शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

पोस्टर्स में साकार हुआ जन-मन-गण


पोस्टर्स में साकार हुआ जन-मन-गण
हिन्दी दिवस समारोह सम्पन्न
मूमल नेटवर्क, जयपुर। 14 व 15 सितम्बर को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी एवं राजस्थान ललित कला अकादमी केे संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कला विद्यार्थियों ने पोस्टर्स के जरिए अपनी देश भक्ति का इजहार किया वहीं कला एवं संस्कृति में हिन्दी की भूमिका जैसे विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
14 सितम्बर का आयोजन ललित कला अकादमी परिसर में किया गया जहां पर लगभग 50 कला विद्याार्थियों ने रंगों से जन-गन-मण को साकार करते हुए पोस्टर्स बनाए। इसके साथ ही  डॉ. राजेश व्यास ने कला एवं संस्कृति में हिन्दी की भूमिका विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। 15 सितम्बर को राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी में संगोष्ठि का आयोजन किया गया।
अपने व्याख्यान में बोलते हुए  डॉ. राजेश व्यास ने कहा कि, कला के मर्म तक पहुंचने के लिए हमें हिन्दी भाषा व हमारी संस्कृति को अपनाना होगा, आत्मसात करना होगा। नृत्य की अक्षि, चित्रकला की दृष्टि तथा कला की आत्मा को समझने के लिए हमेेंं हमारी भाषा की महत्ता को स्वीकारना होगा। आज ऑक्सफॉर्ड  में नए शब्दों का संकलन हिन्दी से ही किया जा रहा है। हिन्दी इसलिए सम्पन्न है क्योकि समस्त प्रादेशिक भाषाओं ने उसे रक्त संचार दिया है। भाषा के मर्म में प्रवेश कर ही कला में प्रवेश किया जा सकता है।

इस अवसर पर बोलते हुए राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी की निदेशक डॉ. अनीता नायर ने कहा कि अंग्रेज यह अच्छी तरह जानते थे कि किसी को लम्बे समय तक दास बनाने के लिए हमेंं उसकी भाषा पर आधिपत्य जमाना होगा और उन्होंने भारत की शिक्षा को आंग्ल भाषा की
बैसाखी पकड़ा दी। इस लिए हम आज मानसिक रूप सेे पंगु हो चुके हैं। यही कारण है कि हम इस छोटी सी बात को भी नहीं समझ पा रहे हैं कि हमारा सर्वांगीण विकास निज भाषा हिन्दी के माध्यम से ही संभव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सह-आचार्य डॉ. उर्वशी शर्मा ने अपनेे संबोधन में कहा कि, आज हिंदी दिवस नहीं हमारी भारतीय भाषाओं का दिवस है कलाओं के मर्म तक पहुंचने के लिए हमें अपनी भाषाओं से जुडऩा होगा।
अन्त में राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ. अश्विन दलवी ने समस्त अतिथियों एवं उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।

कोई टिप्पणी नहीं: