रविवार, 15 मार्च 2015

यह कैसी 'मूमल'?


इतिहास के साथ खिलवाड़
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान कला अकादमी के अठारवें कला मेले के तहत सहयोगी राजस्थान सिन्धी अकादमी के आर्ट कैम्प में मरुभूूमि के विख्यात चरित्र मूमल का चित्रण किया जा रहा है। रियलिस्टिक आर्ट शैली में बनाया जा रहा यह चित्र यह चित्र जयपुर के आर्टिस्ट जगदीश चन्द्र सांवलानी बना रहे हैं। मूमल के इस चित्र में नायिका का जो चित्रण किया गया है वो देखने वालों को मूमल की वास्तविकता से भटका कर भ्रमित करने वाला है।
इतिहास की प्रेम गाथाओं में मूमल व राणों महेन्द्रो का नाम विश्व प्रसिद्ध है। यह कहानी अखण्ड भारत के दो विभिन्न प्रदेशों और संस्कृति के राजघरानों की है। मूमल जहां जैसलमेर की राजकुमारी थी वहीं राणों महेन्द्रों सिन्ध (वर्तमान पाकिस्तान) के नगर अमरकोट के शासक थे। पिता द्वारा किसी कारणवश दण्डस्वरूप मूमल जैसलमेर से कुछ दूरी पर जंगल में बनी एक मेड़ी में निवास किया करती थीं। वहीं राणों महेन्द्रो से उनकी मुलाकात हुई।
चित्रकार ने अपने चित्र में जो मूमल के परिधान चित्रित किए हैं वो कहीं पर भी जैसलमेर के राजघराने तो क्या जैसलमेर के मूल जनजीवन से जुड़े भी नहीं हैं। मूमल का ऐसे वस्त्र विन्यास का वर्णन कहीं नहीं पाया जाता। लगभग यही हाल राणों महेन्द्रो के वस्त्र विन्यास का है। इस  चित्र को देखकर लगता है जैसे मूमल पंजाब से संबंधित थी। चित्र में मूमल की वेषभूषा और वस्त्रों में कुर्ता और लूंगी दर्शाई गई है। महेंन्द्र को भी किसी मुगल जैसा दिखाया गया है। इसी के सााि मूमल के हाथ में जो वाद्य यंत्र दिखाया गया है वह भी मूमल से संबंधित नहीं है।
पहली नजर में यह चित्रण फुटपाथों पर अज्ञात चित्रकारों द्वारा निर्मित उस अंकन जैसा है जो पोस्टर विक्रेता उमर खय्याम के चित्रों के नाम से बेचते हैं। जगदीश सावलानी का चित्रण देख कर उमर ख्य्याम के पोस्टर दिमाग में कौंध जाते हैं।
यदि मूमल की अप्रतिम सुन्दरता की बात करें तो वो भी कैम्प में बन रहे इस चित्र में नजर नहीं आती। मूमल की सुन्दरता के किस्से  सुने जाएं तो मालूम चलता है कि उसकी एक छवि पाने के लिए और उनसे विवाह करने की इच्छा लिए कई राजकुमारों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
सिन्ध में शाह लतीफ ने अपने पद्य गं्रन्थ में 'सत सूरमियूंÓ में एक सूरमी के रूप में मूमल का वर्णन किया है। राजस्थान के कहानीकारों और इतिहासकारों ने भी मूमल की सुन्दरता, वस्त्र विन्यास और आभूषणों का वर्णन किया है।
पूर्व में हुआ है उग्र विरोध
उल्लेखनीय है पिछले दिनों फरवरी में जैसलमेर में हुई 'मिस मूमलÓ प्रतियोगिता में मिस मूमल चुनी गई युवति के वस्त्र विन्यास को लेकर भी भारी विवाद हुआ था।  मिस मूमल प्रतियोगिता में चुनी गई संध्या द्वारा पहने गए वस्त्रों के रंग और आभूषण को लेकर कड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। विरोध इतना उग्र था कि पुलिस को उग्र भीड़ पर नियंत्रण के लिए लाठियां भांजनी पड़ी थी। ऐसे में जन भावनाओं को देखते हुए चित्रकार को मूमल की सुन्दरता, वस्त्र विन्यास और वेशभूषा के साथ मूमल द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों का पर्याप्त अघ्ययन करने के बाद ही इस एतिहासिक चरित्र को कैनवास पर सजीव करने का प्रयत्न करना चाहिए।

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