गुरुवार, 12 मार्च 2015

Jaipur Kala Mela Day-1

हंगामे और अव्यवस्थाओं के बीच हुआ 
कला मेला का आगाज
मूमल नेटवर्क, जयपुर। अठाहरवें कला मेले का औपचारिक उद्घाटन 12 फरवरी की शाम 5 बजे कला संस्कृति राज्य मंत्री कृष्णेन्द्र कौर के करकमलों से झण्डा रोहण व बटुकों के मंत्रोच्चार के साथ हुआ। 
इस अवसर पर कला-संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल, जवाहर कला केन्द्र के महानिदेशक उमरावमल सालोदिया, राजस्थान कला अकादमी की सचिव  अनीता मीणा के साथ मेले में सम्मिलित विभिन्न अकादमियों के पदाधिकारी व कलाकार उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष के बजट में कला और संस्कृति के लिए पूर्व वर्षों से दुगनी राशि का प्रावधान रखा गया है। कला के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और राज्य का माहौल कला के अनुकूल हो रहा है। हमारा प्रयास रहेगा कि राजस्थान को कला राज्य का दर्जा मिले। मेले के बारे में उन्होंने कहा कि इस वर्ष आयोजन का आकार बढ़ाया गया, लेकिन उसके अनुरूप समय कम मिला है। अगले वर्ष जो भी कला मेला कमेटी का संयोजक होगा उसे मेले की पर्याप्त तैयारियां करनी होगी।
इससे पहले दिन में लगभग साढें 12 बजे बटुकों ने मंत्रोच्चार के साथ द्वार पूजन किया और केन्द्र के मध्यावर्ती में मल्टी मीडियाआर्ट कैम्प्स की शुरुआत हुई। कृष्णायन में सिन्धु कला संगम के अन्र्तगत सिन्धु संस्कृति से जुड़े चार विषयों पर विद्वानों ने व्याख्यान दिए, वहीं शिल्पग्राम में वेद-विज्ञान चित्र वीथिका के तहत वार्ताओं का दौर चला।
बड़ी कल्पना के कैनवास पर अव्यवस्थाओं के छींटे
इस वर्ष के कला मेले का कैनवास काफी बड़ा बुना गया है। मेले में 6 आर्ट कैम्प आयोजित किए गए हैं। संस्कृत व सिन्धु संस्कृति पर व्याखयान के साथ कवी सम्मेलन, मुशायरे व गीत-संगीत को भी शामिल किया गया है। इस बड़े आयोजन को समयबद्ध व सुचारू रूप से चला पाने में मेला कमेटी की कमजोरी पहले दिन से ही सामने आने लगी है। सुबह दस बजे मंत्रोच्चार से द्वार पूजन  दिन में एक बज कर 45 मिनट पर आरम्भ हुआ। द्वार पूजन में शामिल होने के लिए 10 बजे से मेले में आने वाले कलाकारों को ही पता नहीं चल पाया कि कब द्वार पूजन हुआ और कब आर्ट कैम्स की शुरुआत हो गई। व्यवस्थाएं अपनी मर्जी से चल रही थी और कमेटी की कृत्रिम रूप से कसी हुई कमजोर पकड़  के नतीजे एक के बाद विफलताओं के रूप में सामने आते रहे।

पहले दिन ही हंगामा
कला मेले के उद्घाटन से पहले ही अजमेर के वरिघ्ठ चित्रकार डॉ. अमित राजवंशी की पेंटिंग्स को मेला संयोजक ने यह कहकर उतरवा दिया गया कि पेंटिंग्स अश्लील हैं। मेला कमेटी के अन्य सदस्यों की समझाइश के बाद भी वो अपनी बात पर अड़े रहे। राजवंशी के साथ आए साथी कलाकारों और उनके द्वारा कला शिक्षा प्राप्त किए विद्यार्थियों को यह बात रास नहीं आई। विरोध स्वरूप कई स्टॉल्स से वरिष्ठ व युवा कलाकारों ने अपनी-अपनी पेंटिंग्स उतार मेले से बायकट करने का निर्णय लिया।
उललेखनीय है कि राजवंशी अपनी शैली में पिछले 20 वर्षों से साधनारत हैं। मेले में स्टाल अलाट करने से कई दिन पहले से मेला कमेटी कलाकार की कृतियों पर विचार-विमर्श कर पूरी संतुष्टि के बाद ही स्टाल आवंटित करती है। ऐसे में किसी कलाकार से अलाटमेंट के बाद किया गया ऐसा व्यवहार कला जगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
कलाकारों ने जब कला मेला कमेटी के संयोजक द्वारा किए गए इस दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य का विरोध मूमल को दर्ज करवाया तो मूमल ने मेले में उपस्थित राज्य मंत्री और प्रमुख शासन सचिव के सामने कलाकारों के विरोध की बात रखी। प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल के कलाकारों को दिए गए आश्वासन के बाद कलाकार शांत हुए।
वार्ताओं का सिमटा दायरा
सिन्धी व संस्कृत में हो रहे व्याख्यानों में श्रोताओं की संख्या बहुत कम रही। व्याख्यानों का स्तर बहुत अच्छा होने के बावजूद केवल उन्हीं लोगों ने व्याख्यानों को सुना जो अब तक इन्हे सुनते आए हैं। कला मेले और मेले में उपस्थित कलाकारों को इन आयोजन से जोडऩे या उनकी रुचि बढ़ाने का कोई विशेष प्रयत्न नहीं किया गया।
बटुक हुए परेशान
सुबह 9 बजे से द्वार पूजन के लिए आए बटुक बैठे-बैठे परेशान होते रहे और द्वार पूजन का समय आगे खिसकता रहा। सबह 9 बजे से आए बटुकों को दिन में लगभग एक बजे द्वार पूजन का अवसर मिला। इस बीच उन्हें पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करवाया गया। बटुकों का यह हाल शाम को मेले के उद्घाटन तक रहा।





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