा जाए कि पहले अकादमी कर्मचारी ललित गोयल से अनुमति ली जाए। इस बीच कुछ खास लोगों को अपने चौपहिया वाहनों पर सामान लाद कर आने-जाने दिया गया। संयोजक द्वारा किए जा रहे तुकलकी एनाउंसमेंट और अकादमी कर्मचारी द्वारा गार्ड्स के साथ मिलकर की जा रही राठौड़ी के बाद माहौल बिगडऩे लगा और युवा कलाकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
फिर प्रभावी समझाईश
हालात को भांपते हुए अकादमी के सचिव और प्रदर्शनी अधिकारी ने स्थिति संभाली। प्रदर्शनी अधिकारी विनय शर्मा ने माइक संभाला। कलाकारों को अपनेपन का अहसास कराते हुए कहा गया कि यह किसी और का नहीं अपना सबका सामूहिक आयोजन है, इसे सभी को मिल कर सफल बनाना है, कलाकारों का  हौंसला बढ़ाते हुए कहा गया कि सभी की कलाकृतियों की सुरक्षा की जाएगी। अधिक संख्या में तिरपाल मंगवाए जाने और उनके शीध्र पहुंचने की बात भी बार-बार कही जाती रही। माइक पर प्रदर्शनी अधिकारी की चिरपरिचित और विश्वस्तनीय आवाज सुनने के बाद माहौल घीरे-धीरे सामान्य हो गया।
संशोधित समाचार 
कृष्णयन में अदा हुई मशायरे की रस्म
इस बीच ऊर्दू अकादमी की ओर से आयोजित होने वाले मशायरे की तैयारियां होने लगी। मुशायरे के लिए लगाई गई कुर्सियों पर गिने चुने श्रोता और वर्षा से गीले मंच की बदहाली देखकर आमंत्रित शायरों का मंच तक आने का न मूड नहीं बन रहा था न मौजू अशआर सूझ रहे थे। ठीक उसी समय फिर कुछ बूंदाबांदी शुरू हो गई। इस दौरान गिने चुने श्रोत्रा भी नदारत हो गए। मुशायरा रद्द होने या इसे कृष्णायन में आयोजित किए जाने की कोई घोषणा नहीं की गई। कलामेला सूत्रों के अनुसार बाद में कृष्णायन में मुशायरा हुआ, जहां शायरों ने अपने कलाम पढ़े और मुशायरे की रस्म अदा की गई।

सांठगांठ पर प्रकृति का कोप?
ऐक ओर जहां आयोजकों की अक्षमताओं को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रहीं वहीं आयोजन समिति से जुड़े कलाकार और सरकारी कर्मचारी कलाकार इसे भगवान की इच्छा और प्रकृति की मेहरबानी बोल कर बचने का प्रयास करते रहे। वहीं हालात से असंतुष्ट कलाकार इसे आयोजकों की अक्षमता और सांठ-गांठ उजागर करने के लिए हुआ प्रकृति का कोप कहते रहे।
कल फिर से होगी वही रौनक
अधिकांश कलाकारों ने कल नए सिरे से स्टॉल को सजाने और अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करने की तैयारी की है। वे कल सुबह समय से पूर्व आकर अपनी कृतियों की मरम्मत करके उन्हें फिर पहले सा रूप देने का भरसक प्रयास करेंगे। रात तक टैंक के ऊपरी हिस्सों में ठहरे पानी को निकालने के लिए टैंट हाउस के कर्मचारी जुटे हुए थे। स्टॉलों के नीचे बिछे कारपेट और दरियों को बदलने का काम कल सुबह के लिए छोड़ा गया है। टैंट वालों ने बताया कि इस आयोजन में उन्हें काफी नुक्सान हुआ है।
मूमल ने पहले ही चेता दिया था
उल्लेखनीय है कि मौसम का मिजाज और पश्चिम विक्षोभ की भविष्य वाणियों के अनुसार मूमल ने मेला आरंभ होने से पूर्व ही 13 8 14 मार्च को वर्षा और ओलावृष्टि की आशंका व्यक्त करते हुए चेतावनी दी थी। इसी समाचार में आयोजकों और कला मेले में भाग लेने के लिए आने वाले प्रतिभागी कलाकारों को सर्तक रहने और कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए माकूल इंतजाम करने की विनम्र सलाह दी थी। जबकि आयोजकों ने इसे यह कह कर खरिज किया था कि मूमल कौन सा अंतरयामी है?
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